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अब मुझे मुक्ति नहीं धरती चाहिये

 

जो लोग जीवन के भयंकर उतार-चढ़ाव से परेशान होकर आत्म&त्या की ओर बढ़ते हैं। उनको कहना चाहूंगी सिर्फ़ एक बार इन रिश्तों - नातों, दोस्तों, झूठे प्यार की चादर को फेंक पहाड़ों पर प्रकृति की गोद में थोड़ा समय बिताओ। देखो! क्या पहाड़, फूल, कल-कल बहती नदी, चीटीं,हाथी, मोर, पशु - पक्षी, मच्छर, कुछ भी आत्म&हत्य& करते दिखाई पड़ते हैं क्या? नहीं ना। तो क्या उनके जीवन में संघर्ष नहीं है? अरे! उनके जीवन पर तो हर पल जान का ही खतरा कि कब कोई आये और उनका शिकार कर ले, उसका भोजन, आहार हो जाये। पर वह प्रकृति में निर्भय खेलते-कूदते मस्त रहते हैं। जब उनका समय आ जाता है तो उनका भी जीवन समाप्त हो जाता है।इस महान प्रकृति में अंतगति परमगति सबकी भिन्न-भिन्न है।सबका जाना भी तय है। परन्तु जबरन किया गया कोई भी कार्य सिर्फ़ पाप ही कहा जाता है। आप अगर आध्यात्म नहीं मानते तो विज्ञान में तो मानते ही होगें । कि करोड़ों स्पर्म में सिर्फ़ एक कोई भाग्यशाली स्पर्म, एक ओवम से मिलता तब प्रकृति की जटिल विज्ञान के तहत यह शरीर का निर्माण होता है। यानि शरीर धरती पर आकार लेता है और आत्मा ईश्वर के अनंत लोक से भेजी जाती है । तब कहीं जाकर आप बने हो, आप, हम सब। सोचो! कितने महत्वपूर्ण हो। और जरा से संघर्ष से घबराकर अपने आप का ही जबरन अंत कर लेते हो। अरे! भई भगवान को थोड़ा सा वक्त दो, वो सब ठीक कर देगें। और जब वो आपका समय बदलेगें ना, तब आपको खुद विश्वास नहीं होगा कि यह क्या हुआ। वो भर-भर कर खुशियाँ देगें। आप खुद की ईमानदारी और ईश्वर पर भरोसा रखो। यह उमर मुक्ति की बातें करने का नहीं है। मुक्ति नहीं धरती पर और जिंदा रहने की युक्ति चाहिये। और दुनिया घूम सकूं । और लोगों की सेवा कर सकूं। कम से कम सेवा करते हुए अन्य लोगों को देखकर ही मन संतुष्ट कर सकूं। जो आपके वश में बस उतना कर्म ईमानदारी से भगवान श्रीहरि को समर्पित करके, करते रहो। जब भी कोई बुरा सपना देखो या अच्छा सब भगवान श्री हरि को समर्पित कर दो। कि प्रभु तुम जानो तुम्हारी लीला। बस धैर्य रखते हुए अपने शरीर को बिल्कुल दु:ख देने चेष्टा न करो। क्योंकि यह आपकी समपत्ति नहीं है। सबकुछ प्रभु का है। हाँ, विश्वास करो वो सब अच्छा कर देगें । आपका यह अनमोल शरीर प्रकृतिमाँ ने दिया है वो भी किसी खास उद्देश्य के लिए। यहां इस धरती पर कोई फालतू नहीं भेजा गया । इसलिये खुद को फालतू समझना बिल्कुल बंद करो। आप बहुत स्पेशल हैं। आप जैसा कोई भी दूसरा नही। आपके फिंगर प्रिंट जैसा सिर्फ़ आप हो। जरूर कोई न कोई खासियत है आप में तभी इस वीर वसुंधरा धरती माता ने आपको स्वीकारा है। बस समयचक्र है । धीरे-धीरे कठिन समय भी बीत जायेगा। बस ईश्वर से प्रार्थना करते रहिये कि जो तेरी मर्जी। तू जैसे रख। हम तो तेरे हैं और आप मेरे है प्रभु। हमेशा सकारात्मक बोलें कि हमें मुक्ति नहीं, हमें तो एक शानदार प्रेमपूर्ण खूबसूरत जीवन जीने की युक्ति चाहिये प्रभु। हमें इस लायक बनाओ प्रभु कि यह जीवन किसी पवित्र उद्देश्य की पूर्ति में सार्थक हो सके प्रभु। हे! नाथ आप सदा मेरे साथ रहो। आप मेरे मित्र भी हो आप ही मेरे आराध्य भी हो। मेरे माता-पिता, आई बंधु, इष्ट मित्र, सगे सम्बंधी पूरा परिवार, समाज, राष्ट, विश्व सब ओर खुशियां हो । सबका खूब अच्छा हो ।सब सुखी हों। प्रभु आपका हाथ मेरे सिर पर हमेशा बनाये रखना। मैं जब भी भटकूं आप मुझे सम्भाल लेना नाथ। आप मेरे हो और मैं तुम्हारा।


जय श्री हरि विष्णु


___ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 11:02 pm 27/03/2024

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