yadon k chirag......
शहादत
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वो दूर इतना की मन पहुँच पाता नहीं
रोज आते है वो ख्यालों मै पर हाथ छु पाता नहीं
ठण्डी का झोंखा हलचल मचा जाता है
कहता है कोइ हमसे ,चलो जहाँ कोइ पहुँच पाता नहीं ।।
इस पागल मन को कोई समझा पाता नहीं
तस्वीर सीने से लगा कर दिल चैन पाता नहीं
देखें है कई शोर्य पदक देखी है कई सलामियां
पर, मेरी आत्मा की प्यास कोइ बुझा पाता नहीं ।।
अबोध बच्चों क चेहरे से भाव कोइ पढ पाता नहीं
उनकी यदों का सावन मन से दूर जाता नहीं
केसें ढालू मै अपने को बिन आकार के सोचों मै
अब दिन हो चाहे रात ढले वो सवेरा आता नहीं ।।
ये पक्तियाँ हमने 2007 मै लिखीं थी ....जो कारगिल शाहिदों को समर्पित है।।।।।।
ये पक्तियाँ ...केवल पक्तियाँ नहीं है बल्कि सच्चाई है।।।।।।।।
आकांक्षा सक्सेना
बबरपुर ,अजीतमल ,औरैया ,उत्तर प्रदेश
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