कविता - हमारा चुनाव
हमारा चुनाव
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बेरूखी बता देती है हमदर्द कैसा है,
गरीबी बता देती है प्रेम कैसा है
घमण्ड बता देता है कितना पैसा है,
संस्कार बता देते है परिवार कैसा है,
बोली बता देती है इंसान कैसा है,
बहस बता देती है ज्ञान कैसा है,
ठोकर बता देती है ध्यान कैसा है,
नजरें बता देती है सूरत कैसी है,
स्पर्श बता देता है नियत कैसी है
चाल बता देती है व्यक्तित्व कैसा है
झूठ बता देता है वादा कैसा है
शौहबत बता देती है दोस्त कैसा है
आदत बता देती है व्यक्ति कैसा है
सोच बता देती है भविष्य कैसा है
खामोश जाम चख रहे हैं स्वाद
लबों पे भीगी कड़वाहट का...
जुनून बता देता हैं इरादा कैसा हैं
'कैसे' की दीवार को भेदना दुष्कर...
रात बता देती है विचार कैसा है
कि, ये मौसम है गिरावट का...
लिखावट बता देती है स्वभाव कैसा है
लगे हैं मोहरे पर चेहरे इतने..
धोखा बता देता 'हमारा चुनाव' कैसा है
ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
You have tried well through this poem. Keep going
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