Breaking News

माँ बगलामुखि सम्मोहन महाविद्या




बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है. तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले बगलामुखी माता को प्रसंन करना जरूरी है बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं। रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी के भक्त को तीनों लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है ||

माता बगलामुखी का माहात्म्य-

सतयुग में एक समय भीषण तूफान उठा। इसके परिणामों से चिंतित हो भगवान विष्णु ने तप करने की ठानी। उन्होंने सौराष्‍ट्र प्रदेश में हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे कठोर तप किया। इसी तप के फलस्वरूप सरोवर में से भगवती बगलामुखी का अवतरण हुआ। हरिद्रा यानी हल्दी होता है। अत: माँ बगलामुखी के वस्त्र एवं पूजन सामग्री सभी पीले रंग के होते हैं। बगलामुखी मंत्र के जप के लिए भी हल्दी की माला का प्रयोग होता है। बगलामुखी देवी ही समस्त प्रकार से ऋद्धि और सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। मान्यता है कि तीनों लोकों की महान शक्ति जैसे आकर्षण शक्ति वाक् शक्ति और स्तंभन शक्ति का आशीष देने का सामर्थ्य सिर्फ माता के पास ही है देवी के भक्त अपने शत्रुओं को ही नहीं बल्कि तीनों लोकों को वश करने में समर्थ होते हैं विशेषकर झूठे अभियोग प्रकरणों में अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने के लिए देवी की आराधना उत्तम मानी जाती हैं।

काली तारा महाविद्या षोडसी भुवनेश्वरी।
बाग्ला छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।।
मातंगी त्रिपुरा चैव विद्या च कमलात्मिका।
एता दश महाविद्या सिद्धिदा प्रकीर्तिता।।

मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। बगलामुखी देवी ही समस्त प्रकार से ऋद्धि तथा सिद्धि प्रदान करने वाली हैं। तीनों लोकों की महान शक्ति जैसे आकर्षण शक्ति, वाक् शक्ति, और स्तंभन (सम्मोहन) शक्ति का आशीष देने का सामर्थय सिर्फ माता के पास ही है देवी के भक्त अपने शत्रुओं को ही नहीं बल्कि तीनों लोकों को वश करने में समर्थ होते हैं, विशेषकर झूठे अभियोग प्रकरणों में अपने आप को निर्दोष सिद्ध करने हेतु देवी की आराधना उत्तम मानी जाती हैं।

सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती. शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है. किसी छोटे कार्य के लिए 10000 तथा असाध्य से लगाने वाले कार्य के लिए एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए |

36 अक्षर का बगलामुखी महामंत्र इस प्रकार है-

“ॐ ल्ह्रिम बगलामुखी सर्वदुष्टानाम वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिं विनाशय ल्ह्रिमॐ स्वाहा”

यह सभी जप हल्दी की माला पर करना चाहिए और पूजा में पुष्प, नैवेद्य आदि भी पीले होने चाहिए.साधक पीले वस्त्र पहन कर पीले आसन पर बैठ कर मंत्र जाप करे.

माता बगलामुखी आवाहन का आव्हान मंत्र–
“ॐऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।”

 माँ बगलामुखी मंत्र —-

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए….

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार…..




सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

सामान्य बगलामुखी मंत्र —–

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.

जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—–

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:

इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —-

1. मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
2. मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
3. तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है।
4. हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।

1) भय नाशक मंत्र—–

अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन

पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें…
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…
दक्षिण दिशा की और मुख रखें….

2) शत्रु नाशक मंत्र—-

अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….

ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

जादू टोना नाशक मंत्र—–

यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….

ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय

आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं….
कपूर से देवी की आरती करें….
रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखे….

4) प्रतियोगिता इंटरवियु में सफलता का मंत्र—–
आपने कई बार इंटरवियु या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें….

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:

बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं…
देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें…
रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें…

5) बच्चों की रक्षा का मंत्र—-

यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए.. .

ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष

देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें…
दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें….
मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें…

6) लम्बी आयु का मंत्र—-

यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:

पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें…
मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलाये…
प्रसाद पूरे परिवार में बाँटें….
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें…

7) बल प्रदाता मंत्र—-
यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ

पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है…
पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए…
पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें….
रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें…

8) सुरक्षा कवच का मंत्र—-

प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता ….
ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम

देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें..
छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें…
रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें…

देवी के मंदिर - 

यह स्थान ( मां बगलामुखी शक्ति पीठ) नलखेड़ा में नदी के किनारे स्थित है स्वयंभू प्रतिमा है । यह शमशान क्षेत्र में स्थित हैं। कहा जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत युद्ध के 12 वें दिन स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। देवी बगलामुखी तंत्र की देवी है। तंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पहले देवी बगलामुखी को प्रसन्न करना पड़ता है। भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा में हैं।


जानिए कौन है बगलामुखी मां..???

मां बगलामुखी जी आठवी महाविद्या हैं। इनका प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौरापट क्षेत्र में माना जाता है। हल्दी रंग के जल से इनका प्रकट होना बताया जाता है। इसलिए, हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। इनके कई स्वरूप हैं। इस महाविद्या की उपासना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं।

 
माँ बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं अर्थात यह अपने भक्तों के भय को दूर करके शत्रुओं और उनके बुरी शक्तियों का नाश करती हैं. माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है. देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए |

 यह स्तम्भन की देवी हैं. संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है. इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है. बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है |

बगलामुखी देवी रत्नजडित सिहासन पर विराजती होती हैं रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं. देवी के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पाता, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है पीले फूल और नारियल चढाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं. देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है.

पीताम्बरा की उपासना से मुकदमा में विजयी प्राप्त होती है। शत्रु पराजित होते हैं। रोगों का नाश होता है। साधकों को वाकसिद्धि हो जाती है। इन्हें पीले रंग का फूल, बेसन एवं घी का प्रसाद, केला, रात रानी फूल विशेष प्रिय है। पीताम्बरा का प्रसिद्ध मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेडा(जिला-शाजापुर) और आसाम के कामाख्या में है।

माता बगलामुखी आवाहन का आव्हान मंत्र–

“ॐऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।”

 माँ बगलामुखी मंत्र —-

श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।
त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।
ह्रीं बीजाय नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तये नम: पाद्यो:।
ऊँ नम: सर्वांगं श्री बगलामुखी देवता प्रसाद सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग:।

इसके पश्चात आवाहन करना चाहिए….

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं स्तम्भिनि सकल मनोहारिणी अम्बिके इहागच्छ सन्निधि कुरू सर्वार्थ साधय साधय स्वाहा।

अब देवी का ध्यान करें इस प्रकार…..

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्
हेमावांगरूचि शशांक मुकुटां सच्चम्पकस्रग्युताम्
हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै
व्याप्तांगी बगलामुखी त्रिजगतां सस्तम्भिनौ चिन्तयेत्।

 बगलामुखी मंत्र —–

ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ओम् स्वाहा।

माँ बगलामुखी की साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है. यह मंत्र विधा अपना कार्य करने में सक्षम हैं. मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो निश्चित रूप से सफलता प्राप्त होती है. बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए. देवी बगलामुखी पूजा अर्चना सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली तथा मुकदमों में विजय दिलाने वाली होती है.

जानिए श्री सिद्ध बगलामुखी देवी महामंत्र को—

ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय-कीलय बुद्धिम विनाशाय ह्लीं ॐ नम:

इस मंत्र से काम्य प्रयोग भी संपन्न किये जाते हैं जैसे —-
1. मधु. शर्करा युक्त तिलों से होम करने पर मनुष्य वश में होते है।
2. मधु. घृत तथा शर्करा युक्त लवण से होम करने पर आकर्षण होता है।
3. तेल युक्त नीम के पत्तों से होम करने पर विद्वेषण होता है।
4. हरिताल, नमक तथा हल्दी से होम करने पर शत्रुओं का स्तम्भन होता है।

1) भय नाशक मंत्र—–

अगर आप किसी भी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति से डरते है और अज्ञात डर सदा आप पर हावी रहता है तो देवी के भय नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं बगले सर्व भयं हन

पीले रंग के वस्त्र और हल्दी की गांठें देवी को अर्पित करें…
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें…
दक्षिण दिशा की और मुख रखें….

2) शत्रु नाशक मंत्र—-

अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रहे हैं तो देवी के शत्रु नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….

ॐ बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु

 
नारियल काले वस्त्र में लपेट कर बगलामुखी देवी को अर्पित करें….
मूर्ती या चित्र के सम्मुख गुगुल की धूनी जलाये ….
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पश्चिम कि ओर मुख रखें….

3) जादू टोना नाशक मंत्र—–

यदि आपको लगता है कि आप किसी बुरु शक्ति से पीड़ित हैं, नजर जादू टोना या तंत्र मंत्र आपके जीवन में जहर घोल रहा है, आप उन्नति ही नहीं कर पा रहे अथवा भूत प्रेत की बाधा सता रही हो तो देवी के तंत्र बाधा नाशक मंत्र का जाप करना चाहिए….

ॐ ह्लीं श्रीं ह्लीं पीताम्बरे तंत्र बाधाम नाशय नाशय

आटे के तीन दिये बनाये व देसी घी ड़ाल कर जलाएं….
कपूर से देवी की आरती करें….
रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय दक्षिण की और मुख रखे….

4) प्रतियोगिता इंटरव्यू में सफलता का मंत्र—–

आपने कई बार इंटरवियु या प्रतियोगिताओं को जीतने की कोशिश की होगी और आप सदा पहुँच कर हार जाते हैं, आपको मेहनत के मुताबिक फल नहीं मिलता, किसी क्षेत्र में भी सफल नहीं हो पा रहे, तो देवी के साफल्य मंत्र का जाप करें….

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं बगामुखी देव्यै ह्लीं साफल्यं देहि देहि स्वाहा:

बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं…
देवी की प्रतिमा या चित्र के सम्मुख एक अखंड दीपक जला कर रखें…
रुद्राक्ष की माला से 8 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की और मुख रखें…

5) बच्चों की रक्षा का मंत्र—-

यदि आप बच्चों की सुरक्षा को ले कर सदा चिंतित रहते हैं, बच्चों को रोगों से, दुर्घटनाओं से, ग्रह दशा से और बुरी संगत से बचाना चाहते हैं तो देवी के रक्षा मंत्र का जाप करना चाहिए.. .

ॐ हं ह्लीं बगलामुखी देव्यै कुमारं रक्ष रक्ष

देवी माँ को मीठी रोटी का भोग लगायें…
दो नारियल देवी माँ को अर्पित करें…
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें….
मंत्र जाप के समय पश्चिम की ओर मुख रखें…

6) लम्बी आयु का मंत्र—-

यदि आपकी कुंडली कहती है कि अकाल मृत्यु का योग है, या आप सदा बीमार ही रहते हों, अपनी आयु को ले कर परेशान हों तो देवी के ब्रह्म विद्या मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ ह्लीं ह्लीं ह्लीं ब्रह्मविद्या स्वरूपिणी स्वाहा:

पीले कपडे व भोजन सामग्री आता दाल चावल आदि का दान करें…
मजदूरों, साधुओं,ब्राह्मणों व गरीबों को भोजन खिलाये…
प्रसाद पूरे परिवार में बाँटें….
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें…

7) बल प्रदाता मंत्र—-

यदि आप बलशाली बनने के इच्छुक हो अर्थात चाहे देहिक रूप से, या सामाजिक या राजनैतिक रूप से या फिर आर्थिक रूप से बल प्राप्त करना चाहते हैं तो देवी के बल प्रदाता मंत्र का जाप करना चाहिए…

ॐ हुं हां ह्लीं देव्यै शौर्यं प्रयच्छ

पक्षियों को व मीन अर्थात मछलियों को भोजन देने से देवी प्रसन्न होती है…
पुष्प सुगंधी हल्दी केसर चन्दन मिला पीला जल देवी को को अर्पित करना चाहिए…
पीले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें….
रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें…
मंत्र जाप के समय उत्तर की ओर मुख रखें…

8) सुरक्षा कवच का मंत्र—-

प्रतिदिन प्रस्तुत मंत्र का जाप करने से आपकी सब ओर रक्षा होती है, त्रिलोकी में कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता ….
ॐ हां हां हां ह्लीं बज्र कवचाय हुम

देवी माँ को पान मिठाई फल सहित पञ्च मेवा अर्पित करें..
छोटी छोटी कन्याओं को प्रसाद व दक्षिणा दें…

रुद्राक्ष की माला से 1 माला का मंत्र जप करें…

मंत्र जाप के समय पूर्व की ओर मुख रखें…


बगलामुखी देवी को प्रसन्न करने के लिए 36 अक्षरों का बगलामुखी महामंत्र —-

‘ऊं हल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिहवां कीलय बुद्धिं विनाशय हल्रीं ऊं स्वाहा’ का जप,

हल्दी की माला पर करना चाहिए।

 करें मां बगलामुखी पूजन…??



माँ बगलामुखी की पूजा हेतु इस दिन प्रात: काल उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर, पीले वस्त्र धारण करने चाहिए. साधना अकेले में, मंदिर में या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए. पूजा करने के लुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने के लिए आसन पर बैठें चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें.

इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर संकल्प करें. इस पूजा में ब्रह्मचर्य का पालन करना आवशयक होता है मंत्र- सिद्ध करने की साधना में माँ बगलामुखी का पूजन यंत्र चने की दाल से बनाया जाता है और यदि हो सके तो ताम्रपत्र या चाँदी के पत्र पर इसे अंकित करें.

इस अवसर पर मां बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए इस प्रकार पूजन करें-

साधक को माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों में निवृत्त होकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठें। चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवती बगलामुखी का चित्र स्थापित करें। इसके बाद आचमन कर हाथ धोएं। आसन पवित्रीकरण, स्वस्तिवाचन, दीप प्रज्जवलन के बाद हाथ में पीले चावल, हरिद्रा, पीले फूल और दक्षिणा लेकर इस प्रकार संकल्प करें-

ऊँ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु: अद्य……(अपने गोत्र का नाम) गोत्रोत्पन्नोहं ……(नाम) मम सर्व शत्रु स्तम्भनाय बगलामुखी जप पूजनमहं करिष्ये। तदगंत्वेन अभीष्टनिर्वध्नतया सिद्ध्यर्थं आदौ: गणेशादयानां पूजनं करिष्ये।

इसके बाद भगवान श्रीगणेश का पूजन करें। नीचे लिखे मंत्रों से गौरी आदि षोडशमातृकाओं का पूजन करें-

गौरी पद्मा शचीमेधा सावित्री विजया जया।

देवसेना स्वधा स्वाहा मातरो लोक मातर:।।

धृति: पुष्टिस्तथातुष्टिरात्मन: कुलदेवता।

गणेशेनाधिकाह्योता वृद्धौ पूज्याश्च षोडश।।

इसके बाद गंध, चावल व फूल अर्पित करें तथा कलश तथा नवग्रह का पंचोपचार पूजन करें।

तत्पश्चात इस मंत्र का जप करते हुए देवी बगलामुखी का आवाह्न करें-

नमस्ते बगलादेवी जिह्वा स्तम्भनकारिणीम्।

भजेहं शत्रुनाशार्थं मदिरा सक्त मानसम्।।

आवाह्न के बाद उन्हें एक फूल अर्पित कर आसन प्रदान करें और जल के छींटे देकर स्नान करवाएं व इस प्रकार पूजन करें-

गंध- ऊँ बगलादेव्यै नम: गंधाक्षत समर्पयामि। का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीला चंदन लगाएं और पीले फूल चड़ाएं।

पुष्प- ऊँ बगलादेव्यै नम: पुष्पाणि समर्पयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले फूल चढ़ाएं।

धूप- ऊँ बगलादेव्यै नम: धूपंआघ्रापयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को धूप दिखाएं।

दीप- ऊँ बगलादेव्यै नम: दीपं दर्शयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को दीपक दिखाएं।

नैवेद्य- ऊँ बगलादेव्यै नम: नैवेद्य निवेदयामि। मंत्र का उच्चारण करते हुए बगलामुखी देवी को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।

अब इस प्रकार प्रार्थना करें-

जिह्वाग्रमादाय करणे देवीं, वामेन शत्रून परिपीडयन्ताम्।

गदाभिघातेन च दक्षिणेन पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि।।

अब क्षमा प्रार्थना करें-

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।

मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे।।

अब नीचे लिखे मंत्र का एक माला जप करें-

गायत्री मंत्र- ऊँ ह्लीं ब्रह्मास्त्राय विद्महे स्तम्भनबाणाय धीमहि। तन्नो बगला प्रचोदयात्।।

अष्टाक्षर गायत्री मंत्र- ऊँ ह्रीं हं स: सोहं स्वाहा। हंसहंसाय विद्महे सोहं हंसाय धीमहि। तन्नो हंस: प्रचोदयात्।।

अष्टाक्षर मंत्र- ऊँ आं ह्लीं क्रों हुं फट् स्वाहा

त्र्यक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं ऊँ

नवाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि ठ:

एकादशाक्षर मंत्र- ऊँ ह्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि स्वाहा।

ऊँ ह्ल्रीं हूं ह्लूं बगलामुखि ह्लां ह्लीं ह्लूं सर्वदुष्टानां ह्लैं ह्लौं ह्ल: वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय ह्ल: ह्लौं ह्लैं जिह्वां कीलय ह्लूं ह्लीं ह्लां बुद्धिं विनाशाय ह्लूं हूं ह्लीं ऊँ हूं फट्।

षट्त्रिंशदक्षरी मंत्र- ऊँ ह्ल्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊँ स्वाहा।

अंत में माता बगलामुखी से ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।

बगलामुखि तीव्र वशीकरण मंत्र

सबसे पहले हम आपको बगलामुखी वशीकरण मंत्र के बारे मे बताते है, जिसका प्रयोग करके आप किसको भी अपने वश मे कर सकते हो। वो मंत्र इस प्रकार है: “ॐ बगलामुखी सर्व स्त्री ह्रदयं मम् वश्यं कुरू ऐं ह्रीं  स्वाहा”।  मंत्र के अंदर जहां “सर्व” शब्द लिखा हुआ है, उसकी जगह पर बस उस व्यक्ति का नाम लेना  होगा जिसको आप अपने वश मे करना चाहते है। चाहे वो कोई स्त्री हो या पुरुष। साधना के दौरान साधक ध्यान रखे की उसे ब्रम्हचैर्यत्व का पालन करना होता है। झूठ न बोले, जमीन पर सोये, साधना समय एक समय भोजन करे।

 इस प्रकार इन नियम का पालन करके, वो बताए गए मंत्र की शक्ति से साधक को अच्छा परिणाम जरूरी मिलता है। जब ऊपर बताए मंत्र का पूरे विधि-विधान के साथ जप करले तब आखिरी मे आप देवी से निम्न मंत्र के द्वारा क्षमा प्रार्थना भी करे।

 मंत्र: आवाहनं न जानामि न जानामि 

विसर्जनम्, पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि। 

मंत्रहीनं क्रिसरहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि, 

यत्पूजितं मयां देवि परिपूर्ण तदस्तु म”। 

इन नियम को पालन करने से सफलता प्राप्त होता है। बगलामुखी वशीकरण यंत्र और माला के शक्ति से आपका कार्य शिघ्र होना सम्भव है।


बगलामुखी वशीकरण मंत्र की आराधना की विधि भी हम आपको बताते है। इसे आप अपने गुरु की सलाह या उनकी उपस्थिति में करे तो अच्छा रहेगा। इस साधना को करने के लिए जरूरी है की साधक शुद्ध तन-मन से रात के समय पीले रंग के वस्त्र पहनकर, पीला रंग का ही आसान बिछा ले और पिली हल्दी और पीले फूल लेकर मंत्र जप करे। मंत्र: “ॐ ब्रह्मास्त्रहः विद्या बगलामुख्यः नारदः  ऋषये नम: शिरसि। त्रिष्टुप् छन्दसहः नमोहः  मुखेह । श्री बगलामुखी दैवतायै नमोहः ह्रदयेहः ह्रीं बीजायः नमो गुह्ये। स्वाहा शक्तयः नम: पाद्यो:। ऊँ नम: सर्वांगः श्री बगलामुखी देवतः प्रसादः सिद्धयर्थ न्यासे विनियोग ”। 21 दिन तक आपको इस मंत्र का प्रतिदिन जप करना होगा। रोज 108 बार मंत्र जप से ये मंत्र सिद्ध हो जायेगा।

इसी प्रकार अगर कोई व्यक्ति अपने किसी शत्रु से निजात पाना चाहता है तो उसके लिए भी बगलामुखी का एक खास नाशक मंत्र है। मंत्र: ओम बगलामुखी देव्यै ह्लीं ह्रीं क्लीं शत्रु नाशं कुरु। इस मंत्र के जाप के समय बगलामुखी देवी की प्रतिमा के सामने गुग्गल की धूनी जलाई जाती है और इन्हे काले रंग के वस्त्र मे नारियल लपेट कर अर्पित किया जाता है। ध्यान रखे की इस साधना को करते समय आपका मुख पश्चिम दिशा की ओर ही हो। साथ ही ऊपर बताए गए मंत्र का कुल 5 माला का जप करे, जिसके बाद आप इसके प्रभाव से अपने शत्रु से निजात पा सकेंगे।


बगलामुखि शाबर मंत्र-

कलि बिलोकि जग हित हर गिरिजा।
साबर मंत्र जाल जिन्ह सिरिजा॥
अनमिल आखर अरथ न जापू।
प्रगट प्रभाउ महेस प्रतापू॥

बगलामुखी शाबर मंत्र – 1

ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।

बगलामुखी शाबर मंत्र – 2

ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।

बगलामुखी शाबर मत्रं-3

ॐ बगलामुखी महाक्रूरी शत्रू की जिह्वा को पकड़कर मुदगर से प्रहार कर , अंग प्रत्यंग स्तम्भ कर घर बाघं व्यापार बांध तिराहा बांध चौराहा बांध चार खूँट मरघट के बांध जादू टोना टोटका बांध दुष्ट दुष्ट्रनी कि बिध्या बांध छल कपट प्रपंचों को बांध सत्य नाम आदेश गुरू का।

साधना अष्टमी को एक दीपक में सरसों के तेल या मीठे तेल के साथ श्मशान में छोड़े हुए वस्त्र की बत्ती बनाकर जलाएं। विशेष दीपक को उड़द की दाल के ऊपर रखें। फिर पीला वस्त्र पहनकर और पीला तिलक लगा कर हल्दी से उसकी पूजा करें। पीले पुष्प चढ़ाएं और दीपक की लौ में भगवती का ध्यान कर बगलामुखी के मंत्र का एक हजार बार तीनों शाबर मत्रं से किसी भी एक का जप करें।तथा मद्य और मांस का भोग लगाएं।

यदि दीपक की लौ सीधी जाए तो यह कार्य के शीघ्र सिद्ध होने का सूचक है। किंतु यदि लौ टेढ़ी जाती हो या बत्ती से तेल में बुलबुले उठें, तो कार्य की सिद्धि में विलंब होगा। यदि शत्रु का समूल नाश चाहते हों, तो दीपक को 108 बार विलोम मंत्र पढ़कर बाएं हाथ से इस प्रकार उलटा कर दें कि नीचे रखा ठीकरा टूट जाए। दीपक मूल, आद्र्रा या भरणी नक्षत्र में शनिवार को श्मशान से मिट्टी लाकर बनाना चाहिए। इस मंत्र के प्रयोग से बलवान से बलवान शत्रुओं का समूह उसी प्रकार नष्ट हो जाता है जैसे अग्नि से भूसी का ढेर।


बगलामुखि सम्मोहनी विद्या मंत्र, सकल शत्रु मारक मंत्र-

ब्रह्मास्त्र प्रवक्ष्यामि बगलां नारदसेविताम् । 

देवगन्धर्वयक्षादि सेवितपादपंकजाम् ।।

त्रैलोक्य-स्तम्भिनी विद्या सर्व-शत्रु-वशंकरी 

आकर्षणकरी उच्चाटनकरी विद्वेषणकरी 

जारणकरी मारणकरी जृम्भणकरी 

स्तम्भनकरी ब्रह्मास्त्रेण सर्व-वश्यं 

कुरु कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लां द्राविणि-द्राविणि भ्रामिणि 

एहि एहि सर्वभूतान् उच्चाटय-उच्चाटय 

सर्व-दुष्टान निवारय-निवारय भूत प्रेत 

पिशाच डाकिनी शाकिनीः छिन्धि-छिन्धि 

खड्गेन भिन्धि-भिन्धि मुद्गरेण संमारय 

संमारय, दुष्टान् भक्षय-भक्षय, ससैन्यं 

भुपर्ति कीलय कीलय मुखस्तम्भनं 

कुरु-कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

आत्मा रक्षा ब्रह्म रक्षा विष्णु रक्षा

 रुद्र रक्षा इन्द्र रक्षा अग्नि रक्षा यम

 रक्षा नैऋत रक्षा वरुण रक्षा वायु रक्षा 

कुबेर रक्षा ईशान रक्षा सर्व रक्षा 

भुत-प्रेत-पिशाच-डाकिनी-शाकिनी रक्षा 

अग्नि-वैताल रक्षा गण गन्धर्व रक्षा 

तस्मात् सर्व-रक्षा कुरु-कुरु, व्याघ्र-गज-

सिंह रक्षा रणतस्कर रक्षा तस्मात् 

सर्व बन्धयामि ॐ ह्लां बगलामुखि

 हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लीं भो बगलामुखि सर्वदुष्टानां 

वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय 

बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखि एहि-एहि 

पूर्वदिशायां बन्धय बन्धय इन्द्रस्य मुखं 

स्तम्भय स्तम्भय इन्द्रशस्त्रं निवारय 

निवारय सर्वसैन्यं कीलय कीलय 

पच पच मथ मथ मर्दय मर्दय 

ॐ ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु ॐ ह्लां 

बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं पीताम्बरे एहि-एहि 

अग्निदिशायां बन्धय बन्धय अग्निमुखं 

स्तम्भय स्तम्भय अग्निशस्त्रं निवारय

 निवारय सर्वसैन्यं कीलय कीलय 

पच पच मथ मथ मर्दय मर्दय 

ॐ ह्लीं अग्निस्तम्भं कुरु-कुरु 

ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महिषमर्दिनि एहि-एहि 

दक्षिणदिशायां बन्धय बन्धय यमस्य 

मुखं स्तम्भय स्तम्भय यमशस्त्रं निवारय 

निवारय सर्वसैन्यं कीलय कीलय पच पच 

मथ मथ मर्दय मर्दय ॐ ह्लीं हृज्जृम्भणं 

कुरु-कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं चण्डिके एहि-एहि 

नैऋत्यदिशायां बन्धय बन्धय नैऋत्य

 मुखं स्तम्भय स्तम्भय नैऋत्यशस्त्रं

 निवारय निवारय सर्वसैन्यं कीलय 

कीलय पच पच मथ मथ मर्दय मर्दय

 ॐ ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु ॐ ह्लां 

बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं करालनयने एहि-एहि

 पश्चिमदिशायां बन्धय बन्धय वरुण 

मुखं स्तम्भय स्तम्भय वरुणशस्त्रं निवारय

 निवारय सर्वसैन्यं कीलय कीलय पच 

पच मथ मथ मर्दय मर्दय ॐ ह्लीं वश्यं 

कुरु-कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं कालिके एहि-एहि वायव्यदिशायां 

बन्धय बन्धय वायु मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

वायुशस्त्रं निवारय निवारय सर्वसैन्यं कीलय

 कीलय पच पच मथ मथ मर्दय मर्दय 

ॐ ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि 

हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं महा-त्रिपुर-सुन्दरि 

एहि-एहि उत्तरदिशायां बन्धय बन्धय 

कुबेर मुखं स्तम्भय स्तम्भय कुबेरशस्त्रं 

निवारय निवारय सर्वसैन्यं कीलय कीलय 

पच पच मथ मथ मर्दय मर्दय ॐ ह्लीं 

वश्यं कुरु-कुरु ॐ ह्लां बगलामुखि

 हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं महा-भैरवि एहि-एहि 

ईशानदिशायां बन्धय बन्धय ईशान

 मुखं स्तम्भय स्तम्भय ईशानशस्त्रं 

निवारय निवारय सर्वसैन्यं कीलय 

कीलय पच पच मथ मथ मर्दय 

मर्दय ॐ ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु ॐ

 ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं गांगेश्वरि एहि-एहि 

ऊर्ध्वदिशायां बन्धय बन्धय ब्रह्माणं 

चतुर्मुखं मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

ब्रह्मशस्त्रं निवारय निवारय सर्वसैन्यं 

कीलय कीलय पच पच मथ मथ 

मर्दय मर्दय ॐ ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु 

ॐ ह्लां बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ललितादेवि एहि-एहि 

अन्तरिक्ष दिशायां बन्धय बन्धय 

विष्णु मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

विष्णुशस्त्रं निवारय निवारय 

सर्वसैन्यं कीलय कीलय पच 

पच मथ मथ मर्दय मर्दय ॐ

 ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु ॐ ह्लां 

बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं चक्रधारिणि एहि-एहि 

अधो दिशायां बन्धय बन्धय 

वासुकि मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

वासुकिशस्त्रं निवारय निवारय 

सर्वसैन्यं कीलय कीलय पच 

पच मथ मथ मर्दय मर्दय ॐ 

ह्लीं वश्यं कुरु-कुरु ॐ ह्लां 

बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।



दुष्टमन्त्रं दुष्टयन्त्रं दुष्टपुरुषं बन्धयामि 

शिखां बन्ध ललाटं बन्ध भ्रुवौ बन्ध 

नेत्रे बन्ध कर्णौ बन्ध नसौ बन्ध ओष्ठौ 

बन्ध अधरौ बन्ध जिह्वा बन्ध रसनां 

बन्ध बुद्धिं बन्ध कण्ठं बन्ध हृदयं बन्ध 

कुक्षिं बन्ध हस्तौ बन्ध नाभिं बन्ध लिंगं 

बन्ध गुह्यं बन्ध ऊरू बन्ध जानू बन्ध 

हंघे बन्ध गुल्फौ बन्ध पादौ बन्ध स्वर्ग 

मृत्यु पातालं बन्ध बन्ध रक्ष रक्ष 

ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।



ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि इन्द्राय 

सुराधिपतये ऐरावतवाहनाय स्वेतवर्णाय 

वज्रहस्ताय सपरिवाराय एहि एहि 

मम विघ्नान् निरासय निरासय 

विभञ्जय विभञ्जय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय

 ॐ ह्लीं अमुकस्य मुखं भेदय भेदय 

ॐ ह्लीं वश्यं कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि

 हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि अग्नये

 तेजोधिपतये छागवाहनाय रक्तवर्णाय 

शक्तिहस्ताय सपरिवाराय एहि एहि मम 

विघ्नान् विभञ्जय विभञ्जय 

ॐ ह्लीं अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

ॐ ह्लीं अमुकस्य मुखं भेदय भेदय 

ॐ ह्लीं वश्यं कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि 

हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि यमाय 

प्रेताधिपतये महिषवाहनाय कृष्णवर्णाय 

दण्डहस्ताय सपरिवाराय एहि एहि मम 

विघ्नान् विभञ्जय विभञ्जय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य(आपके शत्रु का नाम) 

मुखं भेदय भेदय ॐ ह्लीं वश्यं 

कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि वरूणाय 

जलाधिपतये मकरवाहनाय श्वेतवर्णाय 

पाशहस्ताय सपरिवाराय एहि एहि मम

 विघ्नान् विभञ्जय विभञ्जय ॐ 

ह्लीं अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

ॐ ह्लीं अमुकस्य मुखं भेदय भेदय 

ॐ ह्लीं वश्यं कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि

 हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि वायव्याय 

मृगवाहनाय धूम्रवर्णाय ध्वजाहस्ताय 

सपरिवाराय एहि एहि मम विघ्नान् 

विभञ्जय विभञ्जय ॐ ह्लीं अमुकस्य 

मुखं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं अमुकस्य 

मुखं भेदय भेदय ॐ ह्लीं वश्यं कुरु ॐ 

ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि ईशानाय 

भूताधिपतये वृषवाहनाय कर्पूरवर्णाय 

त्रिशूलहस्ताय सपरिवाराय एहि एहि मम 

विघ्नान् विभञ्जय विभञ्जय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य मुखं भेदय भेदय ॐ ह्लीं वश्यं

 कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि ब्रह्मणे

 ऊर्ध्वदिग्लोकपालाधिपतये हंसवाहनाय 

श्वेतवर्णाय कमण्डलुहस्ताय सपरिवाराय 

एहि एहि मम विघ्नान् विभञ्जय विभञ्जय 

ॐ ह्लीं अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय 

ॐ ह्लीं अमुकस्य मुखं भेदय भेदय 

ॐ ह्लीं वश्यं कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि

 हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि वैष्णवीसहिताय 

नागाधिपतये गरुडवाहनाय श्यामवर्णाय 

चक्रहस्ताय सपरिवाराय एहि एहि मम 

विघ्नान् विभञ्जय विभञ्जय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य मुखं स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्लीं 

अमुकस्य मुखं भेदय भेदय ॐ ह्लीं वश्यं 

कुरु ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ऐं ऐं ॐ ह्लीं बगलामुखि 

रविमण्डलमध्याद् अवतर अवतर

 सान्निध्यं कुरु-कुरु । 

ॐ ऐं परमेश्वरीम् आवाहयामि नमः । 

मम सान्निध्यं कुरु कुरु ।

 ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।



ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

बगले चतुर्भुजे मुद्गरशरसंयुक्ते दक्षिणे 

जिह्वावज्रसंयुक्ते वामे श्रीमहाविद्ये 

पीतवस्त्रे पञ्चमहाप्रेताधिरुढे 

सिद्धविद्याधरवन्दिते ब्रह्म-विष्णु-

रुद्र-पूजिते आनन्द-सवरुपे विश्व-

सृष्टि-स्वरुपे महा-भैरव-रुप धारिणि

 स्वर्ग-मृत्यु-पाताल-स्तम्भिनी वाममार्गाश्रिते 

श्रीबगले ब्रह्म-विष्णु-रुद्र-रुप-निर्मिते 

षोडश-कला-परिपूरिते दानव-रुप 

सहस्रादित्य-शोभिते त्रिवर्णे एहि एहि 

मम हृदयं प्रवेशय प्रवेशय शत्रुमुखं 

स्तम्भय स्तम्भय अन्य-भूत-पिशाचान् 

खादय-खादय अरि-सैन्यं विदारय-

विदारय पर-विद्यां पर-चक्रं छेदय-छेदय 

वीरचक्रं धनुषां संभारय-संभारय त्रिशूलेन् 

छिन्ध-छिन्धि पाशेन् बन्धय-बन्धय भूपतिं 

वश्यं कुरु-कुरु सम्मोहय-सम्मोहय विना 

जाप्येन सिद्धय-सिद्धय विना मन्त्रेण 

सिद्धि कुरु-कुरु सकलदुष्टान् घातय-घातय 

मम त्रैलोक्यं वश्यं कुरु-कुरु सकल-कुल-

राक्षसान् दह-दह पच-पच मथ-मथ हन-हन 

मर्दय-मर्दय मारय-मारय भक्षय-भक्षय 

मां रक्ष-रक्ष विस्फोटकादीन् नाशय-नाशय 

ॐ ह्लीं विष-ज्वरं नाशय-नाशय विषं 

निर्विषं कुरु-कुरु 

ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।



ॐ क्लीं क्लीं ह्लीं बगलामुखि 

सर्व-दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय 

स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं

 विनाशय विनाशय क्लीं क्लीं ह्लीं स्वाहा ।

ॐ बगलामुखि स्वाहा । ॐ पीताम्बरे स्वाहा । 

ॐ त्रिपुरभैरवि स्वाहा । ॐ विजयायै स्वाहा । 

ॐ जयायै स्वाहा । ॐ शारदायै स्वाहा । 

ॐ सुरेश्वर्यै स्वाहा । ॐ रुद्राण्यै स्वाहा । 

ॐ विन्ध्यवासिन्यै स्वाहा । 

ॐ त्रिपुरसुन्दर्यै स्वाहा ।

 ॐ दुर्गायै स्वाहा । ॐ भवान्यै स्वाहा । 

ॐ भुवनेश्वर्यै स्वाहा । ॐ महा-मायायै स्वाहा । 

ॐ कमल-लोचनायै स्वाहा । ॐ तारायै स्वाहा । 

ॐ योगिन्यै स्वाहा । ॐ कौमार्यै स्वाहा । 

ॐ शिवायै स्वाहा । ॐ इन्द्राण्यै स्वाहा । 

ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।

ॐ ह्लीं शिव-तत्त्व-व्यापिनि बगलामुखि स्वाहा । 

ॐ ह्लीं माया-तत्त्व-व्यापिनि

 बगलामुखि हृदयाय स्वाहा ।

 ॐ ह्लीं विद्या-तत्त्व-व्यापिनि बगलामुखि 

शिरसे स्वाहा । 

ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।



ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

शिरो रक्षतु बगलामुखि रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

भालं रक्षतु पीताम्बरे रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः

 नेत्रे रक्षतु महा-भैरवि रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

कर्णौ रक्षतु विजये रक्ष रक्ष स्वाहा ।

 ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

नसौ रक्षतु जये रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

वदनं रक्षतु शारदे विन्ध्यवासिनि रक्ष रक्ष स्वाहा ।

 ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

बाहू त्रिपुर-सुन्दरि रक्ष रक्ष स्वाहा ।

 ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

करौ रक्षतु दुर्गे रक्ष रक्ष स्वाहा ।

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

हृदयं रक्षतु भवानी रक्ष रक्ष स्वाहा ।

 ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

उदरं रक्षतु भुवनेश्वरि रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

नाभिं रक्षतु महामाये रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

कटिं रक्षतु कमललोचने रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

उदरं रक्षतु तारे रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

सर्वांगं रक्षतु महातारे रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

अग्रे रक्षतु योगिनि रक्ष रक्ष स्वाहा । 

ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

पृष्ठे रक्षतु कौमारि रक्ष रक्ष स्वाहा ।

 ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

दक्षिणपार्श्वे रक्षतु शिवे रक्ष रक्ष स्वाहा ।

 ॐ ह्लां ह्लीं ह्लूं ह्लैं ह्लौं ह्लः 

वामपार्श्वे रक्षतु इन्द्राणि रक्ष रक्ष स्वाहा ।

ॐ गं गां गूं गैं गौं गः गणपतये 

सर्वजनमुखस्तम्भनाय आगच्छ 

आगच्छ मम विघ्नान् नाशय 

नाशय दुष्टं खादय खादय दुष्टस्य

 मुखं स्तम्भय स्तम्भय अकालमृत्युं 

हन हन भो गणाधिपते 

ॐ ह्लीम वश्यं कुरु कुरु 

ॐ ह्लीं बगलामुखि हुं फट् स्वाहा ।



अष्टौ ब्राह्मणान् ग्राहयित्वा सिद्धिर्भवति नान्यथा ।

भ्रूयुग्मं तु पठेत नात्र कार्यं संख्याविचारणम् ।।

यन्त्रिणां बगला राज्ञी सुराणां बगलामुखि ।

शूराणां बगलेश्वरी ज्ञानिनां मोक्षदायिनी ।।

एतत् स्तोत्रं पठेन् नित्यं त्रिसन्ध्यं बगलामुखि ।

विना जाप्येन सिद्धयेत साधकस्य न संशयः ।।

निशायां पायसतिलाज्यहोमं नित्यं तु कारयेत् ।

सिद्धयन्ति सर्वकार्याणि देवी तुष्टा सदा भवेत् ।।

मासमेकं पठेत् नित्यं त्रैलोक्ये चातिदुर्लभम् ।

सर्व-सिद्धिमवाप्नोति देव्या लोकं स गच्छति ।।



।। श्री बगलामुखिकल्पे वीरतन्त्रे बगलासिद्धिप्रयोगः ।।

No comments