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एक मजबूत कदम लो

 

एक मजबूत कदम लो-
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[जब सत्य आपके साथ है तो वक्त आपके आपके साथ है।

दूसरे को दु:खी करने वाले लोग हमेशा यह सोचते हैं कि तुमने उसे अकेला कर दिया पर ईश्वर उसे शानदार साथ उपलब्ध करवाते हैं। जो दूसरे के जीवन में हस्तक्षेप करता हैै। जो दूसरे को दु:ख देता है, वह भूल जाता है कि वह स्वयं अमर नहीं है। सद्विचार की पूँजी हमेशा सद्विचारों को आकर्षित करती है। यह नैतिक मूल गुण सदा शाश्वत है, आदि है सनातन है। यदि एक दुरात्मा अत्यन्त सक्षम, वेदपाठी रावण ही क्यों न हो, उसके अंत के लिए भगवान श्री राम आते हैं और हर युग में आते हैं,  द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में आकर वह स्वंय कहते हैं कि जब-जब धर्म की हानि होती है, ''मैं प्रकट होता हूँ।'' फिर भी पापियों को यह लगता है कि किसी को परेशान करके वह तीर्थों में जाकर अपने पाप धुल सकते हैं । पाप करके चाहे जितने तीर्थ कर लो पर कर्मफल से इस लोक परलोक कहीं मुक्ति सम्भव नहीं । इतिहास साक्षी है कि दी थी भगवान श्री कृष्ण ने युगों लंबी शापित उम्र.. उस पापी  अश्वत्थामा को... जिसकी मुक्ति समय के पार भी असम्भव है। क्या सीखा हमने अपनी संस्कृति से? जो सामने वाले के जीवन में सदा झांकते रहते हैं कि अब वह क्या कर रहा? अब वह क्या कर रह? हे!बुराई के भ्राता, क्या इतना समय आप खुद की तरक्की में नहीं लगा सकते? हमेशा सामने वाले को कैसे दु:ख दिया.. सिर्फ़ यही सोचने में कुछ फालतू लोगों की पूरी जिंदगी बीत जाती है। अब आप पाकिस्तान का ही उदाहरण लो.. हमेशा भारतवर्ष को अपनी टुच्ची हरकतों से परेशान करता रहता है पर उतना समय और धन वह अपने देश को उन्नत करने में नहीं लगाता। ऐसे पापियों को भगवान भी नहीं सुधार सकते। इनकी जिंदगी दूसरों को देखकर जलने में ही बीत जाती है । न यह इंसान कहलाने लायक है और न जानवर। इसलिए आप सब एक मजबूत कदम लो  और अपने जीवन से ऐसे चुगलखोर, छछूंदर और चोर टाईप, षड्यंत्रकारी फालतू लोगों को तुरंत इग्नोर करें और अपनी पहचान बनाने में लगे रहें। ज़रा सोचो! जो आपकी प्रगति से जल उठे,जो पीठ पीछे आपकी बुराई करे, जो समाज में आपका अपमान करे, जो आपको गिराने में सारी हदें पार कर दे, जिसका उद्देश्य सिर्फ़ चोट पहुंचाना हो। क्या वह 'अपना' कहलाने लायक है? इन भितपघातियों, गद्दारों के कारण परिवार, सम्बन्ध, रिश्ते, यहां तक की देश भी मायने नहीं रखता । ऐसे लोगों का सिर्फ़ एक ईश्वर है वो है सिर्फ़ धन। आप हमेशा यही सोचते होगें कि आखिर! इतना भयंकर संघर्ष सिर्फ़ मेरी ही लाईफ में क्यों? तो बस इतना सोचो! कि आप भगवान द्वारा दी गई इस जीवनरूपी स्क्रिप्ट के बेहतरीन हीरो यानि नायक व नायिका हो। फिर जब सत्य आपके साथ है तो वक्त भी आपके साथ होगा। युग जो भी हो जीत हमेशा सत्य की ही होती है और ढ़ोगी का पतन अवश्य सम्भावी है। फिर जब सत्य आपके साथ है तो वक्त आपके साथ होगा और जरूर होगा। बस आप उन नजदीकी लोगों से सावधान रहिये जो करीबी होने का सिर्फ़ ढ़ोग करते हैं । हाँ, वही लोग जो आपके घर, दफ्तर, दुकान में सबसे ज्यादा आते या आतीं हैं और पूरे मोहल्ले /साथी कर्मचारी /पास के दुकानदारों की बेहद बुराई करते हैं और बिना मतलब आपके मुंह पर आपकी तारीफ करते हुये आपसे अपना उल्लू सीधा करते या करतीं हैं। ज़रा सोचिये! जब वह आपसे औरों की बुराई कर रहा या कर रही है तो वह किसी और से आपकी भी बुराई जरूर करता या करती होगी। ऐसे ही लोग घर/परिवारिक सम्बन्ध /व्यापारिक संबंध /राष्ट्रसम्बंध तोड़ू प्रवृत्ति के महाविनाशक/विध्वंसक सोच के चपल लोग होते हैं जिन्हें पूर्वजों ने आस्तीन का सांप कहकर भी सचेत किया है । ये वो फालतू वायरस समान लोग हैं जो जब तक जोंक की तरह आपके धन और समय व रिश्तों का खून पीकर तब तक नहीं छोड़ते जब तक आप उन्हीं जैसे फालतू न बन जायें । यह वह वायरस हैं जिनकी वैक्सीन नहीं होती, सिर्फ़ विवेक सूझबूझ ही अंतिम उपाय और आप सब भूलकर 

क्षणक्षणेयन्नवतमामुपैति 

भाव से नित नूतन प्रवाह से गतिमान रहो। 


  हे! सत्यपथिकों.. यह दिसम्बर चल रहा है। अगले महीने नया साल आपकी ढ़ेरसारी उम्मीदों की साल ओढ़े गुनगुनी सुनहरी धूप लिये दस्तक देगा। उससे पहले आप अपनी लाईफ से इन कचरेटाईफ लोगों को जो आपका अपना सगा बनने का सदा ढ़ोंग करते रहे, उन समस्त धूर्त पाखंडियों, टाईम किलर लोगों को अपनी जिंदगी से जल्दी से जल्दी दूर करके एक सुखद नये सकारात्मक और हुनरमंद दोस्तों शुभचिंतकों के साथ भारतमाता की ऊर्जा बढ़ाने के क्रम में सदा भागीदार रहें। भगवान करें आप सभी शुभचिंतकों के लिए आने वाला नया वर्ष ढ़ेरसारी खुशियां लेकर आये और आपकी जिंदगी में दिव्य, खुशनुमा, वफादार, बेहतरीन लोग आयें जो आपको हर दु:ख, हर पीड़ा से उबार लें। सत्य और प्रेम की सदा विजय हो।
वंदेमातरम् 🙏💐
















_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 

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