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हाउडी मोदी ने विश्व को चौंकाया - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


''हाऊडी मोदी'' ने विश्व को चौंकाया-

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- आकांक्षा सक्सेना न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 



22 सितंबर 2019 की तारीख विश्व के इतिहास में उस वक्त दर्ज हो गई जब भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को अमेरिका के टेक्सास प्रांत के ह्यूस्टन शहर में होने वाले 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में शामिल हुए और वहीं दुनिया को ग्लोबल पैमाने पर भारत की बढ़ती हैसियत का अहसास भी समूचे विश्व को करा दिया। वैसे, हाउडी मोदी शब्द का अर्थ है - हाउ डू यू डू मोदी, आप कैसे हैं मोदी जी? यह एक विश्व रिकॉर्ड ही है कि उन्हें सुनने के लिए उनके स्वागत के लिए विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहुंचे और इस भव्य आयोजन का गवाह बना ह्यूस्टन का एनआरजी स्टेडियम व उसमें उपस्थित पचास हजार शांतिप्रिय लोग। इससे इतर जब ऐसे दो शक्तिशाली नेता जब गलबईयां डाले विश्व पटल पर नजर आते हैं तो देश के नागरिकों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है कि यही गोरे जो कल तक हम भारतीयों को आंख दिखाया करते थे और आज हाथ मिला रहे हैं। परिवर्तन तो आया है वो भी जबर्दस्त। यही सोचकर उनके सपनों के पंखों का फैलाव बढ़ जाता है और हौसला दसगुना हो जाता है कि देश तरक्की पर है और हमारा कुछ ना कुछ तो भला जरूर होगा। बता दें कि भारत ने जून में 28 अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ दरें बढ़ाई थीं और इससे पहले अमेरिका ने भारत को दिए गए व्यापार संबंधी विशेषाधिकारों को वापस ले लिया था। उम्मीद है कि अब ये मसले सुलझा लिए जाएंगे। अभी जब भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती दिखाई दे रही है, अमेरिका का सहयोग हमें काफी राहत दे सकता है। वहीं विश्व का सबसे ज्वलंत मुद्दा आतंकवाद है जिसपर 'हाउडी मोदी' के दौरान आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रम्प ने अपने भाषण में इस्लामिक आतंकवाद का खुलकर जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका, दोनों मानते हैं कि अपने समुदाय को सुरक्षित रखने के लिए हमें अपनी सीमाओं को सुरक्षा करनी होगी। मेरे प्रशासन ने अब तक इसी पर काम किया है। जो हमारे देश के लिए खतरा हैं, उन्हें अमेरिका में प्रवेश न मिले, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। सीमा की सुरक्षा भारत के लिए भी इतनी ही महत्वपूर्ण है। हम अभूतपूर्व कदम उठा रहे हैं और दक्षिण से अवैध अप्रवासियों को रोकने की व्यवस्था कर रहे हैं। हम उन वैध प्रवासियों के आभारी हैं, जो कड़ी मेहनत करते हैं और टैक्स देते हैं। हम अवैध रूप से आने वालों को मुफ्त सुविधाएं नहीं देना चाहते। मैं कभी नहीं चाहूंगा कि कोई नेता अवैध प्रवासियों को वैध प्रवासियों के हक की सुविधाएं लेने दे।’’ ट्रंप के इस दो टूक से इतना तो तय हो गया है कि पाक अधीकृत कश्मीर कश्मीर मुद्दे पर सख्त कदम उठाने पर भारत को अमेरिका का पूरा साथ मिलेगा और उसका यह रुख देखकर उसके कई मित्र देश भी अपना स्टैंड तय करेंगे। सच तो यह है कि आज अमेरिका को भी भारत के साथ की बेहद जरूरत है। भारतीय मूल के वोटर ट्रंप के लिए काफी महत्व रखते हैं, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को काबू में रखने के लिए भी उन्हें भारत का सहयोग चाहिए। अब देखना होगा कि इन दोनों देशों की यह दोस्ती अपने-अपने नागरिकों को कितना फायदा पहुंचाती है। 

यह कार्यक्रम इस बात का संकेत भी देता है भारत और अमेरिका के रिश्ते अब बराबरी के स्तर पर हैं। ट्रंप ने कहा भी कि मैं अमेरिका के सबसे महान, सबसे समर्पित और सबसे वफादार दोस्तों में से एक भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने पर बहुत रोमांचित हूं। निश्चय ही भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है, जो यह भी तश्वीर साफ करता है कि भारत के बाहर भी भारतवंशी एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहे हैं और उनका समर्थन-सहयोग दुनिया की ताकतवर सत्ताओं के लिए अहम होता जा रहा है। बता दें कि इस 90 मिनट के शो में 400 परफॉर्मर्स थे और यह आयोजन ऐसे वक्त हुआ जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खासकर आर्थिक मुद्दों को लेकर एक उदासीनता दिखने लगी थी जो अब पूर्णतः दूर हो चुकी है और आज पूरा विश्व भारत को गम्भीरता से ले रहा है। हर जगह भारत की बात सुनी व मानी जा रही है। विडंबना यह है कि एक तरफ हाउडी मोदी की तारीफ करते विदेशी थक नहीं रहे वहीं देश के विपक्ष के पेट में पीर कम नहीं होती दिख रही। यह तो सभी जानते हैं कि विपक्ष की भूमिका क्या होती है? पर देश की प्रसिद्धि में तो विपक्ष को सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए बाकि मुद्दे अलग बात हैं और हाउडी मोदी के जलवे की खबरों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है जब न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा - इस रैली ने समान विचारधारा वाले नेताओं को एक मंच पर ला दिया। दोनों दक्षिणपंथी विचारधारा के नेताओं ने लोकलुभावन वादों के साथ सत्ता में आए थे। दोनों ने अपने-अपने देश को महान बनाने और धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक सुधारों की बात की। इसी के साथ अखबार ने यह भी कहा कि भारतीय-अमेरिकी वोटरों से मोदी की अपील (अबकी बार ट्रम्प सरकार) के बाद भी ट्रम्प के लिए वोट हासिल करना आसान नहीं होगा।

अमेरिकी मीडिया संस्थान यूएसए टूडे ने हाउडी मोदी कार्यक्रम की खबर को ये मोदी-ट्रंप का ब्रोमांस है हेडलाइन से छापा था। ब्रोमांस का मतलब दो भाइयों का आपसी भाईचारा होता है क्योंकि इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने ट्रंप को अपना और भारत का दोस्त बताया और अभी इस महान दोस्ती के कसीदे मीडिया में लिखने शुरू ही हुए थे कि ग्लोबल लीडर प्रधानमंत्री मोदी ने फिर एक बार पूरे विश्व को भारत की उज्ज्वल मानवता से ओतप्रोत सोच का कायल बना दिया और विश्व भर की मीडिया को एक बार फिर से भारतवर्ष की गौरवशाली संस्कृति व सोच पर लिखने को विवश कर दिया।हम बात कर रहे हैं 27 सितंबर 2019 की वह ऐतिहासिक तारीख की जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जिम्मेदार ग्लोबल लीडर की तरह न सिर्फ भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के प्रति महान सरोकार दिखाया और अपनी चिंताएं साझा कीं।उन्होंने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि यह अवसर इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मना रहा है। उनका सत्य और अहिंसा का संदेश आज भी दुनिया के लिए प्रासंगिक है। 

 उनका साफ कहना था कि आतंक के नाम पर बटी हुई दुनिया उन संदेशों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर यूएन का गठन हुआ है। आतंक के खिलाफ पूरे विश्व को एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं। विश्व का स्वरूप बदल रहा है। 21वीं सदी की आधुनिक टेक्नोलॉजी, समाजिक, निजी और हर क्षेत्र में परिवर्तन ला रही है। ऐसे में एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत कभी हिंसा का पक्षधर नहीं रहा। भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिये हैं, वह विश्व बंधुत्व और शांति के पक्षधर हैं। आज हम भारत के विकास के लिए जो प्रयास कर रहे हैं, उनका परिणाम पूरी दुनिया के लिए लाभदायक होगा। इस तरह हम पूरी दुनिया के सपने के लिए काम कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'आज से 3000 साल पहले तमिल कवि कणियन पूकुन्रनार ने कहा था, यादम उरे, यावरुम केड़ीर यानी हम सभी स्थानों के लिए अपनेपन का भाव रखते हैं और सभी लोग हमारे अपने हैं। यह तीन हजार साल पहले की बात है। देश की सीमाओं से परे अपनत्व की यही भावना भारत की विशेषता है।' उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भी शिकागों के धर्म सम्मेलन में 'हॉर्मनी ऐंड पीस' की बात की थी। आज भी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की तरफ से विश्व को यही संदेश है। प्रधानमंत्री के इस मानवता से परिपूर्ण भाषण में करूणा, गम्भीरता व विकास की असीमित सम्भावनाओं की झलक देखने को मिला और विश्व की सभी शांतिप्रेमी विकासप्रेमी ताकतें भारत के साथ खड़ी दिखाई दीं और यही भारत के विकसित भारत बनने व वीटो भारत बनने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो सकता है जिससे भारत के कल की तश्वीर व तकदीर दोनों में अकल्पनीय परिवर्तन देखे जाने की उम्मीद बांधी जा रही है जिसका मूल मंत्र है शांति और सौहार्द।






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