युग निर्माता
दोस्तों आज से हम ब्लॉग समाज और हम में कुछ ऐसे युवा लोगों की जीवन संघर्ष लिखेंगें और बतायेगें कि उन्होंने समाज को क्या दिया और अपने मजबूत इरादों से समाज को कैसे बदला ? जो हमारे लिये बने...
आज के युवा युग निर्माता/ रियल हीरो
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और खुल गया अंग्रैजी माध्यम स्कूल.....
विपिन जी आपका पूरा नाम और जन्म के बारे में बतायें......
मेरा जन्म अत्यंत साधारण निम्नवर्गीय किसान परिवार में
9 सितम्बर 1987 में दानापुर कैंट(पटना) बिहार में हुआ|मेरे पिता का नाम योगेन्द्र सिंह और माता का नाम लीलावती देवी है |
जीवन संषर्ष
................मेरी पारिवारिक स्थिति बहुत खराब थी इसलिये संघर्ष बचपन से ही मेरे साथ रहा | मैंने दंसवीं से ही ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई और परिवार की जिमेदारी भी पूरी कीं | सभी की मदद करने का जज्बा बचपन से रहा ये मान लो खून में ही है | मेरे दादा जी ने गरीब होते हुए समाज की भलाई में अपना खेत तक दान कर दिया था गाँव में स्कूल बनने के लिये कि सब पढ़े और बढ़े |
वो कौन सी घटना थी जिसने आपको प्रभावित किया
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मैंने बारहवीं के बाद 2005 में अंग्रेजी माध्यम प्राईवेट स्कूल ज्वाइन किया | जिसमें पांच सौ रूपये मासिक वेतन मिलता था| वहाँ पढ़ाते वक्त एक दिन स्कूल प्रैंसिपल मेरे क्लॉस में आये और एक अत्यंत गरीब बच्चे को समय पर फीस जमा ना कर पाने के कारण उसके बाल पकड़ कर उसकी गरीबी का उलाहना देते हुऐ घमण्ड़ में भरकर उसे घसीटते हुऐ क्लॉस से बाहर फैंक दिया और पीछे से उसका बैग भी फैंक दिया |
मैं चुप नहीं बैठा मैंने उनसे बात की फिर जाकर जब उस बच्चे की घर की हालत देखी मैं बंया नहीं कर सकता और स्कूल में आकर मैंने सभी बच्चों को प्रॉमिस किया कि बहुत जल्द में इसी जगह पर ऐसा स्कूल खोलूंगा कि किसी बच्चे के साथ फीस को लेकर ऐसा दुर्व्यवहार नहीं होगा मैं मुफ्त शिक्षा मुहैया कराऊंगा वो भी अंग्रैजी माध्यम में गरीब के बच्चे को भी अंग्रेजी बोलने का हक है उसे भी बेहतर शिक्षा का हक है | फिर उसी दिन मैंने उस स्कूल से रिजाइन दे दिया |दूसरे दिन से अपना ट्यूशन सेंटर खोला और उन सभी गरीब बच्चों को पढाने में जुट गया | ट्यूशन पढ़ाते समय मुझे याद आया कि 15 अगस्त 2003 को लालकिले की प्राचीर से तत्कालीन प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि युवाओं को नौकरी पाने की जगह नौकरी देने की सोचना चाहिये | बस मैंने सोच लिया की अब मुझे कुछ अच्छा करना है |
और मैंने बीबीएम में ऐडमीशन लेने की सोची तो पिता जी ने मेरे सपने के लिये अपनी जमीन बेंच दी और तब मैंने बीबीएम कोर्स पूरा किया |एक साल की जॉब की और फिर जो पैसा कमाया उससे अपने गाँव उसी जगह पर अंग्रैजी माध्यम में छोटा स्कूल खोला | फिर 2013 में एमबीए करने पुणे चला गया क्योंकि मैं ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार दिलाना चाहता था |एमबीए के बाद बहुत बड़ी कम्पनी के भी ऑफर आये पर मैंने सोचा अगर मैं दूर देश गया तो मेरे गाँव के बच्चों का क्या होगा | देश के भविष्य का क्या होगा और उन बच्चों की खातिर में बच्चों के पास लौट आया और उनको पढ़ाने लगा |आज मेरे स्कूल में 250 बच्चे और 12 शिक्षक हैं|
आपके स्कूल का नाम और जगह
.........................................मेरे प्यारे से स्कूल का नाम है
बिहार इंटरनेशनल स्कूल खासपुर मनेर,पटना
ये स्कूल दानापुर से मनेर रोड पर है |
समाज का कितना सहयोग मिला
........................................समाज और अपनों ने मुझे बेवकूफ के अतरिक्त कुछ नहीं समझा |
आपकी हॉबी
.................बच्चों के साथ समय बिताना उन्हें मॉटीवेट करना, लोगों की मदद करना, पशु-पक्षियों का ख्याल रखना, वृक्षारोपण करना |
आपके जीवन का उद्देश्य
...........................बच्चों को मुफ्त और बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना |
युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना |
मेरी यही चाहत है कि कुछ ऐसा कर पाऊँ कि देश के ज्यादातर घरों में दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाऊँ|
युवाओं को क्या संदेश देना चाहेगें आप
..................................................समाज और युवाओं को मेरा संदेश यही है कि जो भी करें या लाइफ में उनका जो भी बनने का उद्देश्य है उसमें उनके खुद के हित के साथ समाज और राष्ट्रहित भी सामिल हो|
धन्यवाद, विपिन जी हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं |आप जैसे मुट्ठी भर संकल्पवान लोग जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ़ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। आप ही हैं युगनिर्माता |
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