नये भारत का उदय आपके हाथ में :
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( मतिदान बन्द तो अपराध खत्म )
नया हिन्दुस्तान बनाने के लिये मतदान का बहिष्कार जरूरी है |
हिन्दुस्तान के परमहंस श्री रामकृष्ण दास जी के शिष्य राजर्षि स्वामी विवेकानन्द जी ने 19 सितम्बर सन् 1893 में अमरीका के शिकागो शहर में आयोजित विश्व सर्वधर्म सम्मेलन में हिन्दुस्तान के हिन्दुओं के आपसी सभ्य एवं भव्य मानवीय रिश्तों, मैत्री व सांस्कृतिक सम्बंधों के नैतिक गुण मूल्यों के सत्यवादी हिन्दू धर्म व परोपकारी हिन्दु कर्म की हिन्दुस्तान की पूर्वनिर्धारित व प्रचलित लोकतांत्रिक राजव्यवस्था संचालन की न्यायपालिका की संघात्मक ईश्वरीय कार्यप्रणाली का महिमामण्डल कर विश्वविजयी परचम लहराया था | इन्ही के शिष्य आई.सी.एस अफसर टैक्स कलेक्टर व आजाद हिन्द फौज के मुखिया नेताजी श्री सुभाष चन्द्र बोस जी ने 15 अगस्त सन् 1942 को सिंगापुर में हिन्दुस्तान की स्वतंत्रता, आजादी व मुक्तता का तिरंगा परचम लहराया था | वह हिन्दुस्तान में उक्त कार्यप्रणाली क्रियान्वित करना चाहते थे | 15 अगस्त सन् 1947 से लेकर अब तक समस्त हिन्दुस्तानियों ने अपना मतिदान किया बदले में उन्हें जो मिला वह सर्वसमक्ष है | सन् 1922 में नया हिन्दुस्तान बनाने के लिये हिन्दुस्तानियों को अपने मतिदान के बहिष्कार की जरूरत है जिससे की हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री से हिन्दुस्तान की न्यायपालिका को हिन्दुस्तान के राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ परिवार के एवं हिन्दुस्तानी स्वंय सहायक संघ परिवार के आदिपरम्परागत सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश की एवं सर्वोच्च मुख्य सहायक न्यायाधीश की जरूरत है जो हिन्दुस्तान की न्यायपालिका में विचाराधीन अनावश्यक करोड़ों मामलों को निर्णीत कर हिन्दुस्तान की न्यायपालिका को अपनी आदिपरम्परा की स्वंय सेवा व स्वंय सहायता से स्वच्छ रख सकें जिससे कि समस्त हिन्दुस्तानी संस्कारवान, शिक्षित, रोजगारयुक्त व न्याययुक्त हो सके अर्थात् हिन्दुस्तान में आतंकवाद, भ्रष्टाचार, दुराचार, व्यभिचार एवं बलात्कार जैसे अपराधीकरण का समूल अंत हो सके | हिन्दुस्तान में अकाल विवाह, जन्म एवं मृत्यु का सिलसिला समाप्त हो सके | जिससे कि हिन्दुस्तानियों को मतिहीन बनाने का हिन्दुस्तान की विधायिका का मतिदान का पूर्वनियोजित धोखाधड़ी के अपराधिक षडयंत्र का अंत हो सके | हिन्दुस्तानियों को अपनी मतिहीनता से बचने के लिये अपने मतिदान के बहिष्कार की जरूरत है | नया हिन्दुस्तान बनाने के लिये न्यायपालिका में सफाई एवं विधायिका की विदाई जरूरी है |
आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'
"पंद्रह अगस्त "
ReplyDeleteपंद्रह अगस्त मनाते हैं ,
जय हिन्द चिल्लाते है |
दीवाने आजादी के-
जाने क्यों भूल जाते हैं |
तीस दिसम्बर तिरालिस ,
द्वीप अंडमान भुलाते हैं ||
जन-मन की आशाओं पे ,
पानी फेर जाते हैं !
तानाशाही ठीकेदार
लोगों को तडपाते हैं ?
पंद्रह अगस्त मनाते हैं ,
जय हिन्द चिल्लाते है ||
सत्य-अहिंसा प्रतिबिम्ब बन,
रक्तित लाश दिखाते हैं !
शान्ति दूत और सादगी ,
संसद देख न जाते है |
जन गण मन अधिनायक ,
सभ्यता में खो जाते हैं |
हरियाली खेतों की सारी,
नील गाय चर जाती है ||
संघर्ष को करने वाले,
माँ ! मालाएं पाते हैं |
धरा के वीर वीरों को,
भूले कभी न जाते हैं |
देश प्रेम सद्भाव अमर ,
सृजन श्रृंगार बढाते है |
निज आँगन रस बरसाते ,
माला फूल चढाते हैं |
देश वास्ते लड़ने वाले,
वन्देमातरम गाते हैं ||
ऊँची ऊँचाई छूने को ,
पंद्रह अगस्त मनाते हैं ?
चाँद छूने की तमन्ना ,
शान! देश क बढाते हैं |
आजादी- रखवाले वीर,
तिरंगा लहराते हैं |
देश वास्ते लड़ने वाले,
वन्देमातरम गाते हैं ||
"छेद-छाड़ "
ReplyDeleteचर्चा अच्छी आभार ! लेकिन सुनिए बारम्बार |
छेड़ -छाड़ से आजिज गली -मुहल्ला सरकार ||
विदेशों की तर्ज पर क़ानून बनेगा जब हमार |
छेड़खानी करने वाले 'मंगल'तभी होंगे लाचार ||
छेड़-छाड़ करने वालों को कुत्ते से कटवाना होगा
सूअर से नोचवाना होगा भरे चौराहे जाना होगा|
नव क़ानून बनाना होगा विदेशी नीति बताना होगा |
मृतु दण्ड होने तक उनको असली राह दिखाना होगा ||