ये नंगी चट्टानें है
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ये नंगी चट्टानें है
इनका कोई दिल ही नहीं
और जब दिल ही नही तो
दिल में जज्बात नही
देखो सड़कों के किनारे
आज लेटे है ठिठुरते
दिल अनेका अनेक
ये नंगी चट्टानें है
इनमें कोई भाव नही
छोटे छोटे मासूम यहाँ
लड़ते है रोज़ गरीबी से
हर दिल की बोली
लगानेवालों की
बहुत लम्बी है
कतार यहाँ
ये नंगी चट्टानें है
इनके अन्दर जीवन ही नही
जीवन का अर्थ वो क्या जाने
जो जड़ ही जन्मते
और जड़ ही मरा करते है
ये नंगी चट्टानें है
ये अधूरी चट्टानें है
ये चट्टानों की चट्टाने है
इससे ज्यादा और कुछ भी नहीं
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आकांक्षा सक्सेना
जिला - औरैया
उत्तर प्रदेश
2013
सुन्दर प्रस्तुति...शुभकामनायें!
ReplyDelete(वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें तो कमेंट देने में सुविधा रहेगी)
जीवन का अर्थ वो क्या जाने
ReplyDeleteजो जड़ ही जन्मते
और जड़ ही मरा करते है ---------बहुत खूब
इनका कोई दिल ही नहीं
ReplyDeleteऔर जब दिल ही नही तो
दिल में जज्बात नही
जड़ है
शानदार रचना
साधुवाद
सादर
यशोदा
http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
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बहुत खूब सुन्दर
ReplyDeleteमेरी नई रचना
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
ये कैसी मोहब्बत है