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किन्नर दिवस पेज-४












किन्नर दिवस पेज-४





दिवस ने कहा," मैं दिल्ली ऐम्स जा रहा हूँ जहाँ डा.एस.एस प्रसाद जो मेरे फौजी भाई के दोस्त हैं उनसे मिलना है |"
रूद्र," हाँ, डा.प्रसाद का नाम फैमस है |"
दिवस और रूद्र दोनो डा.प्रसाद से मिलते हैं तो कीकीवह उन्हें अपने कैबिन में ले जाते तो दिवस उनसे कहता है कि आप मेरा ब्लड ऐण्टीवैनम बनाने के लिये ले लीजिये जिससे कोबरा जैसे भंयकर सांपों के डसे जा चुके पीड़ित मरीजों की रक्षा हो सके | डा. प्रसाद कहते हैं कि आपमें कोबरा जैसे जहरीले सांपों का जहर झेल लेने पचा लेने की क्षमता हो तब | दिवस कहता है कि आप मेरा ब्लड टैस्ट कीजिये | डा.अपने एक मित्र डा. पीस डिसूजा जी को पूरी बात बताकर केबिन में बुलाते है | डा. पीस कुछ देर बाद ऐम्बूलैंश लेकर पहुंचती है उसी ऐम्बूलैंस में पूरी तैयारी के बाद दिवस को कोबरे के जहर का इंजेक्शन लगाया जाता है दिवस को कुछ नही होता तो दिवस के जिद पर दूसरे बहुत जहरीले ब्लैक मांबा का जहर इंजेक्ट कर दिया जाता 
है पर वह उसे भी झेल जाता है | यह देख डा. पीस डिसूजा हैरान रह जाती हैं वह कहती हैं आपका ब्लड तो इस तरह के पीड़ित मरीजो के लिये अमृत सिद्ध होगा |आपके ब्लड से ऐण्टीवैनम बन सकेगा जो हजारों सर्पदंश पीड़ितों की जान बचा सकता है | हम आपका कुछ ब्लड सुरक्षित कर ले रहे हैं पर आप एक हप्ते बाद फिर से आइये प्लीज वह दिवस से हांथ मिलाकर बोलीं वाव! दि ग्रेट दिवस |
दिवस ने डा.प्रसाद और डाक्टरों की पूरी टीम से हांथ जोड़कर कहा," आप लोगों से निवेदन है कि यह बात मीडिया से मत कहना प्लीज अपने तक ही रहिये मुझे हो हल्ला पसंद नही| मैं निस्वार्थ जनसेवा करना चाहता हूँ | 
डा. प्रसाद बोले," यह सब आपने जाना कैसे ?"
पास में खड़े रूद्र ने कहा," सर मैं बताता हूँ फिर उसने पूरी कहानी सुना दी |" डा. बोले," ग्रेट पर मुझे डर लगा सचमुच |" दिवस ने कहा," आप यह बात अशिन भैया को मत कहना प्लीज |"
डा.प्रसाद बोले," वादा करता हूँ नही बताऊंगा
पर एक समय आने पर जरूर बताऊंगा |"
तभी डा. साहब का फोन बजा वह सॉरी कहकर वहाँ से चले गये और चलते- चलते बोले कि घर रूक कर जाना | दिवस ने कहा," नही मुझे अभी वापस जाना है |"
रूद्र और दिवस रेलवे स्टेशन पर बैठे बातचीत कर रहे होते हैं कि सामने जैनीफर कुछ लड़के लड़कियों दोस्तों के साथ निकल रही थी कि उसने पलट के देखा तो दिवस उसे देखता हुआ आगें बढ़ गया | फिर वह दोबारा पलटी और भागते हुये आयी और बोली," मुझे अस्पताल में अकेला छोड़ आये क्या मानवता भी नही है ?"
दिवस ने कहा," मॉफ कर दो प्लीज |"
जैनी ने कहा," हम लोग दिल्ली घूमने आये हैं चलो अपना न्यू नम्बर दो |" 
दिवस अपना नम्बर दे देता है | 
सामने ट्रैन आती देख दिवस व रूद्र कहते हैं अपनी भी इसके बाद आ रही होगी चलो अंदर चलते हैं | 
जैनीफर उसे देखती हुई निकल जाती है |
कुछ देर बाद ट्रैन आती है दोनों अपनी सीट परबैठ जाते हैं और अखबार पढ़ने लगते हैं |
दिवस कहता है कि मेरा मन नही हो रहा बस्ती जाने का | रूद्र कहता है अपनी दुनिया वही है वरना और कहाँ जायेगें | 
दिवस भरे मन से बस्ती में दाखिल होता है |
वह देखता कि खम्भे पर लटकी मरकरी की रोशनी में एक गाय कूड़े में पॉलीथिन खा रही तो दिवस ने दौड़कर गाय के मुँह से पॉलीथीन खींच ली | तो देखा उस गाय के आँख का मांस लटका हुआ है उसकी आँख  मानो गिरी जा रही हो | भूखी गाय की यह दुर्दशा देख उसका दिल अंदर ही अंदर रो पड़ा |उसे याद आया बचपन में माँ गौकथा सुनने ले जाया करती थी | ना जाने कितने ऋषि -मुनि ज्ञानी-ध्यानियों ने गौ माता की महिमा गायी है | जब में छोटा था तो पिताजी काशी घुमाने लो गये थे जहाँ हमने और प्मेंताजी ने माँ गंगा सफाई अभियान में  माँ गंगा की सांझ आरती दिखाने ले गये थे | वहाँ पर भी गौ कथा हो रही थी | गौ जो इतनी पूज्यनीय है समुन्द्रमंथन से जो निकली दिव्यशक्ति है उनकी यह हालत | 
तभी उसने देखा कि उस पीड़ित गाय को देखकर कई बड़े लोग सरपट निकल गये | तभी वहाँ से एक बच्चा निकला और बोला," मैने एक चोटी वाले पंडित जी से कहा कि इस गाय का इलाज करवा दो  तो वह बोले," मुझे गौकथा करने जाना है वैसे भी बहुत देर हो चुकी कह कर कार में बैठकर चले गये |" दिवस ने कहा," बेटा ऐसे नही कहते वो पंडित जी के वेश में कोई पाखण्ड़ी रहा होगा | दिवस का मन व्याकुल हो उठा वह बोला," रूद्र इंतजाम करो अभी गाौ माता को ले जाना है वरना यह आँख खराब हो जायेगी | रूद्र ने कहा," रूको भैया में पता करता हूँ |" रूद्र ने कुछ लोगों को फोन किया तो पशुचिकित्सालय का पता मिल गया | रूद्र ने कहा," भैया सरोज मांई का फोन आ रहा है बोल रही खाना नही खाऊँगी घर आओ सब |
दिवस परेशान था कि वह नयी जगह है पहिचान भी नही क्या करे उसी दुनियां में लौटना ही पड़ेगा जिधर में जाना नही चाहता | रूद्र ने कहा," मांई दो चार लोग को बस्ती की लास्ट मरकरी लगी वहाँ भेज दो |" वह बोली," भेजती हूँ |"  कुछ देर में सब के सब वहाँ आ गये और पीछे मलिन बस्ती से भी लोग आ गये और वहाँ घूमरहे एक पुलिस वाले ने भी पूरी मदद कर दी | गौमाता को चिकित्सालय ले गये और उनका इलाज शुरू हुआ तो डाक्टर ने कहा," हमारे यहां की पशुचिकित्सा प्रणाली बिल्कुल लचर है |" ऑप्रेरशन से सही होगा सर्जन कर सकेगा बात आँख की है | हम लोग तो खुरपका मुंहपका का साधारण इलाज करते हैं बस | दिवस ने गुस्से में कहा," इंसानों ने अपने इलाज के लिये इतने बड़े अस्पताल खोल लिये हर तरह की सुविधा कर ली अपने लिये लाखों सर्जन तैयार कर लिये और इनकी चिन्ता नही जिनका दूध पी हम बड़े हुये धिक्कार है ऐसी व्यवस्था पर | दिवस ने कहा,"मेरी आँख ले लो मेरा मांस काट कर लगा लो पर इन्हें बचाओ डाक्टर कुछ करो आप | डाक्टर ने कहा," दिल्ली मुम्बई के कुछ डाक्टर है जो सर्जरी कर सकते हैं शायद |"
इतनी भीड़ और हल्ला देख मीडिया आ गयी तो दिवस ने कहा," कि देश के नेता अगर अपने  घुटने, कोहनी, किडनी के इलाज के लिये सर्जरी के लिये विदेश जा सकते हैं तो यह गौमाता भी विदेश जायेगीं इनकी आँख ठीक करवाओ वरना हम लोग चुप नही रहेगें | कितने ही मवेशी अच्छे इलाज की कमी से दम तोड़ देते हैं | हम लोग स्वार्थवश किस हद तक गिर चुके हैं | सरकार ने कितना रोका कि पॉलीथीन सड़को पर मत फेकों प्रयोग मत करो | सुनते ही नही भूख के कारण आवारा पशु इन्हे भारी मात्रा में खाकर तड़प-तड़प के मरते हैं | तीस-तीस किलो पॉलीथीन तक निकली है एक गाय के पेट से | पत्रकार ने कहा," आपकी बात पूरा देश सुन रहा है |" पत्रकार जा चुके थे | देखा कि गाय कराहने लगी थी | कुछ देर बाद पत्रकार का फोन आया कि दिल्ली के डाक्टरों की पूरी टीम आ रही है फ्लाइट से चिंता न करो और पूरा देश आपको सलाम कर रहा है | लम्बे इंतजार के बाद डाक्टरों की टीम आयी और इलाज शुरू हुआ | 
दो घण्टे बाद खुशखबरी मिली की उनकी आँख बच गयी है सब नॉर्मल है | एक दो दिन इसे यहीं रखेगें डाक्टरों की निगरानी में जब तक  यह पूरी तरह ठीक न हो जाये |
सभी किन्नर खुश थे | दिवस ने सभी डाक्टरों और मीडिया को धन्यवाद दिया और कहा," हमारी गौशाला की शुरूवात इन्ही गौमाता से होगी और दिवस ने उन गौमाता के पाँव छुकर आशीर्वाद लिया | हमारी गौशाला में जितनी भी बेसहारा गायें हैं वो सबभी रहेगीं क्योंकि पता नही वो दिन कब आयेगा कि आधुनिक गौचिकित्सालय बनेगें |इसलिये हम सब मिलकर उनकी सुरक्षा करेगें |
अखबारों में छपा कि गौमाता की रक्षा में किन्नर समाज का योग्यदान सराहनीय रहा|
दिवस ने कहा," रजौरा गांव में गौमाता को रखना घातक न हो क्योंकि वहाँ कोबरा जैसे भयंकर सांपों का राज्य है | 
गौशाला यहीं पशुचिकित्सालय के आस-पास ही बनायेगें जो इलाज में देरी न हो |
तभी कुछ पत्रकार आकर बोले," यहाँ के सांसद का धन्यवाद नही करोगे जिनके कारण यह सब हुआ दिल्ली से अरजेंट टीम आयी |
दिवस को याद आया कि अच्छा यह तो वही सांसद है | दिवस ने हांथ जोड़कर उनका व डाक्टरों की पूरी टीम का धन्यवाद किया |
पत्रकार ने पूछा और कुछ कहना चाहते ?
तो दिवस ने कहा," गौएम्बूलेंस की व्यवस्था और हो कि हम लोग अपने बीमार घायल बेहोश मवेशियों को सुविधा से पशुचिकित्सालय लाया जा सके | और देश के सभी पशुचिकित्सालयों का आधुनीकरण हो जितना कीमती इंसान का जीवन है उतना ही कीमती प्रत्येक गौ माता और प्रत्येक पशु-पक्षी जीव-जन्तु का भी है |
मैं आदरणीय सांसद जी से विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूँ कि यहाँ इतना बड़ा सर्वजीवहिताय चिकित्सालय हो जिसमें प्रत्येक मवेशी जीव जन्तु पशु पक्षियों का इलाज आधुनिक तरीकों से हो जिससे देश का पशु-पझी, जीव-जन्तुधन विलुप्त न हो सके | इतना कहकर दिवस पत्रकारों को नमस्कार करता हुआ वहाँ से निकल गया|
सरोज और रूद्र ,दिवस बस्ती ले गये जबरजस्ती दिवस को थोड़ा खाना खिलाया और फिर सब सो गये |
सुबह हुई तो सभी ने स्नान करके शिवरात्रि के महापर्व पर भगवान शिव की पूजा की | 
सरोज ने कहा," बेटा कल की घटना और तेरे मन की करूणा देख हमसभी का मन बदल गया है इकदम हम सभी ने फैसला किया है कि अब से हम सभी मिलकर गौशाला चलायेगें | दिवस ने कहा," सचमुच |"
सरोज ने कहा," असली किन्नर हूँ बनावटी नही जो कह दिया सो कह दिया |" 
सरोज ने कहा," हम सभी के पास जितना भी धन है सब मिलजुल कर चलो शुरूवात करते हैं | दिवस के पास भी जो अवार्ड का कुछ बचा थोड़ा पैसा था सब मिलाकर उसने सरोज को बता दिया और फिर गौशाला के लिये जगह तलाशने लगे |एक दिन श्रजित जी इन लोगों को रास्ते में  मिले और बोले," मेरा वह प्लॉट खाली पड़ा है और वह खेत पड़ा है |आप लोग इसे स्वीकार्य करें| यह मैं गौ माता के लिये दान करता हूँ | पिता को सामने देख दिवस ने दोनों हांथों से उनके पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया |पीछे से गॉव के कुछ धार्मिक लोग भी आ गये और बोले," जो भी बन पड़ेगा पूरा सहयोग करेगें|" तभी वहाँ पर कुछ व्यापारी लोग भी आ गये और आस -पास के गाँव के सभी युवा लोगों के सहयोग से बहुत भव्य गौशाला का निर्माण शुरू हुआ | 
वह सब बस्ती में खुशी-खुशी लौट रहे थे कि बस्ती वाले मकान के बाहर वही दो धाकड़ किन्नर खड़े थे जिन्होने ढ़ेरसारा सोना पहन रखा था और जिनके साथ उन्ही जैसे धाकड़ किन्नरों का एक गुट था | वह आँखे लाल करके गालियाँ देकर बोलीं," बड़ा शौक चढ़ा नये काम का निकलों इस बस्ती से |आज से तुम लोग अलग और हम सब अलग |अब भाग जाओं वरना खून बहेगा |
रूद्र बोला," यह ठीक नही कर रही तुम अम्मा |"
सरोज कुछ सोचकर बोली," सब चुप रहो कहकर जोरदार आवाज से बोली जिसको शादी में नेग लेना हो वही जिंदगी चाहिये तो उनकी तरफ जाओ और जिन्हें मेहनत की खानी हो वह मेरे साथ | पीछे खड़े कुछ किन्नर  उनकी तरफ चले गये | सरोज रूद्र और आठ लोगों को लेकर वह सब गौशाला पहुंचे और वही जाकर पुरानी दुकान जो श्रजित जी ने दान दी थी जिसमें टैन्ट का सामान भरा था |उसी दुकान को खोलकर सभी उसी दुकान में फर्श बिछाकर सो गये |
सुबह -सुबह जैनीफर गौशाला पहुंची और सरोज से जाकर कहा," मुझे दिवस से शादी करनी बस, वरना मैं मर जाऊगीं |"
दिवस ने कहा," नही कर सकता शादी मेरी मजबूरी है |" दिवस को पता चल चुका था कि उसका ब्लड़ कितना जहर पचा सकता है तो बहुत जहरीला होगा | गल्ती से इसके एक नाखून भी लग गया तो इसकी जॉन चली जायेगी| ब सोचते हुये उसने जैनीफर को मना कर दिया | वह रो पड़ी कि इतना भाव खा रहे हो | तभी किन्नर रोशनी और उसके साथ के सभी किन्नर आकर दिवस के गले लग गये कि हमें भूल गये | हम सब भी गौशाला देखने आये हैं | दिवस ने कहा," तुम्हारा पार्लर कैसा चल रहा रोशनी ?" वह बोली," सब तुम्हारी कृपा है मेरे गौलोचन जी महाराज |"
दिवस ने कहा," क्या मतलब ?"
वह बोली जो गौमाता कि नयन की रक्षा करे वह गौलोचन जोकि तुम महाराज इसलिये कि बहुत राज छिपाये रहते हो दिल के अंदर खोल दो न क्या बात है कितनी सुन्दर लड़की को मना कर रहे | कम से कम दोस्त की तरह साथ तो रहो बाबा | दिवस ने कहा,'' जैनी दोस्त तो हम है ही ना |"
जैनी कुछ देर गुस्सा रही फिर सब साथ में घुलमिल गये|
दिवस और जैनी बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे हर पल साथ रहते थे | रूद्र ने उस दुकान में भरे टेण्ट के सामान से छोटा सा टैण्टहाउस खोल लिया था | 
कुछ महीने बीते दिवस की बीएससी तृतीय वर्ष की परीक्षा सामने थी सो वह पढाई में व्यस्थ था | उसे अपने फौजी भाई की तमन्ना पूरी करनी थी कि वह प्रथम श्रेणी में पास हो |
रात में पुलिस वाला सीटी बजाता हुआ गस्त परनिकलता तो दिवस को उसी दुकान में पढ़ते देख वह दिवस की तरफ स्नेह से मुस्कुराता हुआ निकल जाता दिवस कहता उस दिन गौ माता को अस्पताल पहुचाने में आपने जो सहयोग किया उसके लिये आपका धन्यवाद|
वह मुस्कुराते हुये निकल गया |
इधर अखबार में आया कि सरकार ने नोटबंदी कर दी है कुछ दिन की परेशानी है | सभी बोले," भ्रष्टाचार मिट सकता है तो हम सब सहयोग करेगे सरकार का साथ देगें | अखबार पलटा तो खबर थी,देश की सीमा पर आतंकी हमले नही रूके और तेरह जवान शहीद | यह सब पढ़कर दिवस ने अखबार सीने से लगाकर कहा," उन सभी की आत्मा को शांति देना शिवजी और फिर पढ़ायी में लग गया | 
गौशाला का निर्माण सभी के सहयोग से काफी हद तक पूरा हो चुका था | गौशाला में अभी ग्यारह गाय थी | सबकुछ अच्छा चल रहा था |
एक दिन दिल्ली से डाक्टर प्रसाद का फोन आया कि दिल्ली आ जाओ तुम्हारे ब्लड से हजारो जिंदगियाँ बच सकती है |
वह बोला," मैं जल्द आ रहा हूँ |"
तभी रूद्र दोड़ते हुये आया और बोला," दिवस भैया ! रजौरा गाँव में पाँच बच्चे सर्पदंश से अस्पताल में भर्ती हैं | दिवस ने कहा," चलो चलकर देख आते हैं | वह दो कदम ही आगें बढ़े कि एक अत्यंत गरीब बुजुर्ग बोला," रजौरा गांव में तुम लोग ने कुछ न किया वादा तो बहुत बडा-बडा किया था | दिवस ने कहा," जल्द ही एक फाउण्डेशन खोलूंगा सबकी मदद होगा | वह गरीब मजदूर रोते हुये बोला," मुझे मेरी गाय वापस दे दो |" रूद्र ने कहा," कल आये थे और कह रहे थे कि मेरी गाय भूखी है रख लो |"
वह गरीब बोला," एक ही बेटी है कल शाम में बारात आनी है किसी ने मेरे घर चौरी कर ली कुछ नही छोड़ा घर में एक गेहूँ का दाना तक नही | मेरी बिटिया को चोरों ने बहुत मारा है वह मर न जाये | कल मुझ गरीब की इज्जत लुट जायेगी लला बेटा मेरी इज्जत बचा लो | यह गाय मुझे बेचकर जो पैसा मिलेगा उससे मेरी इज्जत बच जायेगी | दिवस बोला ,"इज्जत बच जायेगी पर गौ माता की जॉन चली जायेगी |" यह सब सुनकर "रूद्र  बोला,"किसे बेचोगे ?"
वह बोला जो अच्छे पैसा देगा |
रूद्र बोला," सीधे बोलो कसाई को |"
वह गरीब बोला," यह गाय नही मेरी आत्मा है |" बेटी का बाप अपनी आत्मा बेचेगा क्या करें वो फूट-फूट रो पड़ा |
दिवस ने कहा,"तुम्हारे गांव का विधायक होगा |" कहाँ रहता घर बताओ |
वह गरीब बोला,विधायक के ही खेतों में मजदूरी करते हैं बिटवा पर तीन चार महीने से एक भी रूपया नही दिया |
वह बहुत ही घटिया इंसान है |
दिवस और रूद्र किसी तरह विधायक से मिलने पहुंचते हैं तो गार्ड साफ मना कर देते हैं और कहते हैं साहब बिजी है |
दिवस कहता है कल शाम शादी है| हमें आज रात तक ही पैसों का इंतजाम करना होगा| यही सब बात कर ही रहे थे कि रोशनी का फोन आता है वह कहती है कि उसने कार ले ली है | ऱास्ते में सॉपिंग करते हुये तुम सब से मिलने आ रही हूँ | दिवस बोला," आ जाओ जितना भी कैश हो लेती आना | रोशनी ने कहा," मैं जल्द पहुंचती हूँ |" रोशनी ने सोचा," सभी के लिये यह लहंगे यह साड़ी यह मेकअप किट ले चलूं इतना तो सबका हक बनता ही है पता नही क्यूँ कैश मंगवाया चलो जो है पूरा ले चलती हूँ |
इधर दिवस वापस आकर सभी को उस गरीब की पूरी बात बताता है तो फिर  सभी से पूछता  है कि हम सब लोगों पर कुल मिलाकर कितना कैश होगा?" | सरोज कहती है देशभर मे नोटबंदी हुई है | कैश तो  ज्यादा नही है घर में और बैंक से दो हजार ही निकल रहा वो भी लम्बी लाईन लगाने के के बाद | कैश तो नहीं होगा ज्यादा | यह कहते -कहते सरोज खांसते हुऐ बेहोश हो जाती है | सभी आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाते हैं | वहाँ पता चलता है कि अगर आज रात एडमिट करो कल इनका पथरी का ऑप्रेशन होगा अगर कल न हुआ तो बचने के चांश बहुत कम है | सरोज को बेहोश देख दिवस को ऐसा लगा मानो उसकी माँ लेटी हैं | डाक्टर ने सभी को वहाँ से जाने को कहा कि यहाँ से भीड़ हटाओ पेसेंट को आराम करने दो और पच्चीस हजार रूपये का इंतजाम करो | फिलहाल रूम का पाँच हजार काउण्टर पर जमा कर दो |
दिवस ने सोचा," पैसा कितना जरूरी है काश! मेरे पास पैसा होता !
रूद्र ने कहा," सरोज माई की यह गले की चैन बैंच दूँ क्या ?" दिवस ने कहा," नही यह चैन नही बिकेगी |"  
वह अस्पताल से वापस आकर घर के बरामदे में   बैठता है तो तपेश्वर और मुक्ता दोनों किन्नर कहते हैं कि दिवस आज हम लोग ने पार्टी में नाच-गाकर नेग लेना बन्द न किया होता तो आज अपने हांथ खाली न होते |अब पच्चीस हजार कहाँ से लाये ऊपर से बैंक भी बड़ी रकम निकालने दे नही रहे | तभी दिवस के मन में विचार आता है वह सभी को वह आईडिया बताता है | सभी लोग मान जाते हैं पर सुनकर बहुत हैरान होते है|
रूद्र और दिवस मिलकर और सभी आठों किन्नर मिलकर सब समान जुटातें हैं | सब सामान एक लोडर में चढाते है और उनमें से एक सफेद कपड़े पर नील से कुछ लिखकर बैनर बना लेता है | 
कुछ समय के इंतजार के बाद रोशनी पूरी तैयारी के साथ सभी साथी किन्नरों के साथ पहुंचती है और कहती है," देखो! दिवस लो मैं आ गयी |
दिवस रोशनी को सरोजमांई के बारे में बताता है और फिर सभी अस्पताल पहुंच कर सरोजमांई से मिलते हैं और उनकी रूम फीस काउंटर पर जमा कर देते हैं | फिर वापस बस्ती लौट आते हैं | सभी दुखी होते हैं तब 
दिवस कहता है आज रोशनी तुम्हारी परीक्षा है तीन सुन्दरियाँ तैयार कर दो कि लोग देखते रह जायें और एक लोडर पर रहेगा एक दो भीड़ में सामिल रहेगें और एक दो टिकट काउंटर पर| 
पूरी बात समझकर रोशनी मेकअप का बेमिशाल काम करती है | कुछ देर बाद दिवस आता और कहता है नाचने वाली दो ही रखो उसमे से तारा को सरोजमांई के पास पहुंचा दो मांई  को अकेलापन नही लगेगा | तभी तारा कहती है मुझे अकेले नही सितारा को भी भेज दो वरना मैं नहीं रूकूंगी डाक्टर बहुत चिल्लाते है यार | रोशनी कहती है बस एक ही कब तक नाचेगी ? दिवस मन ही मन सोचता है कि गाय को कसाई काट देगा उस गरीब की बेटी की शादी न रूक जाये कहीं मजदूर आत्महत्या न कर ले यह सोचकर कहता है कि मेरी प्रतिज्ञा थी कि जिस दिन साड़ी लहंगा पहनू तो मर जाऊँ पर प्रतिज्ञा से बड़ा कर्तव्य है | रोशनी कहती है कहाँ खो गये | दिवस कहता है तुम नाचना  सिखाओ और वो सब जो जरूरी हो | शुरू करो कमरे में म्यूजिक ऑन करो | रोशनी आश्चर्य से कहती दिवस तुम तो पुण्यआत्मा इंसान हो कसम से , चलो मैं तुम्हें सिखाती हूँ |  
शांम को  सभी पूरी तैयारी के साथ रजौरा गांव में दाखिल होते हैं और वहाँ चल रहे मेले में मिलजुल कर अपनी डांस पार्टी का पूरा सेट लगा लेते हैं और टिकट पचास रूपया रखते हैं | बैनर लगाया जाता है " च्वीगम डार्लिंग डांस पार्टी "| दिवस ने बैनर देखकर कहा," हे! भोलेनाथ ,रंगीले ने यह क्या फालतू बैनर बनाया है यह क्या गंदा नाम रखा है मैने तो सोचा भी नही था कि वह यह नाम रखेगा |अब तोभगवान ही मालिक है कि यह रंगीला अंदर डांस पर कौन  सा भद्दा गाना बजायेगा |
अब कुछ हो भी नही सकता था | डीजे शुरू हुआ फिल्मी बोल्ड गाने बजने लगे | वहाँ मेले में घूमते लोगों से पुलिस वालों से दिवस ने कहा," उस गरीब किसान की गैया बिक जायेगी कट जायेगी बेटी की बारात लौट जायेगी उसकी मदद कर दो | सभी बोले," यार एक रूपया नही है देख रहे हो बैंक से पैसा नही मिल रहा जाओ यार |" कोई भी उस गरीब किसानकी मदद को आंगे नही बढ़ा बल्कि यह बोला," यार च्वीगम बेबी च्वीगम डार्लिंग आखिर ! कौन मस्त कली है यार ! यह नाम पहली बार सुना चल यार देखा जाये | रात होते-होते च्वीगंम डांस पीर्टी फुल थी लोगों के ऊपर लोग चढ़े थे कि चारों तरफ नीले पीले बल्बों की चकाचौंध रोशनी में किन्नर नीलम और उर्वशी हीरे की तरह चमक रही थी और जब उन्होने गानों पर  नाचना शुरू किया |तो जनता लगातार पैसे उड़ा रही थी| | दिवस और रोशनी अंदर बहुत खुश थे रूपया खूब आ रहा था | रात दो बज गये थे भीड़ बढ़ती ही जा रही थी | तभी दिवस ने कोने से झांक कर देखा तो हैरान रह गया कि आस -पास का सभी बड़ा अधिकारी विधायक नेता वहाँ शराब पीकर झूम रहे थे और विधायक जी उन खूबसूरत परियों के ऊपर रूपैया उडाये जा रहे थे | दिवस यह सब देख दंग रह गया | पीछे से रोशनी ने कहा," बस एक घंटे और ऐसी भीड़ रही तो बहुत पैसा होगा| उस गरीब की बेटी की शादी बहुत अच्छे से हो जायेगी और माँई के इलाज के लिये मैंने जो गहने बनवाये थे वह सब बेंच कर अच्छा इलाज हो जायेगा | तभी रूद्र ने फोन करके बताया कि भैया में बाहर टिकट बना रहा हूँ गजब की भीड़ है | दिवस ने कहा," यह भीड़ एक झूठ का रूप है | तभी नीलम स्टेज छोड़कर दिवस के पास आकर बोली," मेरा सिर बहुत दर्द कर रहा है अगर अब और नाची तो उल्टियाँ करने लगूंगी पेट में भी दर्द हो रहा है | दिवस ने कहा," तुम आराम करो |" रोशनी बोली," रूको मेरे पर्स में है दर्द की टेबलेट | रोशनी ने उसे दवा देकर कहा यही लेट जाओ | एक को नाचता देख  जनता चिल्लाने लगी तुम सब जाओ बसंती उसी गुलाबो को भेजो | रोशनी ने रूद्र से कहा," बाहर रेखा, सुरेखा से कहो कि वह लोडर तैयार रखे हम लोग जल्दी ही निकलेगें रूपया सब बैग में भर लिया है |  दिवस और रोशनी ने बाहर झांक कर  जनता का मिजाज भांप लिया था | दिवस ने मौके की नजाकत देखते हुये कहा," रोशनी पहना दे मुझे  लहंगा उढ़ा दे मुझे चुनरी और सजा दे ऐसा कि बना दे मुझे सुन्दरी फिर क्या था रोशनी उसे स्पीड में  सजाने लगे और बाहर मंच पर जूते चप्पल फिंकने लगे | तभी दिवस का फोन बजा तो रोशनी ने देखा कि जैनीफर का कॉल है उसने फोन ऑफ कर दिया | अब उर्वशी मंच से भाग कर पीछे आ गयी और बोली," हम लोग पीछे से सब यह सब सामान बैग सहित लोडर पर जाकर बैठते हैं | यह सुनकर दिवस ने कहा," जैसा उचित समझो |"
जनता उठ -उठ कर जाने लगती है तभी गाना बजता है रूको मतवालों जरा नजर हम पे भी डालो 
तुम्हारी दीवानी आयी च्वींगम जवानी
मेरा नशा वोदका ये भी भारी
कर देगी घायल च्वींगम जवानी
सारी जनता देख हैरान हो जाती है
इतनी सुन्दर लड़की कसम से च्वीगम है मेरी  तो नजर ही नही हट रही मानो नजर चिपक  गयी है हुस्न पर| लोग सीटिया बजा रहे थे दिवस अंदर ही अंदर टूट रहा था कि वह यह क्या बन गया |तभी उसके दायें बायें रोशनी टूट के नाचने  लगी और दिवस भी हांथ फैलाकर घूमने लगा वह भी झूम कर नाच उठा और नाचता ही रहा नाचता ही  रहा सारी जनता उसे छूने पास से देखने और  छूने को मचल पड़ी | तभी विधायक ऊपर आकर दिवस के हांथ पकड़ कर नाचने लगे  और उसे चूंमने लगे |दिवस दूर हटा तो जैब से नोटो की गड्डियाँ निकाल कर सब बरसा दी और उसे बार -बार चूंमने को भागने लगे पूरी जनता सीटियां बजा रही थी
गाना बज रहा था 
शीला मुन्नी को भूलो वो लोकल जवानी
अरे! अोरिजनल है च्वीगम डार्लिंग की जवानी
दिवस ने मन ही मन कहा," कितना भद्दा गाना बजाया इस  इस रंगीले ने इसको  यही गाना मिला था| यह जनता मुझे नोंच खायेगी| दूर खड़े रूद्र ने सोचा यह नेता के गुर्गे दिवस की जान ले लेगें| इससे पहले कुछ करना पडेगा | यही सब जब रूद्र  ने देखा तो उसने पूरे मेले की बिजली काट दी और चारों तरफ अंधेरा हो गया  | तो रूद्र ने माइक से कहा कृपया आप सभी लोग अपनी-अपनी जगह बैठे रहिये | इतना कहकर सभी दौड़कर पीछे खड़े लोडर में बैठ गये और वहाँ से रफूचक्कर हो गये | 
अब वह सब बस्ती में आकर जैसे ही घर के अंदर आये | तो दिवस चुपचाप सिर पकड़ कर बैठ गया | सभी एक टक दिवस को देख रहे थे तो दिवस ने सवालिया नजरों से कहा,"क्या हुआ ?" तो रूद्र आईना देकर बोला," खुद ही देख लो |" दिवस खुद को देखता ही रह गया और फिर आइना किनारे रख दिया | रूद्र ने कहा," रोशनी भैया हूर लग रहे है जो देखे पागल हो जाये |"
दिवस कहता है मैं चैंज करके आता हूँ | रोशनी कहती है कि लगभग पचास हजार रूपैया होगा | उस बेटी की खूब धूमधाम से शादी हो जायेगी | दिवस बोला," यह शादी मंदिर में दो फूलमाला के हो जाया करें तो गरीब को राहत मिल जाये |" रोशनी कहती है सबकुछ बदल सकता है बाबू समाज की ये रिवाजें नही बदलने वाली हम सब इसमें पिर रहे पिसते आ रहे हैं | दिवस ने कहा," नीलम सो गयी क्या ?" रोशनी ने कहा," वह दवा खाकर लैटी है अब आराम है |" तभी रंगीला बोला," कुछ भी कहो दिवस आज हॉट लग रहा था क्या कला है मेकअप भी | रोशनी बोली," एचडी मेकअप था |" तभी दिवस बोला,"इतना भद्दा गाना बजाया तुमने रंगीले ने कहा," मंदिर नही था जो भजन बजता जैसा दर्द वैसी दवा दी जाती है क्या गजब पैसा आया |" दिवस बोला," आपसे बहस करना ही बेकार है |" यह सुनकर रंगीले ने कहा," भैया जब देशभक्ति की और सामाजिक कविता या भजन लिख कर फेसबुक पर पोस्ट करता हूँ तो एक दो लाइक बस और इस तरह के गाने पोस्ट करता हूँ तो हजारों में लाइक और कमेन्ट्स आते हैं अच्छी चीज कोईनही पढ़ता सुनता भैया | दिवस ने कहा, देशभक्ति और भजन गीत मैं पढ़ूंगा चलो मुझे पोस्ट करो पर अब कभी ऐसे अश्लील शब्द मत लिखना माता सरस्वती जी का व अक्षरों का अपमान होता है | रंगीले ने कहा," ठीक है प्रॉमिस | रंगीले ने कहा," भैया मेरा फेसबुक अकॉउण्ट बना दो मेरा पहले वाला किसी ने हैक कर लिया | दिवस ने कहा," तुम्ही बना लो मुझे गुस्सा बढ़ता है | रंगीले ने दिवस से कहा," फेसबुक अकाउण्ट बनाने से गुस्सा बढ़ता है क्यूँ भाई ?" दिवस ने कहा," मार्क जुकरवर्ग ने फेसबुक में मेल और फीमेल ऑप्सन रखे हैं वह भी हम लोग थर्ड जैण्डर को नजरदांज कर गये | बस सब सोच कर मेरा गुस्सा भड़क जाता है | नौकरी के फॉर्म में भी महिला /पुरूष विकल्प छपा होता है | हम लोग क्या पशु हैं जो नौकरी नहीं कर सकते | रंगीले ने कहा," दिवस शांत हो जाओ एक दिन अपना भी आयेगा बदलाव जरूर होगा |
सुबह पांच बजे थे सब नहा धोकर तैयार हुये भगवान शिव की पूजा करके वह सब उठे तो वह दोनों धाकड़ किन्नर गाली बकते हुये अंदर आये और बोले," क्या हुआ सरोज को ?" यह पैसा रख लो और अस्पताल का पता दो |" तभी उनकी नजर दिवस पर पड़ी जो चुन्नी उलझे  सैफ्टीपिन को निकाल रहा था | वह दोनों बोले," यह कौन नवा गुलाब खिला और तेजी से उठ कर दिवस की तरफ बढ़ी दिवस ने दरबाजा बन्द करना चााहा तो उन्होने धक्के से खोल दिया और बोली," वाह! क्या बात है और उसके गालों को चूंमकर गलत हरकतें करनी लगी | दिवस ने दरबाजे में जोरदार धक्का दिया कि खुल गया और सब चिल्लाये अम्मा ये दिवस है क्या कर रही हो | दिवस ने कहा," आपकी उमर का लिहाज कर रहा हूँ वरना इतना कमजोर नही कि अपनी रक्षा न कर सकूँ | हाँ हम किन्नर हैं तो क्या हमारी कोई इज्जत नही है जब चाहे तब किसी की मजबूरी का फायदा उठा लो बस ,गलत कर लो ? वह बोली," उस दिन तेरा मुंह टेप से बंद था तो मजा पूरा न हुआ जरा चिल्लाता तू तब मजा आता | यह सुन दिवस को वो रात पूरी फिल्म की तरह दिमाग में घूम गयी |   वह बोली ," जो भी हो नवेले आ !आ! न मेरे पास |" यह सब देख रंगीले ,रूद्र  और बिजली ने कहा,"यह लो अपने पैसे और निकलो अब| बहुत सहा आपको अब आपका टाईम गया | फिर कभी आये आप लोग तो थाने में रिपोर्ट कर देगें | कुछ देर बाद सभी सरोज से मिलने अस्पताल पहुंचे और रोशनी ने कहा," डा. साहब आप ऑप्रेशन की तैयारी करें बस दस मिनिट में पैसा लाते हैं | तभी पीछे से रूद्र आकर कहता है यह लो पैसा | पूरा पैसा काउण्टर पर जमा हो जाता है तो दिवस कहता है ," रूद्र यह पैसा ?" रूद्र कहता है," मैने अपनी बैंच दी | यह सुनते ही दिवस, रोशनी और रूद्र तीनो गले मिल जाते हैं | 
डा. कहता है बाहर चलिये भीड़ मत लगाइये | 
अब सभी पूरा टैण्ट का सामान बर्तन व हलवाई पूरी व्यवस्था के साथ रजौरा गाँव पहुंचते हैं | दोपेहर तक सब व्यवस्था हो जाती है | वह गरीब पूरा सजा घर देखकर हैरान रह जाता कि कितना अच्छा इंतजाम है | वह गरीब चिल्ला के कहता कि धन्य हो किन्नर जो मेरी बेटी की डोली आपके वजह से उठ रही | वह किसान कहता है कि मेरे लिये तो आप सब देवता हैं आप सभी के पांव पखारना चाहता हूँ | दिवस कहता है," जिसकी यह शादी है वह हम सब की छोटी बहन है अगर आपका बेटा यह सब करता तो क्या आप उसके पांव पखारते ?"हमें देवता ना कहो बस एक बार बेटा कह कर सीने से लगा लो| दिवस उस गरीब किसान के पांव छूता है तो नह किसान उसे सीने से लगा लेता है और फिर  सभी एक साथ होकर गले लगते हैं |
किसान कहता है बेटा कुछ ही देर में बारात आ जायेगी| समय हो तो विदाई तक रूके आप सब | तभी एक लड़की आकर कहती है आप सबको पार्वती बुला रही है | किसान कहता है मेरी बेटी पार्वती आप सब से मिलना चाहती है | पार्वती कहती है दिवस भैया मेरी एक इच्छा है कि शादी में थोडा पैसा बचाकर मेरे बापू के नाम से गौकथा करवा देना जिससे मेरे बापू गौ बेचने जा रहे थे न उस पाप से बच जायें | दिवस और खड़े सभी लोगों की आंखे डबडबा आयी उसने कलावा वाला धागा तोड़- तोड़ कर सभी किन्नरों को बांध कर कहा आज से आप सब मेरे भाई | दिवस ने उसके पांव छूकर उसे गले लगा और कहा मैं गौ कथा जरूर कराऊँगा | 
सामने एक छोटी बच्ची की तस्वीर देख दिवस ने कहा," यह तुम हो पार्वती ?"
पार्वती ने कहा," नही भैया मेरी छोटी बहन है जो इब भगवान के पास है |"
दिवस ने कहा," वह बीमार थी क्या ?"
यह सुन पार्वती फूट-फूट  रो पड़ी कि शाम को खेत पर शौच के लिये गयी किसी ने उसके साथ दुष्कर्म किया और वह मर गयी तब वह सात साल की थी | पैसे नही थे अच्छा इलाज होता तो बच जाती | यह सुन दिवस के आँखों से झर-झर आंसू  बहने लगे | वह आँसू पोछकर बोला," अपने देश में नवरात्रि पर नौ दिन कन्यापूजन होता है और साल में नवरात्रि दो बार आती है तो हो गये पूरे अठारह दिन यानि पूरे अठारह दिन कन्यापूजन दिवस मनाया है फिर भी इसी देश में मासूम कन्याओं के साथ दुष्कर्म हो जाता है | हमारे देश में आज भी 50 से 60 करोड़ लोग खुले में शौच जाते हैं |पास में खड़े सभी रिश्तेदार और गाँव के लड़के सभी ताली बजाकर बोले,"आपने बिल्कुल सही कहा, जानते हैं पर मानते नही | तभी रोशनी का फोन बजा और रोशनी ने पर्स में हाथ डाला तो फोन कट गया | उसी पर्स में दिवस का फोन  पड़ा था तो रोशनी ने दिवस से कहा," ये लो अपना फोन | दिवस ने अपना फोन ऑन किया तो देखा पच्चीस मिस कॉल पिता जी श्रजित मल्होत्रा की कॉल और एक जैनीफर का और भी कुछ अन्य मिसकॉल लगे थे | तभी रूद्र ने कहा," दिवस शहर में हमला हुआ है देखो अपना ब्यूटी पार्लर और उसकी आस-पास की सबदुकानें खत्म दिवस यह देखो वह व्हाट्सअप पर तश्वीरें देखें | दिवस ने अपने पिताजी का मैसेज देखते वह तेजी से बाहर निकला पीछे-पीछे रूद्र और रोशनी | दिवस ने कहा," तुम लोग व्यवस्था सम्भालों और वह दौड़ पड़ा और दौड़ता ही गया | रूद्र ने कहा." कुछ तो हुआ है तुम यहीं रूको मैं पीछे जाता हूँ | रोशनी ने कहा," यह लो चाबी कार से  निकल जाओ | तभी रास्तेें  में दिवस का फोन बजा दिवस ने नही सुना फिर तो दिवस ने कहा ," हाँ |" डाक्टर ने कहा," सॉरी सरोज इज नो मोर |दिवस के अंदर दुख का बम सा फूट पडा था मानो वह भागता रहा | रास्ते में रूद्र ने गाड़ी रोक कर उसे जबरजस्ती गाड़ी में बिठाया दिवस पत्थर बना खामोश बैठ रहा | रूद्र ने कहा," कहाँ जाना है भैया?" वह पत्थर बना चुप बैठा रहा | रूद्र ने दिवस के हांथ से फोन ले लिया कॉल रिकार्ड चैक किया और मैसेज बोक्स चैक किया  तो रूद्र भी रो पड़ा और उसने सरोज के पास न जाकर सीधे दिवस के पिताजी के घर पहुंचा | पूरा गांव पाकिस्तान मुर्दाबाद के नीरे लगा रहा था ऐर वंदे मातरम् के नारे लग रहे थे  | दिवस के फौजी भाई का शव फूलों से ढ़का था | दिवस जैसे ही रोते हुये आगें बढ़ा तो पिताजी ने कहा," दिवस यहाँ से चले जाओ अश्विन की अंतिम इच्छा थी कि तुम्हारा साया भी उसपर न पडे| विश्वास नही होता तो यह मैसेज देखो | दिवस बोला," भैया ऐसे कभी नही कह सकते | दिवस रोते हुये बोला," माँ कहाँ है पिताजी ?" वह बोले," यह खबर सुन कल रात चल बसी , मैने तुझे रात में कई बार फोन किया सुबह भी किया पर तू पता नही कहाँ बिजी था| तभी वहाँ खड़े कुछ रूढ़िवादी लोग बोले," हिजड़ों को भगाओ वरना अश्विन उस जन्म हिजड़ा होगा | और यह सभी शब्द भंयकर दर्द बनकर इस कदर हावी हुये कि दिल और दिमाग का संतुलन ही बिगड़ गया| वह बदहवास
 ने दूर से ही भैया को ससैल्यूट किया तभी देखा कोई पास कमाण्डर पर निशाना लगा रहा है दिवस तुरन्त कमाण्डर को धक्का देता है और गोली दिवस के लगती है | यह देख श्रजित जी बेहोश हो जाते हैं और सभी उस गोली मारने वाले के पीछे दौड़ पड़ते हैं और चारों तरफ मच जाती है| रूद्र ने दौड़कर दिवस को गोद में उठाकर उसे गाड़ी में लिटाया और वहाँ से तेजी से अस्पताल की तरफ निकल गया | रास्ते में दिवस का फोन बजता है रूद्र ने वह कॉल देखी तो दिल्ली के डाक्टर का वॉयसमैसेज था |दिवस आओ आपका ब्लड बहुत कीमती है कब आ रहे हो ?दिवस को बेहोशी में भी वह सभी शब्द साफ सुनाई दे रहे थे अश्विन तुम्हारी छाया भी देखना नही चाहता था| माँ गुजर गयी तू कहाँ था | दिवस सोचता है मैं नाच रहा था माँ अंतिम श्वांस ले रही थी | तभी उसे एक सीन दिखा जल्दआओ आपका ब्लड कीमती है कई बच्चों की जान बचायी जा सकती है | दिवस के दिमाग में बच्चे थे जो सर्पदंश से पीडित अस्पताल में थे | वह दिवस को पुकार रहे थे | रोशनी का सपना ब्यूटीपार्लर बर्बाद हो चुका था  | रूद्र भी गाड़ी रोक कर फूट-फूट कर रो पड़ता कि शहादद सबसे महान होती है यही सोच सरोज माँई के पास न गया अब दिवस को अस्पताल ले जाऊँ या सरोज मांई के पास जाऊँ | रूद्र उसे पास के सरकारी अस्पताल ले जाता है वहाँ डाक्टर उससे कहते हैं यहाँ ब्लड बैंक की सुविधा नही हैं आप शहर निकल जाओ जाम न मिला एक घंटा लगेगा| रूद्र चिल्लाता है यह अस्पताल है या बस मेडिकल स्टोर | वह बहुत स्पीड में कार दौडाता हुआ पूरे एक घंटे बाद शहर के प्राईवेट होस्पिटल में पहुंचता | वहाँ डाक्टर उसे कहते हैं बैड खाली नही है सभी मलेरिया डेगूं के मरीजों से भरे हैं | वह चिल्लाकर कहता है शहीद के भाई के लिये बैड नही है या फिर कुछ और चाहिये | बुलाऊँ मीडिया को| फिर दिवस को एक सिंगल रूम दे दिया गया | तभी रूद्र का फोन बजता है और फिर रूद्र सिर पकड़ कर चीख पड़ा | डाक्टर ने कहा," क्या हुआ ?"
रूद्र ने कहा," रजौरा गांव की शादी में मेरा पूरा परिवार रोशनी नीलम रंगीला मेरी बहन पार्वती सब के सब बोम्ब धमाके में मारे गये | यह बात भी दिवस ने साफ सुनी और उसकी आंख खुल गयी वह चीखना चाहता था पर आवाज गले  से  बाहर नही आ रही थी | वह पागलों की तरह चिल्ला रहा था पर आवाज खो चुकी थी | तभी रूद्र के पास एक कॉल आती है कि अरजेन्ट यहां इस जगह पर आओ | 
रूद्र वहाँ पहुंचता है तो सामने से उसे कोई गोली मार देता है | इधर दिवस के पास कोई आता और उसे बहुत ही खतरनाक जहर का इंजेक्शन लगा कर चला जाता | दिवस को छुंअन से पता चल जाता है कि यह कौन था | वह आंख खोलकर देखता कि वहाँ कोई नही होता | जिसने दिवस को जहर का इंजेक्शन दिया उसके पास फोन आता कि रूद्र दो गोली लगने पर भी नही मरा | उसने कहा," उसके कान में फोन  लगा  | रूद्र सुनता है कि मैने तेरे दिवस को वो जहर दिया कि अबतक वह मर चुका होगा | रूद्र चौक कर कहता है आप ने किया ये सब! मुझे तो विश्वास नही होता और कहता है उस पर किसी जहर का असर नही होगा तेरा मिशन फेल |यह कहकर श्वांस रोक कर लैट जाता है | वहाँ खड़े सभी कहते हैं बेकार गोली बर्बाद की यह तो बोली से मर गया  चलो रे! चलो निकलो यहां से उसका फोन भी पत्थर  से तोड़कर वहां से चले जाते हैं | कुछ देर बाद खून से लतपथ रूद्र भागता गिरता सड़क तक आता है वहाँ एक पत्रकार को जाते देख वह सब बात बता देता है वह कहता है दिवस मदर टैरेसा हॉस्टपिटल में है उसे जॉन का खतरा है इतना कहकर खून से लतपथ रूद्र वहीं गिर पड़ता है | पत्रकार उसे तुरन्त उसी अस्पताल में भर्ती करवाता है और वहां सभी मीडियाकर्मी व पुलिस पहुंचती है| सेना के कमांडर दिवस से मिलने अस्पताल पहुंचते हैं तो डाक्टर कहते हैं | अंदर मत जाइये ऑप्रेशन चल रहा है गोली निकाली जा रही सर | कमांडर कहते जबतक उसे होश नही आता तब तक मैं यहीं इंतजार करूंगा | रात एक बजे डाक्टर आकर हैं सर दिवस ठीक है आप मिल सकते हैं| कमाण्डर कहते हैं कई लोगों ने तुम्हारे बापे मुझे बताया यह पास में खड़े पत्रकार नरेश जी ने भी बताया तुम बहुत ही अच्छे इंसान हो एक काबिल  लड़के हो | तुमने मेरी जॉन बचायी थैक्स दिवस | दिवस बोलना चाहता है पर बोल नही  पाता कि तभी डाक्टर कहते हैं किसी ने इसे खतरनाक जहर का इंजेक्शन दिया जो सायनायज से भी खतरनाक है | यह सिरेंज पड़ी मिली हैऔर यह देखो हाथ की नस से खून निकल कर जम गया है पर यह जिन्दा है |रात डाक्टरों की टीम ने  टेस्ट से पाया कि इसका ब्लड बहुत स्पेशल है जिसपर किसी भी तरह के प्वॉयजन का असर नही होता | तभी कमांडर का फोन बजता है और कमांडर के.सी त्यागी कहते है दिवस एक खुशखबरी है वह पकड़ा गयी जिसने तुम्हारे भाई की जॉन ली और जो भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष की जान लेने का जाल बुन रहा था | और वही जिसने तुम्हारी बहन की शादी उजाड़ी और तुम्जिहारे अपनों की जॉनें लीं जिसने तुझे जहर दिया जिसने तुझे धोखा दिया और तेरे साथ इस देश को भी धोखा दिया |  जानना चाहोगे वो गद्दार कौन है ? दिवस ने तुरन्त हाँ में सिर हिला दिया |
तो कमाण्डर ने कहा,"बेटा वह तेरी गर्लफैण्ड़ 
जैनीफर है जो सीमापार के आतंकियों की जासूस थी और उस जासूस का प्लॉन था हमारे देश के म्यूटन यानि सुपर पॉवर विशेष शक्ति रखने वाले भारतीयों को खत्म करना और उसके इस मकसद के बीत में जो आयेहा वो मारा जायेगा| उसे पता चल गया था दिवस विशेष लड़का है जो बिना थके हजारों किलोमीटर रफ्तार से दौड़ सकता है और बेहद ईमानदार है अगर यह भारतीय सेना में गया तो सेना बहुत मजबूत होगी |शायद इन्ही कारणों से उसने दिवस को चुना वो भा मारने के लिये |  दिवस ने यह सुनकर आँखे बन्द कर ली उसे वो छुंअन याद आयी जो इंजेक्शन देकर भागी थी दिवस चुपचाप पत्थर की तरह पड़ा रहा | पास में खड़े पत्रकार  ने कहा," दिवस को मोहरे की तरह बस यूज किया गया, हो उसे जलन हो गयी हो कि दिवस उससे ज्यादा वक्त सामाजिक कार्यों को देता था वह अपने किन्नर समाज को बदलने चला था वह समानता की बात करता था | दिवस की कहानी बताने वाला कोई भी न बचा कि वह क्या था उसके क्या सपने थे | एक दोस्त था रूद्र उसे जैनीफर ने मरवा दिया दो घंटे पहले वो भी गुजर गया | यह सुनते ही दिवस के आंख से आसू निकला | तभी कमांडर बोले,"  बेड लक मि.दिवस श्रजित जी ने भी भावुक होकर खुद के सिर में मार ली | 
यह सुनते ही वह आंसू कान के पीछे लुढक गया | 
तभी पास ही खड़े दूसरे पत्रकार ने कहा," श्रजित जी अपनी प्रापर्टी का एक बडा हिस्सा
दिवस के नाम कर गये हैं | 
तभी डाक्टर दिवस की नब्ज चैक करते हैं तो मुस्कुराकर कहते हैं कि दिवस बिल्कुल ठीक है | यह सुनकर पत्रकार कहते हैं बधाई हो दिवस ये तो बताइये कि पिता से मिले इस प्रापर्टी और पैसे का क्या करोगे |
दिवस इशारा करता है कि कागज कलम दे दो |
पत्रकार डायरी और पैन देता है |
दिवस उसमें लिखता है मेरे हिस्से का पूरा धन-सम्पत्ति भारतीय सेना को दान करता हूँ जिससे बुलेटप्रूफ जैकिट खरीदीं जायें |
 वंदेमातरम् 
लिखकर उसका पैन हांथ से गिर गया |
दिवस के आँखों में पूरे जीवन की फिल्म घूम रही कभी माँ दिखती कभी पिता कभी भाई तो कभी रूद्र तो  कभी बहन रोती दिखती कभी सरोज दिखती कभी हसते हुये रंगीला दिखता जैनीफर का झूठा प्यार याद आता है |कभी गौशाला दिखती कभी अपना वादा याद आता जो ववह पूरा न कर बहन कह रही भैयागौकथाा देना फिर याद आता कि आज बीएससी का पहला पैपर था जो वह दे नही पाया तभी डा.पीस दिखती हैं कि आपका ब्लड अमृत है तभी दिल में आग उठती कि जैनीफर को जोरदार तमांचा नही मार सका तभी याद करता है कि शायद भैया को जैनीफर के बारे में पता लग गया उन्हें लगा होगा कि मैं भी शामिल हूँ काश! भैया को सच बता पाता | काश! रजौरा गांव में सभी के हित के लिये फाउण्यडेशन खोल पाता काश! किन्नर समाज में बदलाव ला पाता यही पूरी फिल्म मन में दिल में आँखो में चलती रही फिर पता नही कौन सी बात दिमाग में टच हुई कि दिवस की आँख बंद होने लगी दिवस ने कमरे में चारो तरफ देखा और पास में रखी चमचमाती हुई स्टील की प्लैट रखी थी दिवस उठाने की कोशिश करता है कमांडर उसे उठाकर दिवस को दे देते हैं दिवस पूरी ताकत बटौर कर वह प्लैट अपने चैहरे तक लाता है और उचक कर उसमें अपना चैहरा एकटक देखता रहता है कि तभी ढ़ेर सारे किन्नरों की टोली दिवस के रूम के बाहर से अंदर झांकते है और चिल्लाते नही रे! अपना मुंह न देख वरना अगलेजन्म भी यही यातना भुगतनी पड़ेगी हटाओ | तभ वह प्लैट उसके मुंह पर है और दिवस को छोड़कर जा चुका है | बाहर खड़े सभी किन्नर रो पड़ते हैं कि इसने जानबूझ ऐसा किया है  वो फिर आयेगा कह कर फूट-फूट कर रो पड़े | किन्नर बोले," हमें दे दो अंतिम संस्कार हम करेगें | सेना के कमांडर बोले भारती सेना की रक्षा की है हम राष्ट्रीय सम्मान से उसका अंतिम संस्कार करेगें  तभी डा.पीस अपनी टीम के साथ वहां पहुंचती हैं और दिवस को द ग्रेट इण्डियन म्यूटन जिसके पास सुपर पॉवर थी जिसपर दुनिया के क्सी भी तरह के घातर जहर का असर नही होता था | आज दिवस हमारे बीच होता तो उसके ब्लड से ऐण्टीवैनम बनता जो लाखों सर्पदंश पीड़ितों  की जॉन बचायी जा सकती है |तो, हम आपसे निवेदन करते हैं कि यह बहुत पवित्र आत्मा का शरीर है| हम इसको कैमीकल से सुरक्षित करके रखेगें जब तक पृथ्वी रहेगी तब तक दिवस हमारे साथ होगा| बहुत समझाने के बाद वहाँ उपस्थित पूरा किन्नर समाज डा. पीस डिसूजा की बात  मान गया और दिवस का शरीर हमेशा के लिये सुरक्षित कर लिया गया | सालभर बाद
स्वंय भारतीय सेना के इन्ही कमाण्डर के.सी.त्यागी जी ने और उनकी लेखिका बेटी जागृति त्यागी ने मिलकर एक किताब लिखी दास्तान-ए-दिवस महान जीवन यात्रा
भारतीय सेना ने इस किताब का विमोचन कियाऔर सभी ने दिवस को सैल्यूट किया |भारत के प्रधानमंत्री जी ने यह किताब पढ़ी पूर्णरूपेण समानता का अधिकार देने भरोसा जताया | 
देश के राष्ट्रपति ने जब यह किताब पढ़ी तो पूरे किन्नर समाज को ससम्मान राष्ट्रपति भवन में बुलाकर दिवस के नाम पद्द्मश्री व पद्मविभूषन सम्मान  व  वीरता का अर्जुन पुरस्कार देने के लिये कहा तो सभी किन्नर समाज ने हाथ जोड़कर कहा इस पुरस्कार पर केवल दिवस का हक है हम इस काबिल नही  कि उनका सम्मान हम ले सके | हम सभी को पूर्ण विश्वास है दिवस एक दिन वापस लौटेगा वह जरूर आयेगा | राष्ट्रपति जी ने कहा," दिवस ने छोटी उमर में भारतीय सेना की रक्षा की हमें उस पर गर्व  है |   आज के दिन को किन्नर दिवस के रूप में मनायेगा |" सभी किन्नरों कि नजर 
राष्ट्रपति भवन में लगी एक पैंटिंग पर गयी जो दिवस और रूद्र की तिरंगा पकड़े हुये थी | यह दख पूरा किन्नर समाज उस पैंटिंग को दिल  में बसाये वहां से बाहर निकल आये | सबकुछ सामान्य हो गया पर दिवस के मौत का राज कोई नही समझ सका कि जब वह पूरी तरह स्वस्थ था तो आखिर! कैसे मरा | आखिर! कौन  सी बात उसे तोड़ गयी या वह जहर या वो गोली या फिर धोखा | आखिर! उसने अतिम समय अपना चेहरा क्यूं देखा ? आखिर! उसके लौटने की सबसे बड़ी वजह कौन होगी ?
दिवस की जिंदगी पर कई फिल्में बनी और सभी सुपरहिट रहीं पर मौत का राज आज भी बरकरार है |

स्वलिखित कहानी
आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर समाज और हम

(नमस्कार दोस्तों यह कहानी किन्नर दिवस हमने सन् 2005-06 में लिखी थी तब नेट नही था दोस्तों इसलिये नोटबुक में दबी थी यह कहानी आज नेट है ब्लॉग है तो ब्लॉग में लिख दी पर जब आज 2017 में लिखी जा रही तो नेट का भी जिक्र इसमें किया गया है |
मेरे मित्रों आपको यह कहानी कैसी लगी जरूर बताइयेगा |)

written by Akanksha saxena
Blogger Samaj Aur Hum


..........धन्यवाद........


🙏🙏🙏🙏🙏🙏




1 comment:

  1. यार कहानी तो बहुत अच्छी है. मेरी दृष्टि से आप एक इमैजिनेशन से कथा शिल्प में यह कहानी बाँधने में सफल रही हैं. मिलने पर इस पर और बातें होंगी.

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