बोलचाल मैं गालियाँ क्यों ?
गाली भी एक फैशन है क्या ?
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आज समाज में एक बात समान है ।वो यह है,
हर होंठ पर लाली है
हर जुब़ा पर गाली है
आजकल हर दस में से आठ लोग ऐसे मिलेंगें जो गाली बिना गाली के बात करना अपनी शान के खिलाफ़ समझते हैं ।
आज गाली देना एक फ़ैशन एक स्टाइल बन गया है।आज समाज मैं देखो तो चाहे गरीब हो या मध्यमवर्गीय या रसूखदार सभी की
बोलचाल मैं गालियों का क्रेज़ देखते ही बनता है ।
इस विषय पर कुछ लोगों की राय यह है कि गाली आज की लाइफ स्टाइल मैं शामिल हो चुकी है ।आजकल साधारण बातचीत हो
या फिर लड़ाई-झगड़े यहाँ तक कि आज कल कि फ़िल्में हो या गाने भी गालियों से अछूते नहीं रह गये हैं ।कुछ लोगों का मानना है कि
बात शुरु होती भी गाली से और ख़त्म होती भी गाली से ही है ।एक व्यक्ति तो हँसते हुए बोले कि गाली तो अपुन को साली की तरह
प्रिय है । कुछ बोले की बिन गाली के अधूरा है बातों का संसार ।
यह सब सुनकर मेरे दिमाग मैं एक सवाल कोंधा कि ये गाली नामक घातक बीमारी हमारे ही क्षेत्र मैं फैली है या और भी कहीं ?
तो उत्तर चौकानेवाला है सुनियेगा कि इस समाज को खोखला कर देने वाली घातक बीमारी से आज पूरा देश पीड़ित है ।
हमें झटका तब लगा कि जब औरैया की बस मैं बैठे बाबरपुर आने के लिये तब बस मैं एक छोटा बच्चा जीरावटी बेचते हुए बोला
मैडम जीरावटी ले लो और फिर गाली जो हम यहाँ लिखना उचित नही समझते गली देते बोला लेलो कमल की चीज़ है हाजमा दुरस्त
हो जायेगा ।उसकी और एक तक देखती रह गई कि गाली बच्चों,जवान,बुजुर्ग सभी पर हावी है आज,तभी हमने उस मासूम बच्चे से कहा
बेटा गाली क्यों देते हो लाइये दीजिये एक जीरावटी । वो छोटा बच्चा जिरावटी देते हुए बोला,'बिना गली के कोई है क्या।'
हमने एक रुपया देते हुए कहा,' ये कहाँ से सीखी ?' वो मासूम बच्चा बड़ी मासूमियत से बोला,' आप ही लोगों से ।'
उसके इस जवाब से हम हत्प्र्म्भ रह गए । घर आकर हमने सोचा वो बच्चा सच बोला था बिलकुल सच ।
हमें ताज्जुब होता है कि ये बुरे शब्द जिनका कोई अर्थ नही कोई वजूद नही फिर भी ये शब्द समाज मैं अराजकता फ़ैलाने का माद्दा रखते हैं ।और आश्चर्य की बात यह है कि ये विष घोलने वाले समाज को दूषित करने वाले शब्द आज सभी की जुबां पर मुकुट की तरह सोभायमान हैं।
इन निराधार शब्दों से मानवीय छवि धूमिल और ख़राब हो रही है अतः अभी भी हम ना जागे तो भारतवर्ष के सुनहरे भविष्य को हम क्या दिशा देंगें ।देश का भविष्य हर देशवासी ही तय करता है तो सोचियेगा कि क्या हम इस लायक है ?
आइयेगा आज ये वचन लें कि हम सब मिलकर इन कटु शब्दों का समाज से परित्याग करेंगें और एक स्वच्छ,
स्वस्थ और सुन्दर समाज और सपनों सा भारत भारत बनायेंगें ।
* जय हिन्द जय भारत *
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आकांक्षा सक्सेना
बाबरपुर जिला - औरैया
उत्तर प्रदेश
14 दिसम्बर 2012
संध्या 3:40
दिन - शुक्रवार
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