बस्ती दीवानों की सज गई आज रे ...........................................
बस्ती दीवानों की सज गई आज रे
दुल्हन बनीं है आज श्वांस रे
चिंता जलाये दर्द तड़पाए
सब मौसम बनें है ससुराल रे
कितना कमाया यहीं सब गवायाँ
साथ रहा न तेरा कोई आज रे
दुल्हन बनीं है आज श्वांस रे ||
धोके से लुटा सभी को सताया
लोभ ने तुझको खूब भरमाया
तेरा पाप मैं डूबा हर काज रे
चार कंधे और कुछ लकड़ी
ये भी कुछ देर के साथी
घर तेरा आज श्मशान रे
दुल्हन बनीं है आज श्वांस रे ||
आया है दूल्हा काल सहरा पहने
अपनी दुल्हन आज ले जाये रे
सभी की विदाई यही एक रे
वापस लौटे न कभी,आम न ख़ास रे
तेरे साथ जाये न कोई आज रे
बस कर्म तेरे हैं तेरे साथ रे
दुल्हन बनीं है आज श्वांस रे ।।
छूटा गया तन-मन
छूटी ये झूठी दुनिया
साथ गया न कोई आज रे
रोयेंगें कुछ दिन फिर भूल जायेंगें
जग मैं रह जाएगी तेरी याद रे
सत्य को जानों तुम आज रे
दुल्हन बनीं है आज श्वांस रे ।।
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आकांक्षा सक्सेना
बाबरपुर,औरैया
उत्तर प्रदेश
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