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न पूछो जनाब



                                                     
                        दिल की हालत
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दिल में चुभन है
निगाहों में प्यास
मेरे दिल की हालत
बहुत ही ख़राब
दिल फेंक आशिक़
बहुत घूमते 


पहनाते लैला को
हवस की पाज़ेब
दिल होता कलम
निगाहें सुनाती फ़रमान
मेरे दिल की हालत
बहुत ही ख़राब 


दिल फेंक आशिक़
कुछ  ऐसे भी  है
बना डालते लैला को
जुल्म की एक क़िताब
दिल मैं टकराव
निगाहों मैं झुकाव
मेरे दिल की हालत
बहुत ही ख़राब 


अब दोस्तों भी
डाले रखती नकाब
हर दिल को पड़ी
आज धोखे की मार
दिल भी एक सवाल
निगाह भी एक सवाल
मेरे दिल की  हालत
बहुत ही ख़राब 


आज इंसान की
कोई कीमत नही
दिल बिकने लगे
संकरी गलियों मैं आज 


दिल में घूरता मातम
फिर भी निगाहों में सलाम
मेरे दिल की हालत
ना पूछो जनाब 


..........................
आकांक्षा सक्सेना
जिला -औरैया
उत्तर प्रदेश
९मार्च २००१३
शनिवार
सुबह ११:२०  


8 comments:

  1. दिल फेंक आशिक़
    कुछ ऐसे भी है
    बना डालते लैला को
    जुल्म की एक क़िताब
    दिल मैं टकराव
    निगाहों मैं झुकाव
    मेरे दिल की हालत
    बहुत ही ख़राब-------
    waah vartman sach bahut sunder rachna

    aagrah hai mere blog main sammlit hon
    jyoti-khare.blogspot.in

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    Replies
    1. dhanyvad sir g..aapka bhut bhut abhar..aapne jo apna samay hmre shbdon ko diya...

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  2. nice...Akanksha G

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  3. बहुत कुछ होता है तरक्की के इस जमाने में,
    मगर ये क्या गजब है कि आदमी इंसान नहीं होता.

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  4. dhanyvad aadarniy....bahut bahut abhar aapne apna kuch samay hmre en shbdon ko jo diya hai..

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  5. बहुत खूबसूरत .. और बहुत कड़वा सच...

    वो आदमी आदमी नहीं आदमियत जिसने न जानी ....
    आदमी आदमी का साथी है आदमी को बताना पड़ा ........

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