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कोरोना से डरें नहीं डटे रहें - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना



कोरोना महामारी घोषित- डरें नहीं डटे रहें

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जो नेता घर - घर आकर वोट मांगते हैं आज वह लोग जिम्मेदारी लें और घर - घर जाकर मास्क और सेनेटाइजर(sanitizer) वितरित करें। सोचिए! 150रू.-250रू. का sanitizer गरीब कैसे खरीदे? 
अगर आप अभी भी जनता के साथ नहीं आयेगें तो अगले चुनाव किस मुंह से दोबारा वोट मांग सकेगें? 
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आज पूरा विश्व सनातन संस्कृति की नमस्ते को करते दिख रहे है और पूरी दुनिया भारत के ऋषि-मुनियों के ज्ञान - विज्ञान का लोहा मान मान रहा है पर हमें क्या फर्क पड़ता है हमें तो मॉर्डन होना है, हमें तो विदेशी कल्चर फोलो करना है, उसी से हमारा स्टैंडर्ड बढ़ता दिख रहा है.... काश! कि हम सब अपनी संस्कृति पर विश्वास करें और जैसे उस समय बहुत बड़े - बड़े यज्ञ, होम, हवन हुआ करते थे जिसमें लौंग, इलायची, गुगल, गाय-घी, कपूर, की पवित्र अग्नि से पर्यावरण शुद्ध और पवित्र होता था जिससे बीमारियों का खतरा कम होता था। अाज वही बात कही जा रही है कि अगर गर्मी बढ़े तो कोरोना वायरस से मुक्ति पायी जा सकती है। वही तो हम कह रहे कि देश में बहुत बड़े पैमाने पर यज्ञ होने शुरू होने चाहिए। इससे बहुत मदद मिलेगी।

बाकि, सब लोग स्वच्छता रखें। खांसी आये तो कोहनी में मुंह रख कर खांसे छीकें। हाथ धोकर ही कोई काम करने की आदत डालें। तबियत खराब होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखायें, बिल्कुल लापरवाही ना करें क्योंकि स्वास्थ्य है तो सबकुछ है। 
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अब तक दुनियाभर में महामारियों से अब तक के ज्ञात इतिहास में अरबों लोगों की जानें जा चुकी हैं। चकित हूँ कि इनमें से ज़्यादातर विश्वमारियाँ चीन, अमेरिका, यूरोप के देश, रूस और अफ़्रीका आदि देशों के पेटे से निकली। प्लेग, सिफ़लिस, हैज़ा (कॉलेरा), एड्स, टीबी, खसरा, कुष्ठरोग, मलेरिया, पीत ज्वर, सन्निपात और ताज़ा कोरोना जैसे तमाम ज्ञात-अज्ञात विषाणुजनित बीमारियाँ इन्हीं देशों से दुनिया भर में संचरित हुईं। इबोला, मार्स, सार्स, डेंगू, उलू-फ़्लू आदि इन्हीं बीमारियों के भाईबंधु हैं। टाइफ़स या सन्निपात को ‘शिविर बुखार’, ‘जेल बुखार’ और ‘जहाज बुखार’ भी कहा जाता है।

महामारियों का यह भयावह सफ़र 430 ईसापूर्व प्लेग ऑफ़ एथेंस से शुरू होकर चीन तक पहुँचा और अब वाया चीन दुनिया के लगभग दो सौ देशों तक पहुँच गया है। दुनिया भर में इससे मरने वालों की संख्या 10 हजार से भी ऊपर पहुँच गई है और लाखों लोग किसी ना किसी रूप से प्रभावित हैं।

इस बार भी कोरोना (कोविड19) चीन से निकलकर सबसे ज्यादा तबाही यूरोपीय देशों में मचा रहा है। भारत भी इसकी चपेट में है और हम सब बहुत डरे हुए हैं; परन्तु समय से सतर्कता बरते जाने के कारण इस बार यहाँ लोगों को सुरक्षित रहने की प्रत्याशा अधिक है। हालाँकि महामारी के विभिन्न बुरे दौर में यहाँ भी लाखों की संख्या में मौतें हुई हैं। सन् 1897 के बाद से बहुत सी महामारियों पर क़ाबू पाया जा चुका है।

इटली, फ़्रांस, स्पेन, जर्मनी जैसे देशों का पहले भी महामारी में बुरी तरह से प्रभावित होने का इतिहास रहा है।

यूरोप इसका खास इलाका रहा। यहाँ तो लगातार महामारियाँ फैलती रहीं। मिस्र से शुरू हुआ बूबोनिक प्लेग ने तो 550 और 700 इस्वी के बीच यूरोप की जनसंख्या घटकर लगभग आधी कर दिया। यद्यपि आठ सौ सालों तक यूरोप बचा रहा। परन्तु इसके बाद यूरोप फिर से महामारी के प्रकोप में फँस गया और सन् 1300 में प्लेग की वापसी से यूरोप के लाखों लोग दुनिया से कूच कर गये। 18वीं सदी तक तो सम्पूर्ण यूरोप में 100 से अधिक प्लेग महामारियों का प्रसार हुआ था।

तीसरी सार्वदेशिक बीमारी (थर्ड पैन्डेमिक) की शुरुआत 19वीं सदी के मध्य में चीन में हुई थी, जो सभी बसे हुए महाद्वीपों में फैलने वाला प्लेग था और जिससे केवल भारत में 10 मिलियन यानी एक करोड़ लोगों की मौत हो गई थी।

समयावधि के आधार पर वैश्विक महामारी को सात चरणों में देखा गया है।ताज़ा प्रकोप इसी सातवें चरण का है।

खैर; दुनिया के तमाम देशों समेत भारत भी ख़तरे के मुहाने पर है। अपने यहाँ अभी ज्ञात संख्या में इज़ाफ़े की सूचना आयेगी। पर यह वह सूचना है जो घटित हो चुका है। आगे यह संख्या ना बढ़े, यह सरकार ही नहीं, जनता भी जुटकर साथ दे। जनता थाली पीटे- ढ़ोल बजाये या कुछ भी करे, पर अपने को बचाकर रखे। यह हम सब जानते हैं कि हमारे पास चिकित्सकीय सुविधाएँ बहुत कम हैं, इसका रोना रोने से अब काम नहीं चलने वाला। यदि सब सुविधाएँ होतीं तो भी संक्रमण की स्थिति में ख़तरे रहते ही। इसका उदाहरण इटली और स्पेन हैं; चीन इसलिए नहीं कि वहाँ की कोई भी पुख़्ता सूचना नहीं है। तो इसका सीधा सा तोड़ है सोशल-डिसटैंसिंग (गो कोरेन्टाइन), जिसे अभी भी लोग नहीं मान रहे हैं। फ़िलहाल, ताज़ा सरकारी सूचना के अनुसार भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या कुल सात बतायी जा रही है, मरने वालों को कोरोना के साथ-साथ दूसरी तरह की भी शारीरिक बीमारियाँ थीं।

केन्द्र व राज्य सरकारों को चाहिए कि वह चिकित्सकीय प्रबंधन के साथ-साथ हर हाल में लोगों की बेवजह की आवाजाही बंद करे और लोग भी इसमें सहयोग करें। याद रखना होगा कि अभी तक इस वायरस की वैक्सीन नहीं बन पायी है। बचाव ही इलाज है। पूरी तरह खुद कोो दूसरोंं से दूर रखें  बस। सबके साथ मिलकर ही इससे निबटा जा सकता है, यह अकेले सरकार के बूते का नहीं है। इसका यह अर्थ नहीं कि सरकार अपने दायित्व से मुक्त है। अपना देश बहुत बड़ा देश है। यहाँ की पाँच फीसदी आबादी भी किसी छोटे-मोटे देश की आबादी से बड़ी संख्या है।

तो आइए, सहयोग से सुरक्षित रहें और अपना बचाव ही सबसे बड़ा सहयोग होगा। कुछ दिन घर में गुज़ारिए। रचनात्मक और मन पसंद का करिए; गीत गाइए, चुटकुले बनाइए, पत्नी-बच्चों, माँ-बाप के साथ रहिए, तंज कसिए, जुमले उछालिए, सरकार की आलोचना-तारीफ़ करिए, पर बाहर ना निकलिए; बाहर नहीं निकलेंगे तो मर न जायेंगे, बाहर निकलेंगे तो सिर्फ़ अपने लिए ही
नहीं दूसरों के लिए भी मौत का दरवाजा जरूर खोल देंगे।
आज पूरी दुनिया में कोरोना को महामारी घोषित किया गया है। बता दें कि महामारी उस तरह की संक्रामक बीमारी होती है जिसकी चपेट में एक ही समय में दुनिया भर के लोग आने लगे हों। अगर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण को बढ़ता है तो इसे महामारी कहा जाता है। वैश्विक महामारी तब फैलती है जब कोई नया वायरस आसानी से लोगों को संक्रमित कर ले और जिसका संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो। इसका कोई इलाज या वैक्सीन न हो तो इसके संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है। कृपया कोरोना पोजीटिव होने पर डरें नहीं, छिपे नहीं। स्वंय पर, डॉक्टर और ईश्वर पर पूरा भरोसा रखें। हम सबकी प्रार्थनाएं सफल हों। 
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करें प्रार्थना🙏 -
सच है कि प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। आइये! प्रार्थना करें कि हे! ईश्वर इस वायरस से पूरी मानवता की रक्षा करें। सब स्वस्थ हों। सबका मंगल हो।

-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

1 comment:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 15 मार्च 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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