DAHAEJ
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दहेज़
(उनके हस्ताक्षर )
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मन मै असमंजस की टकरन से
शीशा चकनाचूर हुआ
दुकुड़ों मैं ख्याल बचा,
हांथों की रेखाएँ मिटी
उनका बस एहसास बचा ।।
दिन प्यास बन के बीता
रात का आखरी घूंट बचा
पतली -संकरी गलियों मैं,
बस,आखरी इंतजार बचा ।।
जुल्फों के छोर से टपक रहा
अब एक-एक आँसूं मोती सा
दिल की माटी से फूट से पड़ा
बदले की भावना का अंकुर ।।
चढ़ावे की करधनी के निशान
पड़े सभी है अंगों पर,
इन्हीं निशानों मैं जाकर
ढूढें है उनके हस्ताक्षर ।।
मन और कदम बढ़े जहाँ
नहीं तमन्ना कुछ भी हो,
जब सामना हुआ मौत से
आँखों मैं खून उतर आया ।।
चाकू बढ़ा जो सीने पर
मुस्कराहट ने चाकू गिरा दिया,
हांथों को उनके हाँथ मैं पाकर
फिर से ये दिल हार गया ।।
........................................................................................ये 17 जुलाई 2007 मई लिखी थी ।
।। दोस्तों इस रचना के माध्यम से
हम बस इतना कहना चाहते है की
ये दहेज़ जैसी कुरीति को हम और आप को
ख़त्म करने मैं कुछ सकारात्मक
कदम उठाने होंगें तभी हमारा
समाज स्वस्थ हो पाएगा।।
आकांक्षा सक्सेना
बाबरपुर औरैया
उत्तर प्रदेश
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTbLrA226vmL_gWV7TmNcIcn3W1n-6k0Kt3csnkI8_RhHK06IuKTDV_kJ_MhC0bHDp5we_sK3D1vyZ16Qvd4toT2JQnbJs5-OECReAtl0ITyWFce2Y49SbN_PhjzGeawQbJgHW0a8m_Cs/s1600/284894_147622305316123_2215119_n.jpg)
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दहेज़
(उनके हस्ताक्षर )
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मन मै असमंजस की टकरन से
शीशा चकनाचूर हुआ
दुकुड़ों मैं ख्याल बचा,
हांथों की रेखाएँ मिटी
उनका बस एहसास बचा ।।
दिन प्यास बन के बीता
रात का आखरी घूंट बचा
पतली -संकरी गलियों मैं,
बस,आखरी इंतजार बचा ।।
जुल्फों के छोर से टपक रहा
अब एक-एक आँसूं मोती सा
दिल की माटी से फूट से पड़ा
बदले की भावना का अंकुर ।।
चढ़ावे की करधनी के निशान
पड़े सभी है अंगों पर,
इन्हीं निशानों मैं जाकर
ढूढें है उनके हस्ताक्षर ।।
मन और कदम बढ़े जहाँ
नहीं तमन्ना कुछ भी हो,
जब सामना हुआ मौत से
आँखों मैं खून उतर आया ।।
चाकू बढ़ा जो सीने पर
मुस्कराहट ने चाकू गिरा दिया,
हांथों को उनके हाँथ मैं पाकर
फिर से ये दिल हार गया ।।
........................................................................................ये 17 जुलाई 2007 मई लिखी थी ।
।। दोस्तों इस रचना के माध्यम से
हम बस इतना कहना चाहते है की
ये दहेज़ जैसी कुरीति को हम और आप को
ख़त्म करने मैं कुछ सकारात्मक
कदम उठाने होंगें तभी हमारा
समाज स्वस्थ हो पाएगा।।
आकांक्षा सक्सेना
बाबरपुर औरैया
उत्तर प्रदेश
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTbLrA226vmL_gWV7TmNcIcn3W1n-6k0Kt3csnkI8_RhHK06IuKTDV_kJ_MhC0bHDp5we_sK3D1vyZ16Qvd4toT2JQnbJs5-OECReAtl0ITyWFce2Y49SbN_PhjzGeawQbJgHW0a8m_Cs/s1600/284894_147622305316123_2215119_n.jpg)
बहुत सही अगर इसी तरह आह्वान होते रहे और लोग सकारात्मक क़दम उठाएँगे तो इस प्रकार की समस्याओं से जल्द ही निजात मिलेगी. मैं आपके आह्वान के साथ हूँ
ReplyDeleteHUM AABHARI HAI SIR AAPKE....AAPKE MARGDARSHAN KE...DHNYVAD SIR JI.
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