कविता / ऑनलाइन लव - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
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हर कोई ढ़ूढ़ रहा है सच्चा प्यार ऑनलाइन
चौबिस घण्टों लगा है हर कोई ऑनलाइन
हर काम हो रहा है आज ऑनलाइन
लड़का हो या लड़की कॉलेज हो या बस्ती
सेल्फी अपलोड करने का नशा सा चढ़ा है
खाना ठण्ड़ा हो रहा दिमाग मेसेज पर लगा है
हर कोई कह रहा .... आज नेट बहुत स्लो है यार
फेसबुक पर विदेशी जीएफ
व्हॉट्सअप पर देशी जीएफ
रिक्वेस्ट ऐसेप्ट और ब्लॉक कर रहा है
बस लाइक और सेयर का खेल चल रहा है
बस एक कमेन्ट्स के लिये हर कोई मर रहा है
फेसबुक से लेते नम्बर
व्हॉट्सअप से करते बातें
गूगल से सर्च करते गिफ्ट
शायरी से कटतीं रातें
मॉल में डेटिंग करते
दोस्त की बॉइक से भी घुमाते
ऑनलाइन कराते शॉपिंग
फोन रिचार्ज भी कराते
नेट पेक का भी खर्च उठाते
फिर भी प्यार न मिलता
ये रोज धक्के खाते
आज हर लड़का बस कंगाल हो रहा है
विकसित रास्ट्र का सपना साकार हो रहा है
ऑज ग्यारह वर्ष का पप्पू एफबी चला रहा है
बाप की जीएफ से पप्पू चेट कर रहा है
हर बेरोजगार ग्रुप ऐडमिन बन रहा है
फ्यूचर की नही चिंता बस क्राइम कर रहा है
टी.वी पर बस डब्लू.डब्लू.इ देख रहा है
टी.वी पर बस डब्लू.डब्लू.इ देख रहा है
माँ-बाप और गुरू का डर अब खत्म हो चुका है
आज का युवा ऐटम बम हो चुका है
नेट को क्यूँ हम कोसें
फेसबुक को क्यूँ दें गाली
लड़कियों को क्यूँ हम कोसें
व्हॉट्सअप को क्यूँ दें गाली
नेट का गलत बस यूज हो रहा है
आज का युवा यही मिस्टेक कर रहा है
हर कोई आज बहुत अपसेट लग रहा है
हर कोई कह रहा है.....टॉइम नहीं बाद में मिलना यार
हर कोई आज बहुत अपसेट लग रहा है
हर कोई कह रहा है.....टॉइम नहीं बाद में मिलना यार
आकांक्षा सक्सेना समय 12:10
दिनांक 1/8/2015
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