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नागरिकता संशोधन विधेयक की उदारता -

#जहाँ_शाह_वहां_राह 

नागरिकता संशोधन विधेयक : उदारतापूर्ण साहसिक कदम- 
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- आकांक्षा सक्सेना, न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 







भले ही नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर विपक्ष ने अपने बागी तेवर दिखाए हों पर सच तो यही है कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को भारत की महान उदारतापूर्ण सोच के लिए याद किया जायेगा। वहीं मोदी सरकार को देश की बड़ी से बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए याद किया जायेगा।इस पर देश के गृहमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ नहीं है।

श्री शाह ने कहा कि इस बिल के माध्यम से सकारात्मक रूप से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को शरण में लिया जा सकेगा। एक सदस्य के जवाब में उनका कहना था कि इन तीनों देशों में मुसलमानों पर अत्याचार नहीं होता क्योंकि वहाँ मुसलमान बहुसंख्यक हैं। श्री शाह ने कहा कि देश में इस बिल के द्वारा किसी भी मुस्लिम के अधिकारों का हनन नहीं होगा। अमित शाह ने कहा कि जब देश आजाद हुआ था, यदि धर्म के आधार पर विभाजन न हुआ होता तो आज इस बिल की जरूरत न पड़ती। उनका कहना था कि इस देश का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया इसीलिए बिल में संशोधन की आवश्यकता है।केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत की जमीनी सीमा से सटे तीन देश हैं जिनकी लगभग 106 किलोमीटर की सीमा भारत से सटी हुई है और इन देशों में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के लोग प्रताड़ित होकर भारत में शरण लेने के लिए आते हैं। उनका यह भी कहना था कि आर्टिकल 371 के किसी भी प्रोविजन को यह बिल आहत नहीं करेगा बल्कि उत्‍तर-पूर्व के लोगों की समस्‍याओं का समाधान होगा ।

श्री शाह का कहना था कि पूर्वोत्तर के लोगों की भाषिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान की रक्षा करना हमारी प्रतिबद्धता है।अब हमें मणिपुर को इनर लाइन परमिट के तहत लाया जाएगा और इसके साथ ही सभी पूर्वोत्तर राज्यों की समस्याओं का ध्यान रखा जाएगा। पूरा अरुणाचल, मिजोरम, नागालैंड इनर लाइन प्रोटेक्‍टेड है इसलिए सभी नार्थ-ईस्‍ट के राज्‍यों को चिंता करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद आज 11 दिसंबर 2019 की शाम राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। उच्च सदन में इस बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े, जबकि 105 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। बिल पर वोटिंग से पहले इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजने के लिए भी मतदान हुआ, लेकिन यह प्रस्ताव गिर गया। सेलेक्ट कमिटी में भेजने के पक्ष में महज 99 वोट ही पड़े, जबकि 124 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया।

इसके अलावा संशोधन के 14 प्रस्तावों को भी सदन ने बहुमत से नामंजूर कर दिया। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल ऐक्ट में तब्दील हो जाएगा। इस बिल को सोमवार रात को लोकसभा से मंजूरी मिली थी। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन बिल-2019 में हिन्दू शरणार्थी की भांति संत्रस्त शियाओं को भी भारतीय नागरिकता देने की माँग आल इंडिया शिया पर्सनल ला बोर्ड ने उठाई थी । लखनऊ में रविवार 8 दिसंबर 2019 को संपन्न हुए अपने राष्ट्रीय उलेमा सम्मेलन में माँग की कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान आदि इस्लामी गणराज्यों में मजहबी कट्टरता के शिकार हुए अकीदतमंदों को उदारता से भारत में पनाह दी जाये। इनमें हैं सिख, जैन, पारसी, बौद्ध , इसाई आदि। शरणागत की आदर्श परिपाटी भारत में युगों पुरानी है। रणथम्भौर के हमीरदेव तो सभी को याद हैं। खिलजी से भिड़े पर मंगोल शरणार्थी को संरक्षण दिया। चीनी तानाशाही के शिकार दलाई लामा का भी उदाहरण भी यथार्थ है।

अब ओवैसी जैसे लोग मुस्लिमों को भड़का रहे हैं कि मुस्लिमों की बात क्यों नहीं की तो बता दें कि मुस्लिमों के 57 देश हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं जहां उसका जबरन धर्मपरिवर्तन करा दिया जाता है वरना विश्व में हिंदूओं की आबादी कैसे घट गयी? ये बतायें कि क्या कोई मुसलमान दारुल इस्लाम छोड़कर दारुल हर्ब (शत्रु राष्ट्र) में बसना चाहेगा? कानूनन अंतर करना पड़ेगा घुसपैठियों और शरणार्थी में। नागरिकों में और वोट बैंक में।गौरतलब है कि लोकसभा में शिवसेना ने भाजपा के बिल के पक्ष में वोट दिया। मुंबई में उसके सरकारी साथीजन (कांग्रेस और पवार कांग्रेस) ने बिल का विरोध किया। अचरज तो तब हुआ कि भारत को धर्म के नाम पर विभाजित करनेवाले जवाहरलाल नेहरू की पार्टी वाले अब इस्लामी उग्रता से त्रस्त हिन्दू शरणार्थियों को राहत देने का विरोध कर रहे हैं। वे नजरंदाज कर रहे हैं कि गैरमुस्लिम जन पाकिस्तान आदि 57 मुस्लिम देशों को छोड़कर अन्यत्र कहाँ शरण पायेंगे? सिवाय भारत के?

इस बिल पर अमित शाह ने कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था जिसके अंतर्गत भारत और पाकिस्तान को अपने-अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखना था किंतु ऐसा नहीं हुआ। श्री शाह ने यह भी बताया कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश ने अपने संविधान में लिखा है कि वहां का राजधर्म इस्लाम है।

अमित शाह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी जो 2011 में घटकर 3% रह गई, बांग्लादेश में भी यह संख्या कम हुई। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि उनका अस्तित्व बना रहे और सम्मान के साथ बना रहे। श्री शाह ने बताया कि भारत में मुस्लिम 1951 में 9.8% था जो आज 14.2 3% है जो इस बात का सबूत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। श्री शाह ने कहा कि यदि पड़ोस के देशों में अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना हो रही है, उन्हें सताया जा रहा है तो भारत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता। श्री शाह का कहना था कि भारत में किसी तरह की रिफ्यूजी पॉलिसी की जरूरत नहीं है।

दिल्ली विधान सभा की घटना याद कर लें। तब जनता दल के विधायक मोहम्मद शोएब ने विधान सभा में ऐलानिया तौर पर कहा था, “हम मुसलमान तो किसी भी इस्लामी मुल्क (कुल 51 हैं) में बस जायेंगे। तुम हिंदू लोग भारत से निकाले गये तो नेपाल के आलावा कहाँ ठौर पाओगे ?” मगर अब तो परिस्थितियाँ इतनी दुरूह हो गई हैं कि नेपाल भी कम्युनिस्ट प्रभावित भारत-विरोधी राष्ट्र हो गया है।आये दिन खबर आती रहती है कि ईशनिंदा वाले नृशंस कानून के तहत पाकिस्तान में हिंदू, सिख, इसाई जन की सरे आम लिंचिंग होती है। नमाज अता करते हुए शियाओं की मस्जिद पर बम फोड़ा जाता है। गैर मुस्लिम बच्चियों  का अपहरण और बलात धर्ममातान्तरण कराया जाता है। ऐसी विपत्तियों का इस्लामी गणराज्य में सामना कैसे हो ? उधर पूर्वोत्तर में आशंका बलवती हुई है कि बंगलादेशी हिन्दू आ गये तो आर्थिक तंगी बढ़ सकती है। तो इसका समाधान सरकार खोजे।

यूंँ 1971 में इंदिरा गाँधी ने जनरल टिक्का खां के सताये सारे पूर्वी पाकिस्तानियों (बांग्लादेशियों) को भारतीय नागरिकता प्रदान करके। आबादी का बोझ बढ़ा दिया था। तो प्रश्न उठता है कि गम्भीर स्थिति उपजने पर शेष सताये गये गैरमुस्लिम लोगों को राहत क्यों न मिले?पहलू यहाँ मानवीय है। ये गंगाजमुनी जन गत वर्षों में बर्मा से विस्थापित हजारों रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बसाने के लिए हिंसक हो उठे थे। लखनऊ में मुसलमानों का हुजूम भाला, बर्छी, बल्लम, छूरी आदि से लैस हजरतगंज तक आ गया था। मगर (बांग्लादेश से आये) हिन्दू शरणार्थियों के लिए उनकी हमदर्दी कहीं  नहीं दिखती।इतिहास साक्षी है कि मजहब को सियासत में घालमेल कर मोहम्मद अली जिन्नाह ने भारत को ना सिर्फ़ तोड़ा बल्कि आतंक का बीज बो दिया ।

अब जिन्ना की स्टाइल में शेष भारत फिर न टूटे-कटे। यूं ही चंद खुदगर्ज मुसलमानों के कारण देश बंटा। फिर लम्हों की गलती नहीं होने पाये। ताकि सदियों को सजा न मिले। इस बिल पर देश के गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) बिल 2019 लाखों-करोड़ों शरणार्थियों को नर्कपूर्ण यात्रा जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है।

उन्होंने कहा कि इन देशों के अल्‍पसंख्‍यक नागरिक भारत के प्रति श्रद्धा रखते हुए भारत में आए थे और यह बिल पारित होने के बाद उनको भारत की नागरिकता मिल सकेगी । उनको स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, आवास आदि सुविधा उपलब्‍ध कराई जा सकेगी। श्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल गैर-संवैधानिक नहीं है और न ही आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है। श्री शाह ने यह भी क‍हा कि किसी भी सरकार का यह कर्तव्य है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा करे, देश के अंदर आते हुए घुसपैठियों को रोके तथा शरणार्थी और घुसपैठियों की अलग अलग पहचान करें।

उनका कहना था कि जब एनआरसी लाएंगे, देश में एक भी घुसपैठिया बच नहीं पाएगा। इससे देश घुसपैठिया मुक्त भारत का सपना साकार होगा जिससे देश और भी समृद्ध होगा। इसे देखते हुए देश में यह आशा जतायी जा रही है कि जहां शाह हैं वहां राह है।


विनम्र निवेदन 

भारतीय नागरिकता संशोधन बिल पर किसी के भड़काने में ना आयें। हर भारतीय, भारत का दिल है। अपने देश व देश की सरकार पर भरोसा रखें।... यही सकारात्मक बात लिखकर ट्वीटर पर गृहमंत्री अमित शाह जी की तारीफ क्या कर दी.. महान लोगों ने हमार ट्वीटर एकाउंटवा ही जप लियो... आप लोगन का बहुत-बहुत धन्यवाद🙏💐😊। कोई बात नही लगे रहिये, नफरत की ज्वाला भड़काते रहिये ...सच फिर भी सच रहेगा ।
नोट : [भारतीय नागरिकता संशोधन बिल किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है, किसी भी भारतीय को भटकने व भड़कने की जरूरत नहीं है।कृपया भड़काऊ लोगों की बातों में ना आयें और भारत सरकार पर भरोसा रखें।] 
वंदेमातरम्


यह था हमार ट्वीटर एकाउंट जिसे उपद्रवियों ने जप लिया.. 
आप लोगन का बहुत-बहुत धन्यवाद... इससे ज्यादा आपसे उम्मीद भी क्या थी....
वंदेमातरम् 🙏💐

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