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आज ही के दिन 13 अप्रैल को हुआ था जलियांवाला बाग हत्याकांड :



आज ही के दिन 13 अप्रैल को हुआ था जलियांवाला बाग हत्याकांड : 




 [उसे दिन नही रात कहें....या कहें इतिहास का आँसू
जब मासूम बेकसूर चीखें कुए में खामोश हुईं....
                          - ब्लागर आकांक्षा सक्सेना ]

13 अप्रैल का वह काला दिन जिसे दिन नही हम रात ही कहेगें.... तारीख थी, 13अप्रैल1999 उस समय देश का शासक जॉर्ज पंचम था और वायसराय फ्रेड्रिक था। उस दिन बैसाखी का पावन पर्व था। उसी के उपलक्ष्य में हजारों की संख्या में लोग अमृतसर के जलियांवाला बाग में इकट्ठे हुए थे और अचानक एक क्रूर अंग्रेज  जनरल डायर अपने सिपाहियों के साथ वहां पहुंचा और बिना किसी चेतावनी के उसने वहां मौजूद मासूमों व निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया जिससे वहां भगदड़ मच गई और हर कोई अपनी जान बचाने की कोशिश में लग गया।  लेकिन जलियांवाला बाग की बनावट कुछ ऐसी थी कि वहां से आने और जाने का सिर्फ एक ही गेट था। पर वहाँ एक कुआं जरूर था।


जो लोगों की प्यास बुझाने के बदले मासूमों का खून चखा।  उस बाग के हर तरफ लोगों के घर थे और ऊंची-ऊंची दीवारें थीं। घबराये लोग अपनी जान बचानेहेतु एक-दूसरे को कुचलते हुये  उन दीवारों पर चढ़ने की नाकाम कोशिश करने लगे और यह गोलियां पूरे10 मिनट तक अनवरत चलती रहीं। जब गोलियां खत्म हुईं, हर तरफ लाशें ही लाशें थीं। उस समय के सरकारी रिकॉर्ड के हिसाब से 379 लोगों की जबरन अकाल मौत हुई थी लेकिन सच तो यह है कि हकीकत में 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 2000 से ज्यादा घायल हुए थे। यह देश के इतिहास में हुए सबसे भयानक जनसंहारों में एक था। जिसे सुन कर आत्मा रो उठती है और कहती है कि तब हम परदेशियों के गुलाम थे और आज स्वदेशियों के.....।

देश के अमर शहीदों
को आत्मिक
शत् शत् नमन
🙏🙏🙏💐

ब्लागर आकांक्षा सक्सेना
akaksha11.blogspot.com

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