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परिवर्तन भारत : व्यवस्था परिवर्तन









वर्तमान के समस्त अन्यायपीड़ित हिन्दुस्तानियों को चाहिये अपनी पारदर्शी न्यायपालिका की संघात्मक ईश्वरीय कार्यप्रणाली :


          परमहंस श्री रामकृष्णदास जी के शिष्य राजर्षि स्वामी विवेकानन्द जी ने अमरीका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व सर्वधर्म सम्मेलन में मौजूद अमरीका की सभी महिलाओं एवं सभी पुरूषों को, "अमरीका के सभी बहनों एवं भाइयों" सम्बोधित कर "शून्य" विषय पर लगातार 72घंटे व्याख्यान देकर अपने हिन्दुस्तान के रिश्तों, मैत्री एवं सांस्कृतिक सम्बंधों के नैतिक गुण मूल्यों के सत्यवादी हिन्दु धर्म एवं परोपकारी हिन्दू कर्म का विश्वविजयी परचम लहराकर स्वंय को विश्व के सभी धर्मों का विश्वगुरू सिद्ध कर दिया था कि "शून्य " ही बृह्माण्ड है, इसके अंदर ही सबकुछ है, इसके बाहर कुछ नही है | 
       इन्हीं विश्वगुरू राजर्षि स्वामी विवेकानन्द जी के शिष्य एवं वैरिस्टर जानकीनाथ बोस जी के सुपुत्र आई.सी.एस. ऑफीसर टैक्स कलेक्टर एवं आजादहिन्द फौज के मुखिया नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी ने हिन्दुस्तान में डटे 200वर्षों से ब्रिटिश के अंग्रेजों को, जिनसे तत्कालीन हिन्दुस्तानी अन्यायपीड़ित थे, हिन्दुस्तान से निकाल बाहर कर 15अगस्त सन् 1942 को सिंगापुर में हिन्दुस्तान की स्वतंत्रता, आजादी एवं मुक्तता का तिरंगा लहरा 
दिया था | 
   नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस सर्वाधिक हिन्दुओं के हिन्दुस्तान में हिन्दुओं के हिन्दुस्तान की पूर्व निर्धारित एवं पूर्व प्रचलित रिश्तों, मैत्री एवं सांस्कृतिक सम्बंधों के नैतिक गुण मूल्यों के
सत्यवादी हिन्दुधर्म की एवं परोपकारी हिन्दु कर्म की, नेक नियति एवं नेक नीति की एवं कालेधन की बसूली की एवं निरापराधीकरण व रोजगारीकरण की तथा सबके साथ एवं सबके विकास की पारदर्शी एवं न्यायी लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था संचालन की, प्रगति के न्याय की, न्यायपालिका की संघात्मक ईश्वरीय कार्यप्रणाली क्रियान्वित करवाना चाहते थे | 
       नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी की इसी लोकप्रियता एवं न्यायप्रियता से सर्वाधिक वैरिस्टर जवाहरलाल नेहरू एवं वैरिस्टर मोहनदास करमचन्द्र गाँधी घबराते थे | 
       इसीलिये वैरिस्टर जवाहरलाल नेहरू ने अपने पूर्वनियोजित धोखाधड़ी के अपराधिक षडयन्त्र के तहत नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी को द्वितीय विश्व गृह युद्ध अपराधी घोषित करवाकर उन्हें मरवाने एवं पकड़वाने के लिये गिरफ्तारी वारण्ट जारी करवा दिया परन्तु नेताजी किसी के भी पकड़ में नही आये |
       वैरिस्टर जवाहरलाल नेहरू ने, वैरिस्टर मोहनदास करमचन्द्र गाँधी के द्वारा हिन्दुस्तान का विभाजन एवं विनाश करवा दिया और इसके बाद नाथूराम गोडसे के द्वारा वैरिस्टर मोहनदास करमचन्द्र गाँधी की हत्या कर दी गयी  | अवसर पाकर वैरिस्टर जवाहरलाल नेहरू हिन्दुस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री बन बैठे और बीसियों वर्षों तक नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी की जासूसी करवाते रहे और आजीवन
नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी के हिन्दुस्तान वापसी की आशंका से घबराते रहे | वैरिस्टर जवाहरलाल नेहरू ने हिन्दुस्तान को मिलने वाली विश्व की संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता प्राप्त न कर, इसे चीन को प्राप्त करवा दी और वह हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा लगाते रहे | वह अपने पूर्वनियोजित घोखाधड़ी के अपराधिक षडयंत्र के तहत,
अपनी बदनियति एवं बदनीति की, टैक्सचोरी एवं कालेधन के जमाखोरी की, अपराधीकरण एवं बेरोजगारीकरण की तथा सबके विभाजन एवं सबके विनाश की, अपारदर्शी एवं अन्यायी अलोकतांत्रिक राज व्यवस्था संचालन की विधायिका की संसदीय कार्यप्रणाली क्रियान्वित करवा दी और अपने असत्यवादी धर्म निज स्वार्थी कर्म को क्रियान्वित करवा दिया जिसमें रिश्तों, मैत्री एवं सांस्कृतिक सम्बंधों के नैतिक गुण मूल्य नही हुआ करते | इस षडयंत्र को कोई भी हिन्दुस्तानी अब तक नही समझ पाया| 
इसके दुष्प्रभाव एवं दुष्परिणाम से वर्तमान में समस्त हिन्दुस्तानी अन्याय पीड़ित हैं | जिन्हें अब यह विधायिका की संसदीय कार्य प्रणाली की एवं ऐसे धर्म- कर्म की कतई जरूरत नही है| वर्तमान के सभी अन्यायपीड़ित हिन्दुस्तानियों को अपने हिन्दुस्तान की पूर्व निर्धारित एवं पूर्व प्रचलित रिश्तों, मैत्री, सांस्कृतिक संम्बधों के नैतिक गुण मूल्यों के सत्यवादी हिन्दू धर्म एवं परोपकारी हिन्दु कर्म की नेकनियति एवं नेक नीति की , कालेधन की बसूली की, निरापराधीकरण एवं रोजगारीकरण के  तथा सबके साथ एवं सबके विकास की पारदर्शी एवं न्यायी लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था संचालन की, प्रगति के न्याय की, न्यायपालिका की संघात्मक ईश्वरीय कार्यप्रणाली का क्रियान्वन हिन्दुस्तान में चाहिये और इसी कार्यप्रणाली की समस्त अन्यायपीड़ित हिन्दुस्तानियों को जरूरत है |
      इस वास्ते हिन्दुस्तान के वर्तमान सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश को हिन्दुस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री से अपनी मूल बुनियादी सहायता के लिये हिन्दुस्तान का अपना नेक व एक सर्वोच्च मुख्य सहायक न्यायाधीश एडवोकेट गवर्नर जनरल हासिल करना चाहिये जिससे कि सभी अन्यायपीड़ित हिन्दुस्तानियों के करोड़ों विवादित मामले त्वारित एवं पारदर्शिता से निर्णीत किये जा सकें और समस्त अन्यायपीड़ित हिन्दुस्तानियों को पारदर्शी न्याय प्राप्त हो सके| हिन्दुस्तान का आंतरिक एवं बाहरी आतंकवाद, भ्रष्टाचार, दुराचार, व्यभिचार एवं बलात्कार जैसे अपराधीकरण का तथा बेरोजगारीकरण का और सबके विभाजन एवं सबके विनाश का तथा विधायिका की संसदीय कार्यप्रणाली का अंत हो सके | समस्त हिन्दुस्तानियों का भरोसा अपनी न्यायपालिका पर बना रह सके | समस्त अन्यायपीड़ित हिन्दुस्तानियों को अब सत्ता परिवर्तन नही बल्कि व्यवस्था परिवर्तन चाहिये |
        


आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'

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