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न्याय प्रवाह _ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


1- न्याय का प्रवाह तभी सार्थक होगा जब किसी आमजन के साथ किसी भी समय, काल, परिस्थिति में अन्याय न होगा। वैसे न्याय हमेशा नि:शुल्क होना चाहिए पर न्याय की राह के पथिक प्रेमियों के वास्ते मर्यादित सेवा शुल्क का विधान है पर न्याय में देरी हर विधान और संविधान के खिलाफ़ न्यायोचित टीससहित खटास है जिसे समय रहते दूर करना न्यायव्यवस्था की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होना हर आमजन का अनिवार्य जन्मजात अधिकार सिद्ध होना ही असली न्याय का मतलब होना चाहिए। मेरे हिसाब से न्याय वही है जो समय पर हो वरना इस व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न स्वीकार करने होगें।

_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


2- न्याय में देरी का मतलब है कि न्याय व्यवस्था रूपी धागों में अन्याय  की गांठें अब भी मौजूद हैं जिन्हें सुलझाना खुद न्याय व्यवस्था की महती जिम्मेदारी है जिसकी जवाबदेही अनिवार्य रूप तय होनी चाहिए।तभी हम कह सकेगें की न्याय का प्रवाह हर जनमानस को संतुष्ट कर रहा है वरना यह सदा विवादों में आबाद रहेगा। 

_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


जब आप दूसरों को काबू करते हो तो यह ताकत पर

जब आप खुद की आदतों पर काबू करते हो तो यह शक्ति है।


मेरे हिसाब से दण्ड की सबसे गहन विधा है पश्चाताप  
_ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 🙏💐




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