Breaking News

मातारानी के 108 नाम जाप से सकल मनोरथ पूर्ण -




सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥ 




देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्‌। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ 



कहते हैं :

कलियुग केवल नाम अधारा! सुमिर सुमिर नर उताराहि ही पारा!!




कलयुग में नाम संकीर्तन से ही मुक्ति सम्भव है। आज जो बृद्ध, पीड़ित लोग नौ दिन व्रत नहीं कर सकते उनके लिये सटीक उपाय है कि वह माँ भगवती कल्याणी अम्बे के 108 नामों का दिन में सात्विकता से पवित्र मन और पूर्ण श्रद्धा से एक माला जाप कर लें तो उन्हें नव दिव व्रत का ही फल प्राप्त होता है। नाम जाप की महिमा तो पुराणों और उपनिषदों में भी वर्णित है । 
मात्र 108 नाम जाप से होगीं जगत जननी प्रसन्न और करेगीं हर मनोकामना पूर्ण - 




सती, 
अम्बा, 
आर्या, 
दुर्गा, 
साध्वी, 
भवप्रीता, 

भवानी, 
भवमोचनी, 
जया, 
आद्या, 
त्रिनेत्रा,
फूलमती,
महरौड़ी, 




शूलधारिणी, 
पिनाकधारिणी, 
सर्वास्त्रधारिनी, 


अनेकशस्त्रहस्ता, 
अनेकास्त्रधारिनी, 
कुमारी, 
छिन्नमस्ता 
एककन्या, 




कैशोरी, 
युवती, 
यत‍ि, 
अप्रौढ़ा, 
प्रौढ़ा, 


वृद्धमाता, 
बलप्रदा, 
महोदरी, 
मुक्तकेशी, 
घोररूपा, 




महाबला, 
अग्निज्वाला, 
रौद्रमुखी, 
कालरात्रि, 

तपस्विनी, 
नारायणी, 
भद्रकाली, 
विष्णुमाया, 
जलोदरी, 


शिवदुती, 
कराली, 
अनंता, 
परमेश्वरी, 

कात्यायनी, 
सावित्री, 
प्रत्यक्षा, 
ब्रह्मावादिनी।
चित्रा, 
महालक्ष्मी 



चंद्रघंटा, 
महातपा, 
बुद्धि, 
अहंकारा, 

चित्तरूपा, 
चिता, 
चिति, 
सर्वमंत्रमयी, 
सत्ता, 


ब्राह्मी, 
माहेश्वरी, 
एंद्री, 
कौमारी, 
वैष्णवी, 
चामुंडा, 
वाराही,  
पुरुषाकृति, 

विमला, 
उत्कर्षिनी, 
ज्ञाना, 
क्रिया, 
नित्या, 
बुद्धिदा, 
बहुला, 
बहुलप्रिया, 




सर्ववाहनवाहना, 
निशुंभशुंभहननी, 
महिषासुरमर्दिनी, 
मधुकैटभहंत्री, 



चंडमुंडविनाशिनी, 
सर्वसुरविनाशा, 
सर्वदानवघातिनी, 
सर्वशास्त्रमयी, 
सत्या, 




सत्यानंदस्वरुपिणी, 
अनंता, 
भाविनी, 
भव्या, 
अभव्या, 
सदागति,


शाम्भवी, 
देवमाता, 
चिंता, 
रत्नप्रिया, 
सर्वविद्या, 
दक्षकन्या, 
दक्षयज्ञविनाशिनी, 

अपर्णा, 
अनेकवर्णा, 
पाटला, 
पाटलावती, 
पट्टाम्बरपरिधाना, 
कलमंजरीरंजिनी, 



अमेयविक्रमा, 
क्रूरा, 
सुन्दरी, 
सुरसुन्दरी, 
वनदुर्गा, 
मातंगी, 
मतंगमुनिपूजिता





दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:। 
स्वस्थै स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।
द्रारिद्र दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या। 
सर्वोपकारकारणाय सदाह्यद्र्रचिता।। 




ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः। 

शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥ 




हे! माँ जगत जननी आप सभी की मनोकामनाएं जल्द पूर्ण करें और सभी का घर खुशियों से भर दें। 

जय माता की
🙏🙏🙏

No comments