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यूपी चुनाव : पुरानी पैंशन बहाली मुद्दा

यूपी चुनाव - जमीनी हकीकत यह है कि सरकारी शिक्षक अपनी पुरानी पैंशन बुढापे की लाठी के लिए एक लंबे वक्त से संघर्षरत् हैं। सोसलमीडिया पर कई ग्रुपों में उनको पढ़ा, सुना जा सकता है।शिक्षकों की नाराजगी इस बात से है कि ट्विटर पर योगी जी द्वारा न्यूजपेपर कटिंग पोस्ट की जिसमें लिखा है कि शिक्षक कर्मचारी सब संतुष्ट हैं और पुरानी पैंशन पर झूठ बोल रहे अखिलेश। कुछ बुजुर्ग शिक्षकों ने आज मुझे कहा कि मैं उनकी संघर्ष गाथा को इस पेज पर जरूर पोस्ट करूं.. कुछ फोटो के साथ।यह भी कहा कि फेसबुक ग्रुप व गूगल पर सर्च कर लो कि हम सच बोल रहे हैं। पूरा सोसलमीडिया पुरानी पैंशन बहाली के मुद्दे से सराबोर है।उनका तर्क यह है कि जो सांसद सिर्फ़ पांच वर्ष के लिए चुने गये, उनकी पैंशन बढ़ती चली जा रही है और हम शिक्षक हैं जिन्हें उतने ही पैसों में घर बनवाना है बेटियों की शादियां करना है दवा के लिए बचाना है।हमारे घर में सिर्फ़ हम कमाने वाले हैं और दोनों बच्चे बेरोजगार क्योंकि हम जनरल हैं। इसलिये मान्यवर हमारी पुरानी पैंशन बहाली कराई दो बस कछु नही चाही, सरकार। आगे यह भी कहा कि जो खबर योगी जी ने ट्वीटर पर पोस्ट की वह बिल्कुल निरर्थक /गलत है बल्कि यह 'पुरानी पैंशन बहाली मांग' संघर्ष तो वर्षों से बदस्तूर जारी है और सब सरकारें झूठ बोलकर, मुद्दों की पीड़ा को कानों में रूई लगाकर आरोप - प्रत्यारोप करके टालती रहतीं हैं।

हमने पूछा कि आप सभी शिक्षक योगीजी के शासन से खुश नहीं, वह बोले, अरे! हम किसी भी पार्टी के पक्ष व विपक्ष में नहीं है और योगी जी के सब कार्य ठीक रहे हैं चारो ओर सुरक्षा शांति का माहौल रहा पर कर्मचारी पिस रहा है,शिक्षक भर्तियां लटकी पड़ी हैं, हमें हमारी पुरानी पैंशन नहीं मिल रही। रही बात अखिलेश जी कि तो उन्होंने बेरोजगारी भत्ता देकर नेक काम किया था पर उन्होंने भी बीएड वाले प्रशिक्षक बच्चों को नौकरी न देकर शिक्षामित्र भर्ती कर डाले थे। आज जूनियर स्कूलों में प्रत्येक विषय का अलग से शिक्षक नहीं है और तो और कई जगह सिर्फ़ एक सह शिक्षक पर ही कम्पोजिट मतलब प्राईमरी व जूनियर दोनों स्कूलों की जिम्मेदारी लाद दी गई है। व्यायाम शिक्षक हैं ही नहीं और जितने भी बीपीएड थे अब वो सब बच्चे ओवरएज होकर बैठे हैं,चाहे कोई ट्रेनिंग, बीएड करो, बीपीएड करो खर्चा तो होता ही है। कुछ प्रशिक्षित बेरोजगार, कई छोटे-छोटे काम धंधे करने को विवश।इस दिशा में, न सपा ने कुछ किया न भाजपा ने । ऊपर से योगीजी ने झूठी न्यूज पोस्ट करके हम सभी शिक्षकों के गुस्से में उबाल ला दिया है। हम कहां जायें? इसलिए मेरी यह सत्य व्यथा बेटी अपने पेज पर पोस्ट कर दो, बड़ी मेहरबानी होगी।भले हम कमेन्टस न करें पर तसल्ली होगी।

हमने कहा,''चिंता न कीजिए आप, बिल्कुल पोस्ट कर दूंगी। वैसे भी शिक्षकों का स्थान दुनिया में सर्वोच्च है।

नयी और पुरानी पैंशन का अंतर -

पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के मद से पेंशन धनराशि की कोई कटौती नहीं होती है राज्य सरकार भी सेवा के दौरान इसमें कोई अंशदान नहीं करती है। कर्मचारी जब सेवानिवृत्त होता है तो पेंशन का सारा वित्तीय भार सरकार उठाती है। इस पेंशन के भुगतान का प्रबंध सरकार बजट से करती है। वहीं नई पेंशन योजना का उद्देश्य आने वाले सालों में सरकार के कंधे से पेंशन भुगतान का बोझ अस्वीकार करने का है।यह भी सच है कि केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना(एनपीएस)लागू की तो इसे राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया, लेकिन धीरे-धीरे तमाम राज्यों ने इसे अंगीकार कर लिया। यह मामला उन दिनों का है जब प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को 2005 में बंद कर नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की गई थी। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार और राज्य में मुलायम सिंह यादव यानि सपा सरकार थी। अब बात आती है कि योगी जी ने क्या किया तो दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरानी पेंशन बहाली पर विचार कर अपनी रिपोर्ट देने के लिए एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने इस दिशा में बहुत सारे तथ्यों पर काम किया था, लेकिन हड़ताल समाप्त होने के बाद धीरे-धीरे यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। एक अप्रैल 2005 के बाद पुरानी पेंशन बंद योजना राज्य में बंद की गई थी। इसके बाद से जो भी नियुक्तियां हुईं सभी को एनपीएस में लिया गया।

अब जब फरवरी में चुनाव है तो सपा ने पुरानी पेंशन बहाली का ब्रह्मास्त्रत्त् छोड़ बढ़त लेने की पूरी कोशिश की है। हालांकि कर्मचारी वर्ग को जोड़े रखने के लिए चुनाव की अधिसूचना से पूर्व के तीन चार महीनों में भाजपा सरकार ने भी लाखों मानदेय कर्मियों के मानदेय में इजाफा और पुराने बंद भत्तों को बहाल करने के साथ ही कुछ नए भत्ते देने का तोहफा दिया था। अब देखना है दिलचस्प होगा कि बढ़े वेतन व भत्तों तथा पुरानी पेंशन बहाल करने के वादे का असर इस चुनाव को किधर ले जाता है?

खैर, लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। बाकि समय परिस्थितियां तय करेगीं कि यूपी का सीएम कौन होगा। जो भी बने स्वागत है पर जनता संतुष्ट होनी चाहिए । हम यही आशा करते हैं कि जो शिक्षक हैं उनका सम्मान और स्वाभिमान सदा बना रहना चाहिए। चुनाव के नजरिये से कहूं तो यह इस यूपीचुनाव-2022 का सबसे बड़ा मुद्दा है, और यह मुद्दा सपा ने सैट कर लिया तो यूपी सरकारी कर्मचारियों /(शिक्षकों जिनका वोट प्रतिशत बहुत ज्यादा है ग़र एक मुश्त वोट सपा को मिल गया तो जीत के आंकड़े कुछ और ही होगें। इसलिए इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ बीजेपी को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए । 🙏💐

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