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5 जून : पेड़ लगायें तो सेवा- सम्मान भी करें - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना

World's Environment Day Special -
-Blogger Akanksha SAXENA 




आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर हम सब लोग पेड़ तो लगा देते हैं पर फिर छोड़ देते हैं उन्हें सूखने के लिए। पेड़ लगायें तो उनकी सेवा भी करें। प्राचीन भारतीय इतिहास कहता है कि बृक्षों के इतिहास में पारिजात कल्पबृक्ष को बृक्षों की उत्पत्ति का घोतक माना गया है। भगवान शिव को बेलपत्र अप्रित किये जाते वहीं भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल 



क्योंकि पेड़-पौधों, जीव-जंतु से प्रेम ही तो हमारी संस्कृति रही। त्रेता युग में भगवान श्री राम ने भी प्रकृति का सम्मान करते हुए जीव-जंतुओं, बृक्षों से हाथ जोड़कर ससम्मान पूछा था - 




कि हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी, तुम्ह देखी सीता मृगनैनी। हम सभी को पता है कि द्वापर में भगवान श्री राधे कृष्ण जी ने निधि वन में तुलसी पौधरोपण किया था जो युग बीत जाने पर आज भी वृंदावन में एक रहस्यमयी जगह के नाम से विश्वविख्यात है। 



वहीं चित्रकूट में गोस्वामी श्री तुलसीदास जी द्वारा लगाया400 वर्षों पुराना पीपल का पेड़ आज भी है।


वहीं  भारत का सबसे प्राचीन बरगद पेड़ कोलकाता में है यह पेड़ दुनिया का सबसे चौड़ा पेड़ है जो 14400 वर्ग मीटर में फैला है। 





वहीं विश्व का सबसे पुराना पेड़ पुराना टीजिक्को है।



बता दें कि वैज्ञानिकों ने स्वीडन के डलारना प्रांत में दुनिया में सर्वाधिक समय तक जीवित रहने वाले यानी 9,550 वर्ष पुराने वृक्ष की खोज की है। इस पेड़ के अलावा वैज्ञानिकों ने 375 वर्ष, 5,660 वर्ष व 9,000 वर्ष पुराने वृक्षों की भी खोज की है। 

सम्पूर्ण प्रकृति जीवंत है और पूजनीय है। इनकी रक्षा करें और सम्मान करें।

-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना 
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