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भारतीय सेना दिवस - 2022



Indian Army Day 2022: भारतीय सेना आज अपना 74वां स्थापना दिवस मना रही है।यानि महान शौर्य का महादिवस। भारतीय सेना द्वार हर साल 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है. दरअसल आज ही के दिन फील्ड मार्शल केएम करियप्पा (Field Marshal KM Cariappa) ने आजादी के बाद साल 1949 में ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर (General Sir Francis Butcher) से भारतीय सेना की पूरी कमान ली थी।फ्रांसिस ने भारत में अंतिम ब्रिटिश जनरल के रूप में काम किया और इसके बाद भारतीय सेना की कमान फील्ड मार्शल केएम करियप्पा को सौंप दी गई और करियप्पा भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ बने. केएम करियप्पा के भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पद संभालने के ही उपलक्ष्य में हर साल 15 जनवरी के दिन भारतीय सेना दिवस (Indian Army Day) मनाया जाता है।

कौन थे केएम करियप्पा?

केएम करियप्पा का जन्म कर्नाटक के कुर्ग जिले में साल 1899 में हुआ था. फील्ड मार्शल करियप्पा ने ब्रिटिश भारतीय सेना से फौज की नौकरी की शुरुआत की और करियप्पा ने 1947 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया था. वहीं भारत और पाकिस्तान के विभाजन के दौरान दोनों देशों की सेनाओं को बांटने और उनके बंटवारे की जिम्मेदारी भी केएम करियप्पा को ही सौंपी गई थी. करियप्पा साल 1953 में रिटायर हो गए और करियप्पा को साल 1986 में फील्ड मार्शल के पद से सम्मानित किया गया.

दरअसल फील्ड मार्शल का पद भारतीय सेना का सर्वोच्च पद है. दरअसल यह पद सम्मान स्वरूप दिया जाता है. भारतीय सेना के इतिहास में यह सम्मान केवल दो लोगों के ही नाम पर है. पहला सैम मानेकशॉ (Sam Manekshaw), जिन्हें 1973 में इस पद से सम्मानित किया गया वहीं दूसरे हैं केएम करियप्पा. जिन्हें साल 1986 में इस पद से सम्मानित किया गया था.

कब हुआ था भारतीय सेना का गठन-


राजा महाराजाओं के दौर में हर शासक के अपने सैनिक होते थे लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय सेना का गठन साल 1776 में कोलकाता में किया। उस समय भारतीय सेना ईस्ट इंडिया कंपनी की सैन्य टुकड़ी थी, जिसे बाद में ब्रिटिश भारतीय सेना का नाम मिला और अंत में भारतीय थल सेना के तौर पर देश के जवानों को पहचान मिली। 

सेना में दो लेवल पर मेडल देते हैं, युद्ध के दौरान बहादुरी दिखाने पर और शांति कायम रखने पर. साल में दो बार गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ये अवॉर्ड दिए जाते हैं. उनमें परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र शामिल हैं.

युद्ध के दौरान दिए जाने वाले मेडल-



परम वीर चक्र- परमवीर च्रक भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान है. ये अवॉर्ड ज्यादातर मरणोपरांत दिया जाता है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता शूरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. पहली बार 3 नवंबर, 1947 को भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट की चौथी बटालियन के मेजर सोमनाथ शर्मा को ये पुरस्कार दिया गया था. हालांकि इस पुरस्कार को देने की औपचारिक घोषणा  26 जनवरी, 1950 को राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की थी. खास बात ये है कि इस परमवीर चक्र को आर्मी के ही एक अफसर विक्रम खानोलकर की पत्नी सविता खानोलकर ने डिजाइन किया था.  इसे बैंगनी रंग के रिबन के साथ पहना जाता है. अब तक 21 लोगों को ये सम्मान मिल चुका है। 

 महावीर चक्र-


ये मिलिट्री का दूसरा सबसे बड़ा अवॉर्ड है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता, शूरता और बलिदान के लिए दिया जाता है. यह मरणोपरांत भी दिया जा सकता है. सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी रैंक के अधिकारी, प्रादेशिक सेना, रिजर्व बल और किसी अन्य विधिवत सशस्त्र बल के लोगों को दिया जा सकता है. सुरक्षा बलों में से किसी भी विभाग से सम्बंधित व्यक्ति को इस अवार्ड के लिए युद्ध क्षेत्र में बहादुरी दिखाने के लिए चुना जाता है. 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान ये मेडल सबसे ज्यादा दिए गए थे.


वीर चक्र-


युद्ध के समय वीरता के लिए दिया जाने वाला यह तीसरा सबसे बड़ा सम्मान है, जो दुश्मन के खिलाफ दिखाई गई बहादुरी के लिए दिया जाता है. यह पदक भी सैनिकों और असैनिकों को दिया जा सकता है. 26 जनवरी 1950 से इसकी शुरुआत हुई. इस मेडल को 16mm नीले और 16mm केसरिया रंग के रिबन के साथ पहना जाता है. वरियता में यह महावीर चक्र के बाद आता है। 


कीर्ती चक्र- कीर्ति चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है. कीर्ती चक्र को 1952 में अशोक चक्र क्लास 2 नाम दिया गया था. बाद में 1967 में इसे कीर्ति चक्र कर दिया गया. इसे भी हरे रिबन के साथ पहना जाता है, लेकिन केसरिया पट्टी दो होती हैं. शौर्य और वीरता के लिए कीर्ति चक्र दिया जाता है. यह शांति काल में दिया जाने वाला वीरता पदक है. यह मरणोपरांत भी दिया जा सकता है.


शोर्य चक्र- शौर्य चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है. यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या प्रकट शूरता या बलिदान के लिए दिया जाता है. यह मरणोपरान्त भी दिया जा सकता है। वरियता में यह कीर्ति चक्र के बाद आता है. इसका मेडल कांसे से बना होता है, जिसे हरे रंग की तीन खड़ी लाइनों द्वारा बराबर भागों में विभाजित फीते के साथ दिया जाता है. कह सकते हैं कि कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र, अशोक चक्र के ही दो वर्ग हैं.


कई और पदक भी दिए जाते हैं-


युद्ध के दौरान वीरता दिखाने और शांति के दौरान वीरता दिखाने वाले इन अवॉर्ड के अलावा और भी कई दूसरे अवार्ड हैं जो सैनिकों को दिए जाते हैं. जिनमें सेना पदक, नौसेना पदक, वायुसेना पदक, सर्वोत्तम युद्ध सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक , विशिष्ट सेवा पदक के अलावा कई और पदक शामिल हैं.


भारतीय सेना तब और अब

- साल 1776 में भारतीय सेना का गठन किया गया कोलकाता में ब्रिटिश ईस्ट ईंडिया कंपनी द्वारा किया गया था.भारतीय सेना दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और ताकतवर आर्मी है. यही कारण है कि हिटलर और इजरायल दोनों ही भारतीय सेना के अनुशासन को सर्वोपरि मानते हैं और उनका कहना है कि अगर भारतीय सेना उनके हाथ में हो तो वे पूरी दुनिया पर जीत हासिल कर सकते हैं.

-साल 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए चलाया जाने वाला 'ऑपरेशन राहत' दुनिया का सबसे बड़ा सिविलियिन रेस्क्यू ऑपरेशन था.

ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

 हिंद की सेना जिंदाबाद
वंदेमातरम् जय हिंद 🙏💐🇮🇳

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