महिलाओं के शौक, समाज के लिए शोक क्यों?
हे! 'समाज' जी कृपया सोच बदल डालो।
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पुरूष बालियां पहने = स्वतंत्रता
महिला बालियां ना पहने = स्वच्छंदता
बच्चे बाली टैटू बनवायें = उद्दंडता
(महिला के शौक = समाज के लिए शोक?)
किसी के छोटे से शौक(नाक - कान छेदन) पर ये कैसी - कैसी परिभाषाएं गढ़ीं जातीं हैं, ये कैसे उस व्यक्ति को पूरी तरह गलत ही ठहरा दिया जाता है। ये कहां तक उचित है।
हे! 'समाज' जी कृपया सोच बदल डालो।
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
न्यूज ऐडीटर सच की दस्तक
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