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अपूरणीय क्षति - नहीं रहे हरदिल अजीज अटल जी

साहित्य से लेकर राजनीति के गलियारों तक हरदिल अजीज हैं अटल-



वास्तव में हमारे देश की लाठी कमजोर नहीं है,
 वरन् वह जिन हाथों में है, वे कांप रहे हैं।

- अटल बिहारी वाजपेयी 





अटल जी ने कहा था कि विपक्ष को सुनना चाहिये और अपनी बहस में जनता का भी ध्यान रखना चाहिए जिसने हमें यहां तक भेजा है। अटल जी एक महान तवि और लेखक के रूप में प्रासंगिक हैं। कौन भूल सकता है 28 मई 1996 का वो दिन आज भी हर किसी को याद है कि जब लोकसभा में सभी सदस्‍यों के बीच पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि सरकारें आएंगी, सरकारें जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, लेकिन देश का लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए। भारत का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।


अटल की यह सरकार सिर्फ 13 दिन ही चली थी। उस वक्‍त भले ही विपक्ष ने उनकी बातों का मजाक उड़ाया था, लेकिन इसके बाद भी उनकी काबलियत और इमानदारी पर विपक्ष भी कभी सवाल खड़ा नहीं कर सका। राजनीति के मैदान में वह न सिर्फ नाम से बल्कि कर्म से भी अटल ही रहे। यह उनका व्‍यक्तित्‍व ही था जिसके चलते कोई उनकी बात को काटने की हिम्‍मत नहीं करता था। यही वजह है कि राजनीति में करीब छह दशक गुजारने के बाद उनका दामन आज भी साफ है। अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिक शुचिता, प्रामाणिकता, वाकपटुता और लोगों के बीच जगह बनाने की कला की अनूठी मिसाल हैं।



अटल जी ने देश को विकास की एक नई राह दिखाई थी। यह कहना गलत नहीं होगा कि जहां देश में उस वक्‍त जाति, धर्म और क्षेत्र की राजनीति चरम पर होती थी उन्‍होंने उस वक्‍त अपने एजेंडे में विकास की राजनीति को शामिल कर एक नए युग का आरंभ किया था। 1990 के अंतिम वर्षो और नई शताब्दी के शुरुआती वर्षो में जब अटलजी ने देश के नेतृत्व किया तो विकास और सुशासन को राजनीतिकी न सिर्फ एजेंडा बनाया बल्कि एक ऐसा मापदंड तय कर दिया जिससे अब हर राजनेता को होकर गुजरना ही पड़ता है। यह अटल जी की ही देन है कि लोग आज सुशासन और विकास को बड़ा मुद्दा मानकर वोट कर रहे हैं।


       अटल और लाल कृष्‍ण आडवाणी की दोस्‍ती कभी किसी से छिपी नहीं। उन्‍होंने ही नवंबर 1995 में पार्टी के मुंबई अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री उम्‍मीद्वार बनाने की घोषणा की थी। आडवाणी खुद अटल की तारीफ करते हुए नहीं थकते हैं। 1996 के लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी और अटल जी देश के प्रधानमंत्री बने। यह सरकार ज्यादा दिन न चल सकी क्योंकि भाजपा के पास बहुमत के लिए जरूरी सांसद नहीं थे। सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव पर अटलजी ने जोरदारभाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा, मैं भ्रष्टाचार को चिमटे से भी नहीं छूना चाहूंगा। अटलजी ने एक बार फिर 1998 से 2004 तक राजग सरकार का नेतृत्व किया।



अटलजी ने 2002 में गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश का उप प्रधानमंत्री बना दिया। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने एक कार्यक्रम में अटलजी को विकास पुरुष और लालकृष्ण आडवाणी को लौह पुरुष की संज्ञा दी थी।अटल के छह साल के इस कार्यकाल ने भारतीय राजनीति की दिशा ही बदल दी। अटल बिहारी वाजपेयी ने सबसे पहले एक स्थिर सरकार दी जो उस समय की पहली जरूरत थी।


भाजपा ने चुनाव ही इस मुद्दे पर लड़ा था कि वह एक स्थिर सरकार और योग्य नेतृत्व देश को देगी। लोगों ने इस संकल्प को सच मानते हुए अटलजी के नेतृत्व में भाजपा को देश की सबसे बड़ी पार्टी बना दिया। अटल सरकार ने कई ऐसे काम किए जो अपने आप में मिसाल बन गए। वाजपेयी सरकार ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए। कई देशों ने अमेरिका की अगुवाई में देश पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए, लेकिन अटल सरकार के कारण इनका कोई भी असर देश के जनमानस पर नहीं हुआ। भारत की बढ़ती ताकत को देखते हुए पहले अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन और फिर दूसरे राष्ट्रध्यक्ष भारत के दौर पर आए और तमाम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। अटलजी के कार्यकाल में किए गए आर्थिक सुधारों द्वारा देश की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हुई। बड़े पैमाने पर रोजगारों का सृजन हुआ। आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 6-7 फीसद हो गई जिसका लाभ नीचे तक पहुंचते हुए दिखाई दिया।


देश में विदेशी निवेश बढ़ा, आधारभूत सुविधाएं बढ़ीं और भारत एक आईटी सुपरपॉवर के रूप में भी उभरा।सरकार ने कई टैक्स सुधार किए, बड़ी सिंचाई और आवासीय योजनाएं शुरू की गईं। पूरे देश में और खासतौर पर मध्यवर्ग के जीवन स्तर में बदलाव साफ दिखाई देने लगा। लोगों को विकास और सुशासन अपने आस-पास होता दिखाई दिया। देश के हर हिस्से को जोड़ने के लिए एक बहुत ही महात्वाकांक्षी परियोजना स्वर्णिम चतुभरुज की शुरुआत की गई जिसके तहत दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई को चार लेन सड़कों से जोड़ा गया। इससे अर्थव्यवस्था को बहुत लाभ हुआ। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क रोजगार योजना के तहत हर गांव को सड़क से जोड़ा गया।


सर्वशिक्षा अभियान के तहत सभी बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराई गई। किसानों, युवाओं, महिलाओं, कामगारों के लिए बहुत सी अलग-अलग योजना शुरू की गई। इस तरह अटलजी ने भारत में सुशासन की राजनीति की शुरुआत की। उनका कहना था कि सुशासन की राजनीतिक करते समय लोगों की सेवा और राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए।


अटलजी ने कहा करते थे कि दोस्त बदले जा सकते हैं पड़ोसी नहीं। इसी नीति का पालन करते हुए उन्होंने पाकिस्तान से दोस्ती का हाथ बढ़ाया। भारत-पाकिस्तान के बीच बस सेवा शुरू की। अटलजी पहली बस लेकर खुद लाहौर गए, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकत से बाज नहीं आया और उसने भारत के कुछ इलाकों पर कब्जा कर लिया।


वाजपेयी सरकार ने इस का मुंह तोड़ जवाब दिया और कारगिल की लड़ाई में जीत हुई। 2005 में अटलजी ने राजनीतिक जीवन से सन्यास ले लिया। 2014 में भारत सरकारने उन्हें भारत रत्न देने का निश्चय किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी खुद उनके घर भारत रत्न से सम्मानित करने गए। भारत सरकार ने अटलजी के 25 दिसबंर को अब सुशासन दिवस के रूप में मनाती है।


 एक जननायक,सांसद,ओजस्वी वक्ता, लेखक,विचारक, पत्रकार होने के साथ जब अवसर आया तो अटलजी ने विकास और सुशासन की एक नई इबारत लिखी। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री अटलजी ने पोखरण में अणु-परीक्षण करके संसार को भारत की शक्ति का एहसास करा दिया। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले तथा उसे पराजित करने वाले भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए अटल जी अग्रिम चौकी तक गए थे।


उन्होंने अपने एक भाषण में कहा था - 'वीर जवानो! हमें आपकी वीरता पर गर्व है। आप भारत माता के सच्चे सपूत हैं। पूरा देश आपके साथ है। हर भारतीय आपका आभारी है।' अटल जी को उनके महान कार्यों के लिये अनेकों सम्मान ने नवाजा गया जिसमें  25 जनवरी, 1992 को उन्हें पद्‍मविभूषण से अलंकृत किया गया। 28 सितंबर, 1992 को उन्होंने उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान ने 'हिंदी गौरव' के सम्मान से सम्मानित किया। 20 अप्रैल 1993 को उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय ने मानद डी.लिट्‍ की उपाधि प्रदान की। 1 अगस्त 1994 को वाजपेयी को 'लोकमान्य तिलक सम्मान' पारितोषिक प्रदान किया गया जो उनके सेवाभावी, स्वार्थत्यागी तथा समर्पणशील सार्वजनिक जीवन के लिए था। 17 अगस्त, 1994 को संसद ने उन्हें सर्वसम्मति से 'सर्वश्रेष्ठ सांसद' का सम्मान दिया।


उनकी प्रसिद्ध रचनायें निम्नवत् हैं-
1. मृत्यु या हत्या 2. अमर बलिदान 3. कैदी कविराय की कुंडलियाँ 4. न्यू डाइमेंसन ऑफ फॉरेन पॉलिसीज 5. लोकसभा में अटल जी 6. अमर आग है 7. मेरी इक्यावन कविताएँ 8. कुछ लेख, कुछ भाषण 9. राजनीति की रपटीली राहें 10. बिन्दु-बिन्दु विचार 11. सेक्युलरवाद 12. मेरी संसदीय यात्रा 13. सुवासित पुष्प 14. संकल्प काल 15. विचार बिंदु 16. शक्ति से शांति 17. न दैन्यं न पलायनम् 18. अटल जी की अमेरिका यात्रा 19. नई चुनौती : नया अवसर।
अटल जी के लेख और कविताएँ राष्ट्र धर्म, पाञ्चजन्य, नई कमल ज्योति, धर्मयुग, कादम्बिनी, नवनीत आदि में प्रकाशित हुए हैं। बता दें कि अटल जी 11वीं लोकसभा में लखनऊ से सांसद के रूप में विजयी हुए और भारतीय लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने। राष्ट्रपति महोदय ने उन्हें 16 मई, 1996 को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई, किंतु उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के कारण 28 मई, 1996 को स्वयं त्यागपत्र दे दिया।

     सन् 1998 के चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। चुनावों के पूर्व उसने देश की अन्य कई पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को राष्ट्रपति महोदय ने सरकार बनाने के लिए उपयुक्त पाया और अटलजी को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया। अटल जी ने 19 मार्च 1998 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
13 अक्टूबर 1999 को अटल जी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और इस सरकार ने अपना पाँच वर्षों का कार्यकाल पूरा किया ।

अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय में हुआ 
सफल परमाणु परीक्षण 

पोखरण फोटो

अटल बिहारी वायपेयी के अटल इरादों का ही नतीजा है कि भारत आज परमाणु विश्वशक्तियों में शुमार है जो
20 साल पहले मई 1998 में ही भारत ने पोकरण में पांच ऐटमी परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था।
 भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया था। लेकिन इस परीक्षण के बाद अटल बिहारी वायपेयी वाजपेयी ने जय विज्ञान जोड़कर इस नारे को नया क्षितिज दिया। 


        आज इस महान व्यक्तित्व के लिये सभी दुआ कर रहे हैं कारण कि उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के कारण उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया।अस्पताल की ओर से रात पौने ग्यारह बजे जारी स्वास्थ्य बुलेटिन में एम्स ने कहा है कि वाजपेयी को लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और किडनी संबंधी दिक्कतों के बाद भर्ती कराया गया। जांच में उन्हें यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन निकला है।डाक्टरों ने बताया  कि वाजपेयी का उचित इलाज किया जा रहा है और उन्हें डॉक्टरों की एक टीम की निगरानी में रखा गया है। इससे पहले अस्पताल ने बताया था कि लंबे समय से बीमार चल रहे वाजपेयी को नियमित जांच और परीक्षण के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।पिछले कई दिनों से उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी लेकिन अचानक जब पूरा राष्ट्र 72 वां स्वतंत्रता दिवस मना कर खाली हुआ था तब शाम के समय 15 अगस्त को ही अस्पताल की ओर से जारी बयान मैं बताया गया कि  पूर्व प्रधानमंत्री  अटल बिहारी वाजपेई की  तबीयत अचानक काफी बिगड़ गई है  ऐसा सुनते ही भागे-भागे देश के प्रधानमंत्री पहुंचे और डॉक्टरों से बात की  शाम के समय  एक बार पुनः बुलेटिन जारी करते हुए एम्स ने बताया कि अटल जी की तबीयत काफी नाजुक अवस्था में चली गई है ओने लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम 93 वर्षीय नेता के स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण कर रही है। 16 अगस्त शाम  5:05 पर  पूर्व प्रधानमंत्री  अटल बिहारी बाजपेई ने  अपनी अंतिम सांस ली।




इस बार मौत ने अटल पर विजय पा ली।  जिससे भारत देश में  एक कुशल सपूत खो दिया । वह राजनीति और साहित्य के छितिज के ध्रुव तारे के समान थे कि जिनकी निस्वार्थता कर्मठता सत्यता के अनुपम प्रकाश से भारत की राजनीति न केवल पुष्ट हुई बल्कि आलोकित हुई।


अटल बिहारी वाजपेई  न केवल राजनेता थे  बल्कि  एक राष्ट्र कवि ,महान साहित्यकार,पारदर्शी पत्रकार होने के साथ - साथ हिन्दी भाषा के प्रबल हितैषी थे। उनका जाना मानो हिन्दी का प्रवाह रूकने जैसा है। उनके निधन से  देश को अपूरणीय  क्षति हुई है। यह एक ऐसी रिक्तता है जिसे कभी भरा नही जा सकता।


ब्लॉग समाज और हम की तरफ से भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
शत् शत् नमन
🙏🙏🙏💐

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