एक अश्रुकथा / कथा किन्नर सम्मान की...पेज-1
किन्नर दिवस
(मात्र नौ महीने का प्रेम)
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शेखूपुर नामक कस्बे में श्रजित मल्होत्रा जी का सम्पन्न परिवार निवास करता है जिनके दो बेटे थे | उनके बड़े बेटे का नाम अशिन मल्होत्रा व छोटे बेटे का नाम आशय मल्होत्रा था | शेखूपुर नाम के कस्बे में सबसे ज्यादा जमीन जायजाद थी तो श्रजित मल्होत्रा जी के पास थी पर जो उनका सभी की मदद करने वाला करूण स्वभाव था वही उनकी असली पूँजी थी |उनका दान और सुन्दर कर्म दूर-दूर मशहूर था | उनका बड़ा बेटा भारतीय सेना का जाबांज फौजी था और छोटा बेटा खेती किसानी देखता था | श्रजित जी को यही चिंता रहती थी कि दोनो बेटे शादीशुदा है पर किसी के कोई बच्चा नही है |घर का सूनापन उन्हे रास नही आता था तो वह
दूर मंदिर निकल जाया करते वही एकांत में घंटों बैठे रहते थे |
एक दिन रोज की तरह वह सुबह तड़के टहलने निकले और वापसी में आ रहे थे उन्हें उस शान्ति में किसी बच्चे के रोने की पतली आवाज सुनाई दी |उन्होने चारो तरफ देखा कुछ समझ नही आया कि फिर से वही आवाज आयी तो उन्होने वहाँ कूड़ेदान में बडी पोलीथीन में कुछ हिलते देखा तो वह तुरन्त उस पॉलीथीन को हटाया तो एक कपड़े से लिपटा नवजात शिशु भूख के कारण जोर- जोर से रो रहा था | श्रजित जी बोले वाह ! ईश्वर अजब है तेरी लीला
इतना कहकर वह उस बच्चे को अपने सीने से लगाये हुये सीधे घर पहुचे और इस बीच बच्चा चिपका हुआ चुप था बिल्कुल जैसे उसे माँ मिल गयी थी |
वह तेजी से घर के अंदर आये और बोले जरा बाहर तो आइये क्या कर रही हो | उनकी पत्नि बोली शर्दियों में भी इतने सवेरे क्यों निकल जाते हो उमर हो गयी है शर्दी लग गयी तो खांस खांस कर मुझे ही परेशान करोगे आप | श्रजित जी बोले तो किसको परेशान करू यह देखो !
उनकी पत्नि उत्सुकता से यह तो ...और उनकी गोद में बच्चा देख चौंकी और सवालिया निगाहों से बोली ," यह किसका ? फिर श्रजित जी ने पूरी बात बता दी | सब सुन कर वह बहुत खुश थी और तभी बच्चा जोर से रो पड़ा | बच्चे के रोने की आवाज सुनकर उनकी दोनो बहुये भी भागतीं हुई आयी और छोटा लड़का भी आया गया | दोनो बहुये भी बहुत खुश थी तीनो महिलाये बच्चे को दुलारने लगी और उसके लिये गाय के दूध का इंतजाम करने में लग गयी|
बच्चा दूध पीने के बाद शान्त था तीनो उसे दुलार रही थी कि बच्चे ने कपड़ा गीला कर दिया |
तीनो ने खुशी से जैसे ही उसके गीले कपड़े को हटाया कि तीनों सन्न रह गयी सूखा कपडा लपेटकर उनकी छोटी बहू ने बच्चे को लाकर श्रजित जी की गोद में रख दिया और बोली पिताजी जहां से लाये हो वही छोड़ आइये |
श्रजित जी बोले,"यह क्या कह रही हो ?
आखिर हुआ क्या ?
तो पास में ही खड़ा उनका लड़का बोला," यह बच्चा न लडका है और न ही लड़की यह एक हिजड़ा है|"
श्रजित जी कुछ बोलते कि दोनो बहुये गुस्से से बोली यह गंदगी हम नही रखेगें और वैसे भी किन्नर लोग ले ही जायेगें आकर देखना और फिर अपने कमरों में चली गयीं |
श्रजित जी अपनी पत्नि से बोले," मैं इस बच्चे को कहीं किसी को देने नही जा रहा जो भी मैं पालूंगा इसे बस | उनकी पत्नि बोली," ठीक है मैं आपके साथ हूँ आप नाराज मत होइये |"
फिर क्या था इस बच्चे के कारण रोज-रोज सास बहू की लडाई होने लगी | श्रजित जी के लाख समझाने पर कोई कुछ समझने को तैयार ही न था फिर एक दिन दोनो बहुयें और छोटा लड़का घर छोड़कर दूसरे घर में रहने शहर चले गये |
श्रजित जी को बहुत बुरा लगा पर वह इतने छोटे मासूम बच्चे के साथ अन्याय नही कर सके | एक महीने बाद बड़ा फौजी लड़का उनसे मिलने आया तो बोला पिताजी आपने बहुत नेक काम किया है मैं बहुत समझाता हूं पर वो सब लौटने को तैयार नही है हो सके तो मुझे मॉफ कर दीजिये | श्रजित जी की पत्नि बोली ,"तुम सब खुश तो हो सब ठीक तो है |" वह बोला माँ तुम दादी बनने वाली हो आपकी दोनो बहुयें आपको जल्द खुशखबरी देगीं | वह खुशी के कारण रो पड़ी और बोली यह बच्चा बड़ा भाग्यशाली है देखो पूरा घर खुशियों से भर गया है | वह बोला हाँ माँ यह कितना प्यारा है | वैसे क्या नाम रखा इसका ? तो श्रजित जी बोले मैं ठहरा पुराने जमाने का तू ही सुझा कोई अच्छा नाम तो वह बोला दिवस रखो पापा दिवस माने दिन |हम सभी के दिन बहुर गये पिताजी सबठीक हो गया देखो | तीनो उसे दिवस दिवस कह कर दुलारने लगे | श्रजित जी बोले," बेटा तेरी नयी पोस्टिगं है गोली बजती होगीं कभी कभी यह सोचकर डर जाता हूँ | वह बोला," नही आप डरिये मत पिताजी सरकार सेना के लिये बहुत खर्च कर रही नयी नयी बंदूकें कैमरा इत्यादि बाहर से मंगवाये जा रहे हैं | फौज आधुनिक और मजबूत हो रही है | श्रजित जी बोले बस भी कर बाप से जूठ बोलता है रोज अखबार में कितने भारतीय सैनिक शहीद होते हैं | वह बोला पिताजी शहादद का भी अपना आनंद है पिताजी मैं भी या तो आतंकी को मार गिराऊँगा या तो तिरंगे में लिपट घर आऊँगा | इतना सुनकर श्रजित जी ने उसे गले से लगा लिया और कहा मुझे गर्व है अपने बेटे पर | फिर माँ के आसुओं को पोछते हुऐ बोला," माँ रोते हुये विदा मत करो |" यह कहकर उस बच्चे को दुलार कर वह माता-पिता जी के पाँव छूकर वह अपनी ड्यूटी पर चला गया |
समय मानों पंख लगाकर उड़ रहा था | दिवस स्कूल जाने लगा था | वह पढ़ने में और खेल में कठिन से कठिन मंत्र स्पष्ट बोलने में बहुत होशियार और प्रतिभावान छात्र था | समय बीता आज उसका हाईस्कूल का रिजल्ट आया था उसने शत् प्रतिशत् नम्बरों से टॉप किया था | श्रजित जी और उनकी पत्नि बहुत खुश थी | उन्होने दिवस से कहा लो मिठाई खाओ बेटा तुमने तो कमाल कर दिया | बह गुमसुम था मानो सफलता की कोई खुशी और दूर -दूर तक न थी | वह बोला," पिता जी सभी बोलते कि मैं आपको कूड़े में पड़ा मिला | फिर बोलते तू हिजड़ा है | जितने भी जॉब के फार्म निकलते है उसमें साफ लिखा रहता विकल्प मेल और फीमेल | तीसरे लिंग का विकल्प क्यों नही छपा होता फार्म में ? यह देश का कानून हमारे लिये इतना पक्षपाती क्यों हैं पिताजी? मैं किन्नर(ट्रांसजैण्डर) हूँ इसमें मेरा क्या कसूर है | कोई मेरा अच्छा दोस्त नही सब मुझ पर हंसते है माँ | यह सुन माँ ने उसे गले लगाकर कहा एक दिन सरकार जागेगी तुम्हारे लिये न्याय के लिये बदलाव जरूर आयेगा |दुनिया बुरा कहती उसे कहने दो ये दुनिया है मैं तेरी माँ हूँ यह तेरे पिताजी | बेटा लोगों की बातों पर ध्यान मत दो हम सब बहुत प्यार करते तुमसे तुम्हारे टीचर भी कितना प्यार करते फिर मैं हूं न तुम्हारी दोस्त | बोलो कौन सा फोन लेपटॉप चाहिये ले लो और खूब नाम करो |जब नाम होगा तो हंसने वालों की हंसी गायब हो जायेगी | पिताजी बोले," चलो हम लोग गंगा दर्शन को जलते हैं पिकनिक मनाकर आते हैं |
समय कब बीत गया, पता ही न चला | और एक दिन दिवस ने श्रजित जी से कहा पिताजी मेरे कारण दोनो भाई और बच्चे लोग कोई यहां नही आता | समाज के लोग भी कुछ कार्यक्रमों में आपको माँ को नही बुलाते | मेरे कारण क्या कुछ नही सहना पड़ रहा आपको
समय कब बीत गया, पता ही न चला | और एक दिन दिवस ने श्रजित जी से कहा पिताजी मेरे कारण दोनो भाई और बच्चे लोग कोई यहां नही आता | समाज के लोग भी कुछ कार्यक्रमों में आपको माँ को नही बुलाते | मेरे कारण क्या कुछ नही सहना पड़ रहा आपको
अब बस | श्रजित जी बोले ऐसा मत दिवस, रात बहुत हो गयी आराम कर लो जाकर | कल परीक्षा है ना शहर में तो सोयेगा तभी तो जगेगा दोनों मुस्कुराये | दिवस चुपचाप सो गया |
दूसरे दिन वह माता-पिताजी के पाँव छूकर टैस्ट देने शहर निकल गया |टैस्ट के बाद वह शहर वाले मकान में ट्रक लेकर पहुचता है और दरबाजे की बैल बजाता है | उनकी बहू कहती है तुम कौन हो वह कहता है मैं शैखूपुर से आया हूँ मेरा नाम दिवस | बहू बोलती ओह! तो तुम्ही हो दिवस | चले जाओ यहाँ से | वह बोला," आप सब लोग घर चलिये प्लीज|" वह बोली," कभी नही |" दिवस ने कहा," मैंने आज से घर छोड़ दिया है आप मुझे कभी वहाँ नही पाओगी नीचे ट्रक खड़ा है सामान पैक कीजिये घर चलिये | छोटी बहू बोली," अगर पिताजी हिस्सा भी दे तो वादा करो तुम नही लोगे जो भी जमीन है हम दोनो की है | दिवस बोला," आप चलिये मैं कुछ नही लूंगा | यकीन रखो |
रात में शैखूपुर के घर में डोरबेल बजती है | माँ दरबाजा खोलने आती तो सामने दोनो बहुये बच्चें छोटे लड़के को देख हैरान रह जाती है और मारे खुशी के बच्चों के हाँथ चूमने लगती हैं|
श्रजित जी भी बहुत खुश होते है रात खाने पर वह कहते हैं दिवस शायद शहर ही रूक गया कुछ खाद वगैरह भी आनी थी | दिवस को फोन मिलाया तो वह बोला मैं ठीक हूं फिर फोन कट गया सब ने खुशी -खुशी खाना खाया पूरा घर बच्चों की आवाजों से सुगंधित हो गया था|
इधर दिवस रेलवे स्टेशन पर एकांत में अकेला बैठा सोच रहा था कि लोग उसे हिजड़ा कहते हैं पर गाली देने वाले हंसी उडाने वाले हम क्या आसमां से टपके हमको पैदा तो तुम्ही लोगों ने किया |हिजडों ने तो हिजडें को जन्म नही दिया | हमारा क्या कसूर है जो हमारे हिस्से मात्र नौ महीने का ही प्रैम आता है और जन्म लेते ही कूड़े के ढ़ेर पर फैंक दिया जाता | बस नौ महीने ही माँ का स्पर्स मिलता और ताउम्र माँ बाप की सूरत देखने को भी तरसते यही जिंदगी दी है इस समाज की विकृत सोच ने कि जिसने हमारा जीवन नर्क बना रखा है | यह समाज हमें नर्क की जिंदगी देता और बदले में हम तो फिर भी सभी को दिल से दुआयें देते हैं | भगवान शिव ने विष कण्ठ में धारण कर लिया था पर हमारा तो सम्पूर्ण जीवन ही विष बना हुआ है फिर भी जी रहे |
समाज में बेटी बेटे जैसा सम्मान नही मिलता | सरकार की कोई भी योजना हमारे तक नही पहुचती | हरकोई नेता हमसे वोट की तो उम्मीद रखता बस | हमें न्याय नही देता बस| बस जलील करते है लोग | समाज में बराबरी का दर्जा भी नही | पोलियों की ड्रॉप भी हमारे लिये नही | लडका लड़की सभी पढाओ देश को साक्षर बनाओ |किन्नर का कभी किसी स्लोगन में नाम नही | किन्नर नौकरी के फार्म भी न भर सकें|क्या हम लोग लोगों के मनोरंजन का साधनमात्र हैं बस | यही सोचकर वह रो पड़ा तो पीछे से किसी ने हांथ रखा |दिवस चौंक कर पलटा तो दो तीन किन्नर उसके पीछे खड़े थे | वह बोले अपुन लोग का यहीइच नशीब है चलो अपनी दुनिया में | हम बहुत दूर से ताड़ जाते है जो अपनी कम्पनी का होता है | दिवस चुपचाप उनके साथ एक मोहल्ले में पहुचा जहां सभी किन्नर ही किन्नर थे सभी ताली ठोंक के बोले,' साले कमीने लोग मजे लेकर सजा हम लोग को देते है|चल चिंता न कर सुबह बसूलेगें चलकर इन सब से डियर | दिवस इस माहौल को देखकर डर गया अंदर गया तो दो तीन उससे लिपट गये वह घबराया सा बोला प्लीज दूर रहो |
समाज में बेटी बेटे जैसा सम्मान नही मिलता | सरकार की कोई भी योजना हमारे तक नही पहुचती | हरकोई नेता हमसे वोट की तो उम्मीद रखता बस | हमें न्याय नही देता बस| बस जलील करते है लोग | समाज में बराबरी का दर्जा भी नही | पोलियों की ड्रॉप भी हमारे लिये नही | लडका लड़की सभी पढाओ देश को साक्षर बनाओ |किन्नर का कभी किसी स्लोगन में नाम नही | किन्नर नौकरी के फार्म भी न भर सकें|क्या हम लोग लोगों के मनोरंजन का साधनमात्र हैं बस | यही सोचकर वह रो पड़ा तो पीछे से किसी ने हांथ रखा |दिवस चौंक कर पलटा तो दो तीन किन्नर उसके पीछे खड़े थे | वह बोले अपुन लोग का यहीइच नशीब है चलो अपनी दुनिया में | हम बहुत दूर से ताड़ जाते है जो अपनी कम्पनी का होता है | दिवस चुपचाप उनके साथ एक मोहल्ले में पहुचा जहां सभी किन्नर ही किन्नर थे सभी ताली ठोंक के बोले,' साले कमीने लोग मजे लेकर सजा हम लोग को देते है|चल चिंता न कर सुबह बसूलेगें चलकर इन सब से डियर | दिवस इस माहौल को देखकर डर गया अंदर गया तो दो तीन उससे लिपट गये वह घबराया सा बोला प्लीज दूर रहो |
वह बोला आप लोग प्राईवेट स्कूल में पढाओ कम्पनियों में काम करो यह सब छोड़ क्यों नही देते |सब ताली ठोंक कहें क्या अच्छा लगता | उसमें से सरोज किन्नर बोला जो यह कहे वही करो इसे भी समाज का नंगासच देखने का मौका दो यार | कल परसो नरसो थरसों इसकी सुनो फिर उसके बाद यह सिर्फ अपनलोग की सुनेगा समझे चल जा जा सोने का जा| दिवस बोला मैं अकेले सोऊंगा कोई सिगंल रूम होगा | वह सभी हंस पड़े और फिर एक छोटे से कमरे में पाँच लोग दायें बायें होकर सोये | यह सब देख दिवस की ऑख भर गयी |
रात दिवस ने मैसेज किया कि मैं पितीजी ठीक हूं नौकरी लगने के बाद ही लौटूंगा अब |
इधर सुबह सभी साड़ी पहन कर तैयार हो रहे थे कि वह वहाँ से निकल गया |पास के ही एक प्राईवेट स्कूल में पढ़ाने लगा वहाँ उसने राष्ट्रीय साईकिल दौड़ के लिये लोगों को फोर्म भरते देखा और पुलिस भी दौड़ के आधार पर सीधी भर्ती देखी उसने दोनों फार्म में नया तीसरे लिंग का विकल्प बनाकर वे फार्म भर दिये |
वह प्राईवेट स्कूल में बच्चों को गणित पढ़ाने लगा उसके पढाने का तरीका इतना अच्छा था कि प्रिंसिपल उसे निकाल न सका |
वह रोज सुबह दौड़ने जाता और फिर स्कूल मे भी पढाता | यह सब देख सरोज किन्नर ने सभी से कहा दिवस अभी नया है उसकी तरफ ध्यान न दो करने दो उसे |
सामने पुलिसभर्ती सीधी फर्ती थी बस दौड़ निकालो पाओ | दिवस ने जब दौड़ना शुरू किया तो लोग देखते रह गये पुलिस अधिकारी भी अपनी कुर्सी से उठ गये और बोले ओलम्पिक का रेसर है क्या ये | बुलाओ इस लडके पर जैसे ही पसीने से तर बतर दिवस उन अधिकारियों के पास आया वह बोले लंम्बाई भी तेरी ठीक सीना भी और दौड़ भी तेरा सिलेक्शन पक्का | अपने कागज दिखा जैसे ही दिवस ने कागज दिखाये तो वह चौंक कर बोले तू किन्नर है ?
दिवस ने कहा," हाँ | वह बोले पर मैं तुम्हें नही रख सकता |
दिवस ने कहा," मैं आपकी परीक्षा में पास हूँ और क्या चाहिये जब लड़के, लड़कियाँ पुलिस में है तो हम किन्नर क्यों नही |
वह अधिकारी बोले," बात तो ठीक है मैं तुम्हें फोन करूगां ऊपर लोग से भी मीटिंग कर लूं तू चिंता न करना ठीक |
वह जाने लगा तो उन सभी अधिकारियों ने वहाँ खड़े सभी लड़कों से कहा दिवस मल्होत्रा की शानदार दौड़ के लिये आप सभी तालियाँ बजाकर उसका सम्मान दो | पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा |दिवस ने सभी अधिकारियों को प्रणाम किया और वापस अपने किन्नर मोहल्ले में लौट आया | किन्नर सरोज ने लस्सी का कुल्हड़ उसे देते हुये कहा लस्सी पीले खाफी थक गया होगा | वह लस्सी पीने लगा तो सरोज किन्नर ने कहा चिन्ता न कर कोई तुझसे कुछ नही बोलेगा जो मन करे सो कर | हाँ एकबात यह है कि हम सब दिल से तेरे साथ हैं | दिवस ने हाथ जोड़कर कहा," आपसभी का धन्यवाद |"
कुछ महीने बाद राष्ट्रीय साईकिल रैस हुई जिसमें सभी देशों के साइकिलबाज भाग ले रहे थे | दिवस को अपनी प्रैक्टिस पर पूरा भरोसा था | सरोज किन्नर की कई बड़े लोगों से पत्रकारों से अच्छी पहिचान थी बडी मुश्किल से दिवस को उस दौड़ में हिस्सा लेने दिया गया जब अच्छीखासी पैपरबाजी हुई तब मीडिया के भय से खेल अधिकारियों ने लिखित मंजूरी दी |
आज रैस हो रही थी और वहाँ उपस्थित लोग बोल रहे थे कि किन्नर ही मिला था क्या ? भारत की लुटिया डुबोने आ गया |रैस शुरू हुई | फिर क्या था किन्नर दिवस की रफ्तार कोई नही पा सका लगता था मानों कोई सुपर पॉवर उसकी मदद कर रही हो वह बहुत ही कम समय में साईकिल रैस जीत गया और चारो तरफ तिरंगे लहरा रहे थे | वहाँ उपस्थित लोगों के मुँह खुले के खुले रह गये |
पूरे देश दुनियाँ में भारत का नाम हुआ और दिवस के चर्चे भी आम हो गये | सब लोग बहुत खुश थे | मीडिया उससे सवाल पूछे जा रही थी वह प्रणाम करते हुये वहाँ भीड़ से निकला कि पहला फोन उसके फौजी भाई अशिन का आया वह बोला दिवस मुझे तुझ पर गर्व है जल्द ही छुट्टी पर घर आ रहा हूँ तेरे लिये तुझे कुछ सरप्राइज दूंगा मैं फोन रखता हूँ | दिवस ने कहा भैया चरणस्पर्श मुझे भी आपकी बहुत याद आती है
हाँ घर में सब ठीक है भैया |
वह फोन जैब में रखता है कि सरोज किन्नर उसे गले से लगा लेती है और कहती मेरे बच्चे मैं आज बहुत खुश
हूँ | दिवस जाने लगता है तो अधिकारी लोग कहते हैं अभी रूको कुथ पैपर वर्क कर लो |अरे! भाई तुमको ईनाम की बहुत बड़ी रकम मिलने वाली है | चलो भी |
ईधर श्रजित जी उनकी पत्नि टीवी पर दिवस की कामयाबी देख बहुत खुश थे | श्रजित जी ने दिवस को मैसेज किया कि बेटा अब तो घर आजा | दिवस ने फोन कर के कहा हाँ पिताजी | फिर उसका फोन बन्द करवा दिया गया |
इधर दूसरे दिन पैपर में आया कि कुछ आतंकी देश में घुस आये हैं पूरे देश में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है और सीमा पर भी ऱातदिन फायरिंग हो रही है | यह सब पढ. श्रजित जी डर जाते और कहते कुछ ऐसा हो कि किसी का बुरा न हो | यह खबर पढ कर उन्होने फौजी बेटे को फोन मिलाया पर बात न हो सकी |
इधर श्रजित जी अखबार लेकर कस्बे के बाहर वाले पौराणिक शिव मंदिर में जा बैठे और दिवस को फोन मिलाकर बोले बहुत याद आ रही बेटा शिव मंदिर मे आ सके तो आ जा | दिवस स्कूल के टीचर की मोटरसाईकिल से तुरन्त शिव मंदिर पहुंचा | तो श्रजित जी बोले," बेटा ये अखबार देख दस बारह शहीद हो रहे हैं तेरे भाई से भी बात नही हो पा रही मैं बहुत परेशान
हूँ | दिवस ने कहा मेरी बात हुई है वह बोले जल्दी छुट्टी पर घर आ रहे है | श्रजित जी बोले दिवस बेटा छुट्टी सभी की कैंसिल कर दी गयी है |
दिवस ने फोन मिलाया तो कॉल न लग सकी |
श्रजित जी बोले," बेटा यह सरकार सभी सैनिकों को बुलटप्रूफ जैकिट क्यों नही उपलब्ध करवाती कम से कम कुछ तो बचाव हो | जो आतंकी आधुनिक हथियार प्रयोग करते हैं वही हथियार अपने सैनिकों पर क्यों
नही ?
दिवस ने कहा," होना तो सचमुच यही चाहिये पिताजी |"
दिवस ने कह," शाम हो रही पिताजी आप घर पहुचिये मुझे कुछ काम निपटाने हैं फिर आऊँगा |
श्रजित जी बोले," मेरा बेटा बहुत ज्यादा समझदार हो गया
तू क्या समझता है मुझे कुछ नही पता कि तूने घर छोड दिया है कि मेरे बहुओं की खातिर | इतना कहकर दिवस को गले से लगाकर बोले,"घर छोड़ सकता है मेरा तेरा रिश्ता नही छोड सकता समझे मैने कभी समाज की परवाह नही की |मैं और न्याय का सेवक रहा हमेशा | दिवस ने पाँव छूकर कहा,"मेरे सबकुछ आप ही हो मुझे समझिये और मुझे जाने दीजिये |
आप जब भी पुकारोगें मैं हाजिर हो जाऊँगा |इतना कहकर दिवस वहाँ से चल निकला |
श्रजित जी घर लौट आये और अपने सभी जमीन जायजाद तीन हिस्सों में लिखित बाँट दिया और उन कागजों की एक एक कॉपी तीनों के नाम की श्रजित जी ने अपने वकील मित्र को दे दी |
सरोज किन्नर ने कहा," दिवस तुमको रैस से बहुत बड़ी रकम मिली है तुमने सोचा क्या करोगे ?"
दिवस ,"हाँ सब सोच लिया कल सब बताऊगा आपको |"
दिवस के पास एक कॉल आया कि आप दिवस मल्होत्रा हैं मैं आपकी गली में खड़ी हूँ प्लीज
दिवस ने कहा कोई मजाक कर रहा है कोई लडकी गली में खडी है ?
सरोज ने बाहर झांका तो गली में अंग्रेज लडकी बाहर खडी थी जो बहुत ज्यादा सुन्दर थी |
सरोज को बड़ा ताज्जुब हुआ कि उनकी गली में इतनी सुन्दर लड़की वह उसे अंदर ले आयी |
वह लड़की ने भारतीय अंदाज में नमस्ते की और साड़ी पहने गजब की सुन्दर लग रही थी |
दिवस एकदक उसे देखता ही रह गया |वह बोली,"दिवस मैने तुम्हारी साइकिल रैस देखी थी तुम चैम्पियन रहे | मैं तुम्हारी फैन हो गयी हूँ | प्लीज मुझे भी रैस जीतनी है क्या मुझे कुछ टिप्स दोगे प्लीज मुझे सिखाओगे | मेरी मदर अमेरिकनथी डैड इंडियन थे अब दोनो नही है मैं दिल्ली में अपने अंकल के रहती हूँ | कल तुम मुझे स्टेडियम में मिलो प्लीज |
यह सब बातें होती रही सभी ने लस्सी पी और सभी अपने अपने काम में व्यस्त हो गये |
दिवस के पास बार बार फोन आ रहा था तो दिवस स्टेडियम पहुँचा तो बोला आपका नाम पूछना ही भूल गया| वह बोली मेरा नाम जैनीफर है तुम मुझे जैनी कह सकते हो | वह साईकिल पर बैठ कर जैनी को रैस के टिप्स देने लगा |
वह बोली दिवस में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ
यह सुनकर ही साइकिल का बैलेंस बिगड़ा और दोनो एक दूसरे के ऊपर गिरे और साइकिल उनके ऊपर | वह लैटी हुई बोली," दिवस मैं सच्चा प्यार करती हूँ |"
दिवस ने कहा," मुझसे ?
जैनीफर," हाँ मुझे पता कि तुम किन्नर हो पर मुझे दिक्कत नही तुमको विश्वास नही तो मैं भी किन्नर बन जाऊ बोलो
चलो अस्पताल चलें |
दिवस ने कहा कि नही जैनी यह अन्याय होगा
वैसे भी तुम बहुत अच्छी हो
वह बोली शादी करनी तुमसे
दिवस बोला,"नहीं पर मुझे नही करनी यह कहता हुआ वह वहाँ से चला आया |
दूसरे दिन सुबह दिवस ने देखा कि सामने बैठी किन्नर रोशनी मिनटों में ही वहाँ बैठी सभी किन्नरों को तैयार कर रही थी जरा देर में ही उसने सभी के चेहरे पर बालों पर चार चाँद लगा दिये मानो |क्या हुनर का जादू था रोशनी में जो जिसको छू देती वह रोशन हो जाता | दिवस कुछ सोचने लगा तो रोशनी किन्नर ने कहा," क्यों रे! मैं देख रही हूँ तू मुझे फालूतपन में घूरे जा तभी दिवस बीच में ही बोल पड़ा रूको रूको सुनो मैं तो आपका हुनर देख रहा था क्या फुर्ती है वाह!
वह मुस्कुरायी और बोली वो तो है |
दिवस ने उससे कहा," तुम ब्यूटी पार्लर चलाओगी
बोलो ?
बड़े बड़े स्टार तक की लाईन लग जायेगी तुम अपने हुनर को पहिचानो |
वह बोली मैं तो इकदम तैयार हूँ पर इतनी मंहगाई में बड़े पार्लर के लिये रूपया ! तुम समझ तो रहे हो ना |
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दिवस ने कहा," आप एक वादा करो |"
रोशनी तुम बोलो न रोशनी की हर बात पक्की ही होती है | मैं फालतूपन में झूठ नही बोलती|
दिवस ने कहा," क्या तुम्हें अच्छा लगता है कि सभी के शादी में नाचना गाना पैसे मांगना या फिर अपनी अलग पहिचान बनाना कि तुम्हारा यह पर्स मेहनत के पैसे से हमेसा भरा रहे और दिल गर्व से | रोशनी बोली," मैं समझ गयी तुम क्या चाहते, मैं वादा करती हूँ ज्यादा से ज्यादा किन्नरों को में हुनर व रोजगार से जोडूंगी और जिसमें जो टैलेंट होगा उसकी मैं मदद भी करूगी | यही चाहते ना | दिवस ने कहा," ठीक कहा आपने अगर तुम साथ दो तो बहुत कुछ बदल सकता है |हमारा गरीब पीड़ित वंचित किन्नर समाज भी समाज में सम्मान से जी सकता है | रोशनी बोली," दिवस आज किन्नर लोग नेता हैं काफी सुधार हुआ है समय के साथ पर एक तबका आज भी गरीबी और बेबसी की मार झेल रहा | यही बातें चल ही रही की किन्नर सरोज ने कहा," क्या बातें चल रही ?"
दिवस ने सारी बात बतायी और बोला जो इनाम की धनराशि मिली है उससे शानदार रोशनी ब्यूटी पार्लर खोलेगें वो भी शहर में सबसे बड़ा पार्लर |आप साथ दो हमारा |
सरोज को सब समझाने के बाद दिवस और रोशनी शहर चले गये और एक बिल्डिंग किराये पर ले ली और महीनेभर की कड़ी मेहनत के बाद शानदार ब्यूटीपार्लर शहर में बड़े पार्लरों में सुमार होने लगा | दिवस ने कह," रोशनी तुम मुम्बई जाकर पार्लर का सर्टिफिकेट कोर्स पूरा कर लो यहाँ यह सब लोग देख लेगीं | रोशनी बोली मैं यही पर ऑनलाईन सर्टीफिकेट कोर्स कर लूंगी और अपना पार्लर भी दिखा रहेगा यह लेपटॉप है ना और इंटरनेट गुरूजी सब सिखा देगा | यह सुनकर दिवस हँस पड़ा |
दिवस ने देखा सभी ग्यारह किन्नर खुशी - खुशी पार्लर में काम करके खुश हैं |
वह वहाँ टहल ही रहा था कि देखा सामने दीवार पर खुद की और सरोज जी की बहुत बड़ी फोटो देख वह मुस्कुराया और बोला,"रोशनी जी ग्रुप फोटो लगवाओ जिसमें हम सब हों |
रोशनी बोली," उधर देखो
दिवस ने पीछे मुड़कर देखा तो ग्रुप फोटो बहुत ही बडी और सुन्दर लगी हुई थी |
दिवस बोलो,"बहुत ही सुन्दर सचमुच |"
तभी कुछ मिनिट बाद दिवस का फोन बजा तो दिवस ने कहा," हाँ भैया आप कब आ रहे हैं ?"
फौजी भाई अशिन बोला," बहुत जल्द मेरे भाई|" अशिन ने कहा," सावधान रहना दो आतंकी देश में ही घूम रहे हैं अभी पकड़े न जा सके और पता नही मुझे भी अजीब फोन आ रहे है और मेल भी |एक दो दिन से रॉंग नम्बर आ रहे | दिवस ने कहा," भैया आप अपना ख्याल रखिये जो भी हो अपने चीफ को जरूर बताना |वह बोले रखता हूँ दिवस फिर बात करता हूँ | दिवस सोचते हुये सीढियों से नीचे उतरा और पास की ही कॉफी सॉप में जाकर बैठ गया | अपने पीछे से उसने कुछ जानी पहिचानी आवाज सुनी तो उसने पलट के देखा तो ब्लैक ड्रैस में अपनी सहेलियों के साथ जैनीफर बैठी थी | उसे देख कर दिवस वहाँ से उठा तो जैनीफर ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली," फैण्ड तो बन सकती हूँ ना प्लीज |"
पीछे खड़ी सभी सहेलियाँ एक साथ बोली,"प्लीज |" दिवस ने कहा," अच्छा ठीक है |
इतना सुनकर सभी बोली आज कॉफी आपकी तरफ से | सभी मुस्कुराते हुये कॉफी पी रहे थे और जैनीफर साइकिल रेस का वह वीडियो सभी को दिखा रही थी |जितने लोग वहाँ कॉफी पी रहे थे सभी दिवस से हाँथ मिलाने लगे और अचानक कॉफी सॉप के शीशे टूटने की आवाज आयी और धड़ाधड़ गोलियाँ चलने लगी चारो तरफ भगदड़ मच गयी हर तरफ खून में सने लोग वह लोगों को बचाने में लगा था वह चारो तरफ देखते हुये बोला जैनी जैनीफर तभी उसकी खून में सनी सहेली बोली वह वहाँ | बस सब शांत हो गया पाँच मिनट में ही पचास लाशें पड़ी थी एक सन्नाटा को चीरते हुई आवाज आयी | पुलिस आपके साथ है बाहर निकलो क्या पता कोई बम प्लॉट न कर गये हों जो छिपे थे वह सब दौड़ते हुऐ बाहर निकले दिवस एक बुजुर्ग महिला को उठाये हुये बोला ऐम्बूलेंस मगवा दीजिये प्लीज | पुलिस वाले बोले वो आ रही है देखो आप चिन्ता न करिये | तभी दिवस ने जल्दी ही उस बुजुर्ग महिला एम्बूलैंस में लिटाया फिर अंदर कीओर भागा तो वहाँ बेहोस पड़ी जैनीफर को उठाकर लिटाया |दिवस ने सभी घायलों को बच्चों को अस्पताल पहुंचाया | पुलिस ने कहा," क्या तुमने आंतकियों को देखा |दिवस ने कहा," हम लोग कुछ समझ पाते कि वह सब निकल गये | पुलिस वाले ने कहा," तेरा फोन दे | दिवस ने देखा तो फोन उसके पास नही था | वह कॉफी सॉप अंदर फोन लेने के लिये भागा कि वही कही गिर गया होगा | वह फोन उठाता कि मेज के नीचे दबा बच्चा कराहते हुये बोला मुझे निकाल लो | दिवस ने तुरन्त मेज उठाकर फैकी और बड़ी मुश्किल से उस बच्चे को ऐम्बूलैंस तक पहुचायाँ पीछे से पुलिस वाले ने कहा," ये ले तेरा फोन बजे जा रहा |" उसने फोन उठाकर कहा,"हाँ जी कौन? |वह बोला," इस फोन को दूर फैंक दो इसमें बाम्ब है | दिवस बोला," तुम कौन हो ?"...
दिवस ने तुरन्त उस फोन को दूर फैंक दिया तभी पुलिस वालों ने सब भीड़ को दूर कर दिया और पाँच मिनट बाद मोबाईल बहुत तेज आवाज के साथ फट गया धमाका ऐसा था मानो कान के पर्दे फट जायें | दिवस ने पुलिस स्टेशन जाकर अपना फोन नम्बर अन्य जानकारी सब पुलिस को दे दी | वह हैरान था कि आखिर मेरा मोबाइल ऐसे फटेगा और वह कॉल किसका था आखिर ! वह आवाज पहिचानने की मन ही मन कोशिस कर रहा था | तभी एक बड़ी सी गाड़ी आकर रूकी उसमें एक रसूखदार व्यक्ति दिवस की तरफ आगें बढ़ा वह हाँथ जोड़कर बोला," आपने मेरी बृद्ध माँ और बेटे को बचाकर मुझ पर बहुत उपकार किया है | मैं यहाँ का सांसद हूँ | दिवस ने कहा," ऐसे मत कहिये मैने अपना कर्तव्य निभाया है बस | तभी पुलिस ने कहा," इस जगह को खाली करो जाओ यहाँ से हम लोगों को अपना काम करने दीजिये प्लीज | दिवस कुछ बोल पाता कि सांसद ने कहा," चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ गाड़ी में बैठो मना मत करना प्लीज |" दिवस रास्ते में बातचीत करता रहा | यह सब सुनकर सांसद ने कहा," दिवस में तुम्हें बड़े मंच पर सम्मानित करूँगा औप राष्ट्रपति जी से सम्मानित करवाने की पूरी कोशिस करूगा सचमुच तुममें प्रतिभा के साथ-साथ बहुत सच्चे मानवीय गुण है | दिवस ने कहा," मेरे मोबाईल के फटने की जानकारी जिसने दी उसने मेरे साथ कई पुलिसवालों को भी बचा लिया सम्मान तो उसे मिलना चाहिये | सांसद बोले तुम बहुत अच्छे इंसान हो कहाँ रहते हो | वह बोला," शहर की मलिन बस्ती के पीछे किन्नरों के मोहल्ले में | सासंद ने कहा," हम भी चलेगें आज वहाँ |
दिवस ने कहा," आपको अस्पताल में अपने बेटे और माँ के साथ होना चाहिये |" सासंद ने बेटे के ही साथ बैठा हूँ इस समय चलो बेटा अपना मोहल्ला घुमाओ | दिवस पूरी मलिन बस्ती की दयनीय हालत व किन्नर बस्ती की बुरी हालत दिखाई तो सांसद मदन सिंह जी की आँख भर आयी वह बोले," दस दिन के अंदर आपकी समस्याओं का समाधान करने का वचन देता हूँ उनके साथ के लोगों ने वहाँ का पूरा वीडियो बनाया और कहा," हम जल्द ही शुरूवात
करेगें | फिर सांसद ने सरोज किन्नर के हाथ की चाय पी और सब वहाँ से चले गये |
सरोज किन्नर ने कहा," तुम सही सलामत हो यही काफी है |"
सरोज किन्नर ने अखबार पढ़ते हुये कहा," सुप्रीम कोर्ट में किन्नरों को पिछड़ी जाति में रखते हुये थर्ड जैण्डर घोषित किया है और समानता व आरक्षण का भरोसा जताया |
दिवस ने कहा," क्या हम सभी किन्नर पिछड़ी जाति के ही लोगों की संताने हैं ?" हम पिछड़े में क्यों उच्च में क्यों नहीं आखिर हमारा तो कोई कसूर नही | समाज के शोषण और दीन- हीन मानसिकता के कारण हमारा यह हाल है कि हम काबिल होते हुये भी किसी बड़ी पोस्ट तक नही पहुंच पाते और पहुंच भी जाये तो लोग हमें टिकने नही देते | हमें आरक्षण पर नही बल्कि खुद पर यकीन है | हमें आरक्षण नही सम्मान चाहिये और जब प्रधानमंत्री जी हर किसी को शौचालय की सुविधा दे रहे थे तो हम लोगों को अलग शौचालयों की सुविधा क्यों नही | हर जगह महिला और पुरूष,अरे! हम भी तो इंसान है | हमारा ख्याल क्यों नही हम सभी भी तो वोट देते हैं सरकारी टैक्स भी देते हैं | सरोज ने यह सब रिकोर्ड कर लिया और व्हाट्सएप पर पूरी रिकार्डिंग सेयर कर दी |दिवस ने कहा," आप ब्लॉक प्रमुख का चुनाव या विधायकी का चुनाव लड़िये इस बार | कम से कम अपने समाज का कुछ तो भला होगा |
पेज-३
सरोज बोली," पूरा प्रयास करूगी कि चुनाव जीतूँ |"
to be continue.......
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सरोज बोली," पूरा प्रयास करूगी कि चुनाव जीतूँ |"
वह बोली," दिवस मैने तुमसे एक बात छुपाई है वह यह कि तुम्हारे पिताजी एक दिन पुराने शिव मंदिर में बुलाकर कहा कि तुम इस इलाके के किन्नरों की हैड हो वह कहीं भटक न जाये उसके साथ बुरा न हो जाये तुम उसे अपने संरक्षण में ले लो और बेटी यह कुछ रूप़ये और यह सड़क की दुकान तुम रख लो इसमें टैण्ट का सामान भरा है बेटी मना न करना | तुम्हारे पिताजी बहुत धार्मिक जनप्रिय इंसान है तो जब उन्होने मुझे बेटी कहा तो मैं मना न कर सकी और तुम्हें यह कुछ नही बताया |
दिवस ने कहा," अच्छा किया बता दिया पर उनका विश्वास क्यूँ तोड़ा ?"
वह बोली," मैं तुम्हारी नजरों का सामना नही कर पा रही हूँ बचती फिर रही हूँ सो सच बोल दिया बस |
दिवस कुछ सोचते हुये अखबार पलटने लगा तो देखा अस्पताल में पड़ी जैनी की तस्वीर है | वह उस तस्वीर को देखकर सोचता है कि कल सुबह ही शहर जाकर उससे मिल आऊँ फोन भी नही बात भी कैसे हो ?
यही सब सोच ही रहा था कि चार-पाँच किन्नर आकर बोले,"भैया वाव क्या लग रहे हो ब्लू जींश ब्लैक शर्ट क्या लग रहे हो |"
वह बोला," तुम लोग भी न , तुमको पसंद है तो तुम पहन लो यह शर्ट मुझे अपनी दो |" वह बोला," आप ही पहनो आप पर जम रही |"
उनमें से एक ने कहा," बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ?" दिवस," हाँ पूछो ?"
वह बोला कि कभी लैडीज ड्रैस पहनी आपने ?"
दिवस ने कहा," मर जाऊँ पर कभी न पहनूँ ?
दिवस ने कहा," और सुनाओ ?"
उनमें से किन्नर रूद्र बोला," दिवस भैया हम लोग किन्नर होने से परेशान है पर पास के गाँव में पूरी दस नवजात बेटी पैदा होते ही मार दी लोगों ने यह गाँव बेटियों को पसंद नही करता सीधा मतलब यही कि दहेज में सब लड़के मोटरसाइकिल मांगते है वो तो सबको पता कि सस्ती से सस्ती बाईक कितने की आती | दिवस ने कहा," पुलिस पकड़ती नही एेसे लोगों को तो किन्नर रूद्र ने कहा," पकड़ भी जाते तो छूट जाते है |" दिवस ने कहा," उस गाँव में इंटर कॉलेज है क्या ?" वह बोला," है कॉलेज पर उसमें एक भी लड़की नही जाती |" बहुत बुरा हाल है दिवस भैया कुछ गाँव आज भी बहुत पिछड़े हैं पहले इन गाँवों में डकैतों का राज्य था अब डकैत नही रहे पर दहसत अभी भी कायम है डरे सहमें गांव वाले जो आज भी बेटियों को ना पढ़ाना व कम उम्र में शादी करना उनका स्वभाव बन गया है | दिवस ने कहा," रूद्र मैं उस गाँव में चलना चाहूँगा चलो चलते हैं|" रूद्र और दिवस उस गाँव की ओर रवाना होते हैं | बहुत ही पेजीदे रास्तों से जूझते हुये वह दोनों उस गाँव में पहुंचे तो पहले की तरफ देखा तो टीचर लोग कॉलेज की छुट्टी करके बाहर आ रहे थे | दिवस ने उन्हें रोक कर उनसे कहा," हम कल इस गाँव में आप सभी के सहयोग से एक प्रोग्राम करना चाहते है जो बेटियों पर है क्या आप सब सहयोग करेगें ?" वह बोले," आज इस गाँव में बारात आ रही है काफी हो हल्ला मचता है यहाँ, हम लोग कल बात करें | दिवस ने कहा," ठीक है |" दिवस अन्दर गाँव में पहुंचा तो गाँव की गरीबी बीमार लोगों को देखकर वह बहुत दुखी हुआ फिर उसने देखा छोटी छोटी बच्चियाँ मुँह ढांक खड़ी है हमे देखकर तेजी से अंदर चली गयी | बड़ी मुश्किल से एक महिला ने बताया कि लड़कियों की संख्या इतनी कम है कि अब लडके वाले उल्टा पैसा देते हैं और जबरन लडकी ले जाते| दिवस ने कुछ सोचा फिर रूद्र से कहा," चलो चलते हैं |" वह दोनों वापस बस्ती आ गये तो सरोज ने कहा," यह लो दिवस बेटा |"
दिवस ने कहा," इतना मंहगा फोन ?"
सरोज ने कहा," कम बोलो तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा |" दिवस," ऐसा मत बोलो आप |" दिवस ने एकांत में बैठकर नेट से ढेर सारी जानकारी निकाली और उसका पूरा वीडियो बनाया और फिर उसे पेनड्राइव में सेव किया |फिर जिस प्राईवेट स्कूल में दिवस ने पढ़ाया था |उस स्कूल के प्रधानाध्यापक के घर जाकर प्रोजेक्टर लेकर वापस लौट आता है तो रूद्र कहता है भैया यह क्या है ? दिवस कहता है इसे प्रोजेक्टर कहते हैं अब चलो उसी गाँव में | वहाँ खड़े अन्य चार पाँच किन्नर लोग बोले उस गाँव में तुमअकेले नही जाओगे हम सब चलते हैं | दिवस के हजार बार मना करने पर कोई न माना सभी उस गाँव में एक साथ दाखिल हुये |
गाँव में गाने बज रहे थे शायद बारात आयी है |
दिवस ने कहा," चलो सब वही चलो |"
देखा कि सब लोग नाच गा रहे दावत चल रही |
सभी आश्चर्य से एक साथ बोल पड़ते," अरे! हिजड़े और इस वक्त ?" लड़के वालों से एक व्यक्ति आकर बोले," आप लोग सुबह आना |" दिवस ने कहा," हम लोग नाचने गाने नेग मांगने नही आये हम आपको कुछ बताना चाहते है |" यह जो जय माला का मंच बनाया है यही पर कुछ दिखाना है आप पढ़े लिखे लगते हो मुझे एक फिल्म दिखानी है | फिर दिवस ने उन्हे काफी देर समझाया बताया तब कहीं जाकर वह मंच परचढ़कर बोले," आप सभी लोग शांति से बैठ जायें और यह फिल्म देखे और शांति बनाये रखे | बात दूल्हे पक्ष ने कही थी तो सब चुप मान गये | चारो तरफ अंधेरा कर दिया गया और फिर दिवस ने पूरा सिस्टम लगाया और फिल्म शुरू हुई कि तो भारत माँ की फोटो दिखाई गयी फिर सीता माँ की राधा माँ की माता पार्वती की माँ काली की और फिर दिवस ने एक जय कारा लगवाया जय माता की सभी एक साथ बोले जय माता की और फिर फिल्म शुरू हुई एक बेटी हुई वह माँ बनी उसके एक बेटा हुआ बेटा माँ माँ कहते कहते माँ की गोद में सो गया वर्षों बाद उसी बेटे के एक बेटी हुई तो
उसने उस बेटी को पढ़ाया लिखा तो वह देश की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल बनी, सानिया मिर्जा, साईना नेहवाल, आईएएस ईरा जी और ढ़ेरो महिला पुलिस अधिकारियों महिला पायलट और सुसमा स्वराज,उमा भारती, डिंम्पल यादव की, मायावती की फिर प्रिंयका चोपड़ा की दिपिका पादुकोड़ व बड़ी महिला सिंगर, महिला डाक्टर, महिला लॉयर, महिला बैंक अधिकारियों की महिला टीचरों की और बाद में उस गाँव का नाम लिखकर आया कि ग्राम रजौरा की बेटियाँ भी इनमें से एक हो सकती हैं फिर उस वीडियों में एक छोटी बच्ची रोते हु़ये कहती है बाबू हमको भी पढ़ाओ
बड़ी होकर मैं भी अच्छा ख्याल रखूंगी आपका
दहेज मांगने वाले होगे जेल के अंदर
दहेज के डर से मुझे न मारिये
बाबा अम्मा नमस्ते
फिल्म खत्म हो जाती है पर चारों तरफ शांति छा जाती है |
चारो तरफ बल्ब जल जाते हैं तो दिवस कहता है
गाँव रजौरा की बेटियाँ पढ़ेगीं तो यकीनन एक दिन यह शहर रजौरा होगा यहाँ इतनी चकाचौंध होगी | तभी एक आदमी उठकर बोला," बेटी तो कर लूँ खर्चा तुम दोगे मदद करोगे ?"
दिवस ने कहा," हम एक स्वंयसेवी संस्था रजिस्टर्ड करवाऊगां जिसमें आये दान से आप सभी की बेटियों की मदद की जायेगी और बीमार बुजुर्गों की |" पर कल से गाँव की सब बेटियाँ स्कूल जायेगी और उनके प्रति भी समानता रखी जायेगी |" तभी रूद्र ने कहा," हम आपके गाँव में जल्द ही गौशाला बनायेगें आप सभी साथ देना | दिवस ने कहा," गर बेटी को मुफ्त मिलेगा और रोजगार भी होगा गौमूत्र की भी अच्छी कीमत मिलती है आज | सब गाँव के लोग तालियाँ बजाने लगे | तभी बेटी के पिता ने कहा," आप भी खाना खा लो तो दिवस ने कहा," बेटी की शादी है हमें उसे कुछ गिफ्ट देना चाहिये तभी रूद्र ने जेब से कुछ रूपये निकाल कर बेटी के पिता को देकर कहा यह हमारी तरफ से भोलेनाथ उसे सदा सुखी रखे|
इतना कहकर दिवस चले और मुड़कर देखा तो छोटी छोटी लहगां पहने लड़कियाँ मुस्कुराते हुये हाथ हिला रही थी |
दिवस ने भी हाथ हिलाया | सभी वापस लौटने लगे |
रास्ते में सभी बोले," दिवस भैया आपने कमाल कर दिया अगर आप बड़े अफसर बन जाओ तो ढ़ेरों लोगों कि किस्मत बदल जाये |
तभी रूद्र ने कहा," तुम सब निकलो मुझे एक नम्बर आयी है|
सभी हंसते हुये बाईक से आगे निकल गये | चारो तरफ अंधेरा और बड़ी कगारे सांपो की बामी बनी थी वह चारो तरफ देख रहा था | रूद्र टॉयलेट करके लौट रहा था उसने मोबाइल की रोशनी में सामने जो देखा उसका हलक सूख गया | वह दबे पाँव पास पहुंचता कि ब्लेक कोबरा ने दिवस को डस लिया और दिवस गिर पड़ा | रूद्र दोड़ा कि एक ओर कोबरा ने दिवस को डस लिया | रूद्र ने दिवस को बाइक पर बिठाया और इतनी तेज बाईक चलायी दिवस बोला इतनी तेज मत चलाओ | रूद्र बोला," भैया कुछ न बोलो हम जल्द अस्पताल पहुंचते हैं | वह सीधे अस्पताल के रास्ते मुड़ गया पीछे आ रहे सभी साथी बोले रूद्र ऊधर कहाँ जा रहा|
अस्पताल में डाक्टर ने चैकअप किया तो बताया कि काटा तो है कोबरा ने | कहाँ पर काटा | रूद्र ने कहा," ग्राम रजौरा से लौट रहे थे| डा. ने कहा,"वह इलाका कोबरा केलिये भी जाना जाता है |" ताज्जुब है जहर का इनपर कोई असर नही है |"
दिवस चुपचाप अस्पताल से बाहर आता है | रूद्र पीछे से आकर बोला," यह कैसे हो सकता |"
आप तो देश दुनिया में अनोखे इंसान केनाम से फेमस होसकते है | दिवस," फेमस होना अगर हो तो अपने अच्छे
कर्मों से हो यूँ तो नही |"
देखो रूद्र यह बात किसी से कहना मत अगर भाई मानते हो तो |
रूद्र ने कहा," ठीक है भाई |"
तभी सामने से किन्नर उसमान, किन्नर जगत, किन्नर सरोज, किन्नर प्रीत सभी भागते ऑटो से उतर कर भागते हुये आये और बोले," क्या हुआ तुम दोनों को |" रूद्र बोला," वो मेरा पेट थोड़ा खराब था सो चैकअप कराने आया था |"
यह सुनकर किन्नर उसमान ने कहा," हाँ अभी रजौरा में भी इसे एक नम्बर आयी थी शायद गया दो नम्बर होगा | यह सुन सभी हंस पड़े |
सभी बस्ती पहुंचे तो किन्नर झैलम भागते हुये आयी और बोली," बुढ़वा गया ऊपर -अभी |"
सभी लोग बस्ती के अंतिम छोर बनी एक कच्ची मड्डैया यानि कच्ची झोपड़ी में टूटी खटिया पड़ा जीर्ण-शीर्ण शव | दिवस यह हालत देख रो पड़ा कि मैं कई बार इसी घर से निकला पर कभी न सोचा था इसमे कोई इस हालत में तन्हा और बीमार पड़ा होगा | दिवस उस बुजुर्ग को छूने चलता कि तभी सरोज चिल्ला पड़ती है पास मत जाओ उसके और ये आसूँ पोछ लो | हम लोग मरने पर रोते नही समझे |सभी जोर से हंस पड़े | दिवस ने देखा वहाँ पूरी बस्ती का किन्नर इकट्ठा है | और ताज्जुब है कोई रो नही रहा उल्टा सभी खुश हैं कि भोले तूने खूब सुनी | दिवस पढ़ा- लिखा किन्नरों की रिवाजों से अलग था | वह बोला," शर्म नही आती आपको कोई बुजुर्ग यू अकेला तड़प के मर गया पता नही कब का भूखा रहा होगा और आप सब हंस रहे हो | उसका चेहरा भी देखने नही दिया तुरन्त चेहरा दूर से कपड़ा फैंक कर ढक दिया |
सरोज ने कहा," रूद्र तू इसे यहाँ से ले जा वरना अंतिम विधि में यह शोर मचायेगा | तभी एक दो उम्रदराज धाकड़ किन्नर आयीं और बोली," ऐ हैड़ी! सरोज तू इस नवेले से कुछ न बोली चल मैं बताऊँ | सरोज हांथ जोड़कर बोली," मैं सब समझा दूंगी | वह पान थूंकते हुयें बोली," तू दलाल है इसके बाप की मैं ना हूँ समझी क्या देख री मुझे सब खबर रहती समझी और तू, रे! नवेले तू एक हिजरा है यही तेरी पहिचान और इन मर्द औरत और इस बस्ती की दुनिया सिर्फ धंधा है जहाँ से हम लोग पैसा कमाते दो रोटी कमाते | पैसा ही अपना बाप पैसा ही अम्मा सुन रहा तू और रिश्ते नाते भी पैसा और मुर्दे पर रोनाधोना नही होता अक्ल में डाल ले यूँ बात | दिवस बोला," पर क्यों? क्या हमारे सीने में दिल नही ?" तो वह दिवस का कॉलर पकड़ कर बोली," हाँ नही है दिल जानना चाहता कि हिजड़ा किसे कहते तो सुनो जिसे किसी की मोहब्बत नशीब नही उसे हिजड़ा कहते | जिसे रसूखदार दौलत वाले वासना के अंधे हम लोगों का जबरन शारीरिक और मानसिक शोषण करते है | तू इसी भाषा में समझ ले तो अच्छा दूसरी भाषा में तू फिर सह नही पायेगा | हम झटपटाते फिरते हैं कि कैसे मन पर काबू रखे हम भी इंसान है हमारी भी इच्छायें है जो घुट रही हैं कुछ जलता है कभी मन में कुछ बुझता है न प्यार न इज्जत तो इस घुटनभरी जिंदगी से हम लोग हर पल मुक्ति पाना चाहते हैं और इसीलिये मरने पर खुश होते कि श्रापित जीवन से मुक्ति मिले और इसलिये इकदम से रोते हुये उसे मत छुओ ताकि वो अगले जन्म में हिजड़े के रूप में जन्म न ले | इसीलिये रात गहरा जायेगी तब शवयात्रा निकालेगें और तेरे हांथ जोडूं मैं कि अब तू सिर्फ देखेगा बोलेगा नही समझे तभी दूसरी धाकड़ किन्नर बोली," नये नवेला चीकने से कौनूँ उम्मीद न इसके मुंह पर टेप लगाओ रे ! बिजली कहाँ मर गयी ला तो मेरा पर्स उसमें हर बीमारी का इलाज है वह नॉनस्टॉप बोले जा रही थी कि परसों एक को लकवा लग गया उसका भी इन हाँथों से पक्का इलाज कर दिया | दिवस बोला," लकवे का ?" तभी किन्नर बिजली बिजली की रफ्तार से आयी और तुरन्त उसने दिवस के मुँह पर टेप लगा दिया गया |फिर शव के साथ अंतिम संस्कार के रिवाजों को देखकर और रात अन्य नये किन्नरों ने से उसके साथ जो दुर्व्यवहार किया और इस भंयकर काली रात में उसने किन्नर के भयंकर सच को सामने देखा और महसूस किया | सारी वास्तविकता जानकर वह अंदर शांत हो गया | उसका दिमाग चकरा रहा था| सुबह कब की हो चुकी थी| सरोज ने उसके मुंह पर लगी पट्टी भी हटा दी थी पर वह एक दम खामोश उसी जगह बैठा रहा और फिर चुपचाप रजौरा गाँव की तरफ पैदल ही निकल गया | रूद्र ने देखा कि वह उसी जहरीले सांपों वाले गांव में जा रहा था रूद्र भी पीछे पीछे चल दिया उसने देखा कि दिवस गांव में दाखिल होकर गिर पडता है | यह देख रूद्र दौड़कर आता तो देखता कि दिवस बेहोश है| वह भागता हुआ गाँ व में अंदर जाता और वहाँ से आते हुये ग्रामवासी से कहता पानी है कोई साधन | वह कहता पानी पूरे गाँव में दो नल है जिसमें एक खराब पड़ा और एक पर भीड़ लगी होगी | मैं रिश्तेदारी में जा रहा हूँ मेरे गंगा जल है जो में नह दूंगा वहाँ यज्ञ हो रहा उसके लिय जरूरी| रूद्र बोला," जरूरी तो इस वक्त भैया की जॉन है तुम सारे पैसे रख लो पर थोड़ा गंगा जल दे दो वो उधर मेरा भाई बेहोश है | वह बोला नही देसकता पूजा पाठ की चीज है|
मोबाइल से सरोज को फोन करता कि रजौरा में बाईक से किसी को भेज दो | वह भागता हुआ गॉव में जाता है देखा कि नल पर लम्बी लाईन लगी है किसी ने भी उसे पानी भरने नही दिया वहाँ पानी के कारण औरते एक दूसरे को पीटने लगी | यह सब देख वह वापस लौटा और वह भागते हुये हांपते हुये दिवस के पास आता है तो चीख पड़ता है उसके हांथ पांव पर दो तीन कोबरा काट कर जा रहे थे | वह रो पड़ा कि अब दिवस नही बचेगा वह दिवस को गोद में उठाकर लगातार भागता रहा रास्ते में बाईक से किन्नर संदेश आ रहा था | रूद्र घबराहट में कुछ बता न सका उसने दिवस को बिठाया पीछे खुद बैठा और बोला सीधे अस्पताल चलो |
रूद्र ने कहा," तुम पीछे बैठो बाईक मैं चलाता हूँ |"
इतनी रफ्तार में बाईक लाया और अस्पताल के सामने जैसे ही बाईक रोकी तो दिवस ने कहा," कोई अंदर ऐडमिट है क्या?"
यह सुनते ही रूद्र बेहोश हो गया | दिवस ने उसे गोद में उठाया और अस्पताल मे अंदर ले गया डाक्टर पानी का एक छींटा मारा कि रूद्र उठकर बोला," दिवस की आत्मा|"
दिवस बोला," मेरी आत्मा से क्या मतलब है | पीछे संदेश खड़ा था तो रूद्र ने कहा," तुम जाओ हम आते हैं |
बोला अभी दिवस बेहोश था अभी रूद्र पता नही क्या माजरा | रूद्र ने पूरी बात सुनाई और दिवस के गले हाँथ पाँव में कोबरा के कांटे के निशान दिखाये | वह बोला," दिवस भैया आप चमत्कार हो नागदेवता के अवतार हो |" दिवस बोला," शांत रहो तभी डाक्टर बोले," पागलपन का दौरा पड़ा है क्या करेन्ट दूँ क्या | यह सुनते ही रूद्र भागा और गेट के बाहर आ खड़ा हुआ | दिवस ने कहा," रात का एक- एक सीन दिमाग
में घूम रहा था | यही सोचते सोचते चक्कर आ गया बेहोश हो गया सबकी आवाजें बाते दिमाग में गूंजती रहती हैं |
रूद्र ने कहा," ताज्जुब है कोबरा के जहर से कुछ नही होता और बांतों से बेहोश ?"
दिवस ने कहा," कुछ सच कोबरा से ज्यादा जहरीले होते हैं मेरे भाई |"
दिवस ने कहा," मैं कहीं जा रहा हूँ तुम अपना ख्याल रखना |"
रूद्र ने कहा," मैं मरने के बाद ही आपसे दूर हूंगा उससे पहले तो जहाँ चलो साथ चलूंगा |
to be continue.......
Bahut aacha likha apne How Gyan
ReplyDeleteAapki ye story bahut hi jyada achhi h जो किन्नरों के इंसाफ और हक के लिए आपने इसमें सवाल उठाए हैं और समाज का यह वाला चेहरा दिखाया है कि वह हमें दुआ देते हैं लेकिन हम उनका तिरस्कार करते हैं आपने अपनी कहानी में यह सब दिखाया है वाकई में आपने बहुत ही अच्छा लिखा है और बहुत ही समाज के लिए प्रभावशाली कहानी लिखी है हम सबको इस कहानी से सीख लेनी चाहिए
ReplyDeleteGreat Article, Thanks For Sharing this usefull Aticle Sir.
ReplyDeleteWow It's really nice information
ReplyDeletemajor