जामवंत कथा और जामवंत गुफा Jamwant Katha and Jamwant Cave
प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हमारे पूर्वज बहुत शिक्षित ज्ञानी और महान थे यहां तक की अमर हैं। सतयुग, त्रेता और द्वापर युग में देखा गया है कि पूरी प्रकृति ही ज्ञानी, उन्नत और चैतन्य है। आप देखें कि भगवान श्री हरि विष्णु जी के आधे पशु पक्षी और आधे मानव अवतार हमें जीव उत्पत्ति का कृमिक परिवर्तन समझा रहे हैं और ज्ञान की अनिवार्यता और असीमता का वर्णन कर रहे हैं। भगवान मत्स यानि मछली मानव अवतार, कूर्म अर्थात् कछुआ अवतार, हंस अवतार, हयग्रीव अर्थात घोडा मानव अवतार, नरसिंह अर्थातू शेर मानव अवतार, पक्षी गुरू जटायू,पक्षी राज गरूण, रीछ राज अग्निदेव पुत्र अर्थात जामवंत, वानर राज वायुदेव पुत्र अर्थात् हनुमान,अंगद, नल-नील, नाग देवता, काक भसुंडी, कौआ, गिलहरी, पेड़ - पौधे और द्वापर युग में शुक और सौरी अर्थात् समझदार तोते, निधि वन की तुलसी बृक्ष, कदम्ब, पीपल, बरगद, अशोक आदि, यमुना, गंगा, नर्मदा, कृष्णा, कावेरी, सरयू, आदि नदियों के ज्ञानी और चैतन्य होने का वर्णन है। सभी के मुंह से वेद वाणी निकलती थी।
जामवन्त को ऋक्षपति कहा जाता है। यह ऋक्ष शब्द बिगड़ कर रीछ हो गया जिसका अर्थ होता है भालू अर्थात भालूओं के राजा। लेकिन वे उन्नत और महान दिव्य भालू मानव थे?
जामवन्त और हनुमान, नल, नील आदि अस्त्य मुनि के शिष्य थे।
जामवन्तजी अग्नि देव के पुत्र हैं।
वाल्मीकि रामायण के युद्धकांड में जामवन्त का नाम विशेष उल्लेखनीय है। जब हनुमानजी अपनी शक्ति को भूल जाते हैं तो जामवन्तजी ही उनको याद दिलाते हैं।
जामवन्त के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई॥1॥
प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार वशिष्ठ, अत्रि, विश्वामित्र, दुर्वासा, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम, मार्कण्डेय ऋषि, वेद व्यास और जामवन्त आदि कई ऋषि, मुनि और देवता सशरीर आज भी जीवित हैं।
कहते हैं कि जामवन्तजी बहुत ही विद्वान् हैं। वेद उपनिषद् उन्हें कण्ठस्थ हैं। वह निरन्तर पढ़ा ही करते थे और इस दिव्य स्वाध्यायशीलता के कारण ही उन्होंने लम्बा जीवन यानि अमरता तक को प्राप्त किया था।
परशुराम और हनुमान के बाद जामवन्त ही एक ऐसे दिव्य व्यक्ति थे जिनके तीनों युग (सतयुग, त्रेता और द्वापर युग) में होने का वर्णन मिलता है और कहा जाता है कि वे आज भी जिंदा हैं।
जामवन्त जी की उम्र परशुराम और हनुमान से भी लंबी उम्र है क्योंकि उनका जन्म सतयुग में राजा बलि के काल में हुआ था। जामवंत भगवान श्री हरि के वामन अवतार के साक्षी हैं।
जामवन्त को परम ज्ञानी और अनुभवी माना जाता था। उन्होंने ही हनुमानजी से हिमालय में प्राप्त होने वाली चार दुर्लभ औषधियों का वर्णन किया था जिसमें से एक संजीविनी थी।
मृत संजीवनी चैव विशल्यकरणीमपि।
सुवर्णकरणीं चैव सन्धानी च महौषधीम्॥-
युद्धकाण्ड 74-33
रावण वध के बाद जामवन्त ने भगवान श्री राम से कहा, प्रभु इस युद्ध में सबको लड़ने का अवसर मिला परंतु मुझे अपनी वीरता दिखाने का कोई अवसर नहीं मिला। युद्ध करने की मेरी इच्छा मेरे मन में ही दब गई। उस समय भगवान श्री राम ने जामवन्त से कहा, तुम्हारी ये इच्छा अवश्य पूर्ण होगी जब मैं अगला अवतार धारण करूंगा। तब तक तुम इस गुफा में रहकर तपस्या करो।
श्रीकृष्ण जी पर जब स्यामंतर मणि की चोरी का झूठा आरोप लगा। तब सत्य की रक्षा और त्रेता का वचन पूर्ण करने के लिए गुजरात के पोरबंदर से 17 किलोमीटर दूर राजकोट-पोरबंदर मार्ग पर एक गुफा है जिसे जामवन्त की गुफा कहा जाता है। यहीं पर श्री कृष्ण जी को अपने वचन के कारण जाम्बवंत जी से युद्ध करना पड़ा। बाद में जाम्बवंत जब युद्ध में हारने लगे तब उन्होंने प्रभु श्रीराम को पुकारा और उनकी पुकार सुनकर श्रीकृष्ण जी को अपने रामस्वरूप में आना पड़ा। तब जाम्बवंत ने अपनी भूल स्वीकारी और उन्होंने मणि के साथ निवेदन किया कि आप मेरी पुत्री जाम्बवती से विवाह करें।
भगवान श्री कृष्ण जी ने जामवंती से विवाह किया और कृष्ण और जामवंती के पुत्र साम्ब के कारण ही कृष्ण कुल का अंत हुआ, माना जाता है । हाँ, जामवंत कलयुग में भी होगें... कहीं भगवान की भक्ति में तपस्यारत्। भगवान के भक्तों को संसार से नहीं सिर्फ़ भगवान के दर्शन की प्यास होती है। जय सीता राम, जय राधे कृष्ण 🙏💐
Great Ancient history in shri Jamwant and Jambuvan Cave - Excellent place to visit never miss.
This cave is located at Ranavav taluka of Porbandar distirct, near Suarashtra cement factory. It’s located almost 15 Km away from Porbandar city.
This is cave where Jambuvan (Jamwant) know worrier of Ramayana age was residing. He was born in satyuga and seen Treta yug and Dwaper waiting for Krishna Avatar. He found diamond of precious value which was given for playing to her daughter Jambuvati(Jamwati). Lord Krishna was in search for same diamond (shyamantak Mani) which was taken away from one king by lion and reached to Jambuvan after lion was killed by Jambuvan. Lord Krishna fought with Jambuvan and ultimately he came to know that Krishna is nothing but same Lord Ram.
He bowed to Lord and given away diamond and her daughter to Krishna with marriage with him. This jambuvan cave is situated near Ranavav town in Porbander district in Gujarat state India. There is deep cave and small light source of sun. Inside there is Shiv ling made by sand when water falls from roof of cave. We can see nature carving too. Outside cave there is Lord Shiva temple and Samadhi of Guru Ramdasji who did Tapsya in earlier days Ramdasji use to go to Jamnagar,Dwarka & Somnath from inside the cave there is a way.Above all other achievements of Jambavan, he is known as one of the truest devotes of Lord Rama.In his single life, he had the opportunity to meet three incarnations (Lord shri waman, Lord shri Ram and Lord shri krishna) of God . This is the reason why Jambavan is considered so fortunate. Can a person ask for anything more than this?
Jai shri krishna 💐🙏
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