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हाँ गौमूत्र पवित्र है.... और गौमाता पूज्यनीय ॥

एक दो दिन से मुझे कई फालतू लोगों के जलन भरे मैसेज मिल रहे थे जिनपर लिखा था कि गौमूत्र इतना पवित्र है तो शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाते पांखडियों?
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एक दो दिन से मुझे कई फालतू लोगों के जलन भरे मैसेज मिल रहे थे जिनपर लिखा था कि गौमूत्र इतना पवित्र है तो शिवलिंग पर क्यों नहीं चढ़ाते पांखडियों? 
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मैं आप लोगों को भारतीय कहूँ या क्या कहूँ कुतर्कियों..! 

अगर अब मैं यह कहूँ कि अब ऊँट का मूत्र पीने वाले हमें ज्ञान देगें.. आप मांसहारियों के लिए सब मांस समान ही हैं तो कभी सुअर का मांस क्यों नहीं खाते?  आप हिन्दू धर्म को बुरा बोलते हो, हमारे यहां तो रावण ने दस बार अपना सिर काट कर भगवान शिव को चढ़ा दिया था क्या आप ऐसा सोच भी सकते हैं? दूसरा तथाकथित वे लोग जो हिन्दू बनकर आरक्षण लेते हैं और बौद्ध बनकर हम सब हिन्दुओं को गालियां देते हैं... आप सबके लिए... 


अब मेरा सीधा जवाब यह है कि गौमूत्र एक आदिपुरातन आदिपरम्परागत एक बेहतरीन औषधि यानि दवा है जो एक निर्धारित मात्रानुसार रोगी को दी जाती है। अब हमारे भोलेनाथ भगवान कौन से बीमार हैं जो हम उन्हें दवा चढ़ायेगें। हाँ भारतीय हिन्दू संस्कृति में गाय के गौबर में गेरू यानि लाल रंग मिलाकर लीप कर उसे चूने से सजा कर भगवान का आसन तो आज भी तैयार किया जाता है। आप लोग गौमूत्र का सेवन करें जिससे आपकी हिन्दूओं के प्रति थोड़ी नफरतें कम हों और आपकी सोच का पुख्ता इलाज हो सके। रही बात आप में से कुछ महाज्ञानियों कि जो बकरी के दूध को, बकरी को अपनी मां का दर्जा दे रहे हैं? तो ये बात सच है कि बकरी का दूध मई जून में चलने वाली लू से रक्षा करने में काफी असरदार है, बकरी का दूध भी बहुत लाभप्रद है। पर अंतर पता कहां है? वो है आपकी गंदी सोच में.. कि कुछ तथाकथित लोग बकरी को मां चिल्ला रहे हो, गौ माता का मजाक उड़ा रहे हो.. उसी बकरी का दूध भी पी जाते हो और आप तथाकथित लोग रेप यानि बलात्कार तक कर डालते हो... पर गौभक्त दूध भी पीते हैं, सेवा भी करते हैं, गाय की रक्षा के लिये लड़ते भी हैं पर जो आप कुकर्म आप अपनी पालतू बकरी के साथ करते हैं वो हम गौभक्तों के लिए महापाप है...तो तथाकथित आप कम से कम अपनी तुलना महान गौभक्तों से तो मत करो और रही बात बार-बार हिन्दुओं को पांखड़ी कहने की तो आप हमारी आस्था, विश्वास और श्रद्धा को वही नाम तो दोगे जो आप के दिमागों में भरा होगा... देखा जाये तो यह पांखड़ कहां नहीं है? जब परमात्मा को हमने नहीं देखा तो हम उसे प्रेम करने के लिए प्यारी सी मूर्ति बनाकर कपड़े पहनाकर श्रंगार करके चंदन लगाकर उसकी पूजा करते हैं, मन में लगता है कि हमने भगवान के प्रति अपना समर्पण दिया यानि भगवान को अपना समय दिया.. जो दाता है हम भला उसे क्या दे सकते हैं पर भगवान को धन्यवाद देने का प्यारभरा तरीका है, जिसे आप जैसे कुछ तथाकथित लोग पाखंड कह देते हो। हम हिन्दू चींटी से लेकर हाथी तक दूब घास से लेकर विशाल पीपल बरगद तक की सम्पूर्ण प्रकृति की सम्मान बतौर पूजा करते हैं.. और कितनी आसानी से आप हमारे इस सम्मानभाव को पाखंड कहकर अपनी ईर्ष्या को पुष्ट करते रहते हो.... सच तो यह है कि आप जैसे तथाकथित घटिया सोच के लोगों के कारण धर्म के धर्म बदनाम होते हैं जबकि आपके धर्मों में भी भले लोग हैं सिर्फ़ आप लोगों के कारण भले लोग भी पिसते हैं और गाली गलौच का शिकार होते हैं। 


अब आप हमारी गौमाता  की उत्पत्ति की मोक्षदायनी कथा भी सुन लीजिये की पुराणों में लिखीं कथाओं के अनुसार जब ब्रह्मा जी एक मुख से अमृत पी रहे थे तो उनके दूसरे मुख से कुछ फेन निकल गया और उसी से आदि-गाय सुरभि की उत्पत्ति हुई। दूसरी कथा में कहा गया है कि दक्ष प्रजापति की साठ लड़कियाँ थीं उन्हीं में से एक सुरभि भी थी। तीसरे स्थान पर यह बतलाया गया है कि सुरभि अर्थात् स्वर्गीय गाय की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय चौदह रत्नों के साथ ही हुई थी। सुरभि से सुनहरे रंग की कपिला गाय उत्पन्न हुई। जिसके दूध से क्षीर सागर बना।


      ऋग्वेद तथा अन्य वेद पुराण, उपनिषदों में भी गौमाता के गुणानुवाद के सैकड़ों मंत्र हैं, जैसें-


नमो गोभयः श्रीमतीभ्यः सौरभेयीभ्य एव च I 

नमो ब्रह्मासुताभ्यच पवित्राभ्यो नमो नमः 
यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत स्थावरजङ्गमम II   
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य  मातराम I

पञ्च गावः समुत्पन्ना मथ्यमाने महोदधौ I

तासां मध्ये तु या नन्दा तस्यै देव्यै नमो नमः II  
सर्वकामदुघे देवि सर्वतीर्थाभिषेचिनि I     
पावनि सुरभिश्रेष्ठे देवी तुभ्यं नमो नमः II  

और श्रीमद्भगवद्गीता महापुराण में श्रीकृष्ण भगवान जी ने भी कहा है कि ‘गौओं में कामधेनु मैं ही हूँ।” गाय के शरीर में सभी देवता निवास करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि धन की देवी लक्ष्मी जी पहले गाय के रूप में अवतरित हुईं थींं और गौमाता के गोबर से ही महादेव के प्रिय (बेलपत्र)विल्व वृक्ष की उत्पत्ति हुई।


         बता दें कि  हमारी भारतीय संस्कृति में गाय पूज्यनीय है और उन्हें माता का स्थान दिया गया है। जिस प्रकार माँ अपने बच्चों का लालन-पालन व सुरक्षा करती है, उसी प्रकार गौ का दूध, घी आदि भी मनुष्य का लालन-पालन तथा स्वास्थ्य व सदगुणों की सुरक्षा करते हैं।  देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व मूत्र सम्पूर्ण मानव जाति के लिए वरदानरूप हैं। गाय के दूध से निकला घी ‘अमृत’ कहलाता है।जिसका वर्णन, घृतं में वीर भक्ष्यं स्यात्। (श्रीमद्भागवतः 9.14.22)में मिलता है जब स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी राजा पुरुरवा से मिलीं तो उसने धरती पर आकर सर्वप्रथम गाय का घी पीना ही स्वीकार किया था। शास्त्रों में वर्णित है कि  देसी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! जिसमें ‘सूर्यकेतु नाड़ी’ होती है जिससे वह सूर्य की गो किरणों को शोषित करके स्वर्णक्षार में बदल सकती है। स्वर्णक्षार जीवाणुनाशक हैं और रोगप्रतिकारक शक्ति की वृद्धि करते हैं। गाय के दूध व घी में स्वर्णक्षार पाये जाते हैं, जो भैंस, बकरी, ऊँट के दूध में नहीं मिलते और सबसे बड़ी बात गौमाता ऑक्सीज ही लेती हैं और ऑक्सीजन ही छोड़ती हैं और सबसे रहस्यमयी प्राणी है गाय जिसमें विष तक को पचाने की अद्भुद क्षमता होती है। 

       कई रिसर्च कहतीं हैं कि विधिपूर्वक गोमूत्र अर्क 20-30 मि.ली. यानि गोझरण अर्क एक कटोरी में पानी मिलाकर उचित मात्रा में दवा की तरह सेवन करने से यकृत व गुर्दे (किडनी) की खराबी, मोटापा, उच्च रक्तचाप, कोल्स्ट्रोल-वृद्धि, पाचन आदि सब जड़ से ठीक कर देता है।
मेलबर्न में हुए एक शोध के अनुसार गाय के दूध को आसानी से ऐसे क्रीम में बदला जा सकता है, जो एड्स से मनुष्य की रक्षा करने में सहायक है। मेलबर्न में गर्भवती गायों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई वहीं अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो गाय के दूध का सेवन एकदम सही माना जाता है और नेत्ररोगियों के लिए गाय का दूध व घी रामवाण इलाज हैं क्योंकि गाय के दूध में पाये जाने वाले पीले पदार्थ में कैरोटीन होता है, जो आंखों की रौशनी बढ़ाता है और आंखों की खूबसूरती भी बढ़ाता है तथा दवाओं और हानिकारक केमिकल्स के कारण शरीर में बनने वाले जहर एवं उसके असर को कम करने में गाय का दूध प्रभावकारी है। वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं। इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है। यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्त्विकता को बढ़ाने वाला है। गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता ! वहीं इस दूध में विद्यमान 'सेरीब्रोसाडस' तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है। कुछ रिसर्चर मानते हैं कि रेडियोधर्मी विकिरणों के प्रभाव को भी नष्ट करने की अद्भुद शक्ति रखती हैं गौमाता क्योंकि केवल गाय के दूध में ही Stronitan तत्व है जो कि अणुविकिरणों का प्रतिरोधक है। कुछ वैाानिकों ने तो गाय के घी-दूध को एटम बम के अणु कणों के विष का शमन करने वाला भी माना है। 
          गौमाता के विषय में एक और खास बात यह है कि आप कभी भी देखें कि माता कभी कुमाता नहीं होती, एक तरफ आप खेत में 8-10 लोग लेट चाहिए और दूसरी तरफ़ से कई गौ माता को दौड़ा दीजिए तो आप देखेगें कि वह आपके शरीर पर पांव रखकर आपको नांघते हुए रौंदते हुए कभी नहीं गुजरेगी, वह किनारे खुर रख कर आपको बचाते हुए निकल जायेगी और साथियों! आज एक कहानी मुझे याद आती है जो मैने अपने नाना जी जो सरकारी हैडमास्टर जी थे से भी बचपन में सुनी थी और बाद में सन् 2008 में गाजियाबाद कॉलेज लाईब्रेरी में अपने विद्वान बुजुर्ग प्रोफेसर जी की एक पुरानी बुक में भी पढ़ी थी बात उस समय कि है जब हमारा देश गुलाम था और उस समय धूर्त अंग्रेज जिसकी जो चीज पसंद आ जाती थी वो छीन ले जाते थे चाहे वो बेटी हो, महिला हो या उनका पालतू पशू, यह कहानी उसी दौर की है जब एक भारतीय गरीब किसान ने कहा था कि आप मुझे मार दीजिये पर मेरी गौमाता को छोड़ दीजिए और वह अंग्रेज जिद्द पर था कि आज यही काट कर खायेगें। यह झगड़ा देख उस किसान का कक्षा - 8 में पढ़ने वाला बच्चा बोला कि गाय के खूंटे को हाथ लगाकर दिखा गोरे? उस अंग्रेज ने गुस्से में उस बच्चे को तमाचा मारने को हाथ उठाया कि उस बच्चे ने उछल कर उस अंग्रेज की दाड़ी पकड़ ली और कहा मां का दूध पिया हो तो अपनी दाढ़ी छुड़ा लो.. अगर दाढ़ी छुड़ा ली तो गाय के खूंटे को हाथ लगाना.. उस अंग्रेज ने पूरी ताकत लगा ली पर उस बच्चे का हाथ की पकड़ नहीं छुड़ा पा रहा था, वह खीज कर बोला तू खाता क्या है? उस बच्चे ने कहा, ''सतनजा, गौमाता का दूध, छांच, घी समझे गोरे। वो अंग्रेज उस बच्चे के साहस और ताकत से सामने हारना नहीं चाहता था, बाद में उस दाढ़ी में लटके उस बालक को लटकाये हुए उस क्रूर अंग्रेज ने उस बच्चे को तोफ से उड़वा दिया था पर वह बच्चा कभी नहीं हारा। इसके बाद हारा हुआ वह अंग्रेज उस किसान के घर आया और उसकी गाय को विदेश ले गया वहां ले जाकर उसने अपनी अमेरिकन गाय और इस देशी गाय दोनों को जहर दे दिया और कहा अब इन दोनों गायों का दूध निकालो चैक करेगें इनके दूध पर क्या असर होता है? तो उस अंग्रेज ने इंजेक्शन लगाकर लाख कोशिश की पर गाय ने दूध ही नहीं दिया जब उसके दो दिन से भूखे छोटे से बछड़े को उसके पास भेजा गया तो वह गाय वहीं मरते मर गयी परन्तु एक बूंद जहरीला दूध उसने अपने बछड़े के मुंह में जाने नहीं दिया। जबकि अमेरिकन गाय जहरीला दूध देकर मरी। यह घटना देख अंग्रेज सख्ते में था कि क्या भारतीय गाय हलाहल विष को भी पचा सकती है? क्या गाय में इंसानों जैसी सोचने समझने की शक्ति होती है? यह दूध अपने अंदर ही कैसे रोक लिया? ये कैसे जान गयी मैने इसे जहर दिया है जो दूध से उसके बछड़े को मार देगा? बाद में उस अंग्रेज ने गुस्से में आकर खुद को गोली मार ली थी। अब यह कहानी अंग्रेजों की एक बड़ी हार थी इसलिये ऐसी एक नहीं हजारों वीर गाथाओं को दबा दिया गया और किताबों को बेन किया जा चुका था वो तो भूले भटके किसी के पास कुछ संग्रह किया हुआ है जो किसी खजाने से कम नहीं है। 
        यह है हमारे भारतवर्ष की गाय की रहस्यमयी शक्ति। आज भी विदेशों में हजारों शोधार्थी गाय पर शोधरत् हैं। वहीं कुछ तथाकथित लोग अनाप-शनाप कुतर्क गढ़ने में लगे हैं। मैं आप सब से विनम्रता से यह पूछना चाहती हूँ कि जरा शांति से विचार करो..कि क्या गॉड ने हम सबको आपस में लड़ने के लिये इस धरती पर भेजा होगा?  आखिर! इस तरह कब तक लड़ोगे? कभी तो अंत हो.. इस लड़ाई का, कभी तो मिलकर विकास के पथ पर बढ़ा जाये... तनिक विचार करें कि हम आप चाहे जिस भी धर्म सम्प्रदाय के क्यों ना हों, हम सब समयानुसार एक, एक करके इस दुनिया में अपना पार्ट निभाते हुए एक दिन इस दुनिया से अलविदा होना है.. और सच तो यह हैं कि हम सब लाईन में ही खड़े हैं.. हमें यह भी नहीं पता वो जाने वाला पल कब आने को है? तो क्या हम इस जन्म को सिर्फ़ नफरतों की भेंट चढ़ाकर इस दुनिया से जाना पसंद करेगें और एक बार जरूर सोचना कि क्या ये नफरतें हम सबको इंसान की श्रेणी में कभी रख पायेगीं? इस स्वतंत्रता दिवस आइये! भारतीयता को जीने का संकल्प लें। आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं। 





वंदेमातरम् 🇮🇳

 जय गौमाता की🚩🇮🇳





-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना, न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक राष्ट्रीय मासिक पत्रिका वाराणसी उत्तर प्रदेश ।

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