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जन्माष्टमी - 2022 भगवान श्रीकृष्ण जी के रहस्य


जन्माष्टमी - 2022 भगवान श्रीकृष्ण जी ने अपने नटखट प्रेम अवतार से पूरी दुनिया को प्रेम सूत्र में बांधने की पूरी कोशिश की पर जब उन्होंने यह देखा कि कुछ पापियों को प्रेम की भाषा समझ नहीं आती तो फिर उन्होंने 'महाभारत' द्वारा यह बात भलीभांति समझायी। उन्होंने बहुत प्रेमपूर्वक दुर्योधन को समझाया था कि तुम अपने इन पांच भाईयों पाण्डवों को सुखपूर्वक रहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं तो पांच गांव ही दे दो। एक गांव में पांच मकान ही दे दो। कुछ नहीं तो तो एक ही महल की व्यवस्था कर दो, यह सब शांति से रह लेगें । तब अहंकारी दुर्योधन ने कहा कि कदापि नहीं, मैं सुई की नोंक बराबर भी भूमि, इन पाण्डवों को नहीं दूंगा। बाद में दुर्योधन ने लाख के महल में भी पाण्डवों को जान से मारने का घातक षड्यंत्र रचा। तब अंत में भगवान श्रीकृष्ण ने सत्य-न्याय और धर्म की रक्षा हेतु  अंतिम विकल्प चुना ''महाभारत महा प्रलयंकारी युद्ध'' जिसमें धर्म की विजय हुई। कहते हैं कि इस विजय के बाद जब पाण्डवों ने देखा कि रहने को भूमि तो मिल गयी पर सारा परिवार बिखर गया। इस ग्लानि से भरकर पाण्डव भगवान श्रीकृष्ण जी के चरणों में गिर गये और बोले कि हे! माधव हमें शांति नहीं मिल रही..हमारी आत्मा हमें धिक्कार रही है.. तब भगवान ने कहा कि ये इसलिए हो रहा कि तुम सब सद्पुरूष हो। तुम्हारे अंतर शुद्ध आत्मा है वरना दुर्योधन तुम सबको कब का मार चुका होता। अब, अगर तुम शांति की बात कर रहे हो तो शांति, संसार में कहां, शांति तो परमसत्ता से प्रेम करने में, स्वंय को इस अस्तित्व में सौंप देने से ही मिलेगी। पाण्डवों को बात समझ आयी और उन्होंने वैराग्य ले लिया था फिर हिमालय क्षेत्र से होते हुए अंतिम यात्रा को निकले जिसमें मात्र युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा सके और बाकि का शरीर यही पृथ्वी माता की गोद में समा गया। भगवान श्रीकृष्ण जी ने यही समझाया कि युद्ध से कभी भी किसी पक्ष को शांति प्राप्त नहीं हो सकती और विडम्बना रही है कि शांति के लिए दुनिया में युद्ध ठने और जो लोग युद्ध के पक्षधर हैं उनसे सम्पूर्ण मानवजाति को कभी भी शांति और सद्भाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। आज भी जब हम लोग दुनिया की अपाधापी से भर जाते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का श्रवण करते हैं और देखते तो मन प्रेम से भर उठता है और जब हम जीवन के रहस्यों को समझने की दिशा में बढ़ते हैं तब हम 'श्री भगवत गीता' जी को पढ़ते हैं। मेरा तो अनुभव यही है कि श्री गीता जी भगवान श्रीकृष्ण जी का शब्द अवतार है जिसे हृदय से लगाकर जरूर पढ़ते रहना चाहिए। इससे प्यारे कान्हा का प्यार हमें जरूर मिलेगा और हम सब के जीवन में भी प्रेमरूप कान्हा जरूर पधारेगें । सिर्फ़ एक विश्वास कर लीजिए कान्हा हर जगह हैं और वो कहीं से भी किसी भी तरह से हमारी मदद करने में पूरी तरह सक्षम हैं क्योंकि वो सर्वव्यापी परमपिता परमेश्वर है। वो सब अच्छा करेगें और हमें जरूर उबार लेगें। हरे कृष्ण हरे कृष्ण 🙏💐

भगवान की माखन चोरी - इसलिए

इस दुनिया ने भगवान को भी बुरा भला कहने में जरा संकोच नहीं किया माखन चोरी की तो माखन वो अपने गरीब ग्वालबाल दोस्तों में बांट दिया करते थे और माखन के बदले उस परिवार के सभी पाप नष्ट कर दिया करते थे।

बड़े भाई से भगवान की तरह प्रेम -

भगवान श्री कृष्ण जी ने समझाया कि अपने बड़े भाई से कितना प्रेम करना चाहिए। 'कृष्ण - बलराम'। पूरे जीवन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई को भगवान की तरह सम्मान दिया।

मातृभक्ति -

पूतना राक्षसी अपने स्तन पर विष लगाकर आयी और भगवान को दुग्ध पिलाने लगी तो भगवान ने उस पूतना को स्वर्ग में माता यशोदा वाला स्थान दिया। उन्होंने समझाया कि माँ कैसी भी हो माँ सिर्फ़ सम्मान की अधिकारी है।माँ हर हाल में पूजनीय है।

गोपी वस्त्र चोरी - इसलिए

भगवान ने गोपियों को वस्त्र चुराकर यह संदेश दिया कि किसी को भी खुले में निवृस्त्र होकर नहीं नहाना चाहिए क्योंकि पापी आखें कहीं से भी आपको ना देख सकें।

गोपी महारास - इसलिए

भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि राधा प्रेम की देवी हैं और प्रेम से ही भक्ति जन्म लेती है अतः प्रेम सर्वोच्च साधना है। रही बात गोपियों की को सभी गोपियों पूर्व जन्म में महानतम् ऋषि थे जिन्होंने भगवान को साक्षात्कार करने की भगवान के हृदय से लगने के लिए कल्पों भयंकर तप साधना की थी जिसमें भगवान शिव भी एक थे और भगवान शिव भी महारास में शामिल होने के गोपी बनकर ही पधारे थे। यह भक्त और भगवान के भक्ति का रास हुआ करता था बिल्कुल पवित्र और सात्विक।


16 हजार कन्याओं से शादी - इसलिए

भगवान सिर्फ़ राधा से प्रेम करते हैं। इसके अलावा उन्होंने जितने भी विवाह किये, वो सब परिस्थितिवश किये। महिलाओं के सम्मान के साथ, कभी उनके जीवन की रक्षा के लिए। जब नरकासुर राक्षस के कैद में थी 16 हजार कन्याएं जिनको भगवान श्री कृष्ण जी ने आजाद करवाया तो वह सब रोने लगीं कि हे! कृष्ण, हमसे अब कोई पुरूष विवाह नहीं करेगा। समाज हमें जीने नहीं देगा तब भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा कि जाओ! आज से कोई पूछे कि तुम्हारा पति कौन है? तो कहना श्री कृष्ण। और भगवान ने सबसे शादी करके सबको अपना नाम दे दिया। भोग के कारण नहीं बल्कि उन सभी कन्याओं को समाज में चैन से जीने के लिए और पूरे जीवन भगवान ने सभी जिम्मेदारी कुशलतापूर्वक निभायीं। 

महाभारत युद्ध - इसलिए

जब जब धर्म की हानि होगी तब तब महाभारत होना अनिवार्य है। सत्य की रक्षा के लिए न्याय की रक्षा के लिए।

दिखाया विराट रूप - इसलिए

भगवान श्री कृष्ण ने अपने कंण कंण में व्याप्त होने को दिखाने हेतु सर्वोच्च परमसत्ता को दिखाने हेतु अपना विराट रूप दिखाकर कहा कि सब कुछ भूल कर मेरी शरण में आ जा, तू मेरा बन जा मैं तुझे समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा। भगवान ने साबित किया वह अपने भक्त के लिए कहीं से भी प्रकट हो सकते हैं और वो जरूर आते हैं, वो जन्म लेकर सत्यनिष्ठ लोगों की मदद करते हैं।

अंत, मैं सच की दस्तक परिवार की तरफ़ से आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ। नारायण भगवान श्रीकृष्ण जी की कृपा आप सभी पर सदा बनी रहे। 🙏राधेकृष्ण राधेकृष्ण 💐


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