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राजनीति में ठुमके का भूत? - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


राजनीति में ग्लैमर का भूत ?



देश में इतने ज्ञानी ध्यानी संत, मुनि,गुरू - महात्मा हैं और बेहतरीन सोसल वर्कर है, बेहतरीन रि. प्रोफेसर हैं,पर्यावरणविद्, वकील, रि.जज, हैं, रिटायर्ड ईमानदार पुलिस ऑफिसर्स हैं,मोटीवेशनल स्पीकर हैं, कई पद्मश्री, पद्मविभूषण बुद्धिजीवी वर्ग है और हाँ इन सबको भी चाहने वालों की प्रशसंक लिस्ट, भीड़ यानि साहिब! आपकी भाषा में वोट प्रतिशत कोई कम नहीं है..उदाहरण - संदीप महेश्वरी मोटीवेशनल स्पीकर के एक शो की भीड़ देख लीजिए यूट्यूब वीडियो में... पर राजनीति में सिर्फ़ #ठुमके यानि ग्लैमर का भूत सवार क्यों? ग्लैमर को ही इतनी वरीयता क्यों दी जाती है? अगर ग्लैमर इतना हावी होगा तो भविष्य में बच्चे साईंटिस्ट,संत,फौजी,सोसल वर्कर, प्रोफेसर, डॉ. आदि को अपना रोल मॉडल कैसे मानेगें? वह रियल लाइफ से ज्यादा रील लाईफ में जियेगें... आज वही हो रहा है...

कला को सम्मान देने की बातें करते हो साहिब! तो कला तो बहुत बहुत प्रकार की हैं देश में जैसे - 
मूर्तिकार,चित्रकार,भवननिर्माणकार भी हैं पर आपको सिर्फ़ नृत्य कलाकार में ही 'कला' क्यों नजर आती है? कलाकार को प्रोत्साहन मिले, यह अच्छी बात है पर इस कदर सिर्फ़ नृत्यकला का  राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए कि उसके सामने एक बेहद काबिल बुद्धिजीवी वर्ग को दरकिनार ही कर दिया जाये.. ऐसे हम किस तरह का समाज निर्मित करना चाह रहे हैं.. विचारना होगा। 

मेरे हिसाब से, ये आजकल के नेता लोग दूसरे की प्रसिद्धि से सरल मार्ग से अपना वोट प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं, नाकि जनता की मूलभूत जरूरतें पूरी करने के.. ये ना जमीनीस्तर पर काम करेगें और ना ही रोजगार की कभी बात करेगें....डांसर और अभिनेत्रियों के रूप में चुनाव जीतने का सरल मार्ग जरूर तलाशेगें.. सच कहें तो यह सब, ना ही ये कुशल राजनीतिज्ञ ही हैं और ना ही कुशल वोटनीतिज्ञ ही हैं...... पर वोटनीतिज्ञ बनने पर तुले जरूर हैं।


वोट चाहिए उन्हें किसी भी कीमत पर..
चाहे वो हों सपना, चाहे हो कोई अपना!!


-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

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