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माता-पिता की सेवा से मिले दर्शन

श्री विठ्ठल भगवान कथा

श्री विठ्ठल भगवान श्री कृष्ण 

माता रूकमणी देवी

अपने भक्त द्वारा अपने माता-पिता की सेवा-भक्ति देख प्रकट हुए श्री विठ्ठल भगवान यानि भगवान श्री कृष्ण ।
करीब 6वीं सदी की बात है उस समय संत पुंडलिक जो भगवान श्री कृष्ण जी की सपत्नी पूजा किया करते थे। वे नारायण के परम भक्त थे और अपने माता-पिता के भी परम भक्त थे। वह हर दिन यह सोचते-सोचते सो जाते कि माता-पिता की सेवा में दिन-रात का पता ही चलता, इस बीच अपने प्रभु की भक्ति कम रह जाती है । पता नहीं मेरे नाथ! मुझ गरीब को किसी जन्म में दर्शन देगें भी नहीं। इसी कश्मकश में प्रभु श्री कृष्ण जिन्हें वह लाड़ दुलार से विठ्ठल कहते थे, उनका नाम जाप करते हुए, अपने माता-पिता की सेवा करते रहे। फिर, एक दिन वे अपने बृद्ध माता-पिता के पैर दबा रहे थे कि श्रीकृष्ण भगवान रूकमणी जी के साथ वहां प्रकट हो गए। वे पैर दबाने में इतने लीन थे कि अपने इष्टदेव की ओर उनका ध्यान ही नहीं गया।तब प्रभु श्री कृष्ण जी ने उन्हें स्नेह से पुकार कर कहा, 'पुत्र पुंडलिक, हम तुम्हारा आतिथ्य ग्रहण करने सपत्नी आ गये हैं।' पुंडलिक ने जब उस तरफ देखा, तो भगवान के दर्शन हुए। उन्होंने कहा कि प्रभु जरा धीरे बोलिए! मेरे माता-पिताजी शयन कर रहे हैं कहीं उनकी नींद न टूट जाये,वो बीमार हैं बड़ी मुश्किल से उन्हें नींद आयी है । इसलिए आप इस ईंट पर खड़े होकर थोड़ी सी प्रतीक्षा कीजिए और वे पुन: पैर दबाने में लीन हो गए।भक्त पुंडलिक की  अपने माता-पिता की सेवा और शुद्ध, मासूम, निस्वार्थ भाव देखकर भगवान श्री कृष्ण जी बहुत प्रसन्न हो गए और कमर पर दोनों हाथ रखकर और पैरों को जोड़कर उसी ईंट पर चुपचाप खड़े हो गए। कुछ देर बाद पुंडलिक ने भगवान से कह दिया कि आप इसी मुद्रा में थोड़ी देर और इंतजार करें प्रभु। भगवान अपने भक्त की अपने माता-पिता के प्रति सेवा-भक्ति को बाधित नहीं करना चाहते थे और वह, रूकमणी जी के साथ एकरूप होकर कमर पर हाथ रखे, उसी मुद्रा में विग्रह यानि मूर्ति रूप में वहीं विराजमान हो गये जिसे उनके भक्त पुंडलिक ने विठ्ठल कहते हुए हृदय से लगा लिया। भगवान श्री कृष्ण जी ने यह विठ्ठल अवतार इसलिए लिया कि धरती के प्रत्येक प्राणी अपने बुजुर्ग माता-पिता की सेवा पूरे मनोभाव से करें क्योंकि यही नारायण श्री कृष्ण की ही सेवा है। जो भक्त अपने माता-पिता से अन्नय प्रेम करते हैं, भगवान उनसे लाख गुना ज्यादा प्रेम करते हैं।

यही स्थान पुंडलिकपुर या अपभ्रंश रूप में पंढरपुर कहलाया।

रेल : पंढरपुर में कुर्दुवादि रेलवे जंक्शन से जुड़ा हुआ है। कुर्दुवादि जंक्शन से होकर लातुर एक्सप्रेस , मुंबई एक्सप्रेस, हुसैनसागर एक्सप्रेस , सिद्धेश्वर एक्सप्रेस समेत कई ट्रेने रोजाना मुंबई जाती हैं। पंढरपुर से भी पुणे के रास्ते मुंबई के लिए ट्रेन चलती है।

बस: महाराष्ट्र के कई शहरों से सड़क परिवहन के जरिए जुड़ा है पंढरपुर। इसके अलावा उत्तरी कर्नाटक और उत्तर-पश्चिम आंध्र प्रदेश से भी प्रतिदिन यहां के लिए बसें चलती हैं।

प्रमुख शहरों से दूरी

-संगोला से पंढरपुर की दूरी 32 किलोमीटर है।

-कुर्दुवादि जंक्शन की दूरी 52 किलोमीटर स्थित है।

-इसके अलावा सोलापुर 72 किलोमीटर, मिराज 128 किलोमीटर और अहमदनगर 196 किलोमीटर दूर स्थित है।
🙏💐जय श्री विठ्ठल भगवान जी की सदा ही जय
भगवान विट्ठल जी आप सभी के माता-पिता को सदा स्वस्थ रखें और आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करें🙏

2 comments:

  1. बहुत शानदार जानकारी मिली।शुक्रिया

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  2. Bahut sargarbhit jankari.��

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