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इंसानियत सिर धुनती रही.......





इंसानियत सिर धुनती रही.......

आदमी ठगा सा देखता रहा। 
जमीर, धन - बल से बिका और
 इंसानियत सिर धुनती रही।

- ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 




जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो निश्चित तौर पर मुजफ्फरपुर जैसा कांड जगजाहिर हो जाता है।ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब कहीं न कहीं किसी बेटी की आह न गूंजती हो। आज महिलाओं के साथ हर रोज़ जो ऐसी घटनाएं सामने आ रही है, वे इस बात का संकेत हैं कि भारतीय समाज में लैंगिक भेदभाव की जड़ें अब तक हिल नहीं पा रही हैं। दिल्ली में वर्ष 2010 में हुए महिलाओं के साथ होने वाले सर्वे के अध्ययन में पाया गया कि पिछले एक साल में कम से कम 66 % महिलाओं ने हर तीसरेे दिन यौन उत्पीड़न का सामना किया है।पिछले दशक में महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के कम से कम 2.24 मिलियन मामले दर्ज किये गये हैं। प्रति घंटे महिलाओं के खिलाफ़ अपराध के  हर दो मिनट में एक रिपोर्ट दर्ज होती है।किसी भी महिला पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से शारीरिक या मानसिक रुप से चोट पहुंचाना  “महिलाओं के खिलाफ अपराध”कहलाता है। विशेष रुप से महिलाओं के खिलाफ़ किया गये अपराध एवं जिसमें पीड़ित केवल महिलाएं ही बनती हैं उसे ही “महिलाओं के खिलाफ़ अपराध” के रुप में वर्गीकृत किया गया है।
उपरोक्त आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले पांच सालों में महिलाओं पर डेढ़ गुणा तक अपराध बढ़ गए हैं। इनमें अपराधों पर दुष्कर्म से लेकर छेड़छाड़ तक शामिल हैं। 


हम सभी को  राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान ब्यूरो की नवीनतम जानकारी के अनुसार वर्ष  2015 के दौरान देश में बलात्कार के 34,651मामले दर्ज किए गए और जिनमें सबसे दुखद या कहूँ लानत है कि हमारे देश जहां शक्ति पूजा का विधान जहां नौ दिन कन्या पूजन किया जाता और नवरात्रि साल में दो बार आती है तो हो गये पूरे 18 दिन जिस देश में कन्याओं का पूजन हो वहां यह बात खंजर की तरह धंस रही है कि हमारे भारत में रोज़ 92 बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर यह आंकड़े कितने सही हैं यह तो प्रतिदिन प्रकाशित होने वाली खबरों से हम और आप बखूबी समझ सकते हैं।विडंबना देखिए कि वोमेन्स प्रोटेक्शन,शेल्टर हाउसेस (आश्रय ग्रह) ,ओल्ड वीमेन हाउसेस कही भी कोई सुरक्षित नही जबकि इन घरों की देख भाल के लिए भी महिलाओं का ही अपॉइंटमेंट होता पर यह सब भी तमाशाई बनी रहतीं हैं शायद इसलिए की वहां उन शेल्टर्स हाउसेस में उनकी अपनी बहू बेटियां नहीं होतीं।यहां यही कहना चाहूंगी कि दुष्कर्म चाहे किसी भी जगह, किसी भी धर्म की बेटी के साथ हो पर 'है तो वह बेटी ही न' फिर आज तो दुष्कर्म पर भी सियासत हो जाती है। इससे ज्यादा शर्मिदगी की बात और क्या होगी। 



 आज जब लड़कियां घर से बाहर कदम रखती है तो घर की इज्जत उनके पास होती है लेकिन वही जब तार तार हो जाए तो उनके पास मौत को गले लगाने के अलावा कोई चारा नही बचता। वही उन्हें उचित दिखाई पड़ता है क्योंकि उनके पास समाज में सामना करने की शक्ति यौन शोषण के कारण क्षीण हो जाती हैं ऐसे में कुछ लड़कियां ऐसे कामों में उतर जाती हैं जिसे वेश्यावृत्ति भी कहते हैं लोग ऐसे धंधे में डालकर भी कमाने की चाहत रखते हैं उसी चाहत में मुजफ्फरपुर में आवासीय बालिका छात्रावास के तहत रेप कांड करवा डाला जब यह काम सामने आया तो पूरा देश सहम गया यदि इस कांड की कुछ सच्चाई देख ले तो सामान्य व्यक्ति के श्वासें भी थम सकती है क्योंकि छोटी-छोटी बच्चियों को यौन शोषण के रूप में यूज किया गया विरोध करने पर प्रताड़ना दी गई सच की दस्तक टीम आपको इस हृदयविदारक घटना से रूबरू करा रही है। 


    11 साल की एक लड़की ने एक वहशी को 'तोंदवाला अंकल' तो एक दूसरी लड़की ने एक दूसरे दरिंदे को 'मूंछ वाला अंकल' के रूप में पहचाना। एक दूसरी लड़की ने कहा कि जब तोंदवाले अंकल या नेता जी आते थे तो किसी को आस-पास आने नहीं दिया जाता था। ब्रजेश ठाकुर सेवा संकल्प और विकास समिति नाम के एनजीओ का संचालक है। यही एनजीओ मुजफ्फरपुर में बालिका गृह का संचालन करती है। पीड़ित लड़कियां इस शख्स से इतनी नफरत करती थी कि एक लड़की ने तो ब्रजेश ठाकुर के तस्वीर पर थूका तक। 10 साल की एक लड़की ने कहा, "जब भी हम उसकी बात नहीं मानते वो हमें छड़ी से पीटा करता था।" 14 साल की एक लड़की बताती है, "सभी लड़कियां डर से कांपने लगती थीं, जब वो हमारे कमरे में आता था, वो हंटरवाला अंकल के नाम से जाना जाता था।" 10 साल की एक बच्ची बताती है, "उसका रेप करने से पहले कई बार उसे ड्रग दिया जाता था।" लड़की कहती है कि जब वो जागती तो उसे उसके निजी अंगों में दर्द महूसस होता, प्राइवेट पार्ट में जख्म होता। लड़की ने अपनी पीड़ा बताई, "मैंने किरण मैडम को इस बारे में बताया, लेकिन वो सुनती ही नहीं।" सात साल की एक लड़की जिसका यौन शोषण किया गया था ने कोर्ट को बताया कि जो भी मालिक के खिलाफ बोलता उसे बांस की छड़ियों से पीटा जाता। पुलिस ने इस मामले में ब्रजेश ठाकुर, नेहा कुमारी, किरण कुमारी समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया है। 



मुज़फ़्फ़रपुर कांड का आरोपी ब्रजेश ठाकुर 



यह सुनकर ही हृदय कांप उठता है कि सात साल की मूक एक लड़की को दो दिनों तक भूखा रखा गया। 10 साल की एक दूसरी लड़की ने बताया कि उसके निजी अंगों में जख्म पड़ गये थे। इस पीड़िता ने कहा, "मेरे साथ एनजीओ के लोगों ने और कुछ बाहरी लोगों ने कई बार रेप किया.मैं कई दिनों तक चल नहीं पा रही थी।" पीड़ित लड़कियां बताती है कि कई बार रात को लड़कियों को शेल्टर होम से बाहर ले जाया जाता था, वो अगले दिन लौटती थीं। इन लड़कियों को कुछ पता नहीं होता था कि उन्हें कहा ले जाया जा रहा है। 11 साल की एक लड़की ने एक वहशी को 'तोंदवाला अंकल' तो एक दूसरी लड़की ने एक दूसरे दरिंदे को 'मूंछ वाला अंकल' के रूप में पहचाना। एक दूसरी लड़की ने कहा कि जब तोंदवाले अंकल या नेता जी आते थे तो किसी को आस-पास आने नहीं दिया जाता था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित लड़कियों ने राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष दिलमणि मिश्रा को बताया कि बालिक गृह से हर चार दिन बाद उन्हें नशे की हालत में बाहर ले जाया जाता। वो कहां जाती उन्हें कुछ पता नहीं था। लड़कियां बताती हैं कि जब उनकी नींद खुलती तो वे गुस्से से भर जाती मगर कुछ कर नहीं पाती थी। 



      अब अपनी इज्जत बचाने के लिए संसद में उठे प्रश्नों को देखते हुए बिहार सरकार ने इसे सीबीआई जांच कराने के लिए सिफारिश कर दी गई है। मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले रहने वाली  44 लड़कियों में से 42 का मेडिकल कराया गया था। 29 लड़कियों के साथ रेप की पुष्टि हुई है। मंगलवार को डीजीपी केएस द्विवेदी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मामले की जांच सही दिशा में जा रही है। सीबीआई जांच की जरूरत नहीं लग रही है। डीजीपी ने कहा कि समाज कल्याण विभाग की ओर से जैसे ही बालिका गृह में हो रहे अपराध की रिपोर्ट मिली। पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया।  मामले में 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। बालिका गृह के संचालक बृजेश ठाकुर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दिलीप वर्मा नाम का एक आरोपी फरार है। उसकी तलाश की जा रही है। डीजीपी ने कहा कि बालिका गृह से बच्चियों के गायब होने की जानकारी मिली थी, लेकिन वेरिफिकेशन में ऐसा कुछ नहीं मिला। 2013 में नवंबर- दिसंबर माह के बीच 4 लड़कियां बालिका गृह से फरार हुई थी। एक लड़की थी, जिसके बारे में कोई सूचना नहीं थी। मुजफ्फरपुर पुलिस ने उस लड़की की तलाश कर ली है। उसकी शादी हो चुकी है और वह अपने ससुराल में रह रही है। चार और बालिका गृह में भी गड़बड़ी डीजीपी ने कहा कि मुजफ्फरपुर के अलावा गया, मुंगेर, भागलपुर और मोतिहारी के बालिका गृह में भी गड़बड़ी की बात सामने आई है। पुलिस जांच कर रही है। इन जगहों पर बच्चियों को रात में बंद कर रखा जाता था। बालिका गृह की पूरी व्यवस्था बदली जा रही है। राज्य सरकार से गार्ड के रूप में ट्रांसजेंडर को रखने का सुझाव आया है। इस पर विचार किया जा रहा है।



 समाज कल्याण विभाग के सचिव अतुल प्रसाद ने कहा कि बालिका गृह की स्थिति जानने के लिए सोशल ऑडिट कराया गया था। इसमें मुजफ्फरपुर मामले का खुलासा हुआ। मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण का विरोध करने पर एक किशोरी की हत्या कर उसके शव को दफनाए जाने के आरोप की सच्चाई  जानने के लिए सोमवार को मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के आवासीय परिसर की प्रशासन ने खुदाई कराई। विशेष पॉक्सो कोर्ट के आदेश पर मजिस्ट्रेट शीला रानी की देखरेख में बॉबकट मशीन से ब्रजेश के घर के सामने के खुले परिसर में टंकी के पास दो जगहों पर खुदाई हुई। पुलिस को किसी भी किशोरी के शव का अवशेष नहीं मिला।इसके बाद एसएसपी  ने महिला थानेदार को खुदाई में निकली मिट्‌टी का नमूना जब्त करने का निर्देश दिया। इस मिट्‌टी की एफएसएल से जांच कराई जाएगी। एफएसएल रिपोर्ट से हकीकत सामने आ पाएगी। सुबह साढ़े 11 बजे मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारी पूरी टीम के साथ पहुंचे। बालिका गृह की तीन किशोरियों को पुलिस साथ लेकर आई थी। एक किशोरी ने सोख्ता टंकी व सबमर्सिबल  के पास लाश दफन होने की बात बताई। मशीन से उस स्थल पर दो बार खुदाई कराई गई। एसएसपी ने बताया कि धारा-164 के बयान में तीन किशोरियों ने कहा था कि यौन शोषण के विरोध करने के बाद एक किशोरी बालिका गृह में मर गई थी जिसे परिसर में ही टंकी और पेड़ के पास दफनाया गया था। इसी बयान पर कोर्ट के आदेश से खुदाई कराई गई। ऐसे इस कांड में मीडिया के प्रेशर के आगे बिहार सरकार समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया इस्तीफा देने के बाद मीडिया के सामने आने पर उन्होंने कहा कि मेरा पति निर्दोष है लेकिन उनकी जुबान से बालिकाओं के लिए एक भी शब्द नहीं कहा गया।यही तो बात है कि ऐसे ही रक्षक बनेे भक्षक लोगों सेे आज इंसानियत शर्मसार है। सोचती हूँ तो यही सोचती हूँ कि गरीबी और बेबसी बुरी है या बुरी है लोगों की सोच। उन मासूम बच्चियों पर क्या गुजरती होगी। आज एक फिल्म की गलत पटकथा पर पूरे देश में आगजनी कोहराम मच जाता है वहीं बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर किसी का दिल नही पसीजता। कुुछ चुनावी मुद्दों पर महिला नेता सांसद में हंगामा मचा देती हैं पर इन सब दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए क्यों जंतर-मंतर पर आकर आवाज़ नही उठातीं। क्यों नहीं आवाज़ बनती हम सब महिलााओं कि दुष्कर्म और यौन शोषण केे गुनहगारों को फांसी का कानून सख्त हो जिससेे समाज में यह गुनाह करने से पहले गुनाहगार हजार बार सोचे!! 




      कभी ज्ञान और शिक्षा का केन्द्र माने जाने वाले राज्य बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड सामने आने के बाद यूपी के देवरिया में भी इसी तरह का घिनौना मामला सामने आया है। जिसके बाद पूरे राज्य में हड़कंप मचा हुआ है। यहां बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से अभी 18 लड़कियां गायब हैं। इस पर दोनों सदनों में भी काफी हंगामा हुआ है।मामले को लेकर हंगामे की वजह से सभापति को सदन 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। सदन के पटल पर दस्तावेजों और बयान रखे जाने के तुरंत बाद सभापति एम.वेंकैया नायडू ने सदस्यों के आचरण के संबंध में कुछ टिप्पणियां की। जिस पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि ऐसी घटना दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है। इसके साथ ही योगी सरकार को बधाई देते हुए राजनाथ ने कहा कि सीएम ने मामले की जानकारी मिलते ही संबंधित विभाग और अधिकारियों पर कार्रवाई की है। आप सोच रहे होगें कि बाल यौन हिंसा से बचाने वाला क़ानून (पॉस्को) से सब सुलझ जायेगा जो वर्ष 2012 में बना।  लेकिन इसके तहत पहला ही मामला दर्ज होने में दो साल लग गए। साल 2014 में नए क़ानून के तहत बाल शोषण के 8904 मामले दर्ज किए गए लेकिन उसके अलावा इसी साल नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो ने बच्चों के बलात्कार के 13,766 मामले; बच्ची पर उसकी लज्जा भंग करने से हमला करने के 11,335 मामले; यौन शोषण के 4,593 मामले; बच्ची को निर्वस्त्र करने के इरादे से धन बल का प्रयोग के 711 मामले; घूरने के 88 और पीछा करने के 1,091 मामले दर्ज किए गए थे।ये  आंकड़े यह बताने के लिए काफी है कि बाल यौन शोषण के अधिकतर मामलों में पॉस्को लगाया ही नहीं गया। इस पर बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि उस कानून में अमल और सज़ा दिलाने की दर में भारी अंतर है। इस पर केवल 2.4 प्रतिशत मामलों में ही अमल हुआ है। यहां यही कहना न्याायसंगत होगा कि हमारे देश मेंं कानून तो अच्छे हैं पर उनका सख्ती से क्रियान्वयन नही होता। मुजफ्फरपुर और देवरिया अपहरण, यौन शोषण व हत्या के विषय में  सीबीआई जांच चल रही है  आज पूरे देश की नजरें न्याय के सिंहासनों पर बैठे पदाधीशों पर टिकी है जिसपर सुप्रीम कोर्ट की भी भृकुटी तनी हुई है। रिजल्ट क्या आता है यह देखना होगा। 
अंत में  यही  कहना चाहूँगी कि आदमी ठगा सा देखता रहा। जमीर, धन - बल से बिका और इंसानियत सिर धुनती रही।

- ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 


Published in National Magazine Sach ki dastak, varanashi.






। वंदेमातरम्।। 

4 comments:

  1. बेहद मार्मिक लेख सच में समय आ गया कड़े कदम उठाने होंगे कब तक बेटियां इन हैवानों का शिकार बनती रहेंगी दिल दहला देने वाली घटना मुजफ्फरपुर की

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  2. तथाकथित सभ्य समाज का वास्तविक चेहरा...।
    दरिंदगी की कोई जाति, कोई धर्म नहीं होता। अमानवीय व्यवहार और कर्म इंसान को पतन की तरफ ले जाते हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं हुआ कि हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें, और मतलब यह भी कदापि नहीं होता कि किसी घृणित घटना का फोटोग्राफी/विडियोग्राफी ही करें। अपने आपको कष्ट में डालकर भी दुष्ट के चंगुल में फँसे हुए की सहायता करना ही सभी धर्म हमें सिखलाते हैं।
    और यहाँ तो धर्म की बात ही नहीं है। वर्षों तक जिस नारीरूप देवी की पूजा करते हैं, उपवास रखते हैं, विपदा के समय बहुत लोग सिर्फ़ फोटोग्राफी करते हैं।
    उन दुर्बुद्धि की बात मैं नहीं करूँगा जिन्हें आपके लेख में छोटी बच्ची ने फलाँ-फलाँ अंकल कह कर संबोधित किया है, क्योंकि ये सिर्फ़ दंड के पात्र हैं, लेखों और रचनाओं में उल्लेखित करने के नहीं।😥

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