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बवाल - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


कहानी :  बवाल 

   'एक झंझावत कथा' 
         पार्ट- 1

आज उत्तर प्रदेश के भिमारी जिले में मेरी पहली पोस्टिंग भिमारी जिले की डी.एम गौरी संघाल के रूप में हुई, मुझे मेरा ऑफिस मिला सामने अपनी कुर्सी देख मैं मन ही मन बहुत खुश हुई ।आज डी.एम की कुर्सी पर बैठ ऐसा लगा मानो ज़िंदगी की सारी थकान मिट गयी क्योंकि बड़ी मुसीबत झेल के मैं यहाँ तक पहुँची थी।ऑफिस में सभी लोगों द्वारा मिल रहा सम्मान देख, मैं फूले न समा रही थी। ऐसा लग रहा था मानो, आज खुद की किस्मत पर खुद को जलन हो जाये। सच कहूँ तो आज में बहुत खुश थी।
कुछ दिनों में मैंने महसूस किया कि यहाँ सभी मुझे अजीबोगरीब नज़रों से देखते हैं…पता नहीं क्यों.. पर कुछ तो बात थी जिसे जानने की जिज्ञासा मेरे मन मे घर कर गई। मैं सोचने लगी, दुनिया कहाँ की कहाँ पहुँच गयी और ये लोग यहीं अटके हुये हैं जो आज भी महिला प्रशासनिक अधिकारी को इस तरह धूरतें हैं। मैं मन ही मन सोचने लगी कि सचमुच इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता। मैंने ऑफिस में बैठ-बैठे पूरे जिले के गाँव – क़स्बों को नज़दीक से देखने का मन बनाया। क्योंकि मैं उन लोगों को उनकी परेशानियों से निजात दिलाने की पूरी कोशिश करना चाहती थी। ऑफिस के लोग यह विचार सुन कर खुश तो थे पर उनकी आँखें और चेहरा कुछ और ही बोल रहा था। मैंने सच जानने का निश्चय किया कि ये अजीब व्यवहार मेरे साथ आख़िर क्यों? मैंने निश्चय किया कि मैं एक दो दिन में इनसे स्पष्ट पूछँगीं। दूसरे दिन हम और ऑफिस के कुछ लोग गाड़ी में बैठ जिला भिमारी के एक छोटे से कस्बे बाबरपुर को घूमने निकले। जब मैंने गाड़ी में बैठे-बैठे खिड़की से बाहर के नज़ारे देखे तो मुझे बहुत गुस्सा आया। सामने पुल की दीवारें बेहद भद्दे विज्ञापनों से रंगी पड़ी थीं।

 उन पर कुछ यूँ लिखा था…”देखो! गधा मूत रहा है” और हद तो तब हो गयी जब मैंने देखा कि, उसी दीवार पर लोग टॉयलेट भी कर रहे हैं। पुल की दूसरी दीवार पर लिखा था “यह प्लाट बिकाऊ है’ वहीं दूसरी तरफ लिखा था कि “काफिलाज़ पशु आहार खिलाए और भैंस रानी का दूध बढ़ायें”। ये सब देख मैं हैरान थी कि कैसे घटिया विज्ञापनों से जिले के फ्लाई ओवर को गंदा किया जा चुका है। फिर आगें बढ़ी तो देखा कि लोगों ने सड़क के किनारे लगे पेड़ों तक को नहीं बख़्शा था जिन पर लिखा था,” बाबा बंगाली मनचाहा प्यार पाने के लिये वशीकरण के लिये सम्पर्क करें”। “बवासीर खूनी पेचिस, दस्त कब्ज़ के लिये मिलें”। “दयानंद ऐकेडमी प्ले स्कूल में आयें और अपने बच्चों का फ़्यूचर चमकायें” लोगों का यह बेशर्मी से भरा मनमाना रवैया देखकर मैं अपने ऑफिस लौट आयी। ऑफिस में आकर बैठी ही थी कि मिश्रा जी ने कहा, ”मैडम, अब क्या सोचा आपने? मैंने कहा कि मुझे शहर,कस्बे और गाँव सब साफ -सुथरे चाहिये और तुरन्त पुल के दीवारों पर लिखे ये घटिया प्रचार सब साफ करवाओ अगर फिर भी कोई न माने और दोबारा लिखे तो पूरे पाँच हज़ार रूपये का जुर्माना देय हो। ये बात समाचार पत्रों में छपवा दीजिये आप। फिर थोड़ी देर बाद मीडिया के कुछ लोग आये और कुछ बातें करके चले गये।ऑफिस के लोग मुझे टकटकी लगा के देख रहे थे । 

हमने कहा क्या बात है? यह सुनकर सब तुरन्त अपने कार्यों में लग गये। मुझे लगा इन निगाहों में कुछ तो ख़ास छिपा है जो मुझे पता करना है ये सब लोग कुछ तो छिपा रहें हैं,जो मैं पता करके रहूँगी। मैं कुछ सोच ही रही थी कि तभी बाहर किसी लड़की की रोने की आवाज़ आयी और शोर मच गया ।हमने अपने पास ही बैठे कमप्यूटर ऑपरेटर शशांक मिश्रा से कहा जो लड़की रो रही है उसे अंदर लाओ प्लीज़…वो बोले जी। लड़की सामने आयी और बोली “बचा लो मैडम” ! मैं उसके पास गयी और पूछी क्या हुआ ? लड़की बोली,”मैम,दो महीने हुऐ शादी को देवर भी ज़बरदस्ती करता है और ससुर भी, पति कहता है कि मेरे घरवाले तुम से कुछ भी करें या कुछ भी कहें मुझसे ना कहना समझी। मैडम फोन भी नहीं देता कि मैं अपनी माँ से बात कर सकूं। जब मैंने चिल्लाना शुरू किया तो ननद ने मुझे बहुत मारा तभी मैंने घर के सामने का गेट खुला देखा तो भाग निकली। मैं उसने मुझे अपने हाँथ- पाँव पर जलाने, पीटने के गहरे निशान दिखाये। ये देख मेरी आँखों में आँसू आ गये। मैंने उसका हाँथ थामा तभी वो गिर पड़ी और बोली मैडम बहुत भूख लगी है, चार दिन से कुछ नहीं खाया मैम। जब तक मैं उसके के लिए कुछ कर पाती उसे जोर की हिचकी आयी, वह बोली, ” मैम शायद मुझे भगवान याद कर रहे हैं। मैं चिल्लायी मिश्रा जी ऐम्बूलेंस बुलवाओ जल्दी। मैंने उस लड़की की तरफ देखा! वो मेरे कुर्ते को पकड़े थी और एकाएक अचानक उसके हाथ की पकड़ ढ़ीली पड़ी और वो हाथ छूट गया। 

मैंने उसका सर अपनी गोद में रख लिया और उसने मुझे एकटक देखते हुये अपनी अंतिम श्वांस ली। मैं उसे गले से लगा कर ज़ोर से रो पड़ी। मुझे रोते दे मिश्रा जी बोले,”मैम,प्लीज़”। मैं उठी और कुर्सी पर बैठी। ऑफिस के बाहर हंगामा मचा हुआ था। लड़की के परिवार वाले ऑफिस के बाहर तोड़-फोड़ शुरू कर चुके थे। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि वो लोग मेरी गाड़ी फूँक फूंक देंगे। इस घटना से पूरे जिले में ऐसा बवाल मचा था कि लोगों ने मुग़ल रोड़ जाम कर रखा था। हर जगह जनता की भारी भीड़ बड़ी – बड़ी तख्तियां लेकर चिल्ला रही थी कि ” लेखिका अरूणा नारंग को इंसाफ दिलाओ”। ” न्याय चाहिये ससुरालियों को सजा-ए -मौत चाहिये”। 

जब मैने सुना ये लड़की वही फेमस लेखिका अरूणा नारंग थी जिससे कभी मैं भी मिलना चाहती थी |किसी ने सही कहा है कि दुख इंसान की शक्ल व सूरत दोनों ही बिगाड़ देता हैं।सच मैं तो उनको पहचान ही न पायी कि ये अरूणा जी हैं। ओह! माई गॉड उनके साथ इतना बुरा हुआ?”जिनसे कभी मैं मिलना चाहती थी पर नहीं पता था कि इस तरह मेरी उनसे पहली और अंतिम मुलाकात होगी। मैंने कहा मिश्रा जी पुलिस इंस्पेक्टर से हमारी बात करवाइये अभी। मिश्रा जी ने फोन दिया हमने कहा,नमस्ते बाद में पहले अपना नाम बताइये? अच्छा तो आपका नाम.. सावन है। आप सड़कों पर ये जो जनता का गुस्सा देख और सुन रहें हैं। आप अरूणा नारंग जी के ससुरालियों पर तुरन्त ऐक्शन लो और सावन नाम है ना आपका, तो अपराधियों पर बरसो वो भी झूम के। मुझे सब आरोपी जेल में चाहिये। आप जानो आप क्या करेंगे, कैसे करेंगे । दूसरी बात यह कि इस सिलसिले में जो बवाल मचा है इसको भी शांत करवाइयेगा क्योंकि इससे समाज में बहुत असंतुलन हो रहा है। मैंने फोन रखा ही था कि तभी मीडिया के लोग आकर बोले, ”मैडम आपकी गाड़ी जल गयी है आप क्या कहना चाहेंगी? मैने कहा, ”गाड़ी नही उस बेटी की बात करिये जो ज़ुल्म का शिकार हुई।एनीवे उसे न्याय मिलेगा और ज़रूर मिलेगा। ” मीडिया ने कहा,”ये जो बवाल मचा है आप उसका क्या करेंगी? मैंने कहा, ”जिनकी बेटी के साथ ऐसा हुआ उनसे जाकर पूछो, गुस्सा फूटना स्वाभाविक है पर मेरी सभी लोगों से अपील है कि, धैर्य रखें, कानून दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा देगा,किसी को बख्शा नही जाएगा। मिश्रा जी बोले, ”मैडम बॉडी पोस्टमार्टम के लिये भेज दी गयी है। ” मैंने हाँ में सिर हिलाया तभी मैंने देखा ऑफिस के लोग रोज़ की तरह आज भी मुझे घूर रहे हैं। मैं खड़ी हुई और जब तक कुछ बोल पाती….कि सभी एक साथ खड़े होकर बोले, ”मैम आपको देख “ईरा मैडम” की याद आ गयी, हम लोग आपको जब भी देखते हैं तो हर-पल उनको आप में पाते हैं। अब मेरे समझ आया कि ये लोग मुझे क्यूँ घूरते थे। 
मैंने कहा,”कौन ईरा”?
मिश्रा जी बोले,आज से पाँच साल पहले इस जिले की पहली महिला डी.एम आदरणीय ईरा सिंघल जी थीं जिनकी पहली इसी जिले में हुई थी। वह इसी आफिस में इसी अंदाज में वर्क करतीं थीं।
मिश्रा जी के ज़ुबान से इरा मैडम के लिए आदरणीय शब्द सुन कर ही मैं समझ गई वो ज़रूर कोई अहम शख्सियत होंगी।
मैं ने पूछा अभी वह कहाँ है,उन से कैसे मलाक़ात हो सकती है? यह सुन उन सब की आँखे भर आयीं। हमने सोचा लगता है उन्होंने इस जिले के लिये बहुत अच्छा काम किया है तभी ये लोग इतनी इज्ज़त से उनको याद कर रहें है। काश! मैं भी अच्छे काम कर पाऊं जो मुझे भी ऐसी इज्ज़त नसीब हो। मैं ने फिर पूछा अरे बताओ न वो कहाँ मिलेंगी फिर भी सभी खामोश रहे,तभी…सामने खड़े पियून ने कहा,” मैडम, वो ईरा मैडम गुमनाम हो गयीं कोई नहीं जानता वो कहाँ गयीं”। मिश्रा जी बोले,”हाँ, कोई नहीं जानता वो कहाँ गयीं, इतना कह कर वो रो पड़े….। मैं तो देखते रह गयी कि सब के सब आँसू पोछ रहें हैं मैं ने पूछा,”क्या उनको ढूंढने में आप सब मेरी मदद करेंगे?
उन्हों ने कहा हाँ बिल्कुल मैं ने कहा,”पहले आप लोग मुझे उनके बारे में सबकुछ बतायें जो भी आप जानते हों।
मिश्रा जी बोले,”मैम,वो सब तो मीडिया में उस समय बहुत हाईलाइट था। याद करें आज से पाँच साल पहले राष्ट्रपति भवन का वो लाखों करोड़ों महिलाओं का धरना जिसमें बड़ी संख्या में पुरूष भी शामिल थे। इस धरने को देश का सबसे बड़ा ” ”बवाल” नाम दिया जा चुका है और ईरा मैडम को उनके विरोधी “बवाली” ही कहा करते थे।
वह सब बोलते थे डी.एम नहीं ”बवाली” आ रही हैं। कचहरी में ऑफिस की दशा सुधार लो वरना चारों ओर बवाल ही मचेगा। मैंने कहा,”हाँ,कुछ साल पहले मैंने टी.वी पर देखा तो था पर अचानक प्रसारण रोक दिया गया था। फिर कोई बात बाहर न आ सकी ….है ना। मिश्रा जी बोले,”हाँ मैम,मुझे याद है ईरा मैम स्टेज पर माइक से बोल रहीं थी और जब वह अपने प्रशंसको के बीच आने के लिए जैसे हीं मंच से नीचे उतरीं कि बस वहीं भीड़ में कहीं गुम हो गयीं या गुम कर दीं गयीं पता नही। उनके गुम होने के बाद वो ‘बवाल’ मचा था कि पूरे देश में आगज़नी मची थी। ना जाने कितने लोगों ने उनके लिये ट्रेन के सामने लेट कर प्रदर्शन किया था और बहुत लोग मारे-पीटे भी गये।
वह ऐसा साल था जब देश की जेलें नवयुवतियों नवविवाहिताओं महिलाओं और पुरुषों से भर गयीं थीं। मैंने कहा कि हाँ उस समय मेरा एग्ज़ाम का समय नज़दीक था और मैंने खुद को स्टडी रूम में कैद कर लिया था। मैं उन दिनों कड़ी मेहनत से एग्ज़ाम की तैयारी में जुटी थी। इसलिये ये सब जो देश में हुआ हमने कुछ करीब से जानने की कोशिश नहीं की पर मिश्रा जी इतनी महान महिला अचानक गुम कैसे हो गयी? यह बात सुनकर मिश्रा जी बोले, ” यही तो पूरा देश जानना चाहता है मैम…! 

हमने कहा मिश्रा जी आप पाँच साल पुराने सभी अख़बार मंगवाइये और इसके लिए आज और अभी से ही जुट जाइये, ठीक है। दूसरी बात यह कि जिसको जो भी पता चले मुझे बताना। अगर कोई ख़ास गुप्तचर टीम बनानी हो तो बना लीजिये हम सब साथ हैं पर यह सारी बातें अभी अपने तक ही रखना। मिश्रा जी ने कहा, ” ओके मैम।” गौरी संघाल ने नेट पर अपने तरीके से खोजबीन करना शुरू किया और फिर उन्होंने यू ट्यूब पर ईरा जी के वीडियो सर्च किये। वो रात भर इस केस से जुड़ी कड़ी को ढूँढ़ने और जोड़ने का प्रयास करती रहीं।
सुबह ऑफिस पहुँच कर काम निपटाकर सब लोग पुराने मंदिर पर पहुचें। वहाँ पहुँच कर मिश्रा जी बोले मैम ये तस्वीर देखो ! मैम मंच से उतर रहीं हैं और ये महिलायें उनके हाथ पकड़े हंस रही हैं। यह सुनकर विनय शर्मा बोले मैम मैं आपके ऑफिस में पत्र टाईप करता हूँ मैंने पता किया है कि ये महिलायें क्रिमिनल्स हैं। मैंने कहा, ” क्या.. बात साफ-साफ कहो”?

 मैंने इन सब महिलाओं की तस्वीर एक बार पेपर में छपी खबर ‘ट्रेन में सक्रिय महिला ज़हरखुरानी गैंग’ में साफ देखी थी। मैंने कहा, ” बहुत अच्छा, हम सब जल्द सच के करीब होगें। हम लोग बात कर ही रहे थे कि तभी इंस्पेक्टर सावन आकर बोले आप सब यहाँ एक साथ?” गौरी संघाल बोलीं, ”ये लो तस्वीरें और सिर्फ पता ही नहीं करो बल्कि पकड़ो तुरन्त।” सावन बोला ये सब फोटो! ये अखबार! मैं जो समझ रहा हूँ क्या वो सच है? मैने कहा, ”हाँ ……लग जाओ….बस काम पर। सावन हो तो बरस जाओ जाकर। सावन ने कहा,”बिल्कुल,ईरा जी के लिये मैं कुछ भी करूँगा|”सब लोग अपने घरों को चले गये। गौरी अपने ड्राईवर से कहतीं हैं जगत भाई, गाड़ी ज़रा पास के गाँव जगतपुरा की तरफ ले चलो और पूछा, जगत भाई ये जगतपुरा गाँव का नाम तुम्हारे नाम के कारण पड़ा क्या ? ड्राईवर मुस्कुराया,कहा मैडम आप भी न…यह सुन कर गौरी संघाल हँस पड़ी और जगत भी हंस पड़ा। गौरी ने गाँव के बाहर ही गाड़ी रोक दी और गाँव में आकर किसी को ढूँढ़ने लगीं तभी एक बुजुर्ग बोले किसे ढूढ़ रहें हैं आप लोग? गौरी कुछ कहती तभी एक महिला बोली बाबा तुम्हारे नाती का फोन आया है…. गौरी उस महिला के घर के अंदर जाने लगीं। यह देखकर वह बाबा और वह महिला बोली अरे! कौन हो तुम लोग। मैं तुम्हें नहीं जानती। गौरी ने कहा पर मैं तुम्हें अच्छी तरह से जानती हूँ, तुम्हारा नाम जानकी बाई और तुम्हारे बाबा का नाम केशव दयाल है न। 

यह सुन वह महिला गौरी को हैरानी से देखने लगी। गौरी ने कहा, ये देखो! अखबार ईरा जी के साथ कई जगह तुम्हारी फोटो है पीछे छिपी सी खड़ी हो तुम। देखो! जो जानती हो बताओ? वह बोली आप मेरा नाम कैसे जानती हैं? गौरी ने कहा,साइन्स ने बड़ी तरक्की की है, नेट है, पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, आय – जात और पूरी वोटर लिस्ट ऑनलाईन है….आज , सब पता चल जाता है।अब बताओ जो भी जानती हो? वह बोली,मैडम,मैं क्या लाखों लड़कियाँ ईरा मैडम के साथ थीं।उन्होंने समाज से दहेज़ खत्म कर देने का बीड़ा उठा लिया था। वो लड़कियों के आँसुओं में ही डूब के कहीं गुम हो गयीं। यह कहते-कहते वह फूट-फूट के रो पड़ी कि उनका जाना और देश की हर लड़की का असुक्षित हो जाना। गौरी संघाल ने कहा,तुम किसी को जानती हो जो उनके बारे में हमें कुछ और अधिक बता सकें क्योंकि हम उनको ढूंढ़ रहें हैं,प्लीज़ कुछ तो बताओ। वह अपनी साड़ी के पल्लू से अपने आँसु पोंछते हुयी बोली क्या सचमुच। उनके लिये प्लीज़ कहने की ज़रूरत ही नहीं है….हाँ मैं जानती हूँ वही जो उनके बारे में सब जानते हैं पर….। 

गौरी ने कहा पर क्या? वो बोली,”आप खुद ही जाकर देख लो। गाँव के बाहर श्मशान है वहीं बीहड़ में एक सूखे पेड़ के नीचे लेटा एक पागल दिखेगा। गौरी ने कहा,”पागल?”। जानकी बाई बोली,”वो पागल आज से पाँच साल पहले देश का जाना माना पत्रकार था और ईरा मैडम का ख़ास दोस्त भी था। गौरी ने कहा,”धन्यवाद,जानकी बाई। मैडम और ड्राईवर दोनों गाँव के बाहर आकर गाड़ी में बैठ गये। ड्राईवर बोला,”मैडम,चलें”। गौरी ने कहा,”हाँ”। गौरी और ड्राईवर दोनों शमशान के वीराने में उस पत्रकार को ढूँढ़ने लगे तभी देखा कि सामने दो छोटे बच्चे अपने सर और कन्धों पर लकड़ी का भारी गट्ठर रखें हुऐ चले आ रहें हैं और उनके साथ शायद उनका पिता भी है जो कुछ लकड़ियाँ हाँथ में पकड़े हुऐ है। गौरी उनके पास जाकर बोली,”छोटे बच्चों के कन्धों पर इतना भार”? वो गरीब बोला, मैडम, इससे ज़्यादा तो इनके बस्ते भारी हैं। 

वैसे में इतना भार बच्चों से न उठवाता पर इनको ये सीख देनी ज़रूरी है कि हम कितनी मेहनत से लकड़ियाँ बीन के लाते हैं ताकि ये पढ़ें कुछ बनें और इनको अपने बाप की तरह जंगलों, श्मशान के वीरानों में लकड़ियाँ बीनना ना पड़े और ये रोज ज़्यादा- ज़्यादा लकड़ियाँ इधर- उधर फेंकते हैं और बिना वजह जला डालते हैं तो अब ये इनकी कीमत जानेगें और फिर ऐसा न करेगें। वहीं पास में खड़े बच्चे बोले,बाबा अब कभी लकड़ी बर्बाद नहीं करेगें। गौरी बोली ,आप जैसी अच्छी सोच वाले पिता के बच्चे ही देश समाज का नाम पूरी दुनिया में रौशन करतें हैं।
गौरी संघाल ने पूछा,क्या यहाँ कोई सूखा बड़ा सा पेड़ है जहाँ कोई पागल रहता है? वो ग्रामीण दूर इशारा करते हुए बोला उधर वो देखो! सूखा पेड़,वो पागल वहीं कहीं होगा। पर मैडम वो पागल पहले पत्रकार था ईरा मैडम के गायब होने के बाद ये भी पागल हो गये। यह कहकर वो ग्रामीण आगे बढ़ गया। हमने सोचा कि वो क्या शख्सियत होगीं जिन्हें हर कोई न सिर्फ़ जानता है बल्कि इज्ज़त भी करता है।
हम दोनों किसी तरह उस पेड़ तक पहुँचे तो देखा, कोई वहां लेटा हुआ है। ड्राईवर बोला,मैडम मुझे तो यहाँ दिन में ही डर से बुरा हाल है दूर- दूर तक कोई भी नज़र नहीं आ रहा। जाने ये रात में कैसे यहाँ रह पाते हैं…। मैम इंसान इतना भी अकेला रह सकता है मैंने आज देखा। गौरी ने देखा! कि सामने पुराने सूखे पेड़ के नीचे जमीन पर गंदे और फटे कपड़ों में कोई उल्टा बेसुध पड़ा है। गौरी ने उस पत्रकार के नजदीक जाकर कहा,”सर”! सर! 
जमीन पर पड़े उस व्यक्ति ने आँखें खोल के धीरे से कहा,”कौन?” गौरी संघाल बोली,”सर,मैं गौरी संघाल डी.एम भिमारी, प्लीज़ मुझसे बात कीजिये। 
वो बोला,”डी.एम! 
पीछे खड़े ड्राइवर जगत ने कहा, ”हाँ,यह डी एम है।” 
बार-बार डीएम शब्द मानो उस जमीन पर से पड़े उस पत्रकार के कानों में ऐसे लगे मानों उसके वर्षों से सूखे कानों में आज किसी ने गर्मागर्म सरसों का तेल डाल दिया हो। उस पत्रकार की वीरान सी आँखें आज किसी अनजानी उम्मीद से चमक उठीं। वो गौरी को एकदक देखते रह गये और उनकी श्वांसे तेज चलने लगीं वो धीरे से उठे उनके होंठ हल्के से हिले तभी अचानक वो वहीं गिर के बेहोश हो गये। ड्राईवर जगत ने उनको तुरंत गोद में उठाया और गाड़ी में जाकर लिटा दिया। गौरी संघाल ने कहा,”सीधे मेरे घर ले चलो और अब वहीं इनके स्वास्थ्य की पूरी व्यवस्था करेगें। ड्राईवर जगत ने कहा हाँ यही ठीक रहेगा।
गौरी ने तुरन्त डॉक्टर को नम्बर मिलाया और कहा आप लोग घर पहुंचे मैं एक मरीज को लेकर घर पहुंच रही हूँ। आज गौरी इस कहानी की पहली और मजबूत कड़ी मिलने पर बहुत खुश थीं। घर पहुँचते ही देखतीं हैं कि उनके घर में डॉक्टर बंसल और उनके साथी पहले से ही मौजूद थे। उन्होनें तुरन्त पत्रकार को बेड पर लिटाया और इलाज शुरू कर दिया। 
तभी गौरी के पास कॉल आयी, मैम आप तुरन्त इस पते पर आ जाइये आपका काम हो गया है। गौरी ने उन्हें ,”धन्यवाद”! करते हुये कहतीं है अरे! कौन कहता है सोशल मीडिया के दोस्त काम नहीं आते। आपका फिर से शुक्रिया। यह सुनकर उस दोस्त ने 
कहा ,”मैम,ईरा मैम के लिये या देश समाज के लिये कुछ करने को बड़े नसीब से मिलता और जब दोस्त बोला तो धन्यवाद कह कर शर्मिंदा ना करें। गौरी ने कहा ठीक है अब मैं ऑफिस निकलती हूँ पता आप मुझे व्हाट्सअप पर भेज दो। वहां से जाते हुए गौरी ने डॉक्टर बंसल से कहा कि पत्रकार को जैसे ही होश आये आप मुझे तुरंत कॉल करना ।
गौरी ने ड्राईवर से कहा,”जगत, तुम थके हो तो आराम करो या घर चले जाओ मैं खुद ड्राईव कर लूँगी। ड्राईवर जगत ने कहा,”मैम, जब तक आप सफल नहीं हो जातीं तब तक मैं कहीं नहीं जाऊँगा और आपसे हाँथ जोड़कर प्रार्थना है आप अब कभी मुझे आराम के लिये नहीं कहेगीं अब तो आराम तब ही होगा जब आप सफल होगीं। 

गौरी संघाल ने कहा,”मुझे तुम पर गर्व है जो इस मिशन में तुम मेरे साथ हो वो भी अच्छे दोस्त की तरह। दोस्त शब्द सुन वो जमीन पर बैठ गया और आँखों में नमी के साथ बोला मुझे आपका ड्राईवर ही रहने दो मैं एक अच्छा ड्राईवर सिद्ध होना चाहता हूँ.. प्लीज़ मैम| गौरी ने कहा,जैसा तुम ठीक समझो,अब चलो जल्दी| दो घंटे के सफर के बाद गौरी और जगत दोनों ठीक पते पर पहुंचे।वहाँ गौरी के दोस्त ने सामने से आकर हाँथ मिलाया और उस बिल्डिंग के एक फ्लैट में ले गया और कहा यही है उस पत्रकार का ठिकाना और ये पुराना लैप टॉप और जमीन पर दरवाज़े के पास से ये दो सी.डी कैसैट मिलीं हैं। गौरी ने कहा तुरन्त पहला पार्ट शुरू करो। गौरी ने देखा ये तो राष्ट्रपति भवन के धरने की सी.डी है। उफ्फ, इतनी बड़ी भीड़,
वाह! ईरा जी की क्या बुलंद आवाज़ है.. तभी डॉक्टर बंसल की कॉल आ गयी कि मैम इनको होश आ गया है और ये कुछ कहने की कोशिश कर रहें हैं। गौरी ने लैपटॉप बंद किया सी.डी बैग में रखीं। सीधे गाड़ी में आकर बैठ गयीं और उनके दोस्त भी अपनी गाड़ी से वापस हो गये। गौरी सीधे ही अपने रूम में पहुँचीं। जहाँ पत्रकार बिल्कुल आराम से लेटे हुये थे और उनका लुक भी बिल्कुल चैंज था। उनकी दाढ़ी भी साफ हो चुकी थी और सिर के बाल भी हल्के हो चुके थे किन्तु वह बहुत बैचेन दिख रहे थे। मैंने उनसे कहा,” अब कैसे हैं आप? वो बोले,ठीक नहीं हूँ। गौरी ने कहा,” सच है,ईरा जी को जानने वाला कोई भी व्यक्ति ठीक नहीं पर आप ठीक हो सकते है। मुझे उनकी बिल्कुल शुरू से पूरी कहानी सुननी है प्लीज़ हाँ बोल दीजिये। पत्रकार ने कहा, मैं आपको ज़रूर सुनाऊँगा जो भी मैं जानता हूँ उनके बारे में। कारण आप की आंखों में मुझे सत्य की तलाश का दृश्य दिखाई दे रहा है।जानतीं हैं, पूरे पाँच साल बीत गये में भी सत्य की ही तलाश में हूँ। हाँ आज सत्य को में सच ज़रूर सुनाऊँगा।” गौरी संघाल ने कहा,”पहले आप पूरी तरह स्वस्थ हो जाईये तभी डॉक्टर बंसल ने बाहर से आवाज़ दी मैडम! गौरी उठी और रूम से बाहर चलीं गयीं। 

बाहर डॉक्टर बंसल ने बताया कि मैडम अभी उनको बहुत कमज़ोरी है और दिमाग भी कमज़ोर है अगर इन्होनें कोई गम्भीर बात सोची तो इनकी याददाश्त जा सकती है। आगरा में डॉक्टर गुरनानी है जो ऐशिया लेवल के मनोचिकित्सक हैं। पत्रकार को आगरा दिखा दें क्योंकि अधिक सोचने के कारण ये कुछ बोलते हैं और कुछ बड़बड़ाने लगतें हैं। गौरी संघाल ने कहा,”डॉक्टर साहब हम पत्रकार की ज़िम्मेदारी आप पर सौंपतें हैं अगर आप चाहें। फिर आगें डी.एम कुछ बोल पातीं कि डॉक्टर बंसल बोले कि मैम मुझे खुशी होगी अगर मैं आपके काम आ सकूँ। डी.एम ने कहा उनको आज ही ले जाओ और पहुँच कर बात करना। गौरी जैसे ही रूम के अंदर आयीं तो पत्रकार को देख कर हैरान रह गयीं। वह बेड पर खड़े होकर बच्चों की तरह उछल-उछल कर बोल रहे थे कि मैम दिल्ली की तैयारी हो गयी है । गौरी ने पीछे मुड़कर देखा तो पीछे खड़े डॉक्टर बंसल बोले,”मैम, देखा आपने? ” बस ऐसे ही ये धीरे-धीरे पूरी तरह पागल हो सकते हैं। गौरी ने पूछा पर,डॉक्टर साहब अभी तो ये ठीक थे फिर ये अचानक कैसे ? डॉक्टर बंसल बोले,मैम,इस बात का जबाव तो डॉक्टर गुरनानी ही दे सकतें हैं। गौरी ने कहा,इनको डॉ गुरनानी को दिखाने ले जाइये,अब देर ना लगाइये प्लीज़। 

डॉक्टर बंसल ने कहा ,जी मैम। तभी थोड़ी देर में बंसल क्लीनिक के कुछ डॉक्टर अपनी ऐम्बूलेंस के साथ आये और पत्रकार को अपनी गाड़ी में लिटा कर आराम से ले जाने लगे तो गौरी ने पत्रकार से कहा आप घूमने जा रहें है जल्दी वापस आना। पत्रकार बोले, ऐम्बूलेंस में कोई घूमने जाता है क्या? मुझे पागल समझती हो। प्लीज़ मुझे मत भेजो और इतना कह कर वह बच्चों की तरह रोने लगे फिर एकाएक वहीं गिर कर बेहोश हो गये। गौरी उनकी ये हालत देख रो पड़ी तभी डॉक्टर बंसल पास आकर बोले,”मैम, चिन्ता ना करें, हम आपको अब तभी बुलायेगें जब देश के इस महान पत्रकार को बिल्कुल स्वस्थ्य कर देगें। गौरी संघाल ने कहा,”धन्यवाद डॉक्टर साहब अब आप ही देखो”। डॉक्टर बंसल बोले,”डोन्ट वरी,कह कर गाड़ी मैं बैठ कर आगरा रवाना हो गये। गौरी अंदर रूम में आकर चुपचाप बैठ गयी और पुराने अख़बारों को देखने लगी। तभी ड्राईवर जगत आकर बोला,”मैम”.. डी.एम बोली,”आओ,कुछ कहना चाहते हो? जगत ने कहा,मैम क्या आपको पता है इस पत्रकार के माँ-बाप दोनों ही पत्रकार थे, उनकी लव मैरैज थी और सबसे ख़ास बात यह है कि उन्होंने अपने इस पुत्र का नाम भी ‘पत्रकार’ ही रख दिया। आज इतने मज़बूत इरादों वाले पत्रकार को यूँ डॉक्टरों के साथ जाते देख काफी दु:ख हो रहा है। गौरी संघाल बोली,”हाँ, इनके इस नाम की कहानी हमने नेट पर पढ़ी थी। वो जल्दी अच्छे हो जायें।

 ईश्वर से प्रार्थना करो। जगत ने कहा,बिलकुल मैम। तभी, गौरी के पास कॉल आयी। गौरी ने कहा,”हैलो,कोई उधर से बोला,” “चुपचाप बीस हज़ार भेज सवाल न करना समझीं”। गौरी ने कहा,”जगत,बैंक चलो, जगत ने पूछा आप बताओ बैंक में क्या काम है मैं खुद कर आऊं? गौरी ने कहा, ठीक है ये लो खाता नम्बर और इस खाते में बीस हज़ार ट्रांसफर कर आओ अर्जेंट। जगत ने कहा,”मैम ये तो आपकी पासबुक है? ‘ गौरी ने कहा, ठीक है पासबुक ही है। जगत ने आश्चर्य से कहा, ” मुझ पर इतना भरोसा मैम? यह सुन गौरी मुस्कुराई और बोली, ” भरोसा इतना, उतना नहीं होता, भरोसा तो भरोसा होता है और मैं तुम पर पूरा भरोसा करती हूँ। जगत नम आँखों से बोला कि आपका यह भरोसा कभी नहीं टूटेगा ये मेरा वादा है, कहकर पासबुक को माथे पर लगा लिया और तेज कदमों से बाहर निकल गया।
दूसरे दिन सुबह गौरी ऑफिस पहुँचती है और कहती है मिश्रा जी जगतपुरा के प्रधान को बुलवाओ|मैं उस दिन जगतपुरा गयी थी तो मैने देखा कि उस गाँव की हालत बहुत खराब थी। गंदगी से नालियाँ बजबजा रहीं थीं और गाँव की पुलिया टूटी है जिससे स्कूली बच्चों को स्कूल आने-जाने में बहुत असुविधा हो रही है। उसको बोलो कि मैं कल फिर आ रहीं हूँ। मुझे हर तरफ सफाई चाहिये और गाँव में आकर सरकारी स्कूल की भी सफाई देखूँगी। इधर जैसे ही आस – पास के गाँव में पता चला कि डी.एम आने को हैं तो पूरे गाँव में दिन-रात सफाई का काम होने लगा। गौरी ने कहा,”मिश्रा जी! दीवारें साफ हुईं? वो जो लिखा था “बाबा बंगाली बवावसीर के लिये मिलें”। ये सुन कर आफिस में सब लोग हँस पड़े।मैडम ने कहा,कल गाँव के सभी प्रधानों और नगरपालिका के लोगों और सभी आधिकारियों की मीटिंग बुलाओ कि वे लोग आठ दिन के अंदर सब साफ सफाई करवा दें वरना सबका एक महीने का वेतन काट दिया जायेगा।
इस मीटिंग के खत्म होने के बाद से पूरे जिले के सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों की हालत पस्त थी। डर के कारण चारों तरफ सफाई चल रही थी। डी.एम ने अचानक तहसील, कचहरी और अस्पताल का औचक निरीक्षण किया तो वहाँ हड़कम्प सा मच गया। सब लोग फाईलें सम्भालनें में लग गये। डी.एम ने कहा,”आप सभी अधिवक्ता गण यूनीफोर्म में आया कीजिये प्लीज़ और मुकदमों को जल्दी फाईनल करने की कोशिश करें ताकि लोगों को तुरन्त न्याय मिले। 

दो पीढ़ी बीत जातीं है लेकिन दो बीघा खेती का बटवारा सुलझ नहीं पाता और लड़कियां तारीख़ पर आते-आते बूढ़ीं हो जाती हैं पर उनकी समस्या का निदान नहीं होता ।आप लोग अपना काम तो ईमानदारी से और जल्दी निपटाने की कोशिश करें। अपनी शक्ति को पहचानें, गलत इल्ज़ाम में फंसे लोगों के आप ही भगवान हैं। इस बात को समझें। वकील धीरे से बोले,”ईरा जैसी ही लगती हैं”।फिर दूर खड़े क्लाईन्ट लोगों से उनकी समस्यायें सुनीं और उनको भरोसा दिलाया कि मैं पी. एम. को पत्र लिखूँगी कि देश में तुरन्त न्याय की व्यवस्था हेतु सरकार कुछ ठोस कदम उठाये।इतना कह कर वो गाड़ी में बैठ अपने ऑफिस वापस आ रहीं थीं कि उन्होंने देखा कि चारों तरफ पुल की दीवारें साफ हो रहीं हैं। चारों तरफ लोग सफाई में जुटे पड़े हैं। गौरी संघाल को यह देख बहुत खुशी हुई। गौरी संघाल ने अपने घर के अंदर जैसे ही पाँव बढ़ाया कि तभी एक फोन आया गौरी ने कान में लगाया और तभी किसी ने कहा कि “पाँच हज़ार भेजो”। गौरी ने उदास चेहरे से कहा,”ओके,अभी भेजती हूँ”। पीछे ड्राईवर जगत ने पूछा क्या बात है मैम?” गौरी ने कहा,”जगत,ये पाँच हज़ार रूपये, इस खाते में डाल देना।जगत ने कुछ पूछने कि कोशिश की पर वह हिम्मत न कर सका। जगत चला गया ।
इधर गौरी संघाल ने डॉक्टर बंसल को फोन मिलाया,पूछा पत्रकार कैसे हैं? डॉक्टर बंसल ने कहा,मैम उनकी हालत में अब थोड़ा सुधार हुआ है। हाँ पर किसी व्यक्ति को सोच कर ये फूट-फूट कर रो पड़ते हैं।गौरी ने कहा,”डॉक्टर गुरनानी क्या कहते हैं?”डॉक्टर बंसल ने बताया,”वो कहते है धैर्य रखो सब ठीक हो जायेगा।गौरी ने कहा,”ठीक है,कहकर फोन रख दिया।

 गौरी ने कुछ देर बाद खाना खाना शुरू किया तभी कुछ सोचकर एक कॉल की पर किसी ने फोन नहीं उठाया। गौरी ने भारी मन से खाना खाया और कुछ देर टहलीं फिर उन्होंनें इंस्पेक्टर सावन को कॉल की पूछा,इंस्पेक्टर सावन,”वो लेखिका अरूणा नारंग जी के केस का क्या हुआ ?इंस्पेक्टर सावन ने कहा,”मैम,सब आरोपी हिरासत में हैं माँ कसम बेलौस डंडा बजा है सब पर कोई बख़्शा नहीं जायेगा मैडम जी,वो बेहतरीन उम्दा लेखिका थीं। हैरत हैं मेम जो लेखिका तमाम उम्र महिलाओं की समस्याओं पर लिखती रहीं वह खुद उसी समस्या का शिकार हो गईं।गौरी ने कहा, वो अपनी कहानियों और गजलों में आप बीती लिखा करतीं थीं पर कोई समझ न सका, बस यही तो विड्म्बना हैं इस देश की। इतना कह कर गौरी ने फोन रख दिया और फिर लैप टॉप पर देर रात तक इरा सिंघल के बारे में जानकारियाँ जुटाती रहीं। उसके बाद वो अपने बिस्तर पर लेटने चलीं तो उनकी खाना बनाने वाली बोली,”मैम,वो ड्राईवर भाई ये पैकेट रख गये हैं। गौरी ने कहा,ओह! पासबुक, ठीक है अब तुम जाओ।
आज एक महीना बीत गया…….
पूरे भिमारी जिले में चारों ओर सफाई थी। सब ठीक चल रहा था। गौरी अपने ऑफिस में बैठी हुई थी। सामने सभी लोग अपने-अपने कार्यों में व्यस्त थे। गौरी ने नवजागरण अख़बार उठाया और पढ़ने लगी तो देखा कि “दहेज़ के लालच में घर से निकाली गयी नव विवाहिता”, “दहेज़ के लालच में गर्भवती को पीट-पीट कर मार डाला” न्यूज छपी थी जब पेज पलटा तो देखा कि “होटल मालिक ने किया बाल मज़दूर बच्चों के साथ कुकृत्य हल्ला मचाने पर की पाँच बाल मज़दूरों की हत्या”, “बी.एड बेरोजगारों का धरना”, “बेरोज़गार करेगें अब जंतर – मंतर पर राष्ट्रव्यापी धरना” , “पाँच साल की बच्ची के साथ उसके चाचा ने किया दुष्कर्म”, “मुग़ल रोड पर भारी जाम”, चारों तरफ आगज़नी मचा है पूरे देश में बवाल ।
गौरी ने कहा,”मिश्रा जी,आपने नव जागरण पढ़ा?”मिश्रा जी सुस्त मन से बोले,”हाँ,मैम पढ़ा ।गौरी ने कहा,”आप लोग बताओ आख़िर!क्या होना चाहिये अब तो अति हो गयी है । मिश्रा जी ने कहा,”हर जिले में एक दो फाँसीघर हों और रोज़ जनता ऐसे कुकर्मी चाचाओं को पकड़ कर अंतिम झूला झुला दें बस… क्राईम ख़त्म। मैडम आज किसी को कानून का डर ही नहीं है।भ्रष्टाचार का आलम तो यह है कि बहुतेरे तो पैसे के दम पर छूट भी जातें हैं।

 गौरी बात काटते हुईं बोली,”मिश्रा जी हम बवाल नहीं शान्ती चाहतें हैं। अच्छा तो एक सेमिनार का आयोजन करो जिसमें सभी कॉलेज स्टूडेन्ट्स को बुलाएं। हम उनकी राय लेगें। मिश्रा जी ने कहा,”मैम,परसों से चुनाव हैं हर तरफ सरकारी अध्यापक-अध्यापिकायें प्रदर्शन कर रहीं हैं कि उनकी चुनाव ड्यूटी से बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होती है। आचार संहिता लगी है। ऐसे में बच्चों की भीड़ मतलब ‘बवाल’ । बात हो ही रही थी कि तभी मीडिया के लोग आ गये तो गौरी ने कहा,”आप लोग पेपर में निकालो कि हर आयोग का अपना स्टॉफ है तो चुनाव आयोग का क्यों नहीं? कुछ नहीं तो जितने बेरोज़गार हैं उनको ही ऐसी ट्रैनिंग दो जिससे उनको दो रोटी का सहारा हो। उनसे चुनाव ड्यूटी करवाओ तो मेहनताना भी दो। इससे सरकारी स्कूलों की पढ़ाई भी बाधित नहीं होगी और बेरोजगारों को धनलाभ भी हो जायेगा और एक बात सरकारी स्कूल में केवल रविवार का दिन ही निश्चित करें। सरकारी
स्कूलों की बिल्डिंग निजि उपयोग में न लायीं जायें। ये पूरी बात पेपर में निकालो कि इस बात पर सुप्रीम कोर्ट ऐक्शन ले। 
मीडिया वाले बोले, और कुछ मैम?
गौरी ने कहा,”शुक्रिया। “
मीडिया वाले बोले,”किस बात का शुक्रिया?
गौरी संघाल ने कहा,”आप सभी की मेहनत के कारण हमको अपने जिले और देश-दुनिया की जानकारी मिलती है।मीडिया वाले बोले कि ये हमारी ड्यूटी है मैम कहकर ऑफिस से बाहर चले गये। तभी गौरी संघाल ने इंस्पेक्टर सावन से फोन पर बातचीत की और ऑफिस के कुछ लोगों के साथ बाहर निकलीं और जगत से कहा,” आमावता गाँव चलो देखते हैं लड़की को क्यों निकाला है आख़िर!फिर चलेंगें केशव गंज जहाँ गर्भवती को…और फिर चलेगें बच्ची के घर …. अब चलो।” गौरी अमावता पहँचतीं हैं जिन्हें देख नवविवाहिता गौरी से लिपटकर रो पड़ती है और कहती है कि मैं बी.एड हूँ टी.ई.टी में पास नहीं हुई तो… मतलब मुझे नहीं, मेरी कमाई चाहिये बस। जब मुझे सरकारी नौकरी नहीं मिली तो मार-पीटकर घर से निकाल दिया। गौरी ने कहा,”तुम एनजीओ चलाओगी बोलो अपने जैसी और भी लड़कियों की मददगार बनना। इसके लिये सरकार तुमको आर्थिक सहायता भी देगी बोलो? वो बोली,मैम, मैं ज़रूर करूगीं। मेरी और भी सहेलियाँ हैं उनको भी जोड़ूगीं। गौरी ने कहा,”शाबाश! आगे बढ़ो और सभी को आगें बढ़ाओ। इससे जुड़ी सारी जानकारी मैं तुमको दूँगीं।
मैडम सुचित्रा जी हैं उनसे में तुमको मिलवाऊँगीं। ये लो उनका नम्बर वो देश के सबसे बड़े एनजीओ की अध्यक्षा हैं। वो लड़की, गौरी के पाँव छूने लगीं तो गौरी ने कहा,”मेरे पाँव मत छुओ अपने पाँव मजबूत करो।” और अपने ससुरालवालों का नम्बर इन महिला पुलिस मंज़िल सैनी को दो और पूरी बात बताओ। सारी बात के बाद डी.एम गौरी संघाल उस गर्भवती महिला के गाँव केशवगंज पहुँची तो लोगों की भारी भीड़ उनपर चिल्लाने लगी और उग्र भीड़ ने उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिये। बड़ी मुश्किल से गौरी उस घर में पहुँची तो उसकी माँ उस नवविवाहिता की मिट्टी पर बुरी तरह तड़प के रो रहीं थीं। गौरी ने उनको गले से लगा लिया और बोली कि मत रो। वह बोलीं कि इसका पति जीते जी मर गया और बेटा पेट में जिंदा दफ़न हो गया। सब पूछ रहे हैं कि कौन देगा इसकी चिता को आग? मैं कहतीं हूँ कि चिता को आग वही देगा जो इसको न्याय दिलायेगा। यह सुनकर चारों तरफ हल्ला मची रहे लोग बिलकुल खामोश हो गये। उस बेटी का पिता आँसू पोछते हुऐ बोला,”अरी!रामराजा रात होने से पहले अर्थी लग जाने दे। तू मरी बेटी की लाश को आख़िर! कब तक सैंते रखेगी। वह माँ चिल्लाई कि मेरी बेटी मरी नहीं बल्कि मारी गयी है और तुमको ज़्यादा जल्दी है तो मैं भी चलूँगीं श्मशान, मुझे भी जिंदा फूंक दो । वरना मुझे मेरी बेटी के साथ अकेला छोड़ दो। इससे अच्छा तो मेरी बेटी किसी के साथ भाग कर शादी कर लेती जहाँ रहतीं खुश रहती। कम से कम ज़िन्दा तो होती। देख लो मिल गयी शान्ती समाज के लोगों को। हुई न जल्दबाजी में अरेन्ज मैरेज और आपकी नाक भी बच गयी पर मेरी बच्ची मर गयी। 

अब यह समाज दिलायेगा मेरी बच्ची को न्याय? बोलो पायल के पापा बोलो! कह कर ज़मीन पर सर पटक कर रो पड़ी। वो बोले,तुम भी चलो श्मशानघाट तक और मिट्टी उठी तो चारो तरफ चीख – पुकार मच गयी। मैं भी खड़ी यह मंज़र देख रो पड़ी सभी श्मशान घाट पहुँचे और जब आग लगाने की बारी आयी तो उसकी माँ ने सब की तरफ देखा! पर कोई आगे नहीं आया तो, वह माँ चिल्लायी! मैं मेरी बच्ची पायल को पैदा कर सकती हूँ तो आग भी दे सकतीं हूँ। मैं दिलाऊँगीं मेरी बच्ची को न्याय। फिर, आँखों में न्याय की शपथ लेते हुये मन ही मन बदले की भावना के दहकते अंगार भर कर एक माँ ने बेटी को मुखाग्नि दे डाली। ये देख गौरी संघाल ने कहा, ” माँ तेरे हौसले को प्रणाम करती हूँ। फिर चुपचाप वहाँ से निकलने लगीं तो एक औरत बोली कि पुरानी वाली डी.एम ईरा जी होतीं तो वो उस माँ को मुखाग्नि देने नहीं देती। इतना कहकर वो महिला आगे बढ़ गयी|गौरी ने मिश्रा जी से कहा कि क्या मतलब इस बात का?” मिश्रा जी ने कहा कि डी.एम ईरा सिंघल होती तो मुखाग्नि वो स्वंय देतीं आगे बढ़कर। गौरी बोली,”क्या ?”तो मिश्राजी ने हाँ में सर हिला दिया। उसके बाद गौरी पाँच साल की बच्ची जो अस्पताल में थीं वहाँ पहुँचीं तो देखा वहां डी.एम मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे पूरा मुग़ल रोड जाम था। ट्रक बाईक सब फूँक डाले गए थे लोगों में रोष व्याप्त था चारो ओर
बुरा हाल मचा था। 

पुलिस पानी की भारी बौछार से लोगों को भगा रहीं थीं पर लोग सड़क पर लेटे हुऐ थे जो हटने को तैयार नहीं थे। पुलिस को उन प्रदर्शनकारियों को वहाँ से हटाने में काफ़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। किसी तरह गौरी अस्पताल के अंदर बच्ची के रूम में पहुँचीं। बच्ची ने आँख खोलकर गौरी की तरफ देखा और फिर उसकी आँखें हमेशा के लिये बन्द हो गयीं। पास मैं बैठी उसकी माँ बेहोश हो गयी। गौरी ने उस बच्ची को गोद में उठा कर सीने से लगा लिया तभी वो बच्ची जी उठी। गौरी बेहोश पड़ी माँ से बोली कि लो आपकी बच्ची ज़िन्दा है पर वह चुप पड़ी थीं। यह देखकर डॉक्टर ने कहा कि “नो मोर” वे मर चुकी हैं, कमज़ोर दिल की थीं सह ना सकी ये सब। गौरी ने पूछा,”इस बच्ची का पिता कहाँ है तो पास खड़े लोग बोले वो इस दुनिया में नहीं। गौरी ने कहा,”कोई नहीं इसका तो आज से मैं हूँ इस बच्ची की माँ।और उस बच्ची को गोद में लेकर वो गाड़ी की तरफ बढ़ गयीं। वहीं खड़ी महिलायें बोली पहले वाली डी.एम होतीं तो वो भी यही करतीं। यह सुनते हुऐ गौरी चुपचाप गाड़ी में बैठ गयी। एक हफ्ते बाद फिर एक कॉल आयी कि “दस हज़ार रूपये भेजो” ।गौरी स्वंय जाकर उस के खाते में रूपये ट्रांसफर कर आयीं। 

ये देख ड्राईवर जगत से रहा नहीं गया और सवाल कर बैठ और केवल इतना ही कह पाया “मेम”? गौरी ने कहा,”हाँ,बोलो तभी गौरी का फोन बजा, गौरी ने कहा,”हाँ, डॉक्टर साहब। उधर से डॉ बंसल बोले कि मैम, पत्रकार बिल्कुल ठीक हैं पर अभी भी थोड़ी मानसिक और शारीरिक कमज़ोरी है। हमको बताया गया है कि आयुर्वेद और योग इनको मज़बूत बना सकता है तो हम इन्हें ‘भण्डारी योगा आयुर्वेदा अरोग्या धाम हिमालया संस्थान के माने हुऐ डॉक्टर, डॉ अशोक धींगरा (आदि), जयपुर ले जा रहें हैं और भगवान ने चाहा तो वो कुछ ही दिनों में अच्छे हो जायेंगें। गौरी बोली,बस वो अच्छे हो जायें। 
दूसरे दिन जब गौरी ऑफिस पहुँचीं तो ऑफिस के बाहर लोगों की भीड़ लगी देखी। हो हल्ला मचा कुछ समझ नहीं आ रहा था कि तभी गौरी ने कहा,आराम से बताओ बात क्या है? एक आदमी बोला जिले में देखो कुछ लड़कियों ने डांस बार खोला है रातभर डीजे बजता है गलत काम होता है बच्चे नहीं बिगड़ेगें क्या? गौरी ने कहा,बार कहाँ खोला है ?वो आदमी बोला,” सरकारी कॉलेज के सामने।

 गौरी ने कहा,”जगत गाड़ी निकालो और जगत ने सीधे ही कॉलेज रोड़ पर आकर गाड़ी खड़ी की मैडम और ऑफिस के लोग सब उस डांस बार में पहुंचे तो देखा तेज आवाज़ में गाना बज रहा था “जिस्म की आवाज़ को रोज सुना तुमने मेरे यार, पर मेरे जज़्बातों का तूने रखा क्या खूब ख़्याल”।
वहाँ डी.एम को देख तुरन्त गाना बन्द हुआ तो गौरी ने पूछा किसका आईडिया है ये? कौन है मुखिया सामने आओ? सामने से एक लड़की जो कि मात्र दो बहुत ही छोटे महीन कपड़े पहने हुये पास ही पड़ी कुर्सी खींच के बोली, ” बैठो मैडम और दूसरी कुर्सी खींच खुद बैठ गयी। फिर बोली बाहर मीडिया है क्या बुलवा लो न यार। तभी मीडिया के लोग भी अंदर आ गये। वहाँ खड़े सभी लोग उसको देख नज़रें नीची किये हुऐ खड़े थे क्योंकि पूरा शरीर खुला था। गौरी कुर्सी पर बैठ गयी और बोली,”ये सब क्यों? तभी पुलिस भी वहाँ आ गयी कॉलेज के अध्यापक भी और भारी भीड़ इकठ्ठा हो गयी कॉलेज के लड़के वीडियो बनाने में लगे थे। पुलिस वाला बोला,”चुप क्यों है बोल? बहुत नंगापन फैला रखा है! बहुत मस्ती चढ़ी है! बेशर्म ना जाने किस माँ की गंदी औलाद है? इतना सुनकर वो आँखों में अंगारभर गुस्से में आकर कुर्सी सर पर उठा कर बोली,” चुप हो जा साले। तू बता तू किस माँ की गन्दी औलाद है जो रात के अंधेरे में मुझे अपनी जॉन और दिन के उजालों में बदजात कहते हो बोल। गौरी बोली,”तुम शान्ति से अपनी बात कहो। 

वह बोली,”मैडम क्या बोलूँ, घर से बेदख़ल लड़की की एक ही जगह होत है वो यही है। ससुराल वालों ने गाड़ी की डिमाण्ड की। पूरी नहीं कर पाये तो हमेशा के लिये निकाल दिया गया। जब चली आई तो बदनामी उड़ा ड़ाली गयी कि मैं ही गलत हूँ चरित्रहीन हूँ। जब मैं रात को पुलिस स्टेशन गयीं तो पुलिसवालों ने ज़बरदस्ती करनी चाही मैं वहाँ से भागी। सुबह सोचा इस कॉलेज में डेली बेसेज पे पढ़ाने लगूँ तो ये प्राचार्य महोदय बोले मस्त माल हो अपनी एक रात मुझे दे दो। ये समाज कमज़ोरों के लिये नहीं है। यहाँ लड़की को देखते ही नोच खाने वाले ये लोग इंसान नहीं बल्कि चील हैं|ससुराल में जाओ तो ससुर और देवर, समाज में रहो तो ये चील। और अब जब यही करना है तो खुलेआम दिन में क्यों न किया जाये। इस कॉलेज में रात बिताने पर जॉब पक्की होती हैं तो दिन में मौज क्यों ना हो फिर|पापी पेट है मैडम जब बदनाम हो ही गये तो अब ‘बदनाम’ ही मेरा नाम है। बजाओ रे गाना। गौरी ने जगत से कहा,गाड़ी से मेरा एक दुपट्टा उठा लाओ। जगत ने तुरन्त सफेद दुपट्टा लाकर दिया। 

मैडम गौरी ने कहा,”सुनो बेटी और वो दुपट्टे से उसका तन ढ़क दिया और उसे गले से लगाकर बोली,मेरे साथ रहोगी? फिर वहाँ खड़ी तमाम लड़कियों से कहा, तुम सब भी जाओ जाकर दुपट्टे डाल के आओ। वो लड़की बोली,लेकिन मैडम,”वो”….और रो पड़ीं। गौरी ने कहा,”ये सफेद दुपट्टा नहीं हिन्दुस्तान का तिरंगा है याद रखना। इस पर कभी कोई दाग ना लगने पाये और कोई पापी इसे छू भी ना पाये। मैं पढ़ाऊँगीं तुम सबको जिससे तुम सब डी.एम बनके देश की सेवा कर सको। चलो घर। वो लड़की डी.एम गौरी संघाल के गले से लगकर खूब रोयी। यह सब देख वहाँ मौजूद भीड़ घीरे-धीरे से खिसकने लगी तो मैडम बोली,” इस कॉलेज के प्राचार्य और यह पुलिसवाले बाबू जल्द जेल में होगें। यह सुन सब लड़कियां खुश हो गयीं। फिर उसी कुर्सी पर बैठे-बैठे इंस्पेक्टर सावन को इशारा करते हुये कहा कि इन सभी बेटियों के ससुरालियों को तुरन्त पकड़ो और सुधरने का टॉनिक दो। शाम को घर आकर डी.एम गौरी अपनी छोटी सी बेटी को दुलारने लगी जिसे अस्पताल से लायीं थीं और उन सभी बेटियों को इलाहाबाद सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिये रवाना कर दिया। जब लड़कियां जाते समय रोने लगीं तो समझाते हुये बोलीं कि मेहनत से पढ़ना और किसी बात की चिन्ता ना करना ठीक है।
दो हफ्ते बाद..
शाम को डी.एम अपने घर पहुँचीं तो देखकर दंग रह गयीं सामने डॉ बंसल और पत्रकार बैठे हैं…वो खुशी से बोली,”अरे आप.. ये तो गलतबात है कॉल ना मैसैज। कहीं खुशी से मर ना जाऊँ। डॉ बंसल बोले मैम हम मरने देंगे तब ना। यह बात सुनकर सब लोग हँस पड़े पत्रकार ने कहा ,”धन्यवाद मैम …आगे क्या कहूँ। गौरी बोली,”कुछ ना कहो चलो चाय हो जाये ।बाद मैं गौरी बोली,”बंसल जी शुक्रिया, तो बंसल बोले,”मैम शुक्रिया अदा करना है तो डॉ अशोक धींगरा जी की करें जिन्हों ने पत्रकार जी से खूब आसन करवायें हैं।

 उनकी मेहनत का शुक्रिया अदा कर दीजिये आप। ये लो नम्बर मिला दिया है आप बात कर लो। गौरी ने कहा,”डॉ धींगरा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया। हम आपको एक गिफ़्ट पार्सल कर रहें हैं प्लीज़ स्वीकार कर लीजियेगा।वो बोले,नहीं,मैम आपकी खुशी ही मेरा गिफ़्ट है कहकर फोन रख दिया। सब लोग खाना खाकर अपने घर लौट गये तब रात को गौरी ने पत्रकार जी से कहा,”सर,अब आप कैसा महसूस कर रहें हैं?”पत्रकार बोले कि कॉफी हल्का सा अच्छा फील कर रहा हूँ पर मेरा ये शरीर यादों के बोझ से अधिक और कुछ नहीं। गौरी ने कहा,अपना थोड़ा बोझ हमें दे दो सर और मेरे कुछ सवालों के जवाब दे दो बस प्लीज़.. जो सिर्फ आप ही दे सकते हैं। पत्रकार ने कहा,”पूछो। गौरी ने पूछा,
आपका पूरा नाम क्या है? “पत्रकार ,”मेरा नाम भी पत्रकार और काम भी पत्रकार”।
“डी.एम ईरा सिंघल के बारे में जो भी पता हो शुरू से बताओ जब से आप उनको जाने तब से…
पत्रकार ने कहा,” ईरा सिंघल जी जब से इस भिमारी जिले में आयीं तब से हर छोटे बड़े अधिकारी की नींद छिन चुकी थी। वो रात को काम देखने निकलतीं थीं और रोज़ ही नया बवाल मचता था तो उनका इंटरव्यू लेने के लिये हमें आना पड़ता था। यह बात उस समय की है जब ईरा मैम यहां की डीएम थीं.. एक दिन बड़ी दर्दनाक घटना हुई कि पास के नौली गाँव की दो नवविवाहिता ईरा मैडम के ऑफिस के बाहर रोतीं हुईं आयीं और वहीं दम तोड़ गयीं। ससुरालवालों ने ऐसिड से उनको पूरा नहला रखा था मैडम कुछ कह पातीं की उग्र भीड़ ने बवाल खड़ा कर दिया चारों तरफ भीड़ और मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे। 

ये सब देख मैडम की आँखों से क्रोध रूपी लावा घधक उठा और वो बोल पड़ी “या तो अब ईरा सिंघल रहेगी या फिर समाज में फैले यह दहेज वायरस”। आप लोग थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करवाइये। ईरा जी फिर थाने गयीं तो पता चला दहेज़लोभी धनवान पढ़े-लिखे लोग हैं। कोई वकील, कोई इंजीनियर कोई डॉक्टर वो बोली कमाल है, धिक्कार है आपकी पढ़ाई-लिखाई पर जो रहम का एक शब्द तक सीख ना सके। उस थाने का इंस्पेक्टर सुल्तान खान जो पट्टा(बेल्ट) बजाने के लिये फेमस था वो दोषी को बाहर पेड़ में बाँधता और विकट मारता पट्टे की आवाज़ दूर तक जाती और हर कोई उसे देखकर काँप जाता था। ईरा ने कहा,”खान,छोड़ना नहीं इन सबको। और मुझ से बोली,”पत्रकार जी बनाओ इन सभी के पिटते हुऐ वीडियों और नेट पर वायरल कर दो ताकि फिर कोई दहेज माँगने में हज़ार बार सोचे बस मैं यही सब कवरेज करता था। दूसरे दिन ईरा जी ने खुद के पैसों से पूरे थाने में वीडियो कैमरे लगवाये और चौराहों पर भी एक हफ्ते के अंदर पूरा थाना ऑनलाईन हो गया। यही सब मैने अपने अखबार में खूब छापा।
फिर, एक दिन एक भाई अपनी बहन की लाश उठाये ऑफिस के बाहर रख के बोला मैडम न्याय करो|जब हमने ऑफिस से बाहर निकल कर देखा तो लोगों की भीड़ और बुरी तरह हल्ला मचा रही थी। मेरी तो रूह काँप गयी उस लड़के की बहन की लाश देखकर जिसके शरीर के दो लोहे के बेलचे किसी ने आर पार कर दिये थे, बेलचे निकल चुके थे पूरी लाश खून से लथपथ थी। वहीं दो खून में सने मोटे बेलचे वह भाई पकड़े खड़ा था। 

उसी भीड़ में एक बुजुर्ग ने कहा ससुराली लोग इस बच्ची के साथ रोज दुष्कर्म करते थे। इसके ससुराली लोगों से बचकर जब कल रात ये भाग निकली तो रास्ते में मुझे जाता देख बोली बाबा बचा लो और वही पूरी बात बता भी नही पायी थी कि पीछे से एक गाड़ी आई जिस से कुछ लोग उतरे और बीच सड़क पर सबने गलत काम किया मुझे भी बहुत पीटा बाद में मैने देखा कि दो बेलचे इस बच्ची के शरीर के आर-पार कर दिये। ये क्रूरता देख मैं बेहोश हो गया। सुबह होश आया तो देखा इस बच्ची की लाश पड़ी हैं तो याद आया उसने अपने भाई और पास के गाँव का नाम बताया था। मैंने उसके भाई को जैसे बताया उसने तुरन्त अपनी बहन के शरीर से बेलचे निकाले और दौड़ता ही चला गया और सीधे बहन की ससुराल पहुँच कर ससुर और जीजा के शरीर में ये बेलचे आर -पार कर दिये। यह देख ननद और सास चिल्लायीं तो उन्हीं बेलचों से उन दोनों को उस समय तक मारा जब तक दोनों बेहोश न हो गयीं । ये देख लड़की का देवर बहुत दूर कहीं भाग निकला। 
उन्हें मारने पीटने के बाद यह लड़का अपनी बहन की लाश के पास आया और खूब रोया।और अब आपके पास आया है।
इरा मैडम यह सब सुन कर रों पड़ीं और बोली,”पोस्टमार्टम के लिये भेजो। रिपोर्ट आने दो कागज़ हाँथ में आने दो….चिंता ना करो भाई तुमने जो किया एकदम सही किया है मेरा वादा है तुम्हारी बहन को न्याय मिलेगा और तुमको भी सज़ा मैं नहीं होने दूँगीं हालांकि क़ानून को हाथ मे लेना अख़लाक़ी जुर्म है…..।

दूसरे दिन ईरा मैडम ने दहेज़पीड़ितों का सामाजिक सर्वे किया जिसमें वह कुछ डॉक्टरों से मिलीं तो पता चला कि डॉक्टर साहब की खुद लड़की ससुराल से प्रताड़ित हो उनके घर ( मायके) में बैठी है। जब पूछा तो बोले कि कौन कोर्ट कचहरी करे । समाज में बदनामी ले। ईरा मैडम थाने पहुँचीं तो देखा कि धाकड़ आदमी इंस्पेक्टर खान जिनसे पूरा इलाका थर-थर काँपता था वह फोन पर बात करते हुऐ रो रहे थे। ईरा जी ने पूछा तो पता चला खान की भी लड़की ससुराल से प्रताड़ित हो किसी अस्पताल में ऐडमिट है वो बोले,”मैडम क्या करूँ कुछ समझ नहीं में आता”। मैं ड्यूटी करूँ , घर देखूँ या कोर्ट कचहरी करूँ। इज्ज़त और पैसा दोनों की बर्बादी और बेटी कहती है कि उनको कुछ न कहना, मैं समझा लूंगी वर्ना समाज हँसेगा। फिर भी मैंने केस कर दिया तो रोज छुट्टी.. तारीख कहीं जज का तबादला कचहरी में जेंबें खाली हो जातीं हैं और तारीखें दी जातीं हैं बस न्याय कहीं नहीं| बेटी को कचहरी लियें फिरूँ या ड्यूटी करूँ मैडम वैसे भी कोर्ट तो वकीलों का स्वर्ग है और क्लाइंट के लिये नर्क”। मैंने इतना सब दहेज़ दिया फिर भी …। कोई और नहीं मेरे सीनियर ही हैं मेरी बेटी के ससुर क्या बोलूँ मैं। वकीलों को मोटी रकम देने को कहाँ से लाऊँ पैसा? यह कह कर वह अपना सर पकड़ कर बैठ गये।

ईरा जी और मैं चुपचाप वहाँ से चले आये और ईरा जी के घर आकर हम दोनों ने चाय पी वो बोलीं,”आप ही कोई रास्ता बतायें इस समस्या से निजात कैसे मिले पत्रकार जी।हमने कहा मिलकर सोचते हैं तो वो मुस्कुरायीं और बोलीं ठीक है। कुछ देर बाद बोलीं आप कल अपने और अपने जानकार वाले सभी समाचारपत्रों में ये लिखो कि जिले में जितनी भी दहेज पीड़ित बेटियाँ हैं वो सभी कल रविवार को जिले के सबसे बड़े लाल बाग स्टेडियम में एकत्र हों। डी.एम ईरा सिंघल आप सभी से बात करना चाहतीं हैं। दूसरे दिन स्टेडियम खचाखच भरा था और पूरा रोड जाम था। इतनी भीड़ की मैडम हैरान खड़ी देख रहीं थी कि उफ्फ..इतनी भीड़! जब एक जिले में इतनी दहेजपीड़ित बेटियाँ हैं तो पूरे देश में पीड़ित बेटियों की क्या हालत होगी? हजारों बेटियों की भारी भीड़ को मैडम ने सम्बोधित किया-

वह बोलीं,”मेरी प्यारी बहनों हम सब एक हैं आप दुखी तो हम दुखी। इसलिये परेशान ना हो तुम काँच हो तो चुभती हो सभी की आँखों में, बनोगी जिस दिन आईना दुनिया खुद को तुम में देखेगी। तुम में जो भी हुनर हो बस दिखा दो दुनिया को। चारों तरफ तालियाँ बज उठीं। फिर बोलीं यहाँ से जाने के बाद एक काम करना अपना-अपना शादी का कार्ड निकालना और अपनी-अपनी शादी में जिसको भी न्योता दिया था। उन सभी को एक बार फिर से सभी रिश्तेदारों, नातेदारों मित्रों सभी को फोन से नेट से सूचना दो कि अब मेरा रिश्ता खत्म हो रहा है अतैव उस दु:खद दावत में आप सब लोग लाल बाग स्टेडियम में ससम्मान निमन्त्रित हैं। यहाँ उपस्थित हर बेटी ऐसा करेगी और सब बेटियों के सभी रिश्तेदारों आदि को यहाँ आने को कहेंगी। वो भी अगले रविवार को। जय हिन्द मेरी बहनों ईरा सिंघल आपके साथ हैं। कह कर वो वहाँ से चल कर अपनी गाड़ी में आकर बैठ गयीं। फिर कैसे – कैसे भीड़ को थामा गया, ये तो इंस्पेक्टर खान और उनकी टीम ही को पता होगा।
हम लोग कुछ ही आगें बढ़े कि कुछ वकीलों की बेकाबू भीड़ ने सामने से आकर गाड़ी रोक ली और बोले,”दहेज़ मुक्ति कार्य का यह तरीका ठीक नहीं मैडम।” यह सुन “मैडम तुरन्त अपनी कार से बाहर निकल कर बोली,”ये बताओ कि क्या आप सभी की बेटियाँ अपने ससुरालों में खुश हैं?”तो वहाँ खड़े कुछ वकील बोले,”हम अपनी बेटियों को कोर्ट में खड़ा कैसे करें हमारी इज्ज़त का क्या होगा? क्लाइन्ट कहेगा कि पहले अपना रायता तो बटोर लो फिर हमारा बटोरना| ईरा जी गुस्से से बोलीं,”आप लोग अपनी सामाजिक इज्ज़त के कारण अपने घरों में अपनी बहन – बेटियों को घुट-घुट के मरने दे रहे हो। बहुत न्याय की बातें करते हो। क्या यह अन्याय आपको नहीं दिखता? बोलो! क्या आप लोग भी अपनी-अपनी बच्चियों के दोषी नहीं हो ?आगे आप समझदार हो|
इतना कहकर गाड़ी मैं बैठ हम दोनों घर लौट रहें थे तभी दूर एक कॉलेज की बिल्डिंग बन रही थी जहां काफी भीड़ इकट्ठा देख मैडम ने गाड़ी रुकवा दिया और कहा लगता है कोई बवाल है चलो चलकर देखें । जब वहाँ पहुँचे तो सब चुप हो गये। ठेकेदार बोला कि मैडम आप.. आइये बैठिये। मैम की सवालियाँ आँखें देख वह बोला,” इन मुँह ढंके मजदूरों में कुछ लड़कियाँ भी हैं ये सब मज़दूर जवान लड़के लड़कियां हैं इन के साथ यहां कुछ गलत हुआ तो होगा बवाल.. इसलिये मैने इन सबको काम से बाहर किया तो। यह चाहे जहां कहीं जाकर काम करें जाएं। ईरा मैडम ने कहा,”आप लोग अपने मुँह खोलो और सच बोलो बात क्या है।” आप सब में से कोई एक बोलो| भीड़ ने जब चेहरों से रूमाल हटाये तो मैडम और मैं दंग रह गये। ये सब तो पढ़े- लिखे अच्छे घरों के बच्चे थे। उनमें से एक बोला कि मैम हम सामान्य जाति के बेरोज़गार हैं ना हम किसी स्वतंत्रता सेनानी कोटे में आते हैं, और ना ही विकलांग, ना हमारे पास रिश्वत हैं देने को और न ही नेताओं की जुगाड़ें। सरकारी नौकरी तो कोटे वालों को ही मिलती है आज। फिर, जब हम प्राईवेट जॉब के लिये स्कूल कॉलेजों में गये तो दो तीन महीने लटका के पैसा देते हैं। फिर दिल्ली बैंग्लौर गये तो रूपैया छै हज़ार उसी में रहना – खाना, आना जाना और अच्छे कपड़े ना हों तो लोग मज़ाक बनाते हैं और हम यूपी बिहार वालों के साथ अच्छा सलूक नहीं करते तो क्या करें मैम हम वापस घर लौट जाएं।
घर आकर पता चला की माँ बीमार है और सरकारी अस्पताल का आलम यह है कि बस एक सी गोलियाँ चूरन की तरह सबको बाँट देते हैं। चाहे पेट दर्द हो या मलेरिया ज़्यादा परेशानी तो बोलते दिल्ली एम्स में जाओ और जब ऐम्स जाओ तो नेताओ की सिफारिश हो। हम जैसे लोग को उनकी और उनकी रिपोर्टों की तगड़ी फीस वहाँ से भगा देती है। हालत यह है कि गाँव – कस्बों में झोलाझाप डॉक्टर और भगत, झाड- फूँक, मरीज की जान ले डालते हैं। आज दाल भी सौ रूपये के ऊपर है। मंहगाई और घर के इन हालातों को देखकर चुपचाप घर में बैठने से अच्छा है मुँह ढ़ककर मज़दूरी कर लें। 

हम में से कोई पुताई करता है तो कोई खिड़की लगाता है, कोई मिस्त्री है और ये कुछ लड़कियाँ हमारी दोस्त हैं जिनको उनके ससुराल वालों ने दहेज़ के कारण मार – पीट कर घर से निकाल दिया और यह अपने छोटे – छोटे मासूम बच्चों का पेट भरने के लिये मेहनत- मज़दूरी कर उनका पेट पाल रही हैं तो क्या गलत है मैडम जी? मज़दूर होना गलत है क्या?” ईरा मैडम बोली कि इस दुनिया में हम सब मज़दूर ही तो हैं। मुझे खुशी है कि इतनी परेशानी के बाद भी तुम सभी ने मेहनत का रास्ता चुना। चलो मसाला कौन अच्छा बनाता है आज हम भी लगायेगें कुछ ईंटें! और मैडम को ईंटे लगाता देख मैं ये खबर कवरेज कर रहा था बाद में मैडम ने कहा,”ये लो कुछ नम्बर जो भी सिविल की तैयारी करना चाहता हो मैं मदद करूगीं और तुम लोग तैयारी भी करते रहना जो भी परेशानी होगी वो अकेली तुम्हारी नहीं अब हमारी होगी। और यह भी कहा वहाँ खड़ी लड़कियों से कि, समय हो तो लाल बाग स्टेडियम में आना सब लोग अपने जिले की डी.एम को अपने बीच पाकर वहाँ बहुत खुश थे।

जब हम गाड़ी में बैठे तो मैडम बोलीं कि मुझे दुख है कि इस बेरोजगारी ने इतने पढ़े-लिखे बच्चों को मज़दूर बना दिया|मैंने कहा,”बेरोजगारी ने भी और वोट के लालच इस कोटे ने भी मैडैम जी। दूसरे दिन अखबार में ईरा मैडम छा गयीं थीं। हर पेपर में उनका ही नाम था। फिर सुबह मेरे पास फोन आया कि ये बवाली डी. एम. तेरी रखै़ल है या माशूका तू उसे खुश करने का और कोई आडिया नेट से ढूँढ़ अखबार में हम नेता लोग की कोई ख़बर ही नहीं होतीआजकल क्यों? और हाँ सुन अगर तेरी इस डी.एम ने विधायक और मंत्री बनने का सपना देख रखा हो तो बता दे कि वो तो पूरा हम होने नहीं देगें। उससे कहो जितने भी ख्वाब देखने हैं ख्वाब में ही देखें। आज से तूने अगर अपनी माशूका को पेपर में छापने की कोशिश की तो, तुझे तो मैं सोने नहीं दूँगा और तेरी उस बवाली को कभी जागने नहीं दूँगा। अब रख मोबलिया और बोल राम राम। मैंने कहा,”राम राम” पर तुम हो कौन? वह बोला,तुम जैसी भटकती आत्माओं के लिये में अघोरी हूँ! अघोरी हा हा हा। सच बताऊँ तो उसकी आवाज़ में काफी दहशत थी मेरा तो पूरा शरीर ही काँप सा गया था| मैं तुरन्त डी.एम ऑफिस पहुँचा और ईरा जी को पूरी रिकार्डिंग सुना दी तो वो बड़ी शान्ती से बोलीं दोबारा फोन आये तो कहना मुझे कोई चुनाव नहीं लड़ना, कोई मंत्री नहीं बनना ।

 मैं तो बस अपना फ़र्ज़ ईमानदारी से निभा रहीं हूँ बस और समाज से दहेज़ रूपी वायरस को जड़ से ख़त्म करना चाहतीं हूँ,यह कह देना फिर वो लोग भी शान्त हो जायेंगें।अभी वो बोल ही रही थीं कि तभी वो भाई आ गया जिसकी बहन के शरीर में बेलचे आर – पार कर दिये गये थे। वह बोला मैडम हमने अभी तक अपनी बहन की लाश नहीं जलायी है। मैं, मैडम और उस लड़के को वहीं बात करता छोड़ वापस अपने ऑफिस लौट आये। तभी, फिर फोन आया सुन पत्रकार कल रविवार है और अपनी मैडम से बोल कोई जनता जनार्दन को इकट्टठा करने की ज़रूरत नहीं है तभी मैं उसकी बात काटते हुऐ बोला कि मैडम कोई चुनाव नहीं लड़ेगीं। वो बस अपनी ड्यूटी कर रहीं हैं। यह सुनकर वो जोर से हंसा और बोला हर पागल यही कहता कि मैं पागल नहीं हूँ। कल अगर कोई सभा हुई तो समझ ले मुझे अघोरी कहते हैं.. काट मुबलिया, बोल राम राम |मैंने कहा,”राम राम|शाम को मैं ईरा मैडम के घर पहुँचा और फिर सीरियस बात की।इधर स्टेडियम में बेटियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे थे पूरी मीडिया कवरेज के लिये तैयार थी काफी मात्रा में पुलिस बल भी तैयार है।कुछ देर बाद मैडम बोली,”पत्रकार जी यहाँ होने दो जो तैयारी हो रहीं है। हम और आप दिल्ली चलो वो भी राष्ट्रपति भवन लेकिन रात में भेष बदल कर ट्रेन से। पहले तो मुझे भी यह समझ नहीं आया कि राष्ट्रपतिभवन क्यों?पर मैडम की योग्यता पर सवाल कैसा। हमने रात ये खबर उड़ा दी कि मैडम बीमार हैं वो दिल्ली ऐम्स में हैं। अब भाषण वहीं होगा। बस फिर क्या था हम दिल्ली पहुँच गये। मैडम को चाहने वाले सभी दिल्ली पहुँचने लगे और सुबह ऐम्स पर भारी भीड़ पहुँचने लगी। 

ये देख हमने बाहर जाकर बोला कि मैडम तो राष्ट्रपतिभवन गयीं हैं और वहीं धरने पर बैठ गयीं हैं।उन्होंने कहा वहीं बात करेगीं आप सभी से। उस दिन अरे!भीड़ वो थी कि किसी भी नेता अभिनेता के लिये ऐसी भीड़ नहीं होती इतनी गज़ब की भीड़ ये मान लो कि एक लड़की और इसके सभी रिश्तेदार तो जिलेभर की क्या देश भर की हर दहेज़ पीड़ित लड़की और उसके शादी में शरीक होने वाले सभी सम्बंधी लाखों से भी ज़्यादा बेटियों और उनके परिवार की वो भीड़ जिसने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया। हम लोगों ने वहीं मंच बना दिया था, मंच को उखाड़ने के लिये पुलिस आ गयी और लाठियाँ मारने लगी गुस्साई भीड़ ने पुलिसवालों को पीटना शुरू कर दिया बवाल और बढ़ जाता कि ईरा मैडम वहाँ आ गयीं और बोली रूक जाओ तो भीड़ से एक लड़की बोली,”सबसे बड़ी गद्दार ये पुलिस ही है बस हराम का मिले इन्हें खाने को… मैडम ने कहा,”क्या नाम है आपका ?”वह लड़की बोली,”सबीना बानो। “
मैडम ने कहा,”शान्त हो जाओ। फिर पुलिस वालों की तरफ देख कर बोलीं आप लोग पुलिस वालें हैं अगर आप लोग की भी बहन बेटी की आँखों में आँसू हैं तो रूक जाओ और हमारा साथ दो। मैडम की सच्ची बात और एक्सरे करने जैसी आँखों के सामने कोई टिक नहीं सकता थाा।मैडम को एकटक देख कुछ सोचते हुए पुलिस वाले शान्ती से खड़े हो गये। इसके बाद मैडम मंच पर पहुँची तो तालियाँ बज उठीं। वो तालियाँ जिसने देश के दोनों सदनो में बैठे मंत्रियों की हालत पस्त कर दी थी। मैडम मंच से बोलीं मेरे देश की बेटियों तुम्हारा स्वागत है और धन्यवाद। मुझे क़्क़111इतनी भीड़ देख बहुत दु:ख है कि मेरी इतनी सारी बहने आज दहेज़ से पीड़ित हैं। दहेज़ समाज का कैंसर हैं| 

एक ऐसा वायरस जिसने आपसी प्रेम को खोखला कर दिया है। हज़ार लोगों की उपस्थिति में एक शादी सम्पन्न होती है। आप सभी लोग बेटी की शादी में दावत उड़ाने शौक से सपरिवार जाते हो तो फिर उस दिन क्यों नहीं जाते जब आपकी ही रिश्तेदार बहन बेटी को जलाया जाता है। पीटा जाता है और हर पल उसके जज़्बातों का बलात्कार किया जाता है और पेट में लोहे के बेलचे आर – पार कर दिये जाते हैं तब वो पंड़ित जी कहाँ होते हैं? क्या उनका दायित्व शादी की दक्षिणा मात्र है? तब कहाँ चला जाता है आपका धर्म? अगर आप हज़ारों लोग पीड़ित बेटी के साथ खड़े हो जाओ तो किसी की हिम्मत नहीं कि देश की किसी भी बेटी के आँख में एक आँसू आ जाये और एक बात और कि बेटी के आँसुओं को मसल कर उसको कहते हो दुख सहो हम कोर्ट जायेंगें तो बदनामी होगी!
आप सब ये बताओ क्या आपके बच्चों के जीवन से बड़ी है आपकी इज़्ज़त। अरे!इज़्ज़त तो तब हो जब आप गलत के खिलाफ़ आवाज़ उठायें। आप प्लीज़ अपनी बच्चियों को मत दबायें बल्कि उनको हिम्मती बनायें। उनको प्रेम करें। हम सुप्रीम कोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस जी से यही प्रार्थना करतीं हूँ कि आज हर काम ऑनलाईन है तो न्याय में देरी क्यों? बेटियों से जुड़ा कोई भी मुकदमा एक साल से ज़्यादा ना चले और मीड़िया से भी कहूँगीं कि खबर छापें उसको चाट जैसा टेस्टी बनाने का कार्य न करें। सबसे बड़ी बात कि आप लोग पुलिस महकमे के लिये अपनी मानसिकता बदलिये। आपको पता होगा कि पुलिस कान्स्टेबल की तनख्वाह आज सबसे कम और ड्यूटी सबसे सख़्त होती है। जब सर्दी में आप रजाई में होते हैं तब ये मफलर बाँधे कोहरे में आपकी सुरक्षा कर रहे होते हैं। आपकी गली में सड़क पर गस्त लगा रहे होते हैं |

ये कोई भी त्योहार अपनी फैमली के साथ नहीं मना पाते और आसानी से इनको छुट्टी भी नसीब नहीं होती इनके जीवन का हर पल वर्दी में कसे-कसे और परिवार की याद में घुट कर बीत जाती है कई बार तो ड्यूटी और परिवारिक उलझनों के कारण हमारे कान्स्टेबल आत्महत्या तक कर लेते हैं। बस कुछ मुट्ठी भर लोगों के कारण हर पुलिसवाले को गलत मत बोलो आप प्लीज़ और पुलिस वालों से भी कहूँगी कि रिपोर्ट लिखने में कोई “अगर” और “मगर” नहीं किया करो प्लीज़। 

आप समाज के लिए और समाज आपका है और हम सबको मिलकर अपने समाज को खूबसूरत और सुगंधित बनाना है। यह सुनकर हर पुलिसवाले की आँखें भर आई थी। फिर डी.एम ईरा सिंघल ने कहा,”आओ आज शपथ, प्रण लो कि जिस बेटी की शादी में दावत खाने जाओगे आशीर्वाद देने जाओगे तो उसके बुरे वक्त में उसका साथ देने भी जाओगे। सात वचन तो दूल्हा- दुल्हन के और आँठवा वचन आप सभी ले लो आज और अब उठाओ हाँथ बोलो ” सत्य की जीत हो दहेज़ का अंत हो। ” पूरी भीड़ एक स्वर में जब बोली तो मानो पूरा राष्ट्रपतिभवन हिल गया तभी उत्साही मीडिया की भीड़ मंच पर चढ़ गयी और मैडम से सवाल कर दिये कि आप राष्ट्रपति जी से क्या चाहतीं हैं? मैडम बोली,” न्याय,इस भाई को जिसकी बहन के साथ उसके अपनो ने कुकर्म किया और बेलचों से शरीर लहुलुहान कर दिया जब से बहन की ससुराल पहुँचा तो बहन का ससुर बोला हाँ मैंने किया बोल क्या कर लेगा तो इस दुखी भाई ने उसको मार दिया तो क्या ग़लत किया ? जब श्री राम रावण को मारे तो भगवान, जब श्री कृष्ण कंस को मारे तो भगवान अगर इस भाई श्याम ने आज के रावण को मारा तो वो दोषी कैसे?राष्ट्रपति जी इस भाई की सज़ा माँफ करें और देश की इतनी दुखी बेटियों को नौकरी का आश्वासन दें वरना हम यहीं रहेंगें। कहाँ जाएंगे जब ससुराल वालों ने निकाल दिया मायके वालों ने दान कर दिया है तो बोलो अब कहाँ जायेंगें?
मीडिया वाले बोले,”और क्या मांग है आपकी?” मैडम बोली,”जिस तरह गली-गली में प्राईवेट मान्यता प्राप्त विद्यालय खुले हैं चाहती हूँ उसी तरह जगह-जगह प्राईवेट मान्यता प्राप्त पुलिस थाने हों। और सरकार दहेज़ पीड़ित बेटियों के लिये एक फूड फैक्टरी या कोई कम्पनी खोलें। जहाँ इन बेटियों को रोज़गार मिले। इनकी सुरक्षा हेतु सभी थाने ऑनलाईन हों। चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगायें जायें बस इतना ही चाहतीं हूँ। मैडम यह कह कर मंच से नीचे उतरी कि महिलाओं की उस भीड़ ने मैडम को गोद में उठा लिया।
इसी बीच मेरे पास मैसेज आया कि लालबाग स्टेडियम में दो ब्लास्ट हुऐ हैं।यह बात सुनकर राष्ट्रपति भवन के सारे प्रसारण रोक दिये गये, पू्ूरे मीडिया मैं यह खबर भी फैल गयी कि मैडम गायब हैं। इस हड़बड़ी में और सरकार के सख्त रवैये के कारण मीडिया को वहाँ से जल्द हटना पड़ा था फिर मैने चारों तरफ मैडम को देखा पर वो मुझे कहीं नहीं दिखीं। पता नहीं उस भीड़ में वो कहां गुम हो गयीं,पता ही नही चला उन्हें “निगल गई ज़मीं या कहा गया आसमाँ। मैंने सोचा कि अभी जहां मैंने कुछ बोला कि मैडम का अपहरण हो गया तो भीड़ में भगदड़ मच जाएगी। दूसरे दिन कुछ ढ़ोंगी लोगों ने उनको देवी बना दिया कि वो दैवीयशक्ति थीं और काम करके अदृश्य हो गयीं पर मझे रोना आ गया कि मैडम किस हाल में होंगीं। हमने बहुत ढूँढ़ा पर उनका कोई पता नहीं चला और आज तक पता नहीं चला पाने में नाकाम हूँ मैं और मेरा जीवन।यह कहकर पत्रकार रो पड़ा और फिर अपने आंसू पोंछते हुऐ बोला कि उस दिन पूरी दिल्ली में भीड़ के कारण पूरा यातायात बस ट्रेन सब का बुरा हाल था इतनी मीड़िया और पुलिस थी कि राष्ट्रपतिभवन पूरा छावनी में तबदील हो चुका था बात भी इतनी गम्भीर मसले की थी कि पूरे देश का मैडम को समर्थन मिल चुका था। पूरा देश पुलिस, वकील,डॉक्टर, इंजिनियर, मजदूर हर कोई मैडम के साथ खड़ा था| फिर, महीनों बाद जब कुछ लोगों ने जंतर-मंतर पर अनशन किया तो देश के राष्ट्रपति ने कहा कि अगर उनका अपहरण हुआ है तो दोषी को कड़ा दण्ड मिलेगा और डी.एम ईरा जी की मांग पर हम गम्भीरता से विचार करेंगें। 
बस विचार!और आज पाँच साल।
इतना कह कर पत्रकार तो खामोश हो गये पर गौरी अपने आँसुओं को रोक न सकी। मन हल्का करने के लिये गौरी किचिन में गयी और दो कप कॉफी बना लाईं। दोनों कॉफी पीने लगे। कुछ देर दोनों चुप बैठे रहे फिर एकाएक गौरी ने कहा आप आराम करिये रात बहुत हो चुकी है। पत्रकार बोले कि अब नींद कहाँ आप आराम कीजिये जाकर। गौरी ने कहा,”वो जो अघोरी आपको धमकाता था कुछ पता किया कौन था?”पत्रकार बोले,”वो कोई नेता था नाम भी पता किया पर याद नहीं आ रहा और मेरा मोबाईल कहाँ गिर गया मुझे याद तक नहीं। मैंने ईरा मैडम के नाम पर कुछ पाखंडियों को उनको देवीमाँ का अवतार बनाकर , उनकी किताबें और फोटों से पैसे कमाते देख मैं पागल सा हो गया था। इसीलिये श्मशान निकल गया जहां जाकर ही मुझे कुछ शान्ती मिली पर सुकून नहीं क्योंकि….सुकून तो ईरा जी थीं जो ना जाने कहाँ गुम गयीं। उनको ढूँढ़ने में मैं इतनी बार मरा हूँ कि मौत भी मुझे छोड़ जाती है मरा समझ कर।

यह बात सुन गौरी मन ही मन बोलीं कि ये पत्रकार ईरा मैडम को बहुत चाहते हैं अब जब सबकुछ मेरे सामने स्पष्ट है तो क्या पूछँ। प्रेम सचमुच बहुत महान है। भगवान इनको इनके प्यार से जल्द से जल्द मिला दे। सुबह के तीन बज चुके थे। हमने कहा,”मैंने उनकी लास्ट वीडियो देखा जब कुछ लड़कियों ने उनको गोद में उठाया उनमें से पता चला है एक लड़की जिसका नाम मधूलिका उर्फ “रेड वियर” है जो बहुत बड़ी कोकीन तस्कर और हाई प्रोफाईल कॉल गर्ल है जिसकी एक घण्टे की कीमत एक लाख रूपये है जो बेपनाह खूबसूरत है। वो उस दिन चेहरे को सांवला करने वाला मेकअप किये थी। मैंने सब पता कर लिया है और पूरी तैयारी भी। अब आप थोड़ा आराम करो और मैं भी चलती हूँ। 
गौरी अपने रूम में पहुंचती है कि उसका फोन बजा गौरी ने फोन उठाया कि आवाज आई “पाँच हज़ार भेज कल”। गौरी ने कहा,ठीक है। और चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर फूट फुट कर रो पड़ीऔर बोली कि एक सपने की ख्वाहिश में मैं खुद एक सपना बन कर रह गयीं हूं। यह कैसी दोहरी जिंदगी दी है भगवान तूने कि दुनिया के लिये अधिकारी और खुद में शून्य।
दूसरे दिन इंस्पेक्टर सावन ने दो हाईप्रोफाईल लड़कों को कोकीन के साथ धर दबोचा जिसने “रेड वियर” कोकीन की रानी का नाम लिया फिर क्या था रेड वियर लड़की के ठिकानों पर झापामारी शुरू हुई। दो घण्टे बाद इंस्पेक्टर सावन के पास कॉल आयी पागल हो गया है क्या रेड वियर को भूल जा और अपनी कीमत बोल जल्दी। बस.. फिर क्या था पता चलाया गया कि किसका नम्बर है और आया कहाँ से है नतीजा धर दबोचा जाकर उस रेड वियर के हितैषी विधायक जशवीरमीणा को। फिर थाने में बिठा कर उनसे कहा गया देख विधायक, रेड वियर को बुला कैसे भी और कहीं भी, कुछ भी करके किसी भी होटल में जल्दी कर वरना मेरी मार तुम सह नहीं पाओगे, सोच लो फिर मार के डर से जशवीरमीणा ने अपने फोन से कई कॉल किये। फिर पूछने के बाद बोला, ” मुझे कुछ भी पता नहीं है।’ यह सुनते ही इंस्पेक्टर सावन ने गुस्से में भरकर उसे एक जबरदस्त थप्पड़ जड़ दिया और थप्पड़ पड़ते ही विधायक कुर्सी से ज़मीन पर गिर पड़ा और उसका जबड़ा उसके हाथ में आ गया। यह देख! विधायक कुछ बोल पाता कि इंस्पेक्टर सावन ने कहा,मैंने पहले ही बोला था कि मेरी मार सह नहीं पाओगे।





















                  लेखिका - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना


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