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क्रिप्टो करेंसी का मायाजाल

 

क्रिप्टो करेंसी /बिट क्वाइन बिल्कुल अपना रुपइया और अमेरिकी डॉलर के समान ही है, अंतर सिर्फ इतना है कि यह आभाषी मुद्रा है जो दिखाई नहीं देती, न ही आप इसे छू सकते हैं। इसलिए इसे डिजिटल करेंसी भी कहते हैं।इसका पूरा कारोबार ऑनलाइन माध्यम से ही होता है। जहां एक ओर किसी भी देश की करेंसी के लेन-देन के बीच में एक मध्यस्थ होता है, जैसे भारत में केंद्रीय बैंक, लेकिन क्रिप्टो के कारोबार में कोई मध्यस्थ नहीं होता और इसे एक नेटवर्क द्वारा ऑनलाइन संचालित किया जाता है। यही कारण है कि इसे अनियमित बाजार के तौर पर जाना जाता है, जो पल में किसी को अमीर बना देता है और एक झटके में उसे जमीन पर गिरा देता है। लेकिन बावजूद इस उतार चढ़ाव के इसको लेकर लोकप्रियता बढ़ती ही जा रही है।दुनिया भर में जहां इसकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है, वहीं भारत में भी इसमें निवेश करने वालों की संख्या बढ़ी है। हालांकि, इस अनियमित बाजार में जोखिम को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार और आरबीआई ने निजी डिजिटल करेंसी पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। वर्तमान में दुनिया की सबसे ज्यादा मूल्यवान और सबसे अधिक लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी बिटक्वाइन है। इसके बाद दूसरी पसंदीदा क्रिप्टो करेंसी की बात करें तो नाम आता है इथेरियम का। वहीं टॉप 10 डिजिटल मुद्राओं की बात करें तो इनमें पोल्काडॉट, टेथर, लाइटक्वाइन, डॉजक्वाइन समेत अन्य शामिल हैं। शुरुआत में बिटक्वाइन का ही क्रिप्टो बाजार में दबदबा था लेकिन समय के साथ ये बाजार बढ़ता गया और हजारों की संख्या में डिजिटल मुद्राएं चलन में आ गईं। आज क्रिप्टो के कारोबार का दायरा लगभग दुनिया के ज्यादातर देशों में फैल चुका है। क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन करने के लिए जिस प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है उसे ब्लॉकचेन कहते हैं। ये डिजिटल करेंसी इनक्रिप्टेड (कोडेड) होती हैं। इसे एक कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए नियंत्रित किया जाता है। इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल हस्ताक्षर द्वारा सत्यापन किया जाता है। इसका रिकॉर्ड क्रिप्टोग्राफी की मदद से नियंत्रित होता है। यह सारा काम कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए चलता है। क्रिप्टो करेंसी में कोई लेन-देन होता है तो इसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है, यानी उसे एक ब्लॉक में रखा जाता है। क्रिप्टो करेंसी खरीदने के दो जरिए हैं, लेकिन आज सबसे आसान और लोकप्रिय तरीका इन्हें क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए खरीदना है। दुनिया भर में सैकड़ों क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज काम कर रहे हैं। भारत की अगर बात करें तो यहां पर काम कर रहे वजीरएक्स, जेबपे, क्वाइनस्विच कुबेर, क्वाइन डीसीएक्स गो समेत कई एक्सचेंज संचालित है। इसके अलावा क्वाइनबेस और बिनान्से जैसे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म भी मौजूद हैं, जहां से बिटक्वाइन, इथेरियम, टेथर और डॉजक्वाइन समेत दुनिया भर की डिजिटल मुद्राएं खरीदी जा सकती हैं।देश में बिटक्वाइन अन्य क्रिप्टो करेंसी को खरीदना और बेचना काफी आसान है। सबसे खास बात यह है कि खरीदारी के ये सभी क्रिप्टो एक्सचेंज चौबीसों घंटे खुले रहते हैं। इनके जरिए क्रिप्टो करेंसी को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। रुपये में क्रिप्टो ट्रेडिंग और निवेश करने के लिए आपको किसी एक एक्सचेंज पर पंजीकरण करना होता है। इसके लिए एक्सचेंज की साइट पर साइनअप करने के बाद अपनी केवायसी प्रक्रिया को पूरा कर  वॉलेट में पैसे ट्रांसफर किए जाते हैं और फिर इन डिजिटल मुद्राओं की खरीदारी की जा सकती है। गौरतलब है कि भारत में भी क्रिप्टो में निवेश करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में करीब 15 मिलियन (1.5 करोड़) एक्टिव उपयोगकर्ता ऐसे हैं जिनका भारत में संचालित किसी न किसी क्रिप्टो एक्सचेंज में पंजीकरण है। यही कारण है कि इस अनियमित बाजार में भारतीय निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार दोनों सख्त हैं। निजी क्रिप्टो करेंसी पर लगाम कसने के लिए चालू संसद के शीतकालीन सत्र में एक बिल भी पेश होना है। इसके साथ ही आरबीआई ने सरकार को अपनी डिजिटल करेंसी के संबंध में एक प्रस्ताव भी दिया है। बता दें कि एक तरफ चर्चा है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग पर बैन लगाने जा रही है, वहीं दूसरी तरफ सिंगापुर-बेस्ट वर्चुअल करेंसी एक्सचेंज  भारत में अपने ऑपरेशन शुरू कर चुकी है। इस एक्सचेंज का नाम है कॉइनस्टोर। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉइनस्टोर के मार्केटिंग हेड चार्ल्स टैन  का कहना है कि उनकी ऐप पर आ रहा लगभग एक तिहाई यूजर भारत से है तो ऐसे में भारतीय बाजार में विस्तार करना कंपनी ने ठीक समझा। जब उनसे पूछा गया कि भारत में क्रिप्टोकरेंसीज पर बैन की बात कही जा रही है तो उनकी कंपनी भारत में अपनी लॉन्चिंग को लेकर कितनी सुनिश्चित है तो उन्होंने बताया कि पॉलिसी थोड़ी ऊपर-नीचे हो सकती है, लेकिन कंपनी को उम्मीद है कि चीजें पॉजिटिव रहेंगी। टेन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसीज के लिए एक हेल्थी फ्रेमवर्क प्रस्तुत करेगी। फिलहाल वित्त मंत्रालय ने लिखित जवाब में यह भी बताया कि सरकार के पास बिटक्वाइन का कोई डेटा नहीं है।यानि भारत सरकार  बिटक्वाइन के लेन-देन से जुड़ा कोई डेटा कलेक्ट नहीं करती है।सरकार का यह बयान ऐसे समय आया है, जब संसद के मौजूदा सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर विधेयक लाने की तैयारी चल रही है।बात क्रिप्टोकरेंसी यानि अत्याधुनिक सट्टे की चल रही है तो आइये! इस बुराई की पुरानी जड़ें भी तलाशें।बता दें कि इस बुराई की यानि इस सट्टा मटका की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, जब लोगों ने कपास के खुलने और बंद होने की दर पर दांव लगाना शुरू किया था, जिसे टेलीप्रिंटर के माध्यम से न्यूयॉर्क कॉटन एक्सचेंज से बॉम्बे कॉटन एक्सचेंज में भेजा जा रहा था। न्यू यॉर्क कॉटन एक्सचेंज ने 1961 में इस प्रथा को रोक दिया, जिससे जुआरी/पंटर सट्टा मटका व्यवसाय को जीवित रखने के लिए दूसरा रास्ता तलाशने लगे और वे कागज के टुकड़ों में बदलते चले गए।कुख्यात रतन खत्री को मूल मटका राजा के रूप में जाना जाता है। 1960 के दशक की शुरुआत से 1990 के दशक के मध्य तक खत्री ने एक विशाल राष्ट्रव्यापी अवैध जुआ नेटवर्क का प्रबंधन करके करोड़ों युवाओं को पथभ्रष्ट कर दिया और दुर्भाग्यवश उसका आधुनिकीकरण हो गया है बदला कुछ भी नहीं । सट्टा मटका, जिसे मटका जुआ या सिर्फ सट्टा भी कहा जाता है, भारत में एक पूर्ण पैमाने पर लॉटरी खेल था। इसकी शुरुआत 1950 के दशक में भारत को आजादी मिलने के तुरंत बाद हुई थी। अब, यह ज्यादातर ऑनलाइन खेला जाता है।बैट तीन सौ पैंसठ यू.के. स्थित जुआ प्रक्रिया कंपनी है,परन्तु उनके पास 200 से अधिक देशों जिनमें भारत भी शामिल है, से ग्राहक है जिनमें लाखों लोगों के खाते हैं। उनकी शर्त प्रक्रिया साईट दर्जनों भाषाओ और मुद्राओ में उपलब्ध है। जबकि उनकी वेबसाइट पर शर्त लगाना तकनीकी तौर से गैरकानूनी है, हमारी जानकारी के अनुसार कोई भी भारत में जुआ खेलने के लिए गिरफ्तार नहीं हुआ है जब वह विदेश में स्थित कंपनी से ऑनलाइन शर्त लगा रहा था। यहां तक की बैट365 का सवाल है, भारतीय कानून उन पर लागू नहीं होते क्यों कि वे एक कानूनी यू.के. जुआ (द्युत) प्रक्रिया अनुज्ञापत्र के आधीन काम करते है जो उनके पास 1974 से है। क्यों कि उनका कोई भारत में सर्वर, विज्ञापन या कुछ अन्य नहीं है, अधिकारी उन्हें भारतीय जुआरियों को सेवा प्रदान करने से नहीं रोक सकते। इसलिए भारत ई-वाल्लेट का प्रयोग करके बेट365 और बेटफेयर जैसी साइटों पर आसानी से आई. पी. एल क्रिकेट और अन्य मैचों पर शर्त मतलब सट्टा लगा सकते है यानि क्रिप्टोकरेंसी पर भी दांव आजमा सकते हैं। जरा सोचिये! ऑनलाइन जुआ हो या पोर्नग्राफी आंकडे मतलब पाप का बजार हजारों करोड़ रुपये ही नहीं अपितु डॉलर में है, यानि नो लिमिट । जिसकी चमक और खनक से बहुत से गद्दार बिक जाते हैं और जिसमें मादक पदार्थों, मानवअंगों /अनाथ बच्चियों हर तरह की तस्करी शामिल है। जिसे पोषण देते हैं यही सट्टेबाज। इनफोर्मेसन टेक्नोलोजी इंटरमिडीयरीस गाइडलाइंस नियम 2011 प्रकाशित किये । यह कानूनी दस्तावेज इनफोर्मेसन टेक्नोलोजी अधिनियम 2000 के आधीन निकाला गया । संक्षेप में यह अधिनियम इन्टरनेट सेवा संसाधको और वेबसाइट परिचारको को आदेश देता है कि वे अमुक तरह की वेबसाइट और तत्व में प्रवेश रोकें पर रूकता फिर भी नहीं। अब इसे ऐजेंसियों की लापरवाही कहें या कानून की लचरता या लोगों का रातोंरात अमीर बनने का जुनून। बता दें कि 1867 से ही भारत में लॉटरी और रम्मी, घुड़दौड़ को छोड़कर जुआ अवैध है।बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के अनुसार अब घर, वाहन या किसी जगह पर गैंबलिंग पकड़ी गयी तो अधिकतम तीन साल की सजा होगी।   ताश के खेल जैसे तीन पत्ती, मुर्गा, बुलबुल या बैल की लड़ाई पर पैसा लगाने वाले भी अब जेल जाएंगे। साथ ही जुर्म साबित न होने तक उन्हें जमानत नहीं मिलेगी। जुआ राज्य का विषय है और इस पर हर राज्य के अलग-अलग कानून थे, हालांकि, कौशल के खेल में ज्यादातर छूट दी गई है। लोग तो यहां तक कहते हैं कि जुआ आखिर! कहां नहीं है, शेयर बाजार भी एक जुआ है और आज तो क्रिकेट सट्टा का सबसे बड़े अड्डे या कहूं अखाड़े के रूप में गिना जाता । राजनीति में विधायकों की फेरबदल /दलबदलूपन और गठबंधन जुआ नहीं तो क्या? अंत में सट्टे के ज्ञाता खुद को महान दार्शनिक की तरह उपदेश करते हैं कि जीवन भी जुआ है लगा लगा हर श्वांस पर दांव है। आप तर्क का जवाब बखूबी दे सकते हैं पर कुतर्क का नहीं।हमारा तो यही परामर्श यही है कि महाभारत का वो महाजुआ याद करो और उसके भयंकर परिणाम को भी मत भूलो।इसलिए ईमानदारी के कम किंतु शुद्ध, पवित्र और स्थिर लक्ष्मी जी की ही कामना करें और देश की प्रतिष्ठा हेतु सदैव नेक कार्य करते रहें। देखा! जाये तो ऑनलाइन पैसे कमाने के हजारों सकारात्मक विकल्प मौजूद हैं पर ऑनलाइन क्रिप्टोकरेंसी यानि एक भयंकर मायाजाल है जिसमें करोड़पति बनने की चाहत कहीं आपको खाकपति न बना जाये तो सतर्क रहिये और सुरक्षित रहिये।

_आकांक्षा सक्सेना, न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक 








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