छोड़ो अब बहुत हुआ.....
सुन रे सखी
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हम ना हिन्दू हैं मित्रों हम ना मुसलमान हैं
हम ना सिक्ख हैं मित्रों हम ना ईसाई हैं
देखो खुद को देखो हमको देखो चारो ओर सखी
हम मानव हैं हम मानव हैं मानवता अपना ईमान सखी
देखो अपने दिल में झाकों देखो अपना हाल सखी
इस जात-पात दीन-धर्म के कारण बट गया इंसान सखी
लूटा है झूठे वादे करके लूटा है कुछ धूर्तों ने सखी
विध्वंश किया है परिवारों का बर्बाद किया पूरा देश सखी
दिल भी खरीदे इन ज़ालिमों ने तगड़ी वसूली करली है
देशभक्तों की कुर्वानी का मलाल नही है इनको सखी
सोचो हम है कौन सखी और हम कहाँ से आये हैं
एक है मालिक एक है धड़कन रक्त भी देखो लाल सखी
बस अपनी पूजा करवाने का शौक़ पुराना इनका सखी
अब तो जागो अब तो सुनो अंतरात्मा की पुकार सखी
तेरा-मेरा मेरा-तेरा बस छोड़ो अब बहुत हुआ
आओ सब साथ में बोलो मानवता धर्म अपना सखी
बोलो सखी बोलो मित्रों आकांक्षा ने क्या गलत कहा
वही कहा है वही कहा है जो हम-आप ने महसूस किया
किसी की बुराई की हो जो हमने तो हम माफी चाहते हैं
चाहते हैं बस इतना कि अब ना टुकड़ो में बँटना चाहते हैं
दिनांक 22/08/2012
समय 9:45 pm
Its true
ReplyDeletegzb
बहुत सुन्दर रचना है आपकी
God bless you
Its true
ReplyDeletegzb
बहुत सुन्दर रचना है आपकी
God bless you