कविता बवाल - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना poem- Bawal - Blogger Akanksha SAXENA
बवाल
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समंदर सारे शराब होते तो
कितना रूआब होता...
हकीकत सारे ख्वाब होते तो
सोचो! कितना बवाल होता
किसी के दिल में छुपा है क्या
ये तो ईश्वर ही जानता है ,
दिल ये बेनकाब होता तो
कितना बवाल होता
जन्तु-पौधे में चुनाव होते तो
नज़ारा जानदार होता
इंसान निकल जाता
सुई के छेद से उसदिन तो
दुनिया में न कोई बवाल होता
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना😊🙏
बहुत सुंदर रचना
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