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शब्द जब चूक जाये तो समझो कि कुछ खो गया। शहादत - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
शब्द जब चूक जाये तो समझो कि कुछ खो गया। शहादत - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
शहादत
आत्मिक श्रध्दांजलि
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शब्द जब चूक जाये तो
समझो कि कुछ खो गया।
एक घर का दीप बुझा
सबको सुरक्षित सुला गया
रो रही हांथों की मेहँदी
रो रहीं हैं राखियां
देश के गद्दार क्या समझगें
दिल में असंतोष अब
आतंक क्यों हो रहा
कह रहा हर दिल यहां
बंद हो अब कत्लेआम
इतिहास तो साक्षी रहेगा
महाक्षति के इस घाव से।
रच गया पद चिह्न जो
अपने शौर्य के छाँव से।
सदी भी याद करती रहेगी
उसे शहर तक गाँव से।
शेरनी का दूध जिसका
पिया था उस शेर ने।
धन्य है वह धन्य माँ
सौंपा सपूत देश को
अपने आंचल की छांव से
भले ही गया तेरे ठाँव से। (ठाँव=जगह, स्थान)
पर दे गया है आदर्श वो
अपने कदम के छाँव से।
जिस पर चलेंगे लाखों सपूत
बस उसी की याद से।
भारतमाँ की सेवा ऋण मुक्ति में
जपता रहा,
'ऊँ राष्ट्राय स्वाहा, इदं न मम'
भाव से।
देशभक्त था वह जिसने स्वप्न देखा
'चिन्मय भारत को बनाना' है।
उसे ही पूर्ण करने को
अब हम लें शपथ
- ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
शब्द जब चूक जाये तो समझो कि कुछ खो गया। शहादत - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
Reviewed by Akanksha Saxena
on
May 23, 2018
Rating: 5
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