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सर्वोच्च न्यायालय का सराहनीय फैसला






सर्वोच्च न्यायालय का सराहनीय फैसला

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भारतीय संविधान में दिये गये "समानता के अधिकार" को ध्यान में रखते हुये तथा उम्र व लिंग का लिहाज किये बिना माननीय भारतीय  सर्वोच्च न्यायालय के मा. न्यायमूर्ती श्री कुरियन जोसेफ व माननीय न्यायमूर्ती श्री आर.एफ नरीमन महोदय ने देश की भारत सरकार को आदेशित किया है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम सन् 2005 की धारा 2(क्यू) में दिया गया "वयस्क पुरूष" वाला अंश हटा दिया जाये | शीर्ष न्यायालय ने यह माना है कि घरेलू हिंसा करने में महिलाओं के ससुराल पक्ष के 16-17 साल के लोग तथा ससुराली रिश्तेदार महिलायें भी पीछे नहीं है लिहाजा उन्हें भी इस कानून के शिकंजे में लिया जाना न्याय संगत है | अब महिलाओं के ससुराल का कोई भी नावालिक एंव वालिग व्यक्ति इस कानून के शिकंजे से बच नहीं पायेगें| जो अब तक इस कानून से बचते आ रहे हैं | मा. न्यायमूर्तीगणों  ने जो यह ऐतिहासिक और सराहनीय फैसला दिया है वह इनके द्वारा समदर्शी एंव पारदर्शी विषम परिस्थितियों में अपनी ससुराल में पीड़ित महिलाओं को दिया गया उनका आदर व सम्मान है | मा.भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को चाहिये कि वह इसी अधिनियम में व राष्ट्र के अन्य सभी कानूनों में भारतीय संविधान में दिये गये "समानता के अधिकार" के तहत भारतीय नागरिकों के विवाह, जन्म व मृत्यु के पंजीकरण, बीमाकरण व लाईसैंसीकरण के सर्वोच्च न्यायिक दस्तावेजी साक्ष्य अभिलेखानुसार पंजीकरण वैधानिक, बीमाकरण संवैधानिक व लाईसौंसीकृत कानूनी सर्वोच्च न्यायिक रूप से विवाहित, जन्में व मृतक स्त्री, पुरूष व किन्नर भारतीय नागरिक व्यक्ति की समदर्शी, पारदर्शी व संतुलित स्पष्ट परिभाषा भी दर्ज किये जाने का आदेश भारत सरकार को जारी करे जिससे की कोई भी बालिका एंव महिला अपने घर के अंदर, बाहर घरेलू हिंसा से अशांति रक्षित, असुरक्षित एंव असंरक्षित अर्थात् अनारक्षित न हो सके और मा.भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश महोदय को समदर्शी,पारदर्शी एंव संतुलित नेक नियत का व नेक नीति का नेक इंसान व एक भगवान का दर्जा प्राप्त हो सके और राष्ट्र का भारतीय जनजीवन अपराधमुक्त व रोजगारयुक्त हो सके जिससे कि राष्ट्र के वर्तमान के समस्त न्यायालय अनावश्यक करोड़ों मामलों के दबे बोझ से स्वतंत्र, आजाद व मुक्त हो सके और राष्ट्र की प्रत्येक बालिका एंव महिला अपने समदर्शी, पारदर्शी एंव संतुलित व्यवहारिक को आदर व सम्मान को पुन: प्राप्त कर सकें |

आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'

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