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गवरमेन्ट जॉब ही क्यों माँ...?

    

              


    पछतावा

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आज वेलेन्टाईन डे है यार कोई मस्त लव स्टोरी सुना अरे!कहाँ खोई है अंकिता बोल ना कुछ चल बता क्या हुआ ?
अंकिता ने कहा,"कुछ नहीं रिया मैं ठीक हूँ|
रिया,"देख ! अंकिता,तू अपनी माँ की कड़वी बातों को दिल पर ना ले एक दिन उनके पता चलेगा कि उनकी बेटी कितनी टेलेंटिट है जरा सोच ! तेरे पापा उड़ीसा माईन में सर्विस करते हैं वो तेरी माँ से मतलब नहीं रखते और पूरा घर तेरी माँ चलाती है कितनी मंहगाई है आज जिसपर जिम्मेदारी होती है वो थोड़ा चिड़चिड़ा हो ही जाता है |इसलिये चिन्ता न कर चल उठ मेरे बगीचे में दो मोर हैं चल दिखाती हूँ |अंकिता तैयार होकर जैसे ही घर के गेट पर पहुँचती है कि माँ जो बैंक में क्लर्क है वो फोन करती है तुरन्त अंकिता अपना मोबाईल निकालती है जी मम्मा वह कहती हैं | मेरी तुम पर पूरी नजर रहती है जाओ अंदर और पढ़ाई करो स्टॉफ कमीशन आयोग का बैंक पीओ का फोर्म भरा है तो चुपचाप तैयारी करो |रिया ने कहा,"यार ! तेरी माँ ये मोहल्ले की ये सामने वाली आंटी खबर देती है पर ये आन्टी कुछ ज्यादा सख्ती कर रही जो ठीक नही और रिया चली जाती है|
शाम को अंकिता पूजा कर रही होती है कि माँ चिल्लाती है इतनी देर पूजा की जाती है फालतू टाईम बरबाद न करो |एक अगरबत्ती के पैकेट की कीमत क्या है पता भी है कुछ |देखो! सभी के बच्चे सफल हो गये क्योंकि उन्होने टाईम का पढ़ाई में लगाया |तुमको शर्म नहीं आती कि रिया भी गवरमेन्ट जॉब में ना दहेज लगेगा और दमाद भी गवरमेन्ट मिल जायेगा |ये सब तेरी समझ में क्यों नहीं आता |अंकिता रो पड़ी और बोली," माँ,तुम क्यों परेशान हो तुम्हारी बेटी के लिखे लेख,कहानियाँ,कविता,गाने हर बड़े अखबार में छपते हैं मुझ पर यकीन करो माँ एक दिन आपकी बेटी का पूरी दुनिया में नाम होगा|माँ  चिल्लाकर बोली," लेख,कहानी छपते हैं इससे घर का खर्चा चल सकता है तेरी पूजा के धूपबत्ती आ सकती है बोल रोटी  आ सकती है सुन रोटी भी जीवन का एक सच है समझी |देख! अंकिता कलम पढ़ाई में चले अगर किस्से -कहानी में चली तो मुझसे बुरा भी मैं ही होयूगीं,चलो खाना खा लो और पढ़ो |
अंकिता रोते हुऐ बोली,"गवरमेन्ट जॉब ही क्यों माँ|"
माँ ने कहा,"चुपचाप खाना खाओ,कोई फालतू बात नही|अंकिता पढ़ती भी और चुपचाप लिखती भी रहती |एक दिन स्कूल से लौटते समय वह अचानक लड़खड़ाकर गिर गयी तो पीछे से बाईक से आ रहे उसके पुराने टीचर ने कहा,"अरे!अंकिता,आओ बैठो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ अंकिता पर चला नहीं जा रहा था वो बैठ गयी |उसने सर से कहा बस यहीं उतार दो मैं चली जाऊंगी पर उन्होने गैट के सामने ही छोड़ा |अंकिता बोली,"धन्यवाद सर , नमस्ते सर |
सर ने कहा,"बेटा कोई बात नही वैसे तुम्हारे सभी लेख पढ़ता हूँ अखबार में मुझे गर्व है तुमपर एक दिन इस जिले का नाम तुम्ही रोशन करोगी अब मैं चलता हूँ|
अंकिता जान गयी कि शाम आफत आयेगी |
माँ बैंक से लौटी तो सामनेवाली आन्टी ने बुलाकर क्या भरा पता नहीं कि उन्होने अंकिता के मुँह पर दो-चार तमाचे जड़ दिये और बोली," कोई भी लड़का या मर्द ना मेरे घर के गेट और ना तेरे दिल के गेट तक नहीं पहुँचना चाहिये समझी मैं तेरी बहुत सोच समझ कर सही इंसान से शादी करूगी ये मर्द जात किसी कैंसर से कम नहीं मौत ही हो जाती है बस |कुछ दिन बाद रिजल्ट आने शुरू हो गये बैंक पीओ के रिजल्ट में फैल,एसएससी में भी फेल यह सब देख माँ ने अंकिता से बात करना ही बंद कर दिया |एक दिन अंकिता ने देखा माँ अकेले में रो रही कि मेरी इन्सल्ट होती है कि मेरी बेटी हर टेस्ट में असफल|यह सुनकर अंकिता ने कुछ सोचा और घर से दूर निकल गयी और सामने से आ रही ट्रेन को देखती रही फिर एक ट्रेन में चढ़ गयी पता ही नही था कहाँ जाना है क्या करना क्यों बस बैठ गयी उसका मन इतना भारी था कि वो सिर पकड़ कर बैठ गयी कुछ देर बाद पीछे से आवाजें आना शुरू हुई कि यार ऐअर फोर्स में सिलेक्शन हो गया मजा आ गया पेपर तो कठिन था पर लग गया तुक्का चल गया सिक्का यह सुनकर पीछे बैठा तमाम लड़का जोर से हँस पड़ा |अंकिता ने सोचा ये सब ऐअरफोर्स का टेस्ट देकर लोटे हैं तभी भीड़ है और कोई टीटी भी नहीं आ़या वो फिर चुपचाप चलती ट्रेन से कूद जाने के लिये आगें बढ़ती है कि तभी पीछे से कुछ सुनती है कि लड़के आपस में कह रहे, अब तो लेखिका अंकिता जी भी तुम्हें रिजेक्ट नहीं कर पायेगीं क्यों? यार आलेख ठीक कहा न हमने और सब हंस पड़े तो आलेख ने कहा,"हाँ,उसके शब्द मुझे आकर्षित करते हैं वो बहुत अच्छा लिखती हैं मैं उनसे जरूर मिलना चाहूँगा और फिर अपने दिल का हाल भी डाईरेक्ट बोल दूगा |यह सुनते ही अंकिता की दिल की धड़कन तेज हो गयी और पूरे तन-मन में अजीब सा कम्पन होने लगा वो आज पहली बार दिल से मुस्कुराई और अचानक तेज हवा ने उसे बाहर खींच लिया वो आज खुशी की उस दुनिया में में थी कि मौत उसे समेट रही थी और उसे होश न था |
तभी ट्रेन में कोई चिल्लाया ओय लड़की ट्रेन से गिर गयी आलेख ने बहुत कोशिस की पर ट्रेन न रूकी वो बोला,"पता नहीं कौन थी,भगवान उसे मुक्ति देना प्लीज|"
एक हप्ते के बाद आलेख डाईरेक्ट अंकिता के घर पहुँचता है तो उसकी तस्वीर पर चढ़ी माला देख वो टूट सा जाता है और वह बच्चे की तरह फूट-फूट के रो पड़ता है और ऐसा पछतावा कि हम दोनों उसी ट्रेन में पर मिल न सके | उसकी खामोश बैठी माँ कहती हैं तुम कौन पहिचाना नही|वो कहता है मैं आपकी बेटी का फैन हूँ और इंडियन ऐयर फोर्स में सिलेक्ट हूँ |मैं तो आपकी बेटी को आपसे मांगने आया था उससे शादी के लिये |
माँ बोली बहुत देर हो गयी जाओ लौट जाओ|
वह कहता है कि आपकी बेटी का रूम दिखा दो और उसकी लिखे गाने कहानी प्लीज मॉम |
माँ ने सोचा कचरा दूर हो वह बोली,"ये रूम है और वो पड़ा है उसका सामान |ऑलेख उसके सभी गाने लेख कहानियाँ सब बैग में भर कर बोलता है ये में ले जाऊँ |
वो कहती है लेलो अब जाओ इतना बताओ कि वो कब मिलती थी तुमसे|वो बोला हम कभी नही मिले उनके शब्दों ने उनके करीब ला दिया और इतना कहकर वो चला गया पीछे से माँ बोली लो ये है प्यार बेवकूफी के सिवाय कुछ नही |
आलेख ने मुम्बई जाकर महीनो सालें संघर्ष किया और उसकी मेहनत रंग लाई |अंकिता के लिखे गाने फिल्मों में आये मोहल्लों में बजने लगे उसकी लिखी कहानी पर सुपर हिट फिल्म बनी जो इतिहास बन गयी|
अंकिता की माँ अवार्ड ले रहीं थी अंकिता का टीवी पर सारी दुनिया उन्हें देख रही थी और आज वो सेलेबिर्टी बन चुकी थी|
एक दिन अंकिता की माँ ने कहा,"बेटा,मुझे माँफ कर दे आज में प्यार को भी समझ गयी और भगवान को भी मान गयी की पूजा व्यर्थ नही जाती पर बेटा अब अंकिता जिंदा नही तू शादी कर ले क्यों जीवन बरबाद कर रहा|वह मुस्कुराया और बोला,"माँ, वो जिन्दा है तभी तो मैं आज सुपर स्टार हूँ |वो कहीं नहीं गयी वो मुझ में है मेरी रूह बनकर |अंकिता की माँ बोली,"बेटा मैंने उसके हुनर का कभी सम्मान नही किया आज सबकुछ पाकर भी सबकुछ खो दिया और वो आज फूट-फूट कर रो पड़ी तो आलेख ने उनको अपने सीने से लगा लिया और कहा आप मेरी माँ हो और मैं अपनी माँ को कभी रोता नहीं देख सकता |माँ ने रोते हुए कहा," बेटा, में तुम्हारे सामने हाँथ जोड़ती हूँ मेरी अक्कू की सब किताबें लेख गाने कविता सब मुझे लौटा दो |इस दुनिया के लिये नही सिर्फ अपने लिये मैं उसका लिखा एक-एक शब्द पढ़ना चाहती हूँ ताकि मेरी आत्मा को सुकून मिल सके और पछतावे के इस स्राप से में मुक्त हो सकूँ जो मेैंने ही खुद को दिया है |
एक महीने बाद एक लेख छपता है अंकिता की माँ का जिसमें उन्होने लिखा था कि हैपी वैलेंटाईन डे मेरी बच्ची
मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ और प्यार से कहीं ज्यादा तुम्हारा सम्मान करती हूँ और मैं गर्व से कह सकती हूँ कि मैं मेरी बेटी की फैन हूँ और रहूँगी,हमेसा |

धन्यवाद

स्वलिखित रचना(@कॉपी राईट)

आकांक्षा सक्सेना
जिला-औरैया
उत्तर प्रदेश

4 comments:

  1. आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी। मन को छू लेने वाली कहानी है। आप कविता के साथ कहानी लिखने में भी सिद्धहस्त हो, बड़ी खुशी की बात है।

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  2. I LIKE YOUR SUCH NICE A ARTICLES KEEP IT UP

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  3. आपकी लेखनी उत्कृष्ट और सार्थक है समाज में बदलाव अवश्य लाएगी । आपको उज्जवल भविष्य की अनंत शुभकामनाएं ।

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