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बहस का मुद्दा



              सहिष्णुता

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आज हम सभी ये रोज देख रहें हैं कि सभी न्यूज चैनल पर एक बहस शुरू तो हो जाती हैं पर वह मुद्दे से भटक के  निजि आरोप-प्रत्यारोप से घिर कर बस हंगामे और शोर पर खत्म हो जाती है समझ में नहीं आता कि हममें बस इतनी ही तितिक्षा बची है बस इतने ही सहिष्णु हैं हम|बुरा तो इस बात पर भी लगता है कि जब बहस का मुद्दा मंदिर-मस्जिद,शनि देव और सबको श्रद्धा -सब्र की बात कहने वाले सांई बाबा और गौ,गंगा और कन्या पर होती है जबकि हमारे देश में यह सभी पूज्यनीय हैं |अगर इन पर हम लोग बहस के नाम पर झगड़े करेगें राजनीति करेगें तो क्या इससे हमारे देश का नाम और प्रतिष्ठा कलंकित नहीं होगी |हमारा देश तो महान धार्मिक और स्वयं में तीर्थ देश कहलाता हैं |हम हमेसा सरकारों को कोसते हैं दूसरों पर दोषारोपण करते हैं पर खुद को नहीं देखते कि हमारे जीवन मूल्य कितने गिर गये|सोचो! उस समय हमारी सहनशीलता,संवेदना और दया कहाँ चली जाती है जब हमारी गाय दूध देना बन्द कर देती है,वह बूढ़ी-बीमार और कमजोर हो जाती है तो उसे बेसहारा सड़क पर छोड़ देते हैं झूंठन के नाम पर पॉलीथीनरूपी जहर खाने के लिये और गंगा-यमुना में कूड़ा फेंकने हम बन्द नहीं करते |नदियों की हालत किससे छुपी है और तो और हमारे देश की बेटियों पर जीन्स- दुपट्टे और मोबाइल पर बहस होती है और विडम्ना ये है कि आज भी चाँद-मंगल  पर पहुँचने वाले देश की बेटी रात्री में अकेले बस और ट्रेन का सफर करने से डरती है | तो बताओ कि बहस से बदलाव आ सकता है कि हम सुधर जायें तो बदलाव आ सकता है |बहस के लिये तो बहुत मुद्दे हैं कि आज भी गरीब इस जॉन लेने वाली भयंकर शर्दी में फुटपाथ पर क्यों हैं ? वो कॉलोनी में क्यों नहीं ? जबकि कॉलोनी सचपूछो तो इन्हीं के लिये होनी चाहिये |दो सौ रूपये अरहर की दाल है वो भी मिलावटी| हद तो यह है कि सरसों का तेल डालडे की तरह जम रहा है मतलब कि गरीब आदमी किसी तरह सुरक्षित नहीं| आज कपास मिल,जूट मिल,हथकरधा उद्दोग-कारखाने सब बन्द पड़े हैं इस कारण आज हालत यह है कि  बेरोजगार आत्म हत्या करने पर विवश हैं |और देश का  गरीब किसान आज भी गॉव में झोलाझाप डॉक्टरों के भरोसे हैं जो बहुत घातक स्थति हैं और प्रदेश का हर गाँव-कस्बा आज अच्छे डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है अत: देवी-देवताओं और धर्म-सहष्णुता पर राजनीति अब बन्द होनी चाहिये और मुद्दा अब सुधार -सुरक्षा,रोजगार और विकाश होना चाहिये तभी बदलाव का बसंत जन-जीवन के जीवन में आ सकेगा और तभी हमारा देश सही मायनों में स्वतन्त्र और विकसित राष्ट्र होगा 
आईये हम सब मिलकर हमारे देश को स्वच्छ और विकसित राष्ट्र बनाने में अपना सहयोग करें और देश के सच्चे नागरिक होने का दायित्व निभायें|

धन्यवाद

आपकी मित्र      
लेखिका 
आकांक्षा सक्सेना
जिला-औरैया
उत्तर प्रदेश





7 comments:

  1. hmara desh vividhtao se bhra hai. ye hmari khubsurati bhi hai or kamjori bhi. Desh vibhin jatiyo, dharmo or samrdayo me bta huwa hai.

    Har dharm or samprdaye ke apne mudde hai jo ek dusre se bhinn hai or jinka laabh rajnitik dal apne vote bank ke liye karte hai.

    Koi bhi nya admi khda hota hai or apni rajniti chamkane ke liye ek dharm, samprdaye ya jati ko dusre ke khilaf kar deta hai. Smaaj me asaheshnuta yahi se ati hai. ya yu kahe ki mudde smaaj me pahle se hai magar rajnitik labh ke liye usme ghi dalne ka kaam kiya jata hai

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  2. Bahas humesha sakaratmak shaanti se honi chahiye aur uska kuch accha parinam hona chahiye kuch accha kaam hona chahiye, media sirf trp kw liye zagda karwate hai.

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  3. wah bhai wah kya kahani likhi hai cho gayi man ko. yon hi likhte raho god bless you.

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  4. Sach ur very good nd creative blogist

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  6. Yes very good u r try your best or social blogs

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