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श्री चित्रगुप्त प्रगटोत्सव महापर्व '19 अप्रैल 2019' की तैयारियां जोरों पर /Shri Chitragupta Pragatotsav Mahaparvar


कायस्थवाहिनी का आवाह्न :



वाहिनी प्रमुख 
गुरूदेव पंकज भइया कायस्थ जी 


विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी '' विश्व चित्रगुप्त प्रगटोत्सव'' की तैयारियां अपने पूरे शबाब पर हैं । 


भगवान  चित्रगुप्त जी के अवतरण पर्व  देश - विदेश में पुरे हर्षोल्लास के साथ चैत पूर्णिमा के दिन मनता आ रहा है। इस वर्ष यह 19 अप्रैल को मनाया जायेगा। कायस्थवाहिनी अंतर्राष्ट्रीय ने इसकी भव्य  तैयारियों के लिए अपने संगठन से आहवाहन किया है ;


भगवान श्री चित्रगुप्त अवतरण की पौराणिक कथा - 






भगवान चित्रगुप्त जी जो प्राणियों के चित्त में गुप्त रूप से विराजित होकर उनके शुभ-अशुभ कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले प्रभु श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण पर्व देश में चैत पूर्णिमा के दिन काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। कहीं प्रभु की मनोरम झाँकी निकलती है, तो कहीं रथयात्रा, कहीं पूजा की जाती है तो कहीं भण्डारा, इस दिन लोग अपने घरों में दीप प्रज्वलित कर पुरे परिवार के साथ प्रभू चित्रगुप्त जी का स्वागत करते हैं और खुशियाँ मनाते हैं।



       
        पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु जी की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि का निर्माण किया और सभी जीव-जन्तुओं की उतपत्ति की और सृष्टी के संचालन की व्यवस्था की जिम्मेदारी यमराज जी को सौंपी गयी तो उन्होंने अकेले इस पुरे कार्य को सम्पादित करने में असमर्थता जताई। फिर यमराज ने ब्रह्मा जी से निवेदन किया कि हे ! प्रभु मुझे एक ऐसा सहायक दीजिये जो लेखा-जोखा रखने में निपुण हों, लेखनी पर जिनका अधिपत्य हो, विराट स्वरूप धारी हों, तब ब्रह्मा जी ने यमराज जी की मांग के अनुसार उनका काल्पनिक  चित्र हृदय में धारण किये महाकाल की नगरी उज्जैन के शिप्रा नदी के तट पर अंकपात नामक स्थान पर ध्यानमग्न हो गए। 11000 वर्षों की साधना के पश्चात्  चैत पूर्णिमा के दिन भगवान श्री  चित्रगुप्त जी का अवतरण हुआ। ब्रह्मा जी के सामने वह प्रकाश पुंज के रूप में विराट स्वरूप, मनोहर छवि लिए, चतुर्भुजरूप धारण किये खड़े हुए प्रभु चित्रगुप्त से ब्रह्मा जी ने पूछा हे ! देव आप कौन हैं ?भगवान श्री चित्रगुप्त Bhagvan shri Chitragupt ने हाथ जोड़कर विनम्रता से कहा हे ! परमपिता मैं आपके ही हृदय में विराजित छवि से उत्पन्न हुआ हूँ। आपने जिस कल्पना को अपने हृदय में लेकर साधना की उसी कल्पना के चित्रण से मेरा जन्म हुआ है।

       ब्रह्मा जी ने उनका नामकरण करते हुए कहा कि हमारे हृदय में आपके चित्रण से आपका जन्म हुआ है तो आपको आज से सारा ब्रह्माण्ड चित्रगुप्त के नाम से जानेगा। आप ब्रह्मांड के सभी प्राणियों के चित्त में गुप्त रहकर हर प्राणी के कर्मों का लेखा-जोखा रखेंगे और आप ऐसे भगवान होगें जिन्हें कभी आराम करने का समय नही होगा और इस अत्यंत कठिन कार्य को पूरी पार्दर्शिता से केवल आप ही करने में सक्षम हैं। इसीलिये हर सनातन हिन्दू आज चैत्र पूर्णिमा के दिन पूजा भक्ति सत्कर्म करेगा तो वह आपकी कृपा पात्र होगा और कर्मों के बंधनों से मुक्त होगा। चूँकि आप हमारी काया से आप जुड़े हैं तो आपके वंशज कायस्थ के नाम से पहचाने जायेंगे। इसी समय से देश में हर वर्ष चैत्र  पूर्णिमा के दिन भगवान श्री चित्रगुप्त प्रगटोत्सव महापर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है।


कायस्थवाहिनी प्रमुख 'गुरूदेव' पंकज भइया कायस्थ ने सर्वसमाज में स्थापित की चित्रगुप्त प्रगटोत्सव मनाने की भव्य परम्परा -जगा कायस्थ समाज, मिला विश्व व्यापी समर्थन - 





भगवान श्री चित्रगुप्त जी की इस महिमा से सर्व समाज एवं विश्व भर में प्रसारित करने में सफल रही कायस्थवाहिनी अंतर्राष्ट्रीय, इसके फलस्वरूप इस प्रगटोत्सव को एक नयी ऊँचाई मिली और यह प्रगटोत्सव पुनः देश में हर्षोल्लास का पर्व बनता जा रहा।


प्रतिवर्ष भव्यता से मनाया जाता है भगवान श्री चित्रगुप्त जी का अवतरण महापर्व यानि प्रगोटत्सव - 





चित्रगुप्त प्रगोटत्सव 2018 की झलकियां 


कायस्थवाहिनी के प्रयास से साल दर साल इस महापर्व की भव्यता बढ़ती जा रही है। इस वर्ष इस महापर्व को भव्य बनाने एवं जन-जन में मन-मंदिर में स्थापित करने के लिए कायस्थ वाहिनी अन्तर्राष्ट्रीय, प्रमुख पंकज भैया ने वाहिनी के सारे पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को जुट जाने का आवाह्न किया है। 


वाहिनी प्रमुख गुरूदेव पंकज भइया कायस्थ जी का संकल्प - 





कायस्थ वाहिनी अंतर्रष्ट्रीय प्रमुख गुरूदेव पंकज भइया Pankaj Bhaiya kayasthavini कायस्थ जी के स्वप्न सर्व समाज में भगवान श्री चित्रगुप्त को स्थापित करना व उनका अवतरण महापर्व ‘प्रगोटत्सव’ मनाने व मनवाने का प्रण लिया हुआ है कि जीवन की अंतिम श्वांस तक प्रभु चित्रगुप्त जी के प्रति हर कायस्थ को न जोड़ दें तब तक चुप न बैठूंगा।




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