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जन्माष्टमी विशेष - भगवान श्रीकृष्ण जी की अद्भुद स्तुति व चमत्कारी मंत्र।

                          ।। जय श्री कृष्ण ।।
 

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जब रोहिणी नक्षत्र से युक्त होती है तो उसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। विष्णु धर्मोत्तर पुराण के अनुसार मध्य रात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों ही प्राप्त होने पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जायेगी। दो सितम्बर 2018 दिन रविवार को सायं 05:08 बजे के बाद अष्टमी तथा सायं 06:29 के बाद रोहिणी नक्षत्र प्राप्त हो रहा है जो अगले दिन सोमवार को दोपहर बाद तक रहेगा। अतः जन्माष्टमी व्रत रविवार को ही करना उचित होगा। साथ ही अर्द्धरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जायेगा। रोहिणी से युक्त अष्टमी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है । इस बार हम योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण जी की 5244 वीं जयन्ती मनाने जा रहे हैं।

          भगवान श्री कृष्ण जी की स्तुति
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श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥

सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥

मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥

वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥

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पहला मंत्र - 'ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।'

यह मंत्र जीवन में किसी भी प्रकार के संकट को पास फटकने नहीं देगा।
 'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।' 

 जब कभी पीड़ित व्यक्ति को आकस्मिक संकट का सामना करना पड़ता है तो तुरंत ही पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उक्त मंत्र का जाप कर संकट से मुक्ति पाई जा सकती है।

 'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।' 

 तीसरा मंत्र निरंतर दोहराते रहना चाहिए। उक्त मंत्र को चलते-फिरते, उठते-बैठते और कहीं भी किसी भी क्षण में दोहराते रहने से कृष्ण से जुड़ाव रहता है। इस तरह से कृष्ण का निरंतर ध्यान करने से भक्त कृष्ण भक्ति की निर्मल
धारा से जुड़कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग पुष्ट कर लेता है।
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्॥

= हे! परमात्मा श्री कृष्ण जी आप सभी का मंगल करें।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।


॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥
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1 comment:

  1. क्या सच में श्रीकृष्ण मंत्र का जाप करने से हर परेशानियां दूर हो जाती हैं ?

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