कानून के रखवालों का दर्द
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दर्द होता है जिसको वो दर्द की मार जानता है
वो दवा और दुवाओं का एहसास जानता है
कानून के रखवालों की एक बहुत बड़ी संख्या है जो कि सरकारी वकील नही है ।विद्द्बना देखो की उनको एक भी पैसा पारिश्रमिक की तौर पर सरकार की तरफ से नही मिलता ।
ये सभी गैरसरकारी अधिवाक्तागण भी तो वर्षों से कानून का सेवा करते आ रहें हैं और जनता की सेवा करते आ रहें है । सरकार को इन सभी युवा और वरिष्ठ अधिवक्ताओं को कुछ तो मासिक धनराशि पारिश्रमिक की तौर पर देनी चाहिए जिससे सभी गैरसरकारी अधिवाक्तागण अपनी जीवन व्यवस्था का सुचारू रूप से क्रियान्वयन कर सके ।
हमारा सरकार से विनम्र निवेदन है की वो इस और थोडा ध्यान देने की कृपा करें ।
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आकांक्षा सक्सेना
बाबरपुर,जिला-औरैया
उत्तर प्रदेश
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