जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि - ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
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एक महान महिला नेता मा. सुषमा स्वराज जी के स्वर्गवासी हो जाने पर कुछ लोग शोक गीत लिख रहे थे....
उनसे हाथ जोड़कर 🙏 विनम्र निवेदन करूंगी कि
किसी की... मौत...पर गीत..!
वो शोकाकुल वातावरण जिसे देखकर प्रकृति भी रो पड़ती है... वो शोक वो आँसू, क्या मृत्यु - कभी 'गीत' हो सकती है भला.....
कृपया आप अपनी रचना को गीत ना कहकर...उसे ये भी हैडिंग दे सकते हैं -
जैसे - मनोभाव, अभिव्यक्ति, मेरी संवेदना, उनकी यादें, विलीन, दर्द, असहनीय, हृदयविदारक, मेरे एहसास, अमिट चिन्ह, उनके निशाँ.......
आप इससे भी बेहतरीन हैडिंग बना सकते हैं पर प्लीज़ शोक को गीत कहना मुझे अजीब लगता है... बाकि आप स्वंय समझदार हैं...
कुछ लोग रेप जैसी हृदयविदारक घटनाओं पर उस बच्ची के अगों को अपने शब्दों से नोचने पर तुल जाते हैं... हर अंग का बखान करने लगने लगते हैं... और वह यहां भी नहीं रूकते, ऊपर से उस रचना में ऐसा अश्लील गंदा चित्र उस बच्ची को नोचता हुआ, अर्धनग्न अवस्था में चस्पा करके पोस्ट कर देते हैं... आप मंथन करिये.. रेप पर कविता पूरी तुकबंदी के साथ कविता लिखना और पीड़िता को किसी के द्वारा नोचते हुए दिखाना कहां तक जायज है?
कुछ लोग अपनी रचनाओं में महिलाओं के उभार को और उभार कर अपनी रचनाओं को पोस्ट करते हैं.. क्या आप नहीं जानते जिन उभारों से आप महिला की सुन्दरता को नाप रहे हैं.. वह केवल उभार नहीं और ना ही सिर्फ़ सौन्दर्य का पैमाना है.. हाँ वह उभार.. प्रकृति ने महिला को माँ बनने के बाद उसके नवजात शिशु का पेट भरने के लिए उसे दिये हैं.. यह नवजात शिशु का 'दुग्ध' यानि 'एकमात्र भोजन' यानि 'भोजन भंडारग्रह' है... आप जैसों की नजर गढ़ाये रखने और अपनी रचना आदि को सौ लाईक दिलाने का साधन तो कतई नहीं....सोचिए! एक नवजात बच्चे के भोजन पर गंदी नज़र डालना कहां की समझदारी है...? मैं उन बहनों से भी कहना चाहूंगी कि कृपया आप भी इस तरह अंग प्रदर्शन करके नवजात बच्चे का भोजन भंडारण ग्रह को लोगों को दिखाकर केवल स्वंय की नजरें में बड़ी हो सकती हैं मॉडर्न हो सकतीं हैं पर यह नग्नता स्मार्ट और मॉडर्न होने की परिभाषा कतई नहीं है, आप भारत की बेटी हैं कृपया आप भी संयम बरतें।
दूसरी तरफ़ कुछ लोग अपनी व दूसरों की पोस्ट पर माँ - बहनों की भद्दी गालियाँ लिखने में अपनी शान समझते हैं..... अगर बिना गाली के बात में वजन कम लगता है या दुनिया अधूरी लगती है तो दुनिया में बहुत हिंसक जानवर हैं, उनके नाम से गालियाँ दे लो..पर महिलाओं को बख्श दो...
कुछ दिन बाद यानि 15 अगस्त को ही रक्षाबंधन महापर्व भी है जो केवल अपने भारत के महान पूर्वजों की अनमोल देन है.. सोचो! कितनी महान सोच रही होगी उनकी जिन्होंने खासतौर पर महिलाओं के सम्मान में भाई - बहन के निश्छल प्रेम पर इस महापर्व की शुरूआत की होगी...उन महान पूर्वजों को सादर नमन🙏
मेरी आप सब बुद्धिजीवियों महानुभावों से हाथ जोड़कर विनती है कि इस आने वाले रक्षाबंधन त्यौहार पर ही कृपया सोच बदल लीजिए, बड़ी कर लीजिए.. थोड़ी ही सही।
पता है... आप उल्टा सुनाओगे मुझे .. सुना लीजिए .. पर बदल लो.. मुझे गाली देकर ही सही... पर चैंज तो लाओ ...
जब अंतर्दृष्टि दृष्टि बदलेगी तो यह सृष्टि सुधरेगी।
आप जब बेटियों को दिल से सम्मान देगें उनपर भरोसा करेगें तो कल के दिन आपके घर में भी सुषमा स्वराज,पीटी ऊषा, हिमा दास, सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला आदि होगीं।
-ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना
भारत माता की जय 🙏🇮🇳
वंदेमातरम् 🙏🇮🇳
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