सरकारी स्कूलों में दूध वितरण योजना....फ्लॉफ क्यों?
सरकारी दुग्धशाला प्रोजेक्ट
सरकारी स्कूल में बच्चों को दूध मिले..ये योजना सचमुच बहुत अच्छी है पर क्या बच्चों को अच्छा दूघ मिल पा रहा है ..या मिल रहा सिर्फ दूधिया रंग का पानी...और मौसम है गर्मी का....गायें काटी जा रहीं है ..गौवंश,गौ मांस आये दिन पकड़ा जा रहा| भेंस भी खेती किसानी वाले कुछ ही लोग पाल रहे... पाल भी रहे तो बेचारों को मिल क्या रहा हरे चारे के रूप में कैमिकल में डूबे पोधे पत्ते और घास और कपिला पशु आहार ये क्या है...भगवान मालिक..इतना तय है कि कैमिकल ही होगा जब हमारे माँतुल्य गाय,भैंस कैमिकल खायेंगी..सड़कों पर पड़ी पॉलीथीन खायेंगी तो दूध क्या वो जह़र से क्या कम होगा जरा सोचो! तो दूध की कमी पूरी कैसे हो,दूध की गुणवत्ता कैसे बचे...इन सवालों का सीधा सा जवाब है..कि सरकार को सरकारी गौ दुग्ध शाला,सरकारी दुग्ध शालाओं का निर्माण करवाना होगा जिनमें वो भैंस और गायों का पालन किया जाये जो 40 से 50 लीटर तक दूध देती है उनको मंगवाया जाये उनको उनके अनुकूल वातावरण दिया जाये|उनकी सेहत और सुरक्षा का पूरा
ख्याल रखा जाये| एक सरकारी बड़ा प्रोजेक्ट हो जो
सरकारी दुग्ध शाला हो
जिसमें अधिक मात्रा में दूध देने वाली गाय और भैंस हो
जिसमें दुग्ध दुहने वाली मशीने हों..उन मशीनों को चलानेवाले कारीगर रखें जायें
जिसमें गाय भैसों के रखरखाव के लिये कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये
जिसमें सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये|
तब मिल पायेगा सरकारी स्कूल के बच्चों को अच्छा और सही मात्रा में दूध |
इस प्रोजेक्ट से बहुत बेरोजगारों को रोजगार मिल सकेगा जिले में दूध की कभी कमी न होगी
गोबर की एक बड़ी मात्रा खाद के काम आयेगी
गोबर गैस प्लाण्ट भी लगाया जा सकेगा |
इस प्रोजेक्ट से सरकार की सरकारी स्कूलों में दुग्ध वितरण योजना सफल होगी |
सरकार को जनता का प्रेम और विश्वास मिलेगा |
......ये हमको पूरा विश्वास है.........
धन्यवाद .....
आकांक्षा सक्सेना समाज और हम
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