RAKH K DHAIR
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( नहीं मिलता )
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अब दिल की दुआयों का प्रतिफल नहीं मिलता
मिलने को बहुत कुछ है मिलना है जो नहीं मिलता
इस चिकनी धरती पर एक कण नहीं मिलता
मिलने को बहुत है ,सोचो वह नहीं मिलता
अब, उठनेवाले को आधार नहीं मिलता
मिलने को बहुत है चाहो जो नहीं मिलता
इस फूली धरती पर एक फूल नहीं मिलता
मिलने को बहुत है, बस साथ नहीं मिलता
अब,देखनेवालों को द्रश्य नहीं मिलता
एस भगवान की दुनिया मै भगवान नहीं मिलता
दिल के तहख़ाने मै अब प्रेम नहीं मिलता
अब,प्यासे कंठ को एक घूंट नहीं मिलता
.............मिलने को बहुत कुछ है मांगों वो नहीं मिलता ......
.ये पक्तियां हमने 2005 मई लिखीं थी ...
आकांक्षा सक्सेना
बाबरपुर,औरैया उत्तर प्रदेश .
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