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समय ही शिव हैं.....


समय ही शिव हैं........





आज सावन सा अंतिम सोमवार है, सोम मतलब चन्द्र वार मतलब दिन। सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ भगवान शिव को संहार का देवता कहा जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति हैं शिव। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है। भगवान शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात,शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ आदि।

शिव लिंग -






 शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक से है जिसे कुछ लोग रोज शब्दों से मैला करते रहते हैं। इसीलिए शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमात्मा का प्रतीक, परमशक्ति-दिव्य प्रकृति और पुरूष की संयोजित एक आलौकिक दिव्य ऊर्जा, होने के कारण इसे लिंग यानि चिन्ह कहा गया है। यही संसार में 
बारह ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर पूरे संसार का मंगल करते हैं, यह दस दिशाओं (चार दिशा, चार कोने, ऊपर अंतरिक्ष और नीचे पाताल और दो स्त्री तत्व ऊर्जा और पुरूष तत्व ऊर्जा यानि बारह महाशक्ति) के रूप में विद्दमान है। 

जिस प्रकार इस ब्रह्मण्ड का ना कोई अंत है, न कोई छोर और न ही कोई सुरुआत, उसी प्रकार शिव अनादि है सम्पूर्ण ब्रह्मांड शिव के अंदर समाया हुआ है जब कुछ नहीं था तब भी शिव थे जब कुछ न होगा तब भी शिव ही होंगे। शिव को महाकाल कहा जाता है, अर्थात समय।

भगवान शिव का अद्भुद मंत्र - 
'नमः शिवाय च शिवतराय च' 
नमः शिवाय का अर्थ "भगवान शिव को नमस्कार" या "उस मंगलकारी को प्रणाम!" है।

न" ध्वनि पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करता है
"मः" ध्वनि पानी का प्रतिनिधित्व करता है
"शि" ध्वनि आग का प्रतिनिधित्व करता है
"वा" ध्वनि प्राणिक हवा का प्रतिनिधित्व करता है
"य" ध्वनि आकाश का प्रतिनिधित्व करता है
इसका कुल अर्थ है कि "सार्वभौमिक चेतना एक है"।

शैव सिद्धांत परंपरा में यह पाँच अक्षर इन निम्नलिखित का भी प्रतिनिधित्व करते हैं :

"न" ईश्वर की गुप्त रखने की शक्ति (तिरोधान शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है
"मः" दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है
"शि" शिव का प्रतिनिधित्व करता है
"वा" उसका खुलासा करने वाली शक्ति (अनुग्रह शक्ति) का प्रतिनिधित्व करता है
"य" आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। 

        ॐनम:शिवाय

अंग्रेजी - om namah shivay
कन्नड़ ಓಂ ನಮಃ ಶಿವಾಯ
मलयालम ഓം നമഃ ശിവായ
तमिल ஓம் நம சிவாய
तेलुगु ఓం నమః శివాయ
बांग्ला ওঁ নমঃ শিবায়
गुजराती ૐ નમઃ શિવાય
पंजाबी ਓਮ ਨਮਃ ਸ਼ਿਵਾਯ 
ओड़िया ଓଁ ନମଃ ଶିଵାୟ
रूसी Ом Намах Шивайа

जब जापानी मंत्र नम म्योहो रैंगें क्यों जिसे लोटस मंत्र कहते हैं से ऊँ नम: शिवाय से मैच कराया गया यानि दोनों मंत्रों को कुछ लोगों पर एप्लाई करके व इनर्जी टेस्ट करके तो पता चला कि विश्व का सबसे सरल और ताकतवर मंत्र है जो मनुष्य को अलौकिक शक्ति से भर देता है और यह मैं यूँहि नहीं वरन अपने अनुभव से भी लिख रही हूँ। भगवान शिव का यह मंत्र बहुत ही मंगलकारी है, हर बाधा से मुक्त करने वाला है। 

आध्यात्म और विज्ञान का विचार है कि इन पाँच अक्षरों का दोहराना शरीर के लिए साउंड थैरेपी और आत्मा के लिए अमृत के भाँति है।


 विश्व की सबसे रहस्यमयी शिव प्रतिमा-




ताला या तालाग्राम भोजपुर-दागोरी रोड पर बिलासपुर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। देवरानी-जेठानी मंदिर एक जरूर जाने वाला पर्यटन स्थल हैं, जो 5वीं सदी का मंदिर है, इसमें भगवान  रूद्रशिव की बेहद रहस्यमयी तंत्र प्रतिमा हैं जिसे आज तक कोई नहीं समझ सका ।
कुछ विद्वानों के अनुसार महाकाल रूद्रशिव की प्रतिमा का अलंकार बारह राशियों एवं नौ ग्रहों के साथ हुआ है मानते हैं पर यह बात अधूरी है क्योंकि इस प्रतिमा पर ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी जैसे अनेक यूरोपी देशों के शोधार्थी इस पर शोध कर कर रहे हैं। लेकिन काफी समय के शोध के बाद भी आज तक कोई पूरी तरह इस प्रतिमा के गूढ़ रहस्यों को सुलझा नहीं सका है। किसी ने सच ही कहा है परमात्मा, इंसानों के समझ के बाहर है। 
हे! परमात्मा अपनी बेटी आकांक्षा का प्रेमपूर्ण प्रणाम स्वीकार करें और प्रभु सम्पूर्ण जगत का मंगल करें।

तो विश्वास से बोलो

ॐ नमः शिवाय 🙏🌷
हर हर महादेव🚩🚩🚩

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