रेप पीड़िताओं के केस की फीस माफ हो - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
कम से कम रेप पीड़िताओं के केस की फीस माफ हो जिससे गरीब का दर्द कुछ तो कम हो....
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निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका कर पूरे देश की बहनों का दिल सचमुच जीत लिया पर निर्भया की मां का दिल ही जानता होगा कि इस न्याय को पाने में उनकी ऐड़ियां घिस गयीं होगीं। अच्छा हो कि इन चारों के साथ में उन शैतानों को भी लटका दो जो सबकुछ जानते हुए इन रेपिस्टों को सात साल से बचाते चले आ रहे थे।हिम्मत तो देखिये! अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक जाने की बातें हुई़ं..... जब तक बुराई को बचाने वाले ऐसे बुरे लोग रहेगें, गरीब को तो इंसाफ मिलना ही असम्भव हो जायेगा, यह मामला - मीडिया में पूरे देश, विदेश तक हाईट लाईट था..तब भी सात साल लग गए सोचो! वो गरीब क्या करें, जिसके पास हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को देने के लिए ना मोटी फीस है और ना ही दौड़ भाग करने के लिए उनकी ऐड़ियां ही सलामत बची हैं.. उनकी ऐड़ियां तो रिक्शा खींच कर इस गरीबी व भूख ने कब की घिस डालीं बाकि बची उनकी बहन बेटियों की इज्ज़त तो वह किस हालात में हैं यह उनका ही दिल जानता है.. जब बात करो तो कहते हैं कि साहब! गरीब की का इज्ज़त.. वो इज्ज़त का का करें जेहि बचाई ना सकें.. बस रामभरोसे कट रही.. हम बड़का लोग तो हैं नहीं जो टीवी वाले पूछन आयेगें। यह शब्द पूरी हकीकत बयां कर रहे कि गरीब कितना बेबस है। काश! कि गरीब का मुकदमें मुफ्त लड़े जाते... काश! कि कानून इतने सख्त हों कि सड़क पर सोने वाले भी बेख़ौफ़ रहें... आज हालत यह है कि पता नही कितने ही रेप के केस अदालतों में धूल खा रहे हैं। आखिर! कब मिलेगी उन सब रेपिस्टों को व उन्हें बचाने वालों को फांसी....!!तो साहिब! आपसे दरख्वास्त है कि कम से कम रेप पीड़िताओं के केस की फीस पूरी तरह माफ कर दी जाये वरना सम्मान भी गया और न्याय मिलने में देरी से परिवार का जोड़ा हुआ सब धन भी बर्बाद चला जाये तो इंसान की यह न्याय पाने की यात्रा बेहद दुरूह कठिन हो जायेगी.. बाकि आप समझदार हैं।
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
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