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23 जनवरी नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जयन्ती पर विशेष :







भारतीयों के आदर्श एवं उनकी आदर्श विचारधारा :

......... नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस......


नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी का जन्म दिनाकं 23 जनवरी सन् 1897 को उड़ीसा में कटक के एक सम्पन्न बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था और सन् 1937 में उनका विवाह उनकी सेक्रेटरी आस्ट्रेलियन युवती ऐमिली के साथ हुआ|
   उन्होने आईसीएस की परीक्षा निर्धारित समय से पूर्व ही पूरी की थी और वह प्रथम श्रेणी के आई.सी.एस ऑफीसर कलेक्टर बने | इस प्रकार उन्होने अपने पिता वैरिस्टर श्री जानकीनाथ बोस की इच्छा पूर्ण की | आजाद हिन्द फौज के सेनापति बनकर उन्होने अपने बड़े भाई महान वैज्ञानिक डा.जगदीश चन्द्र बोस एवं रासबिहारी बोस जी की इच्छा पूर्ण की | आजाद हिन्द फौज में महारानी लक्ष्मीबाई रेजीमेन्ट बनाकर उन्होने अपनी माता श्री मति प्रभावती जी की इच्छा पूर्ण की तथा अपनी पत्नि श्री मति ऐमिली बोस को अनीता बोस पुत्रीरत्न देकर अपनी पत्नि की इच्छा पूर्ण की | 15 अगस्त सन् 1942 को  सिंगापुर में भारतवर्ष की स्वतंत्रता, आजादी व मुक्तता का तिरंगा लहराकर अपने गुरू राजर्षि स्वामी विवेकानन्द जी की इच्छा पूर्ण की | भारत में 200 वर्षों से शासन कर रहे ब्रिटिश के अंग्रेजों से कहा कि तुम लोग भारतीय सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित भारतीय नागरिक नही हो | तुम लोगों के भारत से भागने के मैने जल एवं वायु मार्ग अवरूद्ध करवा दिये हैं | तुम लोग सिर्फ थल मार्ग से भारत से भाग सकते हो | यदि तुम लोगों ने भारत न छोडा तो हमारे फौजी देशभर में मौजूद हैं | वे तुम लोगों को भारत के अंदर ही जान से मार देगें | अपनी  जान को कानूनी खतरा समझ कर ब्रिटिश के अंग्रेजों ने आनन-फानन में भारत छोड़ दिया और वे थल मार्ग से भारत से निकल भाग गये | इस प्रकार नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस ने देशवासियों को ब्रिटिश के अंग्रेजों से स्वतंत्र, आजाद व मुक्त कराकर भारतीय नागरिकों की इच्छा पूर्ण की | इसीलिये नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस भारतीयों के आदर्श हैं |
    नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस की स्वंय की इच्छा व उनकी आइडियोलॉजी (विचारधारा) यह थी कि भारत में वही रहेगा जो अपने जीवन व जीविका का टैक्सचोर व इस कालेधन का जमाखोर न हो, वह बदनियतिखोर व बदनीतिखोर न हो,
वह विभाजनकारी व विनाशकारी न हो, वह अपने पूर्वनियोजित धोखाधड़ी का षड़यंत्रकारी न हो, वह बेईमान व गद्दार न हो, वह भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में भारतीय जनजीवन व जीविका की सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित पहिचान मिटाने वाला न हो |
         नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस भारत को अखण्ड भारतवर्ष एवं जगतगुरू बनाना चाहते थे |
  वह, यह स्वीकारते थे कि भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में भारतीय जनजीवन व जीविका की सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित पहिचान मिटाना भारतीय सर्वोच्च घृणित, जघन्य व अक्षम्य दण्डनीय अपराध व अन्याय है |
        वह, यह स्वीकारते थे कि भारतीय जनजीवन व जीविका की सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित पहिचान ही भारतीय जनजीवन व जीविका की आत्मा है जिसके बिना भारतीय जनजीवन व जीविका अप्रमाणित व निर्जीव है |
       वह, भारतीय जनजीवन व जीविका की सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित पहिचान भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में बनाना चाहते थे |
      वह भारतीय जनजीवन व जीविका को अपराधमुक्त व रोजगारयुक्त बनाना चाहते थे |
      वह प्रत्येक सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित भारतीय नागरिक को अपने जीवन का सृजनशील उद्देश्य पूरा किये जानेहेतु उसे उसकी इच्छा व शिक्षा योग्यतानुसार बिना किसी बाधा के समान सरकारी व मतकारी, अर्द्धसरकारी व कर्मचारी एवं निजीकारी व श्रमकारी आजीविका व पैंसन तथा समान अत्यआधुनिक बुनियादी सेवायें व सुविधायें अनिवार्य एवं परमावश्यकरूप से प्राप्त करवाना चाहते थे |
      इसके लिये वह प्रत्येक सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित भारतीय नागरिक को पंजीकृत वैधानिक स्वतंत्र आदर्श गौरवशाली स्मृद्धिशाली आनंदवादी सरकारी व मतकारी भारतीय राजनीतिक समाज का, बीमाकृत संवैधानिक आजाद महानप्रतिभाशाली वैभवशाली शिष्टाचारी अर्द्धसरकारी व कर्मचारी भारतीय आर्थिक समाज का एवं लाईसैंसीकृत कानूनी मुक्त महानतम् मर्यादाशाली सदाचारी अत्याधुनिक विश्वविजयी सैन्यशक्तिशाली निजीकारी व श्रमकारी भारतीय सामाजिक समाज का अनिवार्य एवं परमावश्यक सदस्य बनाना चाहते थे |
       इसके लिये वह भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के राजनीतिक समाजी सरकारी व मतकारी, आर्थिक समाजी अर्द्धसरकारी व कर्मचारी एवं सामाजिक समाजी निजीकारी व श्रमकारी अभिलेखों का गठन भारतीय नागरिकों के सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित जीवन के पहिचान के अभिलेखानुसार करवाना
चाहते थे |
      इसके लिये वह प्रत्येक विवाहित, जन्में व मृतक स्त्री, पुरूष व किन्नर भारतीय नागरिक को उसके विवाहित होने, पैदा होने व मृतक होने की पहिचान का पंजीकृत वैधानिक, बीमाकृत संवैधानिक एवं लाईसैंसीकृत कानूनी भारतीय उत्तराधिकारित, राष्ट्रीय मानवाधिकारित व भारतीय सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र प्राप्त करवाना चाहते थे |
     इसके लिये वह प्रत्येक विवाहित, जन्मे व मृतक, स्त्री, पुरूष व किन्नर भारतीय नागरिक के विवाह, जन्म व मृत्यु का न्यूनतम निर्धारित आजीवन वैधानिक पंजीकरण राजस्वकर, संवैधानिक बीमाकरण वित्तकर व कानूनी लाईसैंसीकरण आयकर भारत के राजकोष, वित्तकोष व आयकोष में जमा करवाकर इन तीनों कोषों को सामर्थ से अधिक, बहुत बड़े पैमाने पर, अनावश्यक अशोधनीय हानि होने से बचाना चाहते थे | जिससे कि कोई भी भारतीय नागरिक अपने जीवन व जीविका की टैक्सचोरी व कालेधन की जमाखोरी न कर सके|
     "भारतीय नागरिकों के विवाह, जन्म व मृत्यु के पंजीकरण, बीमाकरण व लाईसैंसीकरण के अधिनियमों के तहत संचालित भारतीय नागरिकों के सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित जीवन के पहिचान के अभिलेखानुसार पंजीकृत वैधानिक, बीमाकृत संवैधानिक व लाईसैंसीकृत कानूनी भारतीय उत्तराधिकारित राष्ट्रीय मानवाधिकारित व भारतीय सर्वोच्च न्यायिकरूप से विवाहित, जन्मे व मृतक स्त्री, पुरूष व किन्नर को सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित भारतीय नागरिक कहते हैं |"
      वह इस परिभाषा को भारतीय संविधान एवं कानूनों में दर्ज करवाना चाहते थे | जिससे कि भारत का कोई भी शासक भारतीय जनजीवन व जीविका की सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित पहिचान भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में न मिटा सके | नेताजी को भूमिगत इसलिये होना पड़ा कि नेताजी की ताकत उनकी आजादहिन्द फौज थी जिसकी मदद जापान सरकार कर रही थी | अमेरिका ने जापान को नष्ट कर दिया था | इसलिये नेताजी व उनकी फौज कमजोर व मजबूर हो गये थे |इसलिये वह अपनी इच्छा पूरी नही कर सके | उन्होने कहा था कि उन्हें अपने विरूद्ध लगाये आरोप व जारी गिरफ्तारी वारंट की चिंता नही उन्हें चिंता यह थी कि भविष्य में यदि दुर्भाग्यवश तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो देश की सेना में विदेशी मित्र देशों की सेनायें भी मिलकर यह युद्ध लड़ नहीं पायेगी | नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस भारतीय सेना को अत्याधुनिक विश्व विजयी बनाना चाहते थे और इस वास्ते वह भारतीय जनजीवन व जीविका को अपनी आदर्श विचारधारा के तहत पारदर्शी बनाना चाहते थे |
    वह कहते थे कि देश को एक ऐसी पार्टी की जरूरत है जो सिर्फ आजादी के काम में ही न लगी रहे बल्कि आजादी पाने के बाद राष्ट्र के पुर्नर्निर्माण में जनकल्याणकारी योजनायें भी क्रियान्वित करे |
    उन्होने दुखी होकर कहा था कि भारतीय रजिस्टर में उनके जीवन व जीविका की पहिचान ही मिटा दी गयी है|
     भारतीय संविधान में वैरिस्टर डा. भीमराव अम्बेडकर नेताजी की उक्त परिभाषा को दर्ज करना चाहते थे परन्तु वैरिस्टर  जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा नही होने दिया क्योंकि नेहरूजी को यह भय था कि कहीं उनके कुटुम्ब परिवार के जीवन व जीविका की पोल न खुल जाये |इसी से खिन्न होकर डा.अम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि यदि इस संविधान को नेकनियति व नेकनीति से लागू न किया तो परिणाम गम्भीर होगें | इसी से दुखी होकर डा.अम्बेडकर ने अपने जीवन व जीविका की पहिचान मिटाकर अपने सभी पद त्यागे,हिन्दुधर्म त्यागा व हिन्दु नाम त्यागा | उन्होने बोद्धधर्म अपनाकर अपना नाम बौद्धभिक्षु दलिताईलामा रखा था |
     यही कारण है कि नेहरूजी की हठधर्मिता के कारण भारतीय संविधान व कानूनों में सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित भारतीय नागरिक की परिभाषा दर्ज नही है| भारतीय जनजीवन व जीविका की यही वह मूल कमजोरी व मजबूरी है जिसके कारण भारतीय जनजीवन व जीविका हजारों वर्षों तक विदेशी शासक डचों, पुर्तगालियों, यूनानियों, मुगलों व ब्रिटिश के अंग्रेजों का गुलाम रहा तथा विगत सत्तर वर्षों से स्वदेशी शासकों का गुलाम है|
    भारत के सवासौ करोड़ लोगों ने अबतक अपने जीवन व जीविका की इस मूल कमजोरी व मजबूरी को समझने का प्रयास ही नही किया और न ही इस बाबत भारतीय संविधान व कानूनों में संसोधन करवाया |
   इस प्रकार भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के अभिलेखों में न सिर्फ नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस के जीवन व जीविका की सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित पहिचान मिटी पड़ी है बल्कि सभी नागरिकों की यह पहिचान मिटी पड़ी है | हम सवासौ करोड़ लोग आखिर कौन है और कहाँ के सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित नागरिक इसका सर्वोच्च न्यायिक प्रमाणित सबूत किसी के पास नही हैं क्या यही भारतीय सर्वोच्च पारदर्शी कानून व न्याय है| इस प्रकार हम कह सकते हैं कि नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस भारतीयों के आदर्श हैं व उनकी आदर्श विचारधारा है | खेद है कि नेहरू जी ने नेताजीको अपना न तो आदर्श माना और न ही उनकी आदर्श विचारधारा को अपनाया | उसी का दुष्परिणाम सबके सामने है |
  भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रनाथ दामोदरदास मोदी जी ने नेताजी कि विचारधारा को आंशिकरूप से अपनाया है जिसके तहत उन्होने राष्ट्रव्यापी टैक्सचोरी व कालेधन की जमाखोरी का अभियान चलाया है और वह भारतीय सेना को अत्याधुनिक बनाने में कार्यरत् है | उम्मीद है कि भविष्य में श्री मोदी जी नेता जी कि उपरोक्त विचारधारा को भारतीय संविधान एवं कानूनों में संसोधन करवाकर अवश्य क्रियान्वन करेगें| तभी सबका साथ और सबका विकास व नेताजी का मिशन पूरा होगा और तभी भारत विभाजन एवं विनाश की कुटिल राजनीति से मुक्त होगा|
     दोस्तों, नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी का सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी में बीता
और दुर्भाग्य यह है कि देश के कुछ गद्दारों का जीवन उनकी व देश की बर्बादी में बीता|
दोस्तों, वह एक सच्चे हिन्दुस्तानी हैं कि जिनकी बेदाग शख्शियत को हिटलर, तोजो, मुसोलनी जैसे विश्वप्रसिद्ध तानाशाह सैल्यूट करते थे|वह स्वंय में भारतरत्न एवं नोबेल सम्मानित हैं|

आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर समाज और हम

.....................जयहिन्द.....................

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